स्नेहिल अभिवादन।
आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।
"21जून "
इस बार तो ये दिवस एक अलग ही संयोग लेकर आया था,
ये दिन साल का सबसे बड़ा दिन था,
इसी दिन सदी का सबसे बड़ा "सूर्य ग्रहण" भी लगा था,
साथ ही साथ उसी दिन अन्तर्राष्टीय योग दिवस
और पितृदिवस भी मनाया गया।
"जीवन में प्राणों का संचार करने वाले सूर्यदेव और
जन्मदाता पितृदेव दोनों को सत सत नमन"
करते हुए और जीवन जीने की कला सीखाने वाले
"योग" को धारण करने का प्रण लेते हुए....
चलते हैं इन्ही विषयों से संबंधित
आज की कुछ विशेष रचनाओं की ओर....
शुरू करते है, आदरणीय शास्त्री सर द्वारा रचित
पिता को समर्पित एक संस्मरण के साथ....
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"जीवन में प्राणों का संचार करने वाले सूर्यदेव और
जन्मदाता पितृदेव दोनों को सत सत नमन"
करते हुए और जीवन जीने की कला सीखाने वाले
"योग" को धारण करने का प्रण लेते हुए....
चलते हैं इन्ही विषयों से संबंधित
आज की कुछ विशेष रचनाओं की ओर....
शुरू करते है, आदरणीय शास्त्री सर द्वारा रचित
पिता को समर्पित एक संस्मरण के साथ....
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संस्मरण "पितृ दिवस पर विशेष"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
पिता जी और माता जी उन दिनों नजीबाबाद में रहते थे।
लेकिन मुझसे मिलने के लिए बनबसा आये हुए थे। पिता जी की
आयु उस समय 55-60 के बीच की रही होगी।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEixy51iYM8NpE_ONWwmEqtCxl8zkyxH9Dy94Tt5MDdGMj9bCi8fpz9OyfUc-FoRx7jBSoPK_0oefW0zLhxEF2tlncedhCvCU7_jgoKvaKGGIaG6odQbR4naNiWweKgkBSmgUfxpyLMuehFt/s400/pita.jpg)
पिता जी और माता जी उन दिनों नजीबाबाद में रहते थे।
लेकिन मुझसे मिलने के लिए बनबसा आये हुए थे। पिता जी की
आयु उस समय 55-60 के बीच की रही होगी।
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बिन पिता
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjSEtK4gzim-K7QfLiba1ZiKilvo9XqWux-vhzEYA2CXcjGhyxaydyb3mhaxgvwwLuFEPkNxYrhhkeupOFsza6P4QnKWNRnYULWZZpXYL3416bT-kKRQSmWajIyOUtEH5bq52hAr1YqoLiQ/s320/20200622_081005.jpg)
है आँखों में मेरी, जीवन्त चेहरा तुम्हारा,
है ख्यालों पर मेरी, तेरा ही पहरा,
पर, मेरे भाग्य, ना आया!
दर्शन, वो अन्तिम तेरा!
अन्त समय, पापा, मैं तुझको देख न पाया!
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पिताजी आप पर अभिमान है।
आपकी हर कीर्ति पर शान है।
बस आप ही तो वह व्यक्ति हैं।
जो हमको देते हरदम शक्ति हैं।
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![My photo](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi-E6SeLCpQ7PFoCvdYyDkRct_PbxxhL6KQyrjnEfhuA1dk6ZfzQo5ZrKNb8uHhtFeOn4-qxLvCOyhKUYTGqwKe9zx8ugVgkGSthFz7T6nMOWjDpSeXQP7RSvWnOy19AhBK-nt1g9R17UU/s320/IMG_20200106_194655123%257E3.jpg)
भाव जब शब्द से परे हो तो उसे उकेडने का प्रयास
जदोजहद से भरी होती है।
हर समय मन का भाव स्वयं में द्वंद करता है ।
इसलिए भगवान कृष्ण ने मन को "द्वंदातीत" कहा है।
फिर शब्दो मे इसका संशय हमेशा बना रहता है
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बाप का बरदहस्त !
क्योंकि मैं नादां था
तो, बचपन मे जब भी
मैं, खो लेता था आपा,
गोद उठा लेते थे पापा।
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![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgpDC9fwajWHWNzxCkfLNNeKJDBcrJpNzcG-9XU64CjgafdE7y8nigBWzex_iZZx1spGidy4hq6o8TOYGWd7P3oLL_4_KscOfW9DTcGM1V3qVMkwzZWKXu_o8pzqhnPEGCc5Pz1PMFeduba/s320/%25E0%25A4%25B6%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25B6%25E0%25A5%2581.jpg)
5-6 महीने की आयु में शिशु अ की ध्वनि निकालते हुए शिशु जब दोनों होठों को बंद कर लेता है
तब यह अम् की ध्वनि होती है । अम् बोलते हुए होंठों को फिर खोलता है तो अम्अअ की की ध्वनि
निकलती है । इस दौरान यदि 2-3 बार होंठों को खोलता और बंद करता है
तो अम्अम्अ जैसी ध्वनि सुनाई देती है ।
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मनुष्य का यह तन ईश्वर का वह अद्भुत वरदान है जिसे हम
#योग द्वारा और निखार सकते हैं।
योग न केवल हमे तन से अपितु मन के भी समस्त रोगों से,
विकार से लड़ने और उससे मुक्त होने की क्षमता प्रदान करता है।
योग हमे हमारी इंद्रियों पर विजय प्राप्त करने योग्य भी बनाता है
और हमे हर नकारात्मक परिस्थितियों में भी
सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है।
(प्रिय आँचल की रचना से )
"कोरोनाकाल " योग और आर्युवेद के महत्व को बहुत हद तक समझा रहा हैं...
