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शुक्रवार, मार्च 29, 2013

"अरमान मेरे दिल का निकलने नहीं देते...!" (चर्चा मंच-1198)

मित्रों!

होली अब हो ली हुई, बीत गया त्यौहार।
एक बरस के बाद में, बरसेगी रसधार।१।..
होली की हार्दिक शुभकामनाएँ!
     अब अपनी पसंद के लिंकों के साथ...शुक्रवार की चर्चा का शुभारम्भ करता हूँ..!
       सब कहते हैं भूलने की कोशिश करो पर किसे … ? यह राज तो स्वप्न मेरे...........पर यादे के अन्तर्गत ही मिलेगा। पाँच दोहे देखिए...होली अब हो ली हुई..दास्ताँने - दिल ये दुनिया है दिलवालों की.. सही तो है..जिन्दग़ी जिन्दादिली का ही तो नाम है। देखिए ओ. बी. ओ. तरही मुशायरा अंक - ३३ के अंतर्गत शामिल  दो गज़लें....! 
       अबके इस होली में ! अंधड़  पर पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने अपनी "छवि" बदलनी चाही, लेकिन नतीजा क्या रहा यह तो ब्लॉग पर जाने पर ही ज्ञात होगा। मगर व्यक्ति अनजान रहा अक्सर....! प्रतिभा जी बता रहीं हैं...ख़ातिर से तेरी याद को टलने नहीं देते, सच है कि हम ही दिल को संभलने नहीं देते, आँखें मुझे तलवों से वो मलने नहीं देते, अरमान मेरे दिल का निकलने नहीं देते...! हालात आजकल पर प्रवेश कुमार सिंह बता रहे हैं कि अचम्भित ना होवें , यदि आपको काट ले कभी या पीछा करे आपकी गाड़ी का बड़े दाँतों और लम्बी जीभ वाला कोई भेड़ का पिल्ला या कहीं रास्ते में मिल जाय कोई झुण्ड से बिछड़ा हुआ कुतिया का मेमना तो कतई भी हैरान ना हों...! वन्दना गुप्ता बता रहीं है हाथ मे चाबु्क लेकर तो कोई भी मदारी बन सकता है …… पानी व्यर्थ खर्च मत करो  जल सरंक्षण और प्रदुषण के बहाने उमंगों को दबाने कि कोशिश मत करो...!
     भाईयों...!  हर आदमी आज टकाटक, फटाफट अमीर बनना चाहता है, इसके लिए कोई पूजा करता है, कोई नमाज पढता है और कुछ बिदेशी धन से अपनी डाक्टरीयत झाड़ते हैं. कुछ हम जैसे भी है जो सुबह सुबह उठ के पार्क में जा के सेहत चूसते है, धन के लिए आफिस जाना होता है, अक्ल के लिए अच्छे अक्लमंद लोगो के साथ कुछ अक्लमंद लोगो के लेख पढ़ते है, और यही हमें बचपन से सिखाया भी गया, "जिसका जैसा संग, वैसा होगा मन". यदि पूजा पाठ और नमाज से लोग आमिर बनते तो मंदिर का पंडा और मस्जिद के मुल्ला धीरुभाई के साथ उठाना बैठना होता, अलबत्ता मैं तो यही जाना है कि सेहतमंद, दौलतमंद और अक़्लमंद बनने का साइंटिफिक मैथड को सभी अपनाने में लगे हैं मगर नजीजा वही ढाक के तीन पात! होली त्यौहार है मौज मस्ती का , खाने खिलाने का , पीने पिलाने का , हंसने हंसाने का और सबको प्यार से गले लगाने का। इस अवसर पर डॉ.दराल जी के यहाँ यहाँ पता चला वो पड़ोसी नहीं , पड़ोसन थी...! परन्तु मेरे दिल से सीधा कनेक्शन.....है दुआ... का...! और वो मिलेगी...विश्व के सबसे उंचाई पर स्थित शिव मंदिर पर क्योंकि वहीं तो भोले बाबा निवास करते हैं! लेकिन सीढ़ी घाट की खतरनाक चढ़ाई पर तो चढ़ना ही होगा। 
      डॉ.,जेन्नी शबनम लेकर आयीं हैं..होली के रंग *******हाइकुओं के संग.. 1. रंग में डूबी खेले होरी दुल्हिन नई नवेली ! 2. मन चितेरा अब तक न आया फगुआ बीता ! 3. धरती रँगी सूरज नटखट गुलाल फेंके ! 4. खिलखिलाया रंग और अबीर वसंत आया ! 5. उड़ती हवा बिखेरती अबीर रंग बिरंगा ! 6. तन पे चढ़ा फागुनी रंग जब मन भी रँगा ! 7. ओ मेरे पिया करके बरजोरी रंग ही दिया ! 8. फागुनी हवा उड़-उड़ बौराती रंग रंगीली !
       काव्य मंजूषा पर स्वप्न मञ्जूषा शैल बता रहीं हैं...कुछ इधर-उधर की...! फिर भी हम खुद से बाहर कहाँ तक जायेंगे..थक जायेंगे तो यहीं लौटकर आयेंगे...! लेकिन फिर भी इनके हौसले को सलाम ...!  " होली के बहाने अश्लीलता मत परोसो यारो " !! हर कोई अपना दृष्टि कोण रखने के लिए स्वतंत्र है हिन्दू आराध्यों की आलोचना करना उचित नहीं है।     
      मै तो दर दर भटक रहा था गिरता पड़ता अटक रहा था इधर झांकता, उधर झांकता सड़कों पर था धूल फांकता गाँव गाँव द्वारे द्वारे मगर फिर भी  तलाश  पूरी नहीं हुई,,,! तब फागुन ,फागुन लगता था  चौपाल फाग से सजते थे नित ढोल -नंगाड़े बजते थे तब फागुन-फागुन लगता था यह मौसम कितना चंचल था...! क्योंकि प्यार का रंग कभी तोते सा हरा तो कभी उसकी लाल चोंच सा तीखा मन को लुभाता है सच में प्यार हर रंग में ढल जाता है किसी को बैंगनी रंग में भी आसमाँ दिख जाता है...! मुझे थाम लेना । जब पतझड़ सी वीरानगी नस - नस में भर जाती तो नवसृजन की आस है तुमसे तुम वसंत बन जाना दिल से.. । घने बादलों से जब -जब सूरज सुनहरा ढंकता है विकल मन बारम्बार पुकारता तुम संबल बन जाना । दुबिया पर पड़ी ओस की निरह बूंद ही सही आत्मसात करने मुझ को तुम दिवास्पति बन जाना । जीवन राग सुरीला शब्दों की लड़ियाँ गर तुम्हे पिरोये मैं रागिनी बावरी सी गुनगुनाऊं वैसा गीत बन जाना । अटूट बंधन, अमर प्रेम हमारा जीवन साथी हम रिश्ता जन्मों का शिखा बन सुबहो शाम जलूं तुम मेरे दीप बन जाना । दिल से तुम काया मैं साया तुम धूप मैं ताप मैं बहती धारा तुम कलकल निनाद बन जाना । बिन तुहारे मेरा वजूद नहीं.....! किन्तु पहले  मैं का त्याग एवं अहम् का नाश .तो करो...! कहाँ गई होली...! मन फिर मचल गया जरा मुड कर तो देख कोई है शायद अभी भी तेरे इंतज़ार में ... नज़र आया दूर तक वीराना ही कोई तो पुकारेगा इस वीराने में ...अब तू क्यूँ मचलता है मन .....अब किस बहार का इंतज़ार है तुझे ...। सच में , दुनिया देखिये कितनी छोटी हो गई !...Virendra Kumar Sharma  No lame excuse:You can be 'allergic'to exercise पर सेहत दुरुस्त करने के उपाय बता रहे हैं!आरोग्य प्रहरी (1)एक मुठ्ठी बादाम न सिर्फ बढिया नाश्ता है , भरपूर विटामिन E मुहैया करवाते हैं ,कोलेस्ट्रोल कम करने में भी सहायक सिद्ध होते हैं  मास्टर्स टेक टिप्स पर Aamir Dubai से बैठे हुए भारत में मोबाइल के दाम बताने में मशगूल है और अशोक सलूजा जी बता रहे हैं मेरा बचपन ......में चलिए आज आपको अपने बचपन के सैर कराता हूँ ....... और ख़ुद आप को सुनाता हूँ ! होली की याद में इतना तो बनता ही है न ???
अन्त में ताऊडॉट इन पर देखिए- एक रंग बिरंगी होली मय "चिठ्ठा चर्चा"

