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शनिवार, मार्च 09, 2013

आज क्या खास है?

महिला दिवस हो तो महिला गुणगान होना चाहिये
कर्तव्य पालन का कुछ तो बोध होना चाहिये
फिर चाहे कल को दुत्कारी जाये फ़टकारी जाये
आज तो उसको पूजित होना चाहिये
ये है आज का नज़रिया हमारे समाज का 
मगर किसी ने ना चाहा जानना 
आखिर चाहती है वो क्या ?
उसकी चाहना बस इतनी सी
उसकी उडान बस इतनी सी
उसका आसमान बस इतना सा

नहीं बनाओ देवी या पूज्या चाहती हूँ बस इतना 
 
मानो मुझे भी इंसान और जीने दो ससम्मान

"महिला दिवस" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)

 


चाहती हूँ

बस इतना सा 


सुनीता

 एक पहचान

 

ऐ हसीना !!

ये तो होना ही था

 

ये लालीपौप तो सिर्फ़ एक दिन के लिये होती है

 इसमें क्या शक है?

 

स्त्री-पुरूष

 एक दूजे के पूरक


''महिला दिवस पर एक गुज़ारिश ''

जरूर करनी चाहिये

 


महिला दिवस पर विशेष

जानना होगा ……क्या?

 

विश्व महिला दिवस !!!

मनाये जाओ

 

 

शोभना फेसबुक रत्न सम्मान प्रविष्टि संख्या - 16

डालिये एक नज़र इधर भी


हाइकु (अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर)

दीजिये सार्थक संदेश

 

मैं नारी हूँ .....

 सब पर भारी हूँ

 

आज ये सबला नारी

 नहीं रही बेचारी


अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस !

आओ मनायें 

   

स्त्रियों का सिर्फ एक दिन.... वीमेंस डे पर विशेष

चलो मनायें

 

**~ ओ स्त्री! क्या यही तेरी मर्ज़ी है...??? ~**

किसने जानी उसकी मर्ज़ी है?


स्त्रियों की कलम से

स्त्री को जानो

 

बेला गर्ग का महिला दिवस विशेष आलेख - औरत को हाशिया नहीं, पूरा पृष्‍ठ चाहिए 

पूरे सम्मान की है हकदार

 

महिला दिवस

चलो मनायें

 

दर्द कितना है...

कैसे मापूँ?


रोक लेते हो जो तुम मुझे ...

निर्झर नीर बह जाता 

 

महिला दिवस अब प्रतिदिन मनाना चाहिए ( Women's Day ) .....>>> संजय कुमार

अच्छा 

 

चंपा और चमेली .

बतियाँ सुनायें खरी खरी

 

वो चुप रही ......उसने कहा भाव खाती है

इसी तरह ज़िन्दगी दहलाती है 

 

क्यूंकि स्त्री मात्र देह ही तो है.......

देह के आगे भी तो गणना होती है

 

आज क्या खास है?

आपको पता हो तो बतायें 

 

 कोडरमा मे महिला दिवस का आयोजन

एक रंग ये भी है खास


सही मायने में "महिला दिवस".

ऐसे मनाइये

  

उम्मीद है काफ़ी लिंक्स मिल गये होंगे ……महिला दिवस की शुभकामनाओं के साथ 

चलो फिर मिलते हैं अगले शनिवार

  नमस्कार :)

"मयंक का कोना"
(1)
 
शंखनाद पर पूरण खण्डेलवाल
किये जिसे आजाद वो, देता है सन्ताप।
कोई भी करता नहीं, अपना पश्चाताप।।
(2)
बुड्ढों के हैं ढंग निराले
बूढ़े हैं ज़वान दिल वाले

आये जवानी हाय कहाँ से
अंग हो गये ढीले-ढाले

घुटने थके-जोड़ दुखते हैं
फिर भी इनके मन मतवाले..
(3)
मेरा फोटो
निवेदिता श्रीवास्तव
कभी-कभी लगता है कि अच्छा है ये जलाने का अधिकार बेटियों को नहीं मिला ,
क्योकि वो तो जलाने के नाम पर चूल्हा ही अच्छे से जला पाएंगी 
क्योंकि अपनों को जला पाना सच में बेहद तकलीफदेह होता होगा ......

