शीर्षक पंक्ति : आदरणीया सुधा देवरानी जी की रचना से
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स्नेहिल अभिवादन।
शनिवासरीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
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स्नेहिल अभिवादन।
शनिवासरीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
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किशोरवय किस उम्र से किस उम्र तक होती है? इसको लेकर अलग-अलग मत हैं।
10-17,10-20,10-25 वर्ष और टीन एज़ (Thirteen to nineteen) आदि को विभिन्न चरणों में में भी बाँटा गया है।
भारतीय क़ानून के मुताबिक़ 18 वर्ष की आयु प्राप्त करते ही उसे वयस्क मान लिया गया है।अर्थात 18 वर्ष पूर्ण करने पर क़ानूनी क़रार पर हस्ताक्षर करने का अधिकार मिल जाता है। किशोरावस्था का आरंभिक चरण अनेक जिज्ञासाओं से भरा होता जिसमें शारीरिक विकास के साथ-साथ मानसिक स्तर का भी विकास तेज़ गति से हो रहा होता है। इस अवस्था में मन में पैदा होनेवाली उलझनों और सवालों के सटीक समाधान मिलना नितांत आवश्यक हैं अन्यथा बच्चे के भविष्य की राह कठिन हो सकती है। परिवार,समाज और विद्यालय के बीच किशोरों को अपना अस्तित्त्व स्थापित करने हेतु कई मोर्चों पर कड़ा संघर्ष करना होता है। इस उम्र के बच्चों का मानसिक रोगों की गिरफ़्त में आना,घर से भागना,नशे की लत विकसित करना और अपराधों की ओर उन्मुख होना आदि गहन चिंता का विषय है।
-अनीता सैनी
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आइए अब पढ़ते हैं मेरी पसंद क कुछ रचनाएँ-
तितली आई! तितली आई!!
रंग-बिरंगी, तितली आई।।
कितने सुन्दर पंख तुम्हारे।
आँखों को लगते हैं प्यारे।।
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मैं ६० वर्ष का
हुआ और मेरी पसंदीदा नौकरी चली गयी।
मैं सेवा-निवृत्त हो गया।
जब मैंने उस संस्था को
छोड़ा तब मुझे
बेबाक ही तो थी ,
वह दो चोटी वाली
रास्ते के पत्थर को ,
खेलती फुटबॉल सा ।
बारिश में दे देती ,
छाता किसी भी ,
अनजान आदमी को ।
मयूरहंड : मेहनत कभी बेकार नहीं जाती है।
मेहनत करने वालों की कभी हार नही होती है।
इस वाक्य को सही साबित कर दिखाया है ढोढ़ी गांव के ग्रामीणों
ग्रामीणों ने वर्षो से जर्जर पड़ी सड़क को श्रमदान कर चलने
योग बना कर एक मिशाल कायम किया है।
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प्रेम,
प्यार, मुहब्बत, इश्क ये
शब्द
आज के समय में गंभीरता से नहीं लिए जाते हैं.
इनके पीछे कहीं व्यंग्य का भाव, कहीं उपेक्षा का भाव,
कहीं अन्योक्ति का भाव छिपा दिखता है.
इश्क की चर्चा होने से पहले ही सामने वाला अपने
दिमाग में एक छवि उभर कर स्थायी भाव ग्रहण कर लेती है
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बुद्धिजीवी वर्ग और हमारा समाज
इनके पीछे कहीं व्यंग्य का भाव, कहीं उपेक्षा का भाव,
कहीं अन्योक्ति का भाव छिपा दिखता है.
इश्क की चर्चा होने से पहले ही सामने वाला अपने
दिमाग में एक छवि उभर कर स्थायी भाव ग्रहण कर लेती है
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बुद्धिजीवी वर्ग और हमारा समाज
पूरे शरीर का जितना प्रतिशत हिस्सा मस्तिष्क का होता है,
समाज में उतना ही प्रतिशत बुद्धिजीवीयों का होता है !
बुद्धि के हिसाब से हमारे शरीर के अंग काम न करे तो अंजाम आप जानते ही हैं !
मस्तिष्क पूरे शरीर की चिंता न करे तो भी
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4 अक्टूबर 1968 की बात है जब हरभजन घोड़े के एक
काफिले को तुकु ला से डोंगचुई ले
जाते बर्फीली चोटी के दुर्गम रास्ते पर पैर फिसल जाने
के कारण गहरी खाई में गिर जाते हैं।
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सपना बड़ा था रात छोटी पड़ गई।
ख्वाब हकीकत में बदलते बदलते रह गया।।
कांटे सूख कर ही टूटते हैं।
फूल क्यो खुश होकर बिखरते हैं?