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![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhVNsuc1z4Scgn3lRafeI9tE6IMeL8Hq4o-qKJ6chjV6xwpb1FJrO6kvUQlh7sB2Zg4CV0MeltXyQdIsO7UqeWbRdvmHkVjctb7MZx0G5Uef12lrNZUcee6C5ygjLhnSDumBDfitc79J2QO/s320/1592718237409558-0.png)
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स्वस्थ शरीर और शांत मन के लिए योगासन और प्राणायाम
के बाद थोड़ी देर शांत एकाग्र चित्त बैठना बड़ा फायदेमंद है.
ख़ास कर के रिटायरमेंट के बाद. और अगर भोजन पर भी
ध्यान रखा जाए तो डॉक्टर की जरूरत बहुत कम पड़ती है.
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योग दिवस पर विश्व में,मची योग की धूम।।
गर्व विरासत पर हमें,भारत माटी चूम ।
करते प्रतिदिन योग जो ,रहें रोग से दूर।
श्वासों का बस साधिए ,मुख पर आए नूर ।।
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![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEivg_iwGEmbVHINARrfvsJaonI7jHi6bSEZI7xmpjA2bJbXzLu9o5nak4HA38r30QL5fqSZ6elZzRE2dgi2nSOIpc5AGt2w5SmXtjxOP-U9yrWYl3pnUJtX9QFA77RRo0wGPJo90jO4rhQ/s1600/download+%252876%2529.jpeg)
टुकड़ा-टुकड़ा मन बिखरा जो
जुड़ जाता जब हुआ समर्पित
योग तभी घटता जीवन में
सुख-दुःख दोनों होते अर्पित !
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योग द्वारा मानव विकास
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjDQXBQeoMjWrFvbSnTffx44h7CxF0YrI0ss8zSKfkvE_G3K-YWJzfWAg9QfvqEya48toX4rs3zOJauZa6cHCsofoxJ66hah5YhRtdO-gCBihIFo1ck4ns_S9Zq9PjFnaNeDCGpDm2i_tlc/s320/20200621_180513.png)
आज मनुष्य योग-ध्यान के स्थान पर भोग-ध्यान की ओर बढ़ चला है।
भोग के पीछे भागते हुए हम पतन की ओर आ गए और योग की महत्ता को भूल गए।
आज योग को पुनः अपनाने की आवश्यकता है क्योंकि यही वह साधन है
जो मनुष्य को विकास का उचित मार्ग देगा।
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तन के साथ मन भी बलिष्ट बन सके और मनुष्य अपने जीवन मे
उच्चतम आयाम को प्राप्त कर सकें। यह मेरा एक छोटा सा प्रयास है,
निर्णय आप पर है कि यह अदना सा प्रयास
आप सभी के लिए कितना लाभदायक है।
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वाह बहुत सुंदर हलचल प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद सुजाता जी ,सादर नमस्कार
हटाएंचर्चा की बेहतरीन प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीया कामिनी सिन्हा जी।
सहृदय धन्यवाद सर ,सादर नमस्कार
हटाएंबढिया सुसज्जित चर्चा हेतु आपका आभार, कामिनी जी🙏
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद सर ,सादर नमस्कार
हटाएंपित्र दिवस और योग दिवस पर बहुत ही बेहतरीन रचनाओं को संकलित करके सुंदर प्रस्तुति करण, और इस सूंदर संकलन में मेरी रचना को शामिल करने के लिए दिल से आभार।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद 💐💐
सहृदय धन्यवाद मुकेश जी
हटाएंपितृ दिवस और योगदिवस पर बेहतरीन चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद भारती जी ,सादर नमस्कार
हटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति! बधाई और आभार!!!
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद विश्वमोहन जी ,सादर नमस्कार
हटाएंबहुत ही सुंदर प्रस्तुति कामिनी दीदी .
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद अनीता बहन
हटाएंप्रिय सखी, पितृ दिवस और योग दिवस पर तुम्हारी भूमिका के साथ प्रस्तुति बहुत बढिया है। सभी रचनाकारों को बधाई और शुभकामनायें। 🌹🌹🙏🌹🌹
जवाब देंहटाएं'घर में योग 2020' को शामिल करने के लिए धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंउपयोगी लिंक्स ..
जवाब देंहटाएंआभार