अरे जनाब आप देखिए तो सही ताऊ की कलाकारी..हँसते-हँसते लोट-पोट हो जायेंगे आप..!

26 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया अंदाज..लिंक तो देखना ही पड़ेगा।

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  2. गुरूदेव बहुत बढ़िया लिंक्स! प्रस्तुतीकरण आपने एक दम नये ढंग से किया है।
    इस अंक में मुझे स्थान देने के लिए आपका आभार!

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  3. सुंदर कहानी में समेटा आपने लिंको को शास्त्री जी

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  4. बहुत खूब , एक अलग ही अंदाज में प्रस्तुत विस्तृत चर्चा के लिए आभार शास्त्री जी !

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  5. एक नये अंदाज़ में आज का चर्चा मंच ...रोचक !
    शास्त्री जी ...आभार आपका !

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  6. सुनदर चर्चा हमेशा की तरह , मेरा लेख "सेहतमंद, दौलतमंद और अक़्लमंद बनने का साइंटिफिक मैथड" हार्दिक धन्यवाद.

    सादर

    कमल

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  7. आदरणीय गुरुदेव श्री सादर प्रणाम अलग अंदाज में चर्चा का प्रस्तुतिकरण वाकई सराहनीय है हार्दिक आभार.

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  8. वाह
    ये हुई न चर्चा.....
    बहुत बढ़िया लिंक्स..
    हमारी रचना को शामिल करने का शुक्रिया शास्त्री जी.
    सादर
    अनु

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  9. अच्छा किया कि यहां ा गया...एक साथ कई लिंक देखने को मिल जाते हैं.

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  10. सुन्दर लिनक्स संजोये हैं आपने आपको होली की हार्दिक शुभकामनायें मोदी संस्कृति:न भारतीय न भाजपाई . .महिला ब्लोगर्स के लिए एक नयी सौगात आज ही जुड़ें WOMAN ABOUT MAN

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  11. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  12. बढ़िया चर्चा सेतु और संयोजन काबिले दाद .

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  13. बढ़िया चर्चा सेतु और संयोजन काबिले दाद .हमारे सेतु शरीक करके मान बढ़ाया शुक्रिया ज़नाब का .

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  14. बहुत सुन्दर सार्थक चर्चा प्रस्तुति ....आभार..

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  15. बहुत सुन्दर चर्चा | पढ़कर आनंद आया | आभार

    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

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  16. शुक्रवार छुट्टी के कारण चर्चा में शामिल नही हो सका। आज सुबह सीधा चर्चा मंच पर हूँ। आज की चर्चा जिस तरह से तरतीब पाई है ,ये मयंक शास्त्री के द्वारा की गयी चर्चा है ,ये हर जगह महसूस कराती है।

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