मित्रों!
गुरुवार की चर्चा में आपका स्वागत है। आज के चर्चाकार भाई दिलबाग विर्क जी ने बताया कि उनका कम्प्यूटर आज बीमार हो गया है। इसलिए मैं आपकी सेवा में अपनी पसंद के कुछ लिंक प्रस्तुत कर रहा हूँ!
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हमारी तीसरी टिप्पणी को उन्होंने क्यों मिटा दिया ?Blog Newsहिंदी ब्लॉगर ऐसा भी करती हैं कि ख़ुद एक ऐसी अपील करेंगी जिसे वे ख़ुद नहीं मानतीं। जब कोई उन्हें इस बात की तरफ़ ध्यान दिलाता है तो वे उस टिप्पणी को ही मिटा डालती हैं। ऐसा किसने किया ? यह जानने के लिए देखिए हमारी एक अहम टिप्पणी, जिसे ख़ुद को फंसते देखकर मिटा डाला गया… |
बेजा बदगुमानी किसलिए?कोकिलों के मध्य कौए की बयानी किसलिए?
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दोहेVoice of Silent Majorityदेख धनी बलवान के, चिकने चिकने पात। दुखिया दीन गरीब के, खुरदुर चिटके पात।। |
"खुशियों का परिवेश"आज 6 मार्च कोमेरी शिष्या श्रीमती सरिता भाटिया जी का जन्मदिन है! उनको हार्दिक सुभकामनाएँ! कल मेरे पौत्र प्राञ्जल की 14वीं वर्षगाँठ थी! इस अवसर पर प्रिय प्राञ्जल को दिल की गहराइयों से शुभकामनाएँ और आशीर्वाद! |
" प्राञ्जल की 14वीं वर्षगाँठ" | ज़िंदगी के मेले बुजुर्गों, महिलाओं के लिए एक बढ़िया मोबाईल हैंडसेट - तेजी से बदलते सामाजिक ढाँचे और एकल परिवार के प्रचलन के बीच किसी भी समस्या के निदान के लिए… |
ज्ञान अपडेट 5 लाख से ज्यादा कमाने वाले करेंगे ई फाइलिंग | मुसाफिर हूं यारो ..... A walk to kunwar singh `s house कुंवर सिंह के घर |
साहित्य प्रसून - मुकुर (ठ)दरारें (१)टूटते व्यवहार >> monday, 4 march 2013 – गीत (यथार्थ-गीत ====== ======= आपस के व्यवहार टूटते देखे हैं | नाते’ रिश्तेदार टूटते देखे है…. | fact n figure छिन्नमस्ता देवी की दुर्लभ मूर्ति- रजरप्पा मंदिर में स्थापित छिन्नमस्ता देवी की दुर्लभ प्राचीन मूर्ति… |
ठाले बैठे ये अँधेरे ढूँढ ही लेते हैं मुझको - नवीन - हर जगह बस आप ही को ढूँढती है ये नज़र सच में दीवानी हो गई है खामखाँ उस को न यूँ बदनाम कीजै उस की मेरे साथ में बस दोस्ती है ये अँधेरे ढूँढ ही लेते हैं मुझको ... | दास्ताँने - दिल (ये दुनिया है दिलवालों की) कुण्डलिया - भारत की सरकार में , शकुनी जैसे लोग, आम आदमी के लिए , नित्य परोसें रोग नित्य परोसें रोग , नहीं मिलता छुटकारा, ढूँढे कौन उपाय , हुआ मानव बेचारा.. |
Abhivyakt चुटकुलों के मुख से - चुटकुले के मुख से - हास्य व्यंग्य - बातचीत करते चुटकुले दो चुटकुले साथ साथ जा रहे थे. पहला चुटकुला बहुत खुश था. हंसते हंसते उसका बुरा हाल था…. | बावरा मन रुखसत होती जिंदगी -*रात की मानिन्द* *और गहराती जा रही ....* *मौत के साये * *छू लेने को आमद * *बिल्कुल वैसे * *ज्यूँ एक... |
