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मंगलवार, नवंबर 01, 2022

"दीप जलते रहे"(चर्चा अंक-4599)

सादर अभिवादन आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है (शीर्षक आदरणीय शास्त्री सर जी की रचना से)इस पल जब, मैं ये प्रस्तुति बना रही हूँ तन थका हुआ है और आंखें नींद से बोझिल हो रही हैमन थोड़ा  ख़ुश और थोड़ा उदास  हो रहा है चार दिनों से चल रहा छठ पूजा आज समाप्त हो चुका हैछठी माता के आगमन तथा उनकी स्वागत की तैयारी का हर्षोल्लास भरा माहौल और परिवार के साथ बिताये पल आनंदित कर रहें है, और दुःख इस बात का कि ये दिन अब फिर एक साल बाद आयेगा छठी माता के आगमन का ये चार दिन ऐसे गुजरता है जैसे बेटी का व्याह हो और उनके जाने के बाद उदासी भी वैसी ही होती है जैसी बेटी की विदाई के बाद होती है  --खैर, ग़म और खुशी का ये सिलसिला तो चलता रहेगा आईए चलते हैं, आज की कुछ खास रचनाओं की ओरवैसे ब्लॉग जगत में भी सन्नाटा ही हैजो है उसे लेकर हाजिर हूं ---------

 (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

अश्रु सूखे हुए, मीत रूठे हुए,

वायदे प्यार के, रोज झूठे हुए,

आज झनकार के तार टूटे हुए,

राख में अधजले दिल सुलगते रहे।

रोशनी के बिना, दीप जलते रहे।।

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कविता का ह्रास

कौन करता शुद्ध चिंतन

भाव का बस छोंक डाला

सौ तरह पकवान में भी

बिन नमक भाजी मसाला

व्याकरण का देख क्रंदन

आज फिर कविता सिसकती।।

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दिल्ली हाट


“दिल्ली हाट” सबसे पहले दिल्ली एम्स हॉस्पिटल के पास आई एन ऐ में २८ मार्च १९९४ में शुरू किया गया था . तब से अब तक तीन दिल्ली हाट खुल चुके हैं ,दूसरा प्रीतम पूरा में और तीसरा जनकपुरी में हैं .दिल्ली हाट की स्थापना का मुख्य उद्देश्य यह था कि बिचैलियों को हटाकर दस्तकारों को उनके उत्पाद का सीधा लाभ दिया जाए। दस्तकारों की माली हालत सुधारने के लिहाज़ से देश के कपड़ा मंत्रालय ने यह निर्णय लिया था। यहाँ देश के विभिन्न राज्यों के खान-पान को भी एक स्थान पर मुहैया कराने की पहल की गई है। अपने प्रदेश के अलावा अन्य प्रदेशों के व्यंजनों से भी लोग परिचित हों। ----------------

सावरा सलोना प्यारा सा श्याम

 चुप न  होने की कसम खाई हो जैसे

यशोदा ने सब को हटाया वहां से

पर शिव को न हटा पाया उनने |

 अपने प्रभू के दर्शन की जिद ठान बैठे थे वे भी 

भेष बदला शिव ने ग्राम बधु जैसा अपना  

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सबकुछ कहाँ पिघलता है
यह हम हैं
हमारा वक्त
हमारी उम्र
और
जीवन का संपूर्ण दर्शन।
सब कुछ तो पिघल जाता है
तपता है
बनता है
टूटता है।
देखो पिघलते दौर में
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बिना साबूदाना भिगोए बनाए क्रिस्पी साबूदाना कटलेट
दोस्तों, जब हम साबूदाना वडा बनाते है तो यदि साबूदाना बराबर नहीं भिगा तो वडा तेल में फुटने का डर रहता है। कुछ लोग तो वडे तेल में फुट न जाए इस डर से साबूदाना वडा ही नहीं बनाते! खासकर ऐसे लोगों के लिए पेश है बिना साबूदाना भिगोए साबूदाना कटलेट बनाने की आसान रेसिपी। इस रेसिपी से कटलेट तेल में फुटने का डर नहीं रहेगा और कटलेट बनेंगे एकदम क्रिस्पी!!
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#आस्था का महापर्व छठ #छठमहापर्व का वैज्ञानिक दृष्टिकोण
मिट्टी को मिट्टी से,परम्पराओं से, संबंधों से जोड़ने वाला, छठ पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाने वाला एक महान ,आस्थावान हिन्दू पर्व है। सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से पूर्वी भारत के बिहार,
झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है। प्रायः हिन्दुओं द्वारा मनाये जाने वाले इस पर्व को इस्लाम सहित अन्य धर्मावलम्बी भी मनाते देखे गये हैं।धीरे-धीरे यह त्योहार प्रवासी भारतीयों के साथ-साथ विश्वभर में प्रचलित हो गया है।
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अब चलते-चलते छठ पर्व पर 
प्रकाश डालता मेरा लेख 
आस्था और विश्वास का पर्व - 
छठपूजा के रीति रिवाज़ों पर अगर चिंतन करे तो पाएंगे कि -यही एक त्यौहार हैं जिसकी पूजा में किसी ब्राह्मण की आवश्यकता  नहीं पड़ती ,इसमें जाति का भी भेद-भाव नहीं दिखता ,बांस के बने जिस सूप और डाले में प्रसाद रखकर अर्घ्य अर्पण करते हैं वो समाज की नीची कहे जाने वाली जाति के पास से आता है ,मिट्टी के बर्तन को भी मान देते हैं। इस व्रत में अनगिनत सामग्रियों का प्रयोग होता है जो  सिखाता है कि -प्रकृति ने जो भी  वस्तु हमें  प्रदान की है उसका अपना एक विशिष्ट महत्व होता है इसलिए किसी भी वस्तु का अनादर नहीं करें। इस व्रत में माँगकर प्रसाद खाना और व्रती के पैर छूकर आशीर्वाद लेने को भी अपना परम सौभाग्य मानते हैं। व्रती चाहे उम्र में छोटी हो या बड़ी,पुरुष हो या स्त्री ,चाहे वो किसी छोटी जाति से हो या बड़ी जाति से, कोई  भी हो, उन्हें छठीमाता ही कहकर बुलाते हैं। इस तरह ये पर्व अपने अभिमान को छोड़ झुकना भी सिखाता है। 
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आज का सफर यही तक,अब आज्ञा दें 
आपका  दिन मंगलमय हो 
कामिनी सिन्हा 

6 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
    आपाका आभार @कामिनी सिन्हा' जी।

    जवाब देंहटाएं
  2. उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, कामिनी दी।
    छठ पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं दी।

    जवाब देंहटाएं
  3. आभार आपका कामिनी जी, आपने मेरी रचना को इस महत्वपूर्ण मंच पर स्थान दिया।

    जवाब देंहटाएं
  4. सुंदर संकलन
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार कामिनी जी

    जवाब देंहटाएं
  5. 'दीप जलते रहें' शुभ्र भाव लिए सुंदर शीर्षक।
    सभी रचनाएं पठनीय सुंदर।
    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
    विगत सभी पर्वों की पूरे ब्लाग जगत को हार्दिक शुभकामनाएं।
    मेरी रचना को इस शानदार संग्रह में रखने के लिए हृदय से आभार।
    सादर सस्नेह ‌‌।

    जवाब देंहटाएं

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