20 टिप्‍पणियां:

  1. शुभप्रभात वंदना जी :))
    उम्दा पसंद के अद्धभुत प्रस्तुति !!
    शुभकामनायें !!

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर सामयिक चर्चा!
    आभार वन्दना गुप्ता जी आपका!

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति,महिला दिवस पर सार्थक लिंक्स,आभार.

    जवाब देंहटाएं
  4. महिला दिवस को विशेष स्थान देने के लिए आपका आभार ,वंदना जी
    मेरी रचना चर्चा मंच पर लगाने के लिए आभारी हूँ

    जवाब देंहटाएं
  5. उत्तर
    1. "महिला दिवस" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)

      डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)

      उच्चारण

      गोया गैया गोपियाँ, गोरखधंधा गोप |
      बन्धन में वे बाँध के, मन की मर्जी थोप |

      मन की मर्जी थोप, नारि को हरदम लूटा |
      कर इनको आजाद, अन्यथा तोड़े खूंटा |

      वही काटते आज, जमाने ने जो बोया |
      रहें कुंवारे पुरुष, अश्रु से नयन भिगोया ||

      हटाएं

  6. क्यूंकि स्त्री मात्र देह ही तो है.......
    उपासना सियाग
    nayee udaan
    हारा कुल अस्तित्व ही, जीता छद्म विचार |
    वैदेही तक देह कुल, होती रही शिकार |

    होती रही शिकार, प्रपंची पुरुष विकारी |
    चले चाल छल दम्भ, मकड़ जाले में नारी |

    सहनशीलता त्याग, पढाये पुरुष पहारा |
    ठगे नारि को रोज, झूठ का लिए सहारा ||

    जवाब देंहटाएं

  7. महिला दिवस अब प्रतिदिन मनाना चाहिए ( Women's Day ) .....>>> संजय कुमार
    संजय कुमार चौरसिया

    " जीवन की आपाधापी "

    नारि-सशक्तिकरण में, जगह जगह खुरपेंच |
    राम गए मृग छाल हित, लक्ष्मण रेखा खेंच |


    लक्ष्मण रेखा खेंच, नीच रावण है ताके |
    साम दाम भय भेद, प्रताणित करे बुलाके |


    अक्षम है कानून, पुलिस अपनों से हारी |
    नारि नहीं महफूज, लूटते रहे *अनारी ||

    जवाब देंहटाएं
  8. सुन्दर प्रस्तुति......सार्थक लिंक्स ......आभार !

    जवाब देंहटाएं
  9. आज के गुलदस्ते में महिला-दिवस के अधिकांश चुनिन्दा फूलों का संग्रहण शोभनीय लगा । किन्तु मेरी ब्लाग पोस्ट जिसका मेरे टिप्पणी बाक्स जिन्दगी के रंग में उल्लेख था दिखने या पहचानने में नहीं आई । धन्यवाद सहित...

    जवाब देंहटाएं
  10. अच्छे लिंक्स, सुंदर व सामयिक प्रस्तुति!:-)
    मेरी रचना को स्थान देने का आभार...
    ~सादर!!!

    जवाब देंहटाएं
  11. आप सभी को महिला दिवस कि बधाईयां ,प्रिय वंदना जी बहुत सुंदर सूत्रों का गुलदस्ता सजाया है हार्दिक बधाई आपको|

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत सुन्दर और सार्थक लिंक्स संयोजन...आभार

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत बढ़िया सार्थक चर्चा प्रस्तुति ...

    जवाब देंहटाएं
  14. बेहद खास चर्चा..आपका बेहद खास आभार..

    जवाब देंहटाएं
  15. सुन्दर सूत्र और महिला दिवस की विशेष शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  16. वर्ष का एक दिन 'महिला-दिवस' तो बाकी के 364 दिन किसके?

    जवाब देंहटाएं

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