शीर्षक पंक्ति : डॉ. सुशील कुमार जोशी जी
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सादर अभिवादन।
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सादर अभिवादन।
सोमवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
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शब्द-सृजन-26 का विषय है-
'क्षणभंगुर'
आप इस विषय पर अपनी रचना
(किसी भी विधा में) आगामी शनिवार (सायं 5 बजे)
तक चर्चा-मंच के ब्लॉगर संपर्क फ़ॉर्म (Contact Form )
के ज़रिये हमें भेज सकते हैं।
चयनित रचनाएँ आगामी रविवासरीय चर्चा-अंक में प्रकाशित की जाएँगीं।
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शब्द-सृजन-26 का विषय है-
'क्षणभंगुर'
आप इस विषय पर अपनी रचना
(किसी भी विधा में) आगामी शनिवार (सायं 5 बजे)
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देखा
नहीं था
बस
कुछ सुना था
कुछ
किताबों के
सफेद पन्नों
पर
काले से
किसी ने कुछ
आढ़ा तिरछा सा
गड़ा था
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टेम्पु चालक का बेटा बना लेफ्टीटेन्ट,ग्रामीणों में ख़ुशी
मयूरहंड : यदि किसी कार्य को करने को लेकर इच्छा शक्ति प्रबल हो तो उस कार्य को मंजिल तक पंहुचाने में पूरा कायनात उसकी मदद में लग जाता है। कुछ ऐसा ही उदाहरण प्रखंड के सुहैय गांव में देखने को मिला। जहां एक टेम्पु चालक के पुत्र ने अपने नाम का लोहा पुरे जिला में मनवाने का काम किया।
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तेरी
नज़रों में छाई है शाम की थकान
तेरी
आवाज़ जैसे एक कोमल बाँसुरी है
तू जैसे
पारिवारिक एल्बम से निकली है
पानी-सी
पारदर्शी तस्वीर कोई माधुरी है
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अकुलाहट के भँवर में तड़पता अहर्निश।
भीख में फैलाता झोली हर एक द्वार पर।
शब्दों से नहीं आँखों से बरसाता इच्छा।
साथ साया हो उसका यही उधार माँगता।
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कभी महफिलों में कभी महकशी पर,
मिला तंज मुझको मेरी हर हँसी पर ।
मुझे ज़िंदगी में जो प्यारा था सब से,
उसी ने था ढाया सितम ज़िन्दगी पर ।
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पुरानी दुनिया
सड़कें सूनी हैं,
पक्षी ख़ामोश हैं,
हवाएँ लौट रही हैं
बंद दरवाज़ों से टकराकर.
सूरज उगता है,
मारा-मारा फिरता है
सुबह से शाम तक,
फिर डूब जाता है.
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इन दिनों 68 वर्ष के फ़र्नीचर वाले भैया पहले से कहीं अधिक श्रम करने
के बावजूद स्फूर्ति से लबरेज़ हैं।
सुबह चार बजे से ही उनका कार्य शुरू हो जाता है।
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"जमूरे ! चल बतला जरा, स्वतंत्र हुए हमें हो गए कितने साल ?
"भला मुझे क्या पता उस्ताद, मेरा तो तूने कर रखा है बुरा हाल,
माना, मेरी दाल-रोटी है चलाता, साथ चलाता तो है तू अपनी दुकान,
स्वतंत्र भारत में, कर परतंत्र मुझे, कर रखा है जीना मेरा मुहाल
"जमूरे! कमोबेश .. सबकी है यहाँ यही हाल, बात दाल-रोटी की
कर-कर के दूसरे की, सब चलाते हैं बस अपनी ही दुकान"
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सोंचता हूँ एक कबाड़ साहित्यिक अंतराष्ट्रीय संस्था मैं भी बना डालूँ,
स्वंभू कवि, कवि नहीं आशुकवि, आशुकवि नहीं कविराज,
नहीं नहीं कविराय अपने लिए नाम के आगे पीछे कुछ लगना चाहिए कि नहीं।
स्वयं भू संस्था बनाऊँ और उसका सर्वे सर्वा बनूँ।
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दोनों ने अपनी उंगलियाँ एक दूसरे में फँसाते हुए इश्क़ को यूँ
गले से लगा लिया जैसे आज इश्क़ इनका गुलाम हो गया है.
हो भी कैसे ना इश्क के अलावा रहा ही क्या उनकी ज़िंदगी में!
होती होगी लोगों की सुबह, दोपहर, शाम, रात इनका तो बस इश्क़ होता है.
*****होती होगी लोगों की सुबह, दोपहर, शाम, रात इनका तो बस इश्क़ होता है.
इश्क़ के गुरुर में चूर एक आईना हमनें भी देखा
महताब की अदाओँ सा रंग बदलता इसे देखा
मुनासिब होता दिलों के दरमियाँ फरमाइसे ना हो
शायद खलिस दिलों की तब और जबां होती
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जनपद
जालौन के ग्राम खजुरी का एक परिवार विगत कई
वर्षों से वाराणसी अपने काम के सिलसिले
में जाता रहता है.
इस वर्ष भी उसका वहाँ जाना हुआ.
उसके वहाँ पहुँचते ही कोरोना ने
अपना रूप दिखाना शुरू किया
और उसके कारण
सरकार को लॉकडाउन लगाना पड़ा.
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तुम आज इस दुनिया में नहीं हो सुशांत- मन दुखी है | पीड़ा में डूबा है |
पर सच कहूं तो इस पीड़ा के पीछे तुम्हारी परिस्थतियाँ,
तुम्हारे मन की टूटन और अकेलापन नहीं बल्कि सवालों की एक बड़ी फेहरिस्त है सुशांत |
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श्रद्धांजलि!
श्रद्धांजलि!
प्रतिभाशाली युवा फ़िल्म अदाकार सुशांत सिंह राजपूत की
आत्महत्या से फ़िल्म जगत और प्रशंसक सदमे में हैं।
अपने छोटे-से फ़िल्मी करियर में
उन्होंने अपनी अदाकारी का लोहा मनवा लिया था।
वक़्त के क्रूर हाथों ने
एक संभावनाओं से भरे जगमगाते
सितारे को हमसे छीन लिया।
चर्चामंच परिवार उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है।
ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे।
आज बस यहीं तक
फिर मिलेंगे अगले सोमवार।
रवीन्द्र सिंह यादव
फिर मिलेंगे अगले सोमवार।
रवीन्द्र सिंह यादव
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प्रतिष्ठित मंच पर मेरी रचना " जीवन-संघर्ष" को स्थान देने के लिए आभार, प्रणाम।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा.मेरी कविता को स्थान देने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंदिवंगत सुशान्त सिंह राजपूत को श्रद्धांजलि।
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आपका आभार आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी।
आभार रवींद्र जी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा प्रस्तुति आदरणीय
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा में मेरी ग़ज़ल को स्थान देने के लिए बहुत बहुत आभार ।
सादर आभार आदरणीय सर मेरे सृजन को स्थान देने हेतु .
जवाब देंहटाएंसादर