अमृत महोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ।
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अब सीधे चलते हैं,
15 अगस्त के लिंकों की ओर...!
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दोहे भारत देश महान (स्वतन्तन्त्रा दिवस) (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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स्वतंत्रता दिवस और लाल किला स्वतंत्र भारत की पहली सुबह ! सारा देश रात भर सो ना पाया था ! अंग्रेजों के चंगुल से लहूलुहान स्वतंत्रता को छीन लाने में हजारों-हजार देशवासी मौत का आलिंगन कर चुके थे ! आखिर उनकी शहादत रंग लाई थी ! सारा देश जैसे सड़कों पर उतर आया था। लोगों की आंखें भरी पड़ी थीं खुशी और गम के आंसूओं से ! खुशी आजादी की, गम प्रियजनों के बिछोह का... !
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आजादी का जश्न |
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1
यह पर्व है जन-जन का,
करना है अर्पण,
अपने तन-मन-धन का।
2
सौ बार नमन मेरा,
वीर शहीदों को,
जिनसे है चमन मेरा।
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आजादी के महापर्व पर
हो बस ये संकल्प हमारा
गगन चूमता रहे तिरंगा
उन्नत भारतवर्ष हमारा।
मन के मोती अभिलाषा चौहान
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चुनाव आवे वाला है “अम्मा अम्मा ई आज़ादी का है ?” “औ ई अमरित महोत्सव तौ हम कभी सुने नाहीं ।” “ऊ रामू कहे है कि घर घर झण्डा लगाओ औ देसगीत गाओ” “हाँ बबुआ.. ऐसै कुछू हमहूँ सुने है ।” “तौ का अम्मा एक झण्डा हमहूँ लगाय दें”
गागर में सागर जिज्ञासा सिंह
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नयी पीढ़ी को स्वतंत्रता का सही मूल्य समझाना जरूरी!
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अगस्त पन्द्रह उन्नीस सौ सैंतालिस
उस रात चाँद भी सोया नहीं था
चाँद ! जब तुम कल आना न
तो ओस का श्रृंगार किए
बर्फानी रंग के ढेर सारे
आसमानी फूल भी
साथ में ले आना
सिर पर कफन बाँधे जुनूनी हौसले
गोलियों से भरी राहें, रक्त-रंजित सीने
सिर पर कफन बाँधे जिन्होंने
उन शहीदों को मुझे नमन करना है
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कहने और सुनने का बोध कानपुर में रहने वाले युवा कवि योगेश ध्यानी की ये कविताएं यूं तो शीर्षक विहीन है. लेकिन एक अंतर्धारा इन्हें फिर भी इतना करीब से जोड्ती है मानो खंडों मे लिखी कोई लम्बी कविता हो. एक ऐसी कविता, जिसका पाठ और जिसकी अर्थ व्यापति किसी सीमा में नहीं रहना चाह्ती है. अपने तरह से सार्वभौमिक होने को उद्यत रहती है, वैश्विक दुनिया का वह अनुभव, पेशेगत अवसरों के कारण जिन्होंने कवि के व्यक्तित्व में स्थाई रूप से वास किया हो शायद. कवि का परिचय बता रहा है पेशे के रूप में कवि योगेश ध्यानी मर्चेंट नेवी मे अभियन्ता के रूप मे कार्यरत है. अपनी स्थानिकता के साथ गुथ्मगुथा होने की तमीज को धारण करते हुए वैश्विक चिंताओं से भरी योगेश ध्यानी की ये कविताएँ एक चिंतनशील एवं विवेकवान नागरिक का परिचय खुद ब खुद दे देती है. पाठक उसका अस्वाद अपने से ले सके, इस उम्मीद के साथ ही इन्हें प्रकाशित माना जाये.
