चर्चा मंच के सभी पाठकों को स्नेहिल अभिवादन!
मित्रों! देखिए शनिवार की चर्चा में कुछ अद्यतन लिंक।
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गीत "सभ्यता पर ज़ुल्म ढाती है सुरा" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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इमेज गूगल साभार |
मैं #रचनाओं को अपनी, एक #तमाशा बनाता हूं । मचलती हुई मीडिया की, दरों दीवार पर चिपकाता हूं।
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सुगम गीता (द्वितीय अध्याय 'प्रथम भाग')
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राग दरबारी के सुर में सुर मिलाते हुए, रंगीन प्यालों में भर करअसत्य का विष पी रहे हैं सभी ।
अग्निशिखा
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बारम्बार लिखना लिखाना
फिर खोजना क्या नवीन लिखा
पर निराशा में डूब जाना
कुछ नया न लगा नए लेखन में |
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पाकिस्तान के संकट का क्या हमें फायदा उठाना चाहिए?
भारत और पाकिस्तान ने इस साल एक साथ स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे किए हैं। पर दोनों के तौर-तरीकों में अंतर है। भारत प्रगति की सीढ़ियाँ चढ़ता जा रहा है, और पाकिस्तान दुर्दशा के गहरे गड्ढे में गिरता जा रहा है। जुलाई के अंतिम सप्ताह में पाकिस्तान सरकार ने देश चलाने के लिए विदेशियों को संपत्ति बेचने का फैसला किया है। जिज्ञासा
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जीवन का सुख सारा बचपन प्यारा-न्यारा-दुलारा बचपन
नहीं था चिंता कोई फिकर-गम
अल्हड़पन में डूबा निडर मन
मां की ममता पिता का डर
जिद्दी बन हठ करता मगर
दादी मां की कहानी सुनकर
दौड़ते गलियों में सब दिनभर BHARTI DAS
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बकरी पाती खात है ताकी काढ़ी खाल। जे नर बकरी खात हैं, ताको कौन हवाल।। #कबीर
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दौड़ने दो खुले मैदानों में,
इन नन्हें कदमों को जनाब
जिंदगी बहुत तेज भगाती है,
बचपन गुजर जाने के बाद
बचपन की वो यादें अब भी आती हैं
रोते में अब भी वो हँसा जाती हैं| अज्ञात...
यह पंक्तियां न जाने किसकी लिखी हैं पर इन पंक्तियों के भाव जैसा मन कई बार बचपने और उन यादों जगह पर ले जाता है जहां पैदा हुई और कुछ बचपन बीता।
कुछ मेरी कलम से kuch meri kalam se **
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How to describe people in English? हर व्यक्ति अपने आप में अलग होता है। हर एक की अपनी-अपनी विशेषताएं होती हैं। अंग्रेज़ी में तरह-तरह की खूबियो वाले व्यक्तियों के लिए अलग-अलग शब्दों का प्रयोग होता है। कुछ की लिस्ट यहाँ दी जा रही है। कुछ और शब्दों की लिस्ट बाद में। आप अपनी प्रतिक्रिया देकर बता सकते हैं कि आपको हमारा यह प्रयास कैसा लगा। किसी और टॉपिक कुछ जानकारी चाहते हैं तो उसके बारे में भी बता सकते हैं।
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ग़म का कारोबार नहीं करते ( आधी अधूरी कहानी ) डॉ लोक सेतिया 25 साल की उम्र में ज़िंदगी से सामना हुआ तो कुछ महीनों में दोस्ती रिश्ते अपनापन की वास्तविकता समझ आ गई थी , हर कोई मुझे इस्तेमाल करना चाहता था और कोई कीमत नहीं समझ कर खरीदार बन कर मुझे पाना चाहता था बदले में देना कुछ भी नहीं चाहता था ।
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आज के लिए बस इतना ही...!
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आदरणीय मयंक सर ,
जवाब देंहटाएंमेरी इस प्रविष्टि् "#मैं रचनाओं को अपनी ! " की चर्चा आज के अंक "सभ्यता पर ज़ुल्म ढाती है सुरा" (चर्चा अंक-4534) पर शामिल करने के लिए बहुत धन्यवाद और आभार ।
इस अंक में सम्मिलित और संकलित सभी रचनाएं बहुत उम्दा है , सभी आदरणीय को बहुत बधाइयां ।
सादर ।
बहुत सुंदर और सार्थक चर्चा। उम्दा लिकों से सजी इस प्रस्तुति के परमआदरणीय रूपचंद्र शास्त्री 'मयंक' सर को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ। साथ ही सभी रचनाकारों को बधाई। चर्चा में मुझे भी स्थान देने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार सर।
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंशानदार चर्चाएं..... इन सबके बीच मुझे भी शामिल करने का शुक्रिया
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