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ख्वाब हकीकत में बदलते बदलते रह गया।।
कांटे सूख कर ही टूटते हैं।
फूल क्यो खुश होकर बिखरते हैं?
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ब्रह्म मुहूर्त की
किरणों के साथ
चाँदी होते होते
गोधूली पर
सोने में बदलते
हिमालयी
बर्फ के रंग
की तरह आज
सारी कविताएं
या तो बेल हो कर
चढ़ चुकी हैं
आकाश
या बन चुकी हैं
छायादार वृक्ष
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एक शिल्पी है वक़्त
गढ़ता है दिन-रात
उकेरता अद्भुत नक़्क़ाशी
बिखेरता रंग लिये बहुरँगी कूची
पलछिन पहर हैं पाँखुरियाँ
बजतीं सुरीली बाँसुरियाँ
सृजित करता है
अज्ञान के तिमिर ने चारो तरफ से घेरा
क्या रात है प्रलय की ,होगा नहीं सवेरा
क्या होगा नहीं सवेरा ---
पथ और प्रकाश दो तो ,चलने की शक्ति पाये
गुरुवर तुम्ही बता दो -------
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मंजिल नहीं यह बावरे !
पाँव डगमग हो रहे औ'
नयन छ्लछ्ल हो रहे,
मीत बनकर जॊ मिले थे
वह भरोसा खो रहे।
प्रेम की बूँदों का प्यासा
बन ना चातक बावरे !!!
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उलझन में हूँ समझ न आता
ऐसे मुझको कुछ नहीं भाता
बड़ा हो गया या हूँ बच्चा !
क्या मैं निपट अकल का कच्चा ?
पर माँ तुम तो सब हो जानती
नटखट लल्ला मुझे मानती
पुरस्कार और सम्मान --- कल्पना चावला को मरणोपरांत अमेरिका में
अनेक पुरस्कार से सम्मानित किया गया जिनमे
कांग्रेशनल अंतरिक्ष पदक के सम्मान, नासा अन्तरिक्ष उडान पदक,
नासा विशिष्ट सेवा पदक इत्यादि शामिल हैं |
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शब्द-सृजन-27 का विषय है-
'चिट्ठी'
आप इस विषय पर अपनी रचना
(किसी भी विधा में) आगामी शनिवार (सायं 5 बजे)
तक चर्चा-मंच के ब्लॉगर संपर्क फ़ॉर्म (Contact Form )
के ज़रिये हमें भेज सकते हैं
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आज सफ़र यहीं तक
कल फिर मिलेंगे।
-अनीता सैनी
शब्द-सृजन-27 का विषय है-
'चिट्ठी'
आप इस विषय पर अपनी रचना
(किसी भी विधा में) आगामी शनिवार (सायं 5 बजे)
तक चर्चा-मंच के ब्लॉगर संपर्क फ़ॉर्म (Contact Form )
के ज़रिये हमें भेज सकते हैं
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आज सफ़र यहीं तक
कल फिर मिलेंगे।
-अनीता सैनी
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अनीता जी , भूमिका के विषय का चयन बहुत अच्छा लगा। हम सब गुज़रे और अब हमारे बच्चों को देखेंगए इससे गुज़रते बहुत ही सार्थक विषय
जवाब देंहटाएंसभी लिंक्स बहुत अच्छे लगे
सभी रचनाकारों को बधाई
समय लगाकर श्रम के साथ सजाई गयी सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीया अनीता सैनी जी।
सभी रचनाएँ बहुत अच्छी लगी।चर्चा प्रस्तुति बहुत सुन्दर। आपका धन्यवाद हमारी रचना को शामिल करने के लिए।
जवाब देंहटाएंआभार अनीता जी।
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन प्रिय अनीता, मेरी रचना को भी ढूंढ लाई तुम, कोटि आभार। सभी रचनाकारों को बधाई ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर चर्चा ,आप सभी की मेहनत को नमन ,रचनाकारों को बधाई हो
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति अनीता जी एक सशक्त विषय की चर्चा के साथ । बहुत सुन्दर सूत्रों का संकलन ।सभी चयनित रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई ।
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार चर्चा प्रस्तुति ..सभी लिंक बेहद उम्दा
जवाब देंहटाएंशीर्षक पंक्ति मे मेरी रचना का शीर्षक एवं रचना को यहाँ साझा करने हेतु हृदयतल से आभार आपका।
crazy one dude sundar ladkiyