आज की चर्चा में आपका हार्दिक स्वागत है

शिष्यायों से प्रीत

जलती बुझती लाल बत्ती

परफ़्यूम

देवताओं के वंशज

यूँ सताया न करो

मैं

वरयाम जी


शिष्यायों से प्रीत

जलती बुझती लाल बत्ती

परफ़्यूम

देवताओं के वंशज

यूँ सताया न करो

मैं

वरयाम जी







धन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सार्थक चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीय दिलबाग विर्क जी।
सुन्दर व सार्थक चर्चा, दिलबाग जी
जवाब देंहटाएं'परफ्यूम' को शामिल करने के लिए धन्यवाद दिलबाग जी.
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को चर्चा अंक में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, दिलाबागसिंह भाई।
जवाब देंहटाएंसार्थक सूत्रों से सुसज्जित आज का चर्चामंच ! मेरी रचना को आज के संकलन में सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार दिलबाग जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंरचना को चर्चा मंच पर सम्मिलित करने हेतु आपका हृदय से आभार आदरणीय दिलबाग सिंह जी।
जवाब देंहटाएंसादर
। बहुत बढियां चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया संकलन
जवाब देंहटाएंविविधापूर्ण रचनाओं से सुसज्जित अंक में मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत आभार आपका सर।
जवाब देंहटाएंसादर।