ताऊजी और भतीजीअपना घर*यहाँ आपको मिलेंगी सिर्फ़ अपनों की तस्वीरें जिन्हें आप सँजोना चाहते हैं यादों में.... ऐसी पारिवारिक तस्वीरें जो आपको अपनों के और करीब लाएगी हमेशा...आप भी भेज सकते हैं आपके अपने बेटे/ बेटी /नाती/पोते के साथ आपकी **तस्वीर साथ ही आपके ब्लॉग की लिंक ... |
नेताबिखरे हुए अक्षरों का संगठन*मुझ को भी नेता बनना है* * * *कोई बता दे मुझको, * * * *कहाँ, कब, क्या पढना है, * * * *मैं भी अरमान सजाये बैठा,* * * *मुझ को भी नेता बनना है ….! |
मोदी के कारण पार्टियों के बनते बिगड़ते समीकरण !!शंखनाददेश का अगला प्रधानमंत्री कौन होगा इसको लेकर बुद्धिजीवी वर्ग अपने अपने कयास लगा रहें हैं और संभावनाओं के आधार पर विश्लेषण भी कर रहें हैं ! पार्टियां भी अपने अपने हिसाब से समीकरण बैठा रही है और जोड़ बाकी गुणा भाग करके सता के समीकरणों का हिसाब लगा रही है और केवल पार्टियां हि क्यों पार्टियों के नेता तक अपनी संभावनाओं को तलाश रहे हैं... |
शीर्षकहीनदिल सेकविता विकास जाने कैसा यह रोग है बंद दरवाजों के अंदर सहमे से इंसानहैं रोशनदान से आतीमंद हवाओं में डूबती हुई साँसहै खिड़कियों के झरोखोंसे झाँकती दहशत भरी आँखेंहैं जाने क्यूँ इस शहरकी हवा बदलगयी । परायों की कौनपूछे अपनों की नीयतबदल गयी माथे पर बल पड़ी रेखाएँ कभी सीधी नहींहोती मन का रोम- रोम जाने किस आतंकमें घर गया है... |
Moms can transmit stress to fetus:कबीरा खडा़ बाज़ार मेंMoms can transmit stress to fetus: गर्भावस्था में स्ट्रेस का बुरा असर गर्भस्थ पर भी पड़ता है .गर्भवती महिला के दवाब में आने पर हानिकारक असर इस दवाब पैदा करने वाली स्थिति का गर्भनाल (माँ के गर्भाशय का वह हिस्सा जो गर्भस्थ को सुरक्षा प्रदान करता है भोजन पहुंचाता है .)के ज़रिये गर्भस्थ पर भी पड़ता है…. औरों के प्रति सामाजिक आक्रामकता बूमराँग करती हैकबीरा खडा़ बाज़ार में |
Kashish - My Poetry श्रीमद्भगवद्गीता-भाव पद्यानुवाद (४६वीं कड़ी) -ग्यारहवाँ अध्याय… | काव्य का संसार… मेरो दरद न जाने कोई - घोटू के पद मेरो दरद न जाने कोई हे री मै तो ,अति पछताती ,मेरो दरद न जाने कोई घायल की गति,घायल जाने ,और न जाने कोई |
स्वास्थ्य-सबके लिए किस ख़ुशबू में क्या - खुशबू में सूदिंग और रिलैक्सिंग प्रॉप्रटीज तो हैं ही, साथ ही चिकित्सकीय गुण भी हैं। विशेषकर पौधों का सत्व, जिसे एसेंशियल ऑइल भी कहा जाता है, ऐसे गुणों से… | एक प्रयास फिर कहो कैसे कहूँ मैं रीता ही वापस आया - जैसा घट मेरा रीता वैसा ही तुम्हारा पाया कभी कर प्रलाप कभी कर आत्मालाप सुख दुख की सीमा पर ही आत्मसुख मैने पाया तुम्हारी शरण आकर ही अविच्छिन्न सुख मैने पाया…. |