लिखो यहां वहां--
जाने कहाँ कहाँ ले जाता है
कभी छेडता राग मिलन के
कभी विरह में डूब जाता है
कुछ मेरी कलम से kuch meri kalam se **
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''शादी करके फंस गया यार , अच्छा खासा था कुंवारा .'' भले ही इस गाने को सुनकर हंसी आये किन्तु ये पंक्तियाँ आदमी की उस व्यथा का चित्रण करने को पर्याप्त हैं जो उसे शादी के बाद मिलती है
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विश्व में बस एक है जड़ता-कटुता-हिंसा ने
सभ्यता को पंक बना दिया
मिट्टी के पुतले बनकर
मानवता को मुरझा दिया. BHARTI DAS
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कहानी Kahani कविता वर्मा
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पुस्तक अंश: डरपोक अपराधी | सुरेन्द्र मोहन पाठक | सुनील शृंखला राधेमोहन नाम का वह ब्लैकमेलर जब सुनील के पास आया तो सुनील ने उसकी मदद करने से मना कर दिया। सुनील क्या जानता था कि उसे इसी मामले में हाथ डालना पड़ जाएगा। डरपोक अपराधी लेखक सुरेन्द्र मोहन पाठक (Surender Mohan Pathak) द्वारा लिखित सुनील शृंखला (Sunil Series) का 27वाँ उपन्यास है। यह उपन्यास प्रथम बार 1969 में प्रकाशित हुआ था।
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आज के लिए बस इतना ही...!
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ReplyDeleteबहुत अच्छी सामयिक चर्चा प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट सम्मिलित करने हेतु आभार!
ReplyDeleteसभी ब्लॉगर साथियों और पाठकों को स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
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ReplyDeleteरूपचन्द्र जी, मेरी "यादो की संध्या" को चर्चामंच में जगह देने के लिए धन्यवाद और सभी पाठकों मित्रों को स्वतंत्रता की ७५वीं वर्षगाँठ पर बधाई।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर श्रमसाध्य अंक, आप सभी ब्लॉगर साथियों को आजादी की अमृत महोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई 🙏
ReplyDeleteआजदी के मनोहारी चर्चा, बेहतरीन
ReplyDeleteजयहिंद जय भारत
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं सभी साथी रचनाकारों को।
ReplyDeleteबेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को चयनित करने के लिए सहृदय आभार आदरणीय सादर
सभी को 76वें स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ। आजादी के अमृत महोत्सव के मौके पर विस्तृत श्रमसाध्य चर्चा अंक प्रस्तुति के लिए परम आदरणीय शास्त्री सर को कोटि-कोटि धन्यवाद। सभी साथी रचनाकारों को ढेरों बधाईयाँ और शुभकामनाएँ। मुझे भी शामिल करने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार सर। आजादी की 75वीं वर्षगाँठ की सभी को बहुत-बहुत बधाईयाँ। सादर।
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति। आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 💐
ReplyDeleteचर्चा मंच पर मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए आभार शास्त्री जी 🙏🙏
ReplyDeleteधन्यवाद जी मेरी रचना को शामिल करने के लिए
ReplyDeleteआदरणीय,
ReplyDeleteअमृत महोत्सव की आपको एवम् सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई! आजादी के जोशीले तीन रंगों से रंगी आपकी प्रस्तुति पढ़ कर आनन्द आ गया। देशप्रेम से ओत- प्रोत सभी रचनाएं- कविताएं, आपके लिखे दोहे, माहिए , उज्ज्वला छन्द, संस्मरण, लघुकथा, कहानी ,महत्वपूर्ण जानकारी देते आलेख, काजल जी का कार्टून, सभी बहुत रोचक…! बहुत सुन्दर प्रस्तुति! मेरी रचना भी शामिल करने के लिए हार्दिक आभार! सभी लिंक पढ़े, कुछ पर कमेन्ट संभव नहीं हो सका…आज़ादी के अमृत महोत्सव की आपको व सभी को बहुत बधाइयाँ!
बहुत बहुत आभार आदरणीय शास्त्री जी। अमृत महोत्सव के इस सुंदर सारगर्भित अंक में मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार और अभिनंदन ।
ReplyDeleteस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई। जय हिन्द जय भारत 💐💐👏👏
बढ़िया ब्लाग चर्चा। धन्यवाद शामिल करने के लिए
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