सदा
धूप-हौसले से सदा, पिघले हिम-परवाह | जल-प्रवाह से मनुज यह, पाए जीवन थाह-
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पी.सी.गोदियाल "परचेत"
बड़ी बुआ का घर मिला, भैया फुफ्फु जात ।
क्वात्रोची दादा सरिस, अपने रिश्ते नात ।
अपने रिश्ते नात, यहाँ जलवा है भारी ।
भारत के अभिजात, मानते हैं महतारी ।
बाल न बांका होय, अगर अपना हो आका ।
काके रह निश्चिन्त, स्नेह है बड़ी बुआ का ॥
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Dr (Miss) Sharad Singh
चाहे मथुरा जा बसे, जाय द्वारिका द्वीप | होली के हुडदंग में, आये कृष्ण समीप | आये कृष्ण समीप, मार पिचकारी गीला | छुप छुप मारे टीप, रास आती है लीला | किन्तु कालिया-नाग, आज मिलता चौराहे | करता अनुचित मांग, खेलना होली चाहे ||
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pankhuri goel
आकांक्षा छूने चली, उचक उचक आकाश | नखत चकाचक टिमटिमा, उड़ा रहे उपहास-
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प्रश्न मोक्ष का है खड़ा, लेकर गजब तिलस्म | कई तीन-तेरह हुवे, चले अनवरत रस्म ||
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सरिता भाटिया
सुनी सनाई बात पर , मत करना विश्वास | अंतरात्मा जो कहे, वही सत्य है ख़ास ||
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अट्ठारह से कम वयस, बल्ले बल्ले बोल ।
सोलह की लेगा पटा, विद्यालय में डोल ।
विद्यालय में डोल, पटा के मजा लूटता ।
अजमा ले गर जोर, नहीं कानून टूटता ।
मजनूं कालेज छोड़, इधर हो रहे इकट्ठा ।
विद्यालय के मोड़, रोज जाता अब पट्ठा ॥
पूरण खण्डेलवाल
अट्ठारह सोलह लड़े, भूला सतरह साल |
कम्प्रोमाइज करो झट, टालो तर्क बवाल |
टालो तर्क बवाल, आयु सतरह करवाओ |
करो नहीं अंधेर, सख्त कानून बनाओ |
फास्ट ट्रैक में केस, जड़ों पे डालो मठ्ठा |
नाशों पाप समूल, बिठा मत मंत्री भट्ठा ||
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मनसायन आयन मन्मथ भायन मानस वेग बढ़ा कसके |
रजनी सजनी मधुचन्द मिली, मकु खेल-कुलेल पड़ा लसके-
अब स्वप्न भरोस करे मनुवा पिय आय रहो हिय में बसके-
खट राग लगे कुल रात जगे मन मौज करे रजके हँसके |
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बढिया चर्चा, अच्छे लिंक्स
जवाब देंहटाएंसुचना ****सूचना **** सुचना
जवाब देंहटाएंसभी लेखक-लेखिकाओं के लिए एक महत्वपूर्ण सुचना सदबुद्धी यज्ञ
बहुत अच्छे लिंकों का चयन किया है चर्चा में रविकर जी आपने!और शीर्षक तो बहुत ही सामयिक है!
जवाब देंहटाएंआभार!
अच्छे लिंक्स !
जवाब देंहटाएंदिनेश भाई
जवाब देंहटाएंआभार
मेरी पसंदीदा रचना यहाँ प्रस्तुत की गई
एक बात जो अहम है
इस कविता के कवि प्रवासी भारतीय हैं
हिन्दी भाषा में विशेष महारत हासिल है इन्हें
सादर
क्या तय था, क्या हो गया। बात तो बलात्कार के १७ वर्षीय अपराधी को दण्ड देने की थी, अब तो उसे सहमति का विषय बना दिया।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सूत्र..
bahut sundar aur mnbhawan links ...thanks nd aabhar ....
जवाब देंहटाएंशानदार लिंकों से सजी चर्चा !!
जवाब देंहटाएंआभार !!
मेरी रचना को सम्मान देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया गुरूजी | आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर, आभार!
जवाब देंहटाएंसामयिक शीर्षक के साथ बेहतरीन चर्चा आदरणीय सादर आभार.
जवाब देंहटाएंसुनदर चर्चा , मेरा यात्रा वृतांत लगाने के लिए शुक्रिया .
जवाब देंहटाएंरविकर जी, मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए हार्दिक आभार!
जवाब देंहटाएंबढिया चर्चा....
अच्छे लिंक्स....
sunder evam samik charcha ,badhai sir ,
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिनक्स के साथ सार्थक चर्चा प्रस्तुति ..आभार!!
जवाब देंहटाएंरविकर जी, सुंदर चर्चा ! साभार !
जवाब देंहटाएंसुन्दर रंग बिरंगे लिनक्स से सजी आप की आज की चर्चा ..मेरी रचना को शामिल करने के लिए शुक्रिया :-)
जवाब देंहटाएंअतिसुन्दर काव्यात्मक संयोजन सेतुओं का .आभार हमने जगह देने के लिए .
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक्स से सुसज्ज्जित सुंदर चर्चा...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति,अपनी रचना को यहाँ देख हार्दिक आनन्द मिला,सादर धन्यबाद.
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