"जय माता दी" अरुन
की ओर से आप सबको सादर प्रणाम. चलते हैं चर्चा की ओर
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Rashmi Ravija
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(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
होली देने आ रही, हमको ये उपहार ।
अच्छाई की जीत है, बुराइयों की हार ।१।
महँगाई की मार से, लोग हुए लाचार ।
पापड़-गुझिया क्या तलें, बोझिल हैं त्यौहार ।२।
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दिनेश चन्द्र गुप्ता 'रविकर'
कार्टून :- हत्थे वाला लैपटाप देखा !
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काजल कुमार के कार्टून
माया के जंजाल की, बड़ी मुलायम काट |
लेकिन वह अखिलेश भी, करता बन्दरबांट |
करता बन्दरबांट, धकेले भर भर कुप्पा |
जहाँ खड़ी हो खाट, बैठ जाता वह चुप्पा |
यमुना कुंडा ख़ास, कुम्भ भरदम भटकाया |
खोवे होश-हवास, खड़ी मुस्काये माया-
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अरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ)
लाल
रक्त बहाता आदमी , करे धरा को लाल |
मृत्यु बाँटते फिर रहा,यह कलियुग का काल ||
नीला
गौर वर्ण नीला हुआ , बाबुल है बेहाल |
बड़े जतन गत वर्ष ही,भेजा था ससुराल ||
पीला
मुखड़ा पीला पड़ गया, आँसू ठहरे गाल |
माँ कैसे देखे भला , बेटी का कंकाल ||
हरा
हरा-भरा संसार था , राख कर गई ज्वाल |
हरा रही सुख-प्रेम को, चाँदी की टकसाल ||
गुलाबी
कभी गुलाबी नैन थे ,श्वेत पुतलियाँ आज |
इतराओ मत भूल कर , यौवन धोखेबाज ||
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
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व्यंग्यकार: सुमित प्रताप सिंह
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Tripurari Kumar Sharma
कथाकार और कवि पंखुरी
सिन्हा (जन्म: 18 जून 1975)
हिंदी पाठकों के लिए एक जाना-पहचाना नाम है। पंखुरी की प्रकाशित
पुस्तकों में ‘कोई भी दिन’ और ‘क़िस्सा-ए-कोहिनूर’ कहानी-संग्रह हैं।
‘ककहरा’ नामक कविता-संग्रह जल्द ही प्रकाशित होने वाला है। इनकी
कविताएँ विभिन्न भाषाओं में अनुदित हो चुकी हैं। कई पुरस्कारों से
सम्मानित पंखुरी सिन्हा की दो कविताएँ प्रस्तुत हैं : बीइंग
पोएट
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Priti Surana
![]()
हर जगह चेतावनीप
ढ़ते-सुनते
"पानी बचाओ","पानी बचाओ"
गरमी की आहट पाते ही,
कुछ यूं असर हुआ,..
आंसुओं ने बहना छोड़ दिया,..
आजकल जमा कर रही हूं,
उन आंसुओं को जज़बातों के प्याले में,....
ताकि दर्द के तपते मौसम में
मेरे मन का पंछी
प्यासा न रह जाए,.....
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Archana
रात की चौखट पर,
शाम के रस्ते ही,
सन्नाटे को चीर,
उदासी पहुँच जाया करती है
जाने क्यों,
रात के घर में
उजेला नहीं हुआ करता,
स्वागत में बत्तियाँ बुझ जाया करती है...
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निधि टंडन
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मनोज नौटियाल
मुहोब्बत की भला इससे बड़ी सौगात क्या होगी
जला कर घर खड़ा हूँ मै यहाँ अब रात क्या होगी
गुनाहों में गिना जाने लगा दीदार करना अब
हसीनो के लिए इससे बड़ी खैरात क्या होगी ||
सुबह से शाम तक देखे कई पतझड़ दरीचे में
गरजते बादलों की रात है बरसात क्या होगी ||
जरा नजरें मिलाकर बोल दे तू दोस्त है मेरा
बिना जाने तुझे ऐ दोस्त दिल की बात क्या होगी ||
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Abhishek Shukla
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इसी के साथ आप सबको शुभविदा मिलते हैं अगले रविवार को . आप सब चर्चामंच पर गुरुजनों एवं मित्रों के साथ बने रहें. आपका दिन मंगलमय हो | ||||
जारी है ..... "मयंक का कोना" (१) ''..होली है ..'' - * * * ** ![]() बासन्ती हवाओं का, जैसे ही फेरा हो गया। बासन्ती हवाओं का, रंगीन सवेरा हो गया।।... (२) (२) सब हैं नीरो जा तू भी हो जा हर शख्स के पास
होती है आँख
हर शख्स अर्जुन
भी होता है...
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Sunday, March 17, 2013
होली : एक याद ऐसी भी -चर्चा मंच 1186
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शुभप्रभात बेटे जी :))
ReplyDeleteएक से बढ़ कर एक लिंक !!
शुभकामनायें !!
बहुत सुन्दर चहकती-महकती चर्चा अरुण जी!
ReplyDeleteआपने तो चर्चा मंच से होली का आगाज कर दिया!
लगता है होली आ ही गयी है!
आभार!
अच्छे लिंक्स ...
ReplyDeleteआभार !
हमेशा की तरह चर्चा होती ही है लाजवाब !
ReplyDeleteउल्लूक का आभार !
होली के स्वागत में सुन्दर लिंकों का प्रस्तुतीकरण,सादर आभार.
ReplyDeleteहोली के रंगों को बिखेरती सुन्दर चर्चा !!
ReplyDeleteआभार !!
अच्छे लिंक्स ...बढ़िया चर्चा ....
ReplyDeleteबहुत बढ़िया चर्चा ..
ReplyDeleteसुन्दर लिंक सुन्दर चर्चा
ReplyDeleteआज की चर्चा वाकई बहुत शानदार और मन से लगाई हुई नजर आ रही है।
ReplyDeleteवैसे मैं जहां तक समझता हूं चर्चा मंच का मकसद यही होगा कि ब्लाग को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाया जाए। खासतौर पर नए ब्लागर को प्रमोट कर उसे ब्लाग दुनिया की मुख्य धारा में शामिल किया जाए।
लेकिन मुझे कई बार हैरानी होती है कि जब मैं देखता हूं कि चर्चाकार ना ब्लाग का नाम देते है और ना ब्लागर का। फिर तो चर्चामंच का मकसद ही खत्म हो जाता है और ब्लागर भी निराश होता है।
मैं नहीं जानता कि मंच की नीति के तहत ऐसा किया जाता है या फिर चर्चाकार का इस ओर ध्यान नहीं जाता। जो भी हो.. लेकिन चर्चाकारों को अपना दिल बड़ा करना होगा।
होली के माहौल पर , सुंदर बिखरे रंग
ReplyDeleteनवरंगों में घोल दी,प्रियवर मादक भंग ||
रंगरंगीली सुंदर चर्चा....
sarthak links sanjoye hain aapne .blog jagat ke sarvshershth hindi blogs me se hai yah blog .BEST BLOG OF THE WEEK
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुति |
ReplyDeleteभाई अरुण जी-
शुभकामनायें-
बहुत ख़ूब! बधाई!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सूत्र संकलन..
ReplyDeleteअरुण जी, सुंदर चर्चा..देरी के लिए खेद है..आभार!
ReplyDeleteशुक्रिया अरुण जी .........
ReplyDeletearun badhai bahut sunder charcha sajai aapne bahurangi basanti falguni charcha
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