सादर अभिवादन।
शनिवारीय प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।
शीर्षक आ. डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' जी की रचना से -
चर्चामंच के संस्थापक एवं वरिष्ठ लेखक आदरणीय डॉ. रुपचंद्र शास्त्री 'मयंक' जी आजकल अस्वस्थ हैं। फेसबुक पोस्ट के ज़रिये उन्होंने कल अपने मित्रों को 'हार्ट अटैक' आने संबंधी सूचना दी थी। फिलहाल वे अस्पताल में इलाज ले रहे हैं।
हम उनके शीघ्र अति शीघ्र स्वस्थ होकर पुनः सक्रिय होने की कामना करते हैं।
आइए अब पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-
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उच्चारण: गीत "देगा कौन सहारा"
पगडण्डी पर चोर आ गये, चौराहों पर डाकू,
रिश्तों की झाड़ी में पसरे, हैं दुर्दान्त लड़ाकू,
सम्बन्धों में गरल भरा है, प्यार हुआ आवारा।
छल-फरेब की कारा में, जकड़ा है भाईचारा।१।
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हरदम तुम ही क्यों रूठे रहते
हर कमी उसी की होती क्यूँ....?
घर आँगन के हर कोने की
खामी उसकी ही होती क्यूँ....?
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वो चीं-चीं करती
बहुत शोर मचाती थी
फुदकती फुदकती
पूरे आँगन का चक्कर लगा आती थी
दूध भात का दाना खाकर
चुपके से मेरे खास उगाए
इमली और बेरी के पत्ते भी चबा आती थी
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पकड़ो कल की बातें
कल की बात सयानी
नए दौर में रटेंगे
मिल कर वही कहानी
हम हिन्दुस्तानी
हम हिन्दुस्तानी
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पुरवाई: युग अपने पैरों लौट जाएगा
हरापन
देकर
पत्तों से जीवन का दर्शन
सीखकर
बूंद
का आभा मंडल दमकता है।
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उधड़े रिश्तों की होती है,
कठिन बहुत तुरपाई।
जिसको अब तक समझा अपना
सनम वही हरजाई।
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इसीलिए वृद्ध अवस्था में लोगों को रनिंग की जगह उनके लिए लो इम्पैक्ट एक्सरसाइज की ही सलाह दी जाती है , इसमें वॉकिंग, स्विमिंग , साइकिलिंग , रोइंग , योगा आदि आता है , इसका उपयोग एथलीट अधिकतर आंतरिक चोट रिकवरी के समय या बीच बीच में बॉडी को आराम देने के लिए करते हैं ! रनिंग करने से पहले हर किसी को लौ इम्पैक्ट एक्सरसाइज से ही शुरू करना चाहिए ! तथा दौड़ने के अभ्यास मध्य भी इसे जोड़कर रखना चाहिए तभी शरीर मुक्त मन से इसे अपना पाता है
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बाँध का पानी पिछली रात को छोड़ दिया गया है। पूरण धान की रोपणी के बाद अच्छी फसल के सपने संजोए रात में सोया था। आज सुबह अपने खेत के ऊपर मटमैले पानी के फैलाव को वह देख रहा है और देख रहा है, अपने सपनों को ढहते हुए, देख रहा है, पानी में हाल में रोपे गए धान के पौधे को धार में बहते हुए...
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सन 1924 में प्रथम विश्वयुद्ध के कारण जब मंदी का माहौल था और टाटा कंपनी के पास कर्मचारियों को वेतन देने के पैसे नहीं थे, दोराबजी टाटा को कुछ सूझ नहीं रहा था। कंपनी को कैसे बचाया जाए? कोई रास्ता दिख नहीं रहा था। तभी मेहरबाई ने जुबिली हीरा गिरवी रख धन इकट्ठा करने की सलाह दी। पहले तो दोराबजी ने इससे इंकार कर दिया, लेकिन बाद में अपनी पत्नी की सलाह माननी पड़ी। तब मेहरबाई ने अपना बेशकीमती जुबली डायमंड इम्पीरियल बैंक में 1 करोड़ रुपयों में गिरवी रख दिया था ताकि कर्मचारियों को लगातार वेतन मिलता रहे और कंपनी चलती रहे। यह हीरा 254 कैरेट का था जो आकार और वजन में विश्व विख्यात "कोह-ए-नूर" हीरे से दोगुना है।
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विकास की अंधी आंधी में वक्त हो या इंसान अपनी निजपरिधि को त्याग चुका है। वह पूर्ण स्वतंत्रता की चाहत में स्वाभाविक मर्यादा का उल्लंघन कर रहा है। हर ओर निजपरिधि तोड़ने के सबूत फैले पड़े हैं। वस्तु हो या जीव जब बित्ते के बाहर स्वयं को पसार देता है तो वह नाश की ओर स्वयं बढ़ जाता है। सीमा रेखा की टोक जैसे ही हटती है, घुसपैठी का घुस आना निश्चित हो जाता है। इसलिए जितना समय-पैसे का निवेश सतर्कता से करने के लिए चिंतक हमारा ध्यान खींचते हैं, उतना ही स्वाभिमानी परिधि की हमें चिंता होना चाहिए।
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आज का सफ़र यहीं तक
@अनीता सैनी 'दीप्ति'
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआदरणीय अनीता जी
आदरणीय शास्त्री जी आप जल्दी स्वस्थ होकर आए ऐसी मंगल कामना प्रभु से मैं करता हूं🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत धन्यवाद अनीता जी, आपने मेरी पोस्ट को अपने इस चर्चा मंच में जगह दी🙏
जवाब देंहटाएंमेरा प्रयास रहेगा की अपने ब्लॉग के माध्यम से ऐसे पोस्ट लिख सकूं जो आपके इस मंच पर शेयर हो सके🌷🌷🌷🌷
आदरणीय शास्त्री जी के जल्दी स्वस्थ होने की कामना🙏🙏
जवाब देंहटाएंसुंदर, सराहनीय अंक।
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री जी के स्वस्थ होने की भगवान से प्रार्थना है ।
ईश्वर से प्रार्थना करती हूं कि आदरणीय शास्त्री जी जल्द से जल्द स्वस्थ्य हो।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और सार्थक चर्चा प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंआपका आभार अनीता सैनी दीप्ति जी..!
समय से मुझे इलाज मिल गया और आप लोगों की शुभकामनाओं से मैं बच गया हूँ|
अस्पताल से छुट्टी मिल गई है अभी थोड़ा सा आराम करूँगा चार-पाँच दिनों के लिए !
यदि प्रभु की इच्छा हुई तो जल्दी ही चर्चा मंच पर भी सक्रिय हो जाऊँगा||
जी जरुर सर 🙏
हटाएंआपका आशीर्वाद अनमोल है।
इंतजार रहेगा आपका।
सादर
बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति अनीता जी ।शास्त्री जी सर के शीघ्र स्वस्थ होने की की कामना करती हूँ ।
जवाब देंहटाएंआभार आपका रचना पसंद करने के लिए!
जवाब देंहटाएंइस अंक में बहुत सुंदर रचनाओं के संकलन के लिए अनिता जी की जितनी भी प्रशंसा की जाय कम है. हार्दिक साधुवाद!
जवाब देंहटाएंब्रजेन्द्र नाथ
Hi dear very nice blog
जवाब देंहटाएंहम सभी आदरणीय शास्त्री जी के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं । आदरणीया अनीता जी का बहुत बहुत आभार ।
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