रूप-अरूप तेरा भी शुकराना.... - तमाम रिश्ते-नाते बेशकीमती हैं तुम्हारे लिए सिवा एक मेरे * * * फरेब से बारिश के मुरझाते हैं नन्हें तरू पर आ ही जाता है उन्हें भी धरती के सीने से… | उड़न तश्तरी .... चचा का यूँ गुजर जाना....हाय!! - चचा मेरे - नाम मिर्ज़ा असदुल्लाह बेग खान और लोग उन्हें प्यार से गालिब कहते थे- वो १८६९ में क्या निकले कि तड़प कर रह गये उनके चाहने वाले अच्छा पढ़ने को...आज... |
काव्य मंजूषा क्या हिन्दू शब्द गाली है ?? - ई हम पढ़े हैं, आप भी पढ़ लीजिये ...:) भारतीय संस्कृति सहिष्णुतावादी रही है, लेकिन हम कायरता की हद तक सहिष्णु हैं। संभवत: यही कारण है कि हमने गुलामी के… | जीवन धारा अबोध कन्यायें व यौन अपराध -*छोटी मासूम बच्चियों के साथ होने वाले यौन अपराधों के पीछे आधुनिक महिलाओ को दोष देना औचित्यपूर्ण नही है |
परीक्षा का दौर ......जो मेरा मन कहेYashwant Mathur सामने के पार्क से गायब है हर शाम को क्रिकेट और बेडमिंटन खेलते बच्चों की रौनक सबके सब दुबके हुए हैं कमरे की दीवारों के भीतर गायब है रातों की नींद और दिन का चैन फिर भी… | अंधड़ ! जिन्दगी इक खुशनुमा सफ़र होती ! जिन्दगी यूं इसतरह न गुजर होती, न बसर होती,* *अगर मिली इसको, जो बस इक तेरी नजर होती।.. |
न दैन्यं न पलायनम् अलग अलग कीबोर्ड मेरी प्रतीक्षा को निराशा मिली। यद्यपि मैं लगभग डेढ़ वर्ष पहले से ही आईफ़ोन में हिन्दी कीबोर्ड का उपयोग कर रहा हूँ पर विण्डो व एण्ड्रायड फ़ोनों में हिन्दी ... आईफोन में, देवनागरी इन्स्क्रिप्ट एण्ड्रॉयड में क्रम से सजा दिये गये वर्ण विण्डो मोबाइल ८, क्रम से सजे वर्ण, बस स्वर ऊपर हैं |
शोभना ब्लॉग रत्न सम्मान प्रविष्टि संख्या - 14सादर ब्लॉगस्ते!संगीता तोमर *नेताओं के बच्चे क्यों नहीं जाते सरहद पर रक्षा के लिए * ** * देश में इन दिनों सेना और सरकार के सम्बन्ध संभवतः आजादी के बाद सबसे ज्यादा विवादित हैं.सरकार में सेना के प्रति अविश्वास बढ़ रहा है तो सेना भी नेताओं को कुछ नहीं समझ रही.ऐसे में यह सवाल उठाना लाजिमी है कि क्या वजह है कि सेना और सत्ता प्रतिष्ठान के बीच की खाई दिन-प्रतिदिन क्यों बढती जा रही है.... |
खफा-ए-जिन्दगीभूली-बिसरी यादेंRajendra Kumar *खफा-ए -जिन्दगी को भुला कर के तो देखिए ,* *ख्वाबो की दुनियाँ से निकल कर के तो देखिए ।* ** *तेरी यादों के ही सहारे जी रहें हैं अब तलक,* *दिल के झरोंखे में कोई दीप जला कर के देखिए। * ** *हम समझ न पाए अब तक आपकी रुसवाई को,* *नस्तरे दिल से अपना इल्जाम हटा के तो देखिए। |
नयन ही नयनों से खेलन लगे हैं रास.मेरी धरोहरyashoda agrawal पूरण करे प्रकृति अभिमंत्रित काम ये काज | सृष्टि निरंतर प्रवाहित होवे निमित्त यही राज || ----------------------------------------------- हाय ! कौन आकर्षण में बींध रहा है ...मन आज | नयन ही नयनों से खेलन लगे हैं रास || घायल हुआ मन...अनंग तीक्ष्ण वाणों से आज | टूट गए बन्धन ...लाज गुंफन के सब फांस… |
