मित्रों!
गुरुवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
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देखिए मेरी पसन्द कुछ त्वरित लिंक।
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बीत गया सावन सखे, आया भादौ मास।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, उत्सव आया खास।।
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श्री कृष्ण जन्माष्टमी, मना रहा संसार।
हे मनमोहन देश में, फिर से लो अवतार।।
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"यह भारत भूखण्ड हमारा" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
यह भारत भूखण्ड हमारा।
दुनिया भर में सबसे न्यारा।।
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जीवन की आभा है इसमें,
कुदरत की शोभा है इसमें,
सर्दी-गर्मी और बारिश का,
मौसम लगता कितना प्यारा।
यह भारत भूखण्ड हमारा,
दुनिया भर में सबसे न्यारा।।
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फूलों के सपने नित देखे
सदा रहे जो खोया-खोया
कर्महीनता सिर चढ़ बोले
शूलों को निज पथ में बोया।।
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मुरादाबाद के साहित्यकार मनोज मनु के अठारह दोहे ......
कितने वीरों ने दिये, इस पर तन मन प्राण ।।1।।
सोचें तो मन हूंकता, जब जब करें विचार
वीरों ने कैसे सहे, तन पर सतत् प्रहार ।।2।।
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हटो तुम सब, यदि नहीं भाता मेरा तरीका तुमको, मत सिखाओ मुझे-
ये करो, ये न करो
ऐसे बोलो, ऐसा न बोलो
वहाँ जाओ, यहाँ मत जाओ
ताना बाना उषा किरण
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सारे जग में भारत की पहचान तिरंगा है
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मुझ को राधा दिखती है
दूर कहीं इक मीरा बैठी
गीत तुम्हारे लिखती है
कुछ मेरी कलम से kuch meri kalam se ** रंजू भाटिया
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डगमग कदम पड़े थे छोटे
शिशु ने जब चलना था सीखा,
लघु, दुर्बल काया नदिया की
उद्गम पर जब निकसे धारा !
मन पाए विश्राम जहाँ अनीता
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भारत@75 - आओ कि कोई ख्वाब बुनें कल के वास्ते आजादी के 75 साल पूरे हो रहे हैं और इस मौके पर कुछ लोग देशभक्ति प्रदर्शित कर रहे हैं, और कुछ लोग हैं जो कहते हैं कि देशभक्ति का भाव प्रदर्शित करने की चीज नहीं है. बेशक, ऐसे ही लोग होंगे जो आजादी की लड़ाई के वक्त भी सड़क पर उतरने की बजाए यह तर्क देते होंगे कि अंग्रेजों के खिलाफ मन ही मन लड़ रहे हैं. पर, अब 75 साल के बाद हमें क्या नया संकल्प नहीं लेना चाहिए? क्या जज्बाती, कम जज्बाती, गैर-जज्बाती लोग या सेलेक्टिवली जज्बाती लोग अब यहां से एक नई राह की तरफ नहीं बढ़ना चाहेंगे?
गुस्ताख़ मनजीत ठाकुर
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नई जब राह पर तू चल तो नक़्श-ए-पा बना के चल,
क़दम हिम्मत से रखता चल, हमेशा सर उठा के चल ।
बहुत से लोग ऐसे हैं , जो काँटे ही बिछाते हैं ,
अगर मुमकिन हो जो तुझसे तो गुलशन को सजा के चल ।
आपका ब्लॉग आनन्द पाठक
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सेंक लो कुछ रोटियाँ
जलता तवा है ।
इस तवे पे सिंक रही
रोटी दवा है ॥
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"सोच का सृजन" विभा रानी श्रीव्स्तव
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यमुना तट पर विरह बरसे
गोपियों का मूक क्रंदन
कान्हा मथुरा धाम पधारे
अब बने वो देवकी नन्दन
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बस एक अरदास बची थी
उससे कुछ राहत मिली थी
पर तब भी पूरी राहत न मिली
फिर भी जब तक ठीक न हो पाऊँ
जिसे करने से कुछ राहत मिली
और अधिक जब स्वस्थ हो जाऊं
तेरे ही गुणगान करूं
नित ग्रन्थ साहब का पाठ करूं |
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हमें अपने बचपन को बचाए रखना है
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वसीयत एक ऐसा अभिलेख जिसके माध्यम से व्यक्ति अपनी मृत्यु के बाद अपनी संपत्ति की व्यवस्था करता है .भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 3 में वसीयत अर्थात इच्छापत्र की परिभाषा इस प्रकार है -
''वसीयत का अर्थ वसीयतकर्ता का अपनी संपत्ति के सम्बन्ध में अपने अभिप्राय का कानूनी प्रख्यापन है जिसे वह अपनी मृत्यु के पश्चात् लागू किये जाने की इच्छा रखता है .'' कानूनी ज्ञान
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आज के लिए बस इतना ही...!
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सुप्रभात सर।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर सराहनीय संकलन।
सादर प्रणाम
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंश्री कृष्ण जन्माष्टमी, मना रहा संसार।
हे मनमोहन देश में, फिर से लो अवतार।।
बहुत सुन्दर श्रमसाध्य एवं सार्थक प्रस्तुति ।प्रस्तुति में मेरे सृजन को सम्मिलित करने के लिए सादर आभार ।सभी को कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएँ एवं बधाई ।
उत्तम चयन की बधाई मान्यवर।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को चयनित करने के लिए सहृदय आभार आदरणीय सादर
जवाब देंहटाएंकृष्ण जन्माष्टमी की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सराहनीय अंक । मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार और अभिनंदन आदरणीय शास्त्री जी । मेरा नमन और वंदन।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा संकलन
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं … सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं…मेरी रचना को शामिल करने के लिए 🙏
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