दिनेश की दिल्लगी, दिल की सगी रविकर ताक अभेद, मिलें द्वय जुड़े चिरन्तन- ज़िया उल हक़ सीओ की हत्या पर समाज का एक विश्लेषण... |
अन्त में देखिए…कार्टून :- धंधा ये भी ठीक है |
आभार गुरु रूपचन्द्र शास्त्री का
जवाब देंहटाएंमेरी पसंदीदा रचना को यहाँ स्थान दिया
आभार अलका दीदी का
उन्होंने इतनी सुवासित रचना लिखी
आभार चर्चा मंच
आभार
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा का शीर्षक ही इतना रोचक है की क्या कहना,पठनीय लिंकों से सजी सार्थक चर्चा,अपनी रचना को देखकर ख़ुशी हुई,सादर नमन.
जवाब देंहटाएंहमारी पोस्ट शामिल करने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद सर!
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत ही अच्छी चर्चा...... सुंदर लिनक्स मिले....
जवाब देंहटाएंअच्छे और उपयोगी लिंक्स !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और पठनीय लिंकों से सजी सुन्दर चर्चा !!
जवाब देंहटाएंआभार !!
इस शानदार चर्चा में मुझे भी स्थान देने हेतु आपका आभार शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर शानदार चर्चा,,,,
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच पर मेरी अभिव्यक्ति को स्थान देने के लिए शास्त्री जी एवं चर्चा मंच के सभी गुरुओं का हार्दिक अभिनन्दन मुझे अत्यंत हर्ष होता है जब भी हमें चर्चा मंच पर स्थान मिलता है सभी मित्रों द्वारा उत्कृष्ट लेखन हमें यहाँ एक मंच पर संगठित रूप में मिलता है सभी रचनाकारों और लेखकों से मुझे भी प्रेरणा मिलती है मैं आप सभी मित्रों का आभार व्यक्त करता हूँ और आशा करता हूँ आप सब का स्नेह और आशीर्वाद पाठक और लेखक वर्ग पर यूँ ही बना रहे !
जवाब देंहटाएंआदरणीय गुरुदेव श्री सादर प्रणाम बेहद सुन्दर चर्चा पठनीय सूत्र हार्दिक बधाई स्वीकारें.
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति-
जवाब देंहटाएंआभार गुरु जी -
प्रिय प्राञ्जल आशीष है, कल था नेट से दूर |
जवाब देंहटाएंछिन्नमस्तिके मातु से, मिले प्यार भरपूर |
मिले प्यार भरपूर, शक्तिपीठों में आये |
बावन हैं यह पीठ, सती ने स्वयं बनाए |
यश फैले चहुँओर, होय मंगल ही मंगल |
बाढ़े बुद्धि विवेक, स्वास्थ्य उत्तम प्रिय प्राञ्जल |
बहुत ही अच्छी चर्चा
जवाब देंहटाएंसरकारी अमला महफ़ूज़ न रहे तो आम आदमी ख़ुद को कैसे महफ़ूज़ महसूस करें ?
जवाब देंहटाएं.
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दिल से तैयार की गई शानदार चर्चा में हर रंग की जानकारी मिली।
शुक्रिया !
बहुत रोचक लिंक्स..सुन्दर चर्चा..आभार
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा के लिंक्स के चयन के लिए आभार !
जवाब देंहटाएंउत्तम चर्चा !
is sundar link ke liye badhaai .mujhe bhi sthan mila ...aabhar
जवाब देंहटाएंbadhiya links पर इतने ज्ञान की बातो में ये किस अज्ञानी का प्रचार कर दिया पहली ही पोस्ट में आपने । इनका तो काम ही यही है लोगो के बीच धर्म को लेकर बहस करना और अपने आपको ज्ञानी बताना अपने धर्म को सर्वोपरि बताना
जवाब देंहटाएंsar garbhit sankalan...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर सूत्र..
जवाब देंहटाएंकार्टून को भी सम्मिलित करने के लिए आपका विनम्र आभार
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक्स. मेरा ब्लॉग शामिल करने के लिए आभार!
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह शानदार चर्चामंच सजायी है आपने। मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंआभार कविवर।
जवाब देंहटाएंरविकर जी के प्रस्ताव का स्वागत करता हूं।
बेजा बदगुमानी किसलिए?
जवाब देंहटाएंकोकिलों के मध्य कौए की बयानी किसलिए?
शर्म कर! ख़ामोश रह बे! लन्तरानी किसलिए?
है सदी इक्कीसवीं किस दौर में तू जी रहा?
क़ायदन ग़ाफ़िल है बेजा बदगुमानी किसलिए?
बहुत खूब वाह सरजी .
इन दरिंदों में कितने ही साइकोपैथ (मनोरोगी )हैं इनका इलाज़ होना चाहिए .इनका छुट्टा घूमना समाधान नहीं है .जेल में डालने से भी कुछ नहीं होगा .
जवाब देंहटाएंजीवन धारा
अबोध कन्यायें व यौन अपराध -*छोटी मासूम बच्चियों के साथ होने वाले यौन अपराधों के पीछे आधुनिक महिलाओ को दोष देना औचित्यपूर्ण नही है
बहुत खूब वाह सरजी .पीड़ा को सुन्दर शब्द दिए हैं आपने वेदना को उभारा है .
जवाब देंहटाएंबहुत खूब वाह सरजी .पीड़ा को सुन्दर शब्द दिए हैं आपने वेदना को उभारा है .
जवाब देंहटाएंदोहे
Voice of Silent Majority
देख धनी बलवान के, चिकने चिकने पात।
दुखिया दीन गरीब के, खुरदुर चिटके पात।।
भारत की सरकार में , शकुनी जैसे लोग,
जवाब देंहटाएंआम आदमी के लिए , नित्य परोसें रोग
नित्य परोसें रोग , नहीं मिलता छुटकारा,
ढूँढे कौन उपाय , हुआ मानव बेचारा
महिलायें हर रोज , अपना मान हैं हारत,
बदले रीति रिवाज, बदलता जाए भारत...
बहुत सशक्त कुण्डलियाँ हैं जीवन और राजनीतिक विद्रूप से रु -ब -रु .
बहुत ख़ूब शास्त्री जी आभार
जवाब देंहटाएंखूबसूरत हैं सब अशआर गजल के .
जवाब देंहटाएंदस्ताने-ए-दिल को मेरी जुबां से सुना ही नही,
तिलिस्मे बेहिसी को कभी तोड़ के तो देखिए।
दास्ताने दिल को मिरी (मेरी )जुबां से सुना ही नहीं .........बढ़िया प्रयोग है ...दस्ताने -ए -
दिल ?
यही है जन मनोविज्ञान काजल भाई जनता की नवज और बेबसी पकड़ो दोहन करो .बहुत सशक्त चित्र व्यंग्य .
जवाब देंहटाएंअन्त में देखिए…
कार्टून :- धंधा ये भी ठीक है
आपद काल में भी इतनी बढ़िया चर्चा ,बढ़िया सेतु चयन समन्वयन सभी कुछ सुन्दर ,हमें भी स्थान दिया .आभार व्यक्त करता हूँ सभी चर्चाकारों और मेरे आदरणीय चिठ्ठाकारों का .
जवाब देंहटाएंसम्मेलन का ढंग, अति श्रेष्ठ चर्चामंच |
जवाब देंहटाएंन इसमें है छल कोई, न है कोई प्रपन्च ||
साभार नारी दिवस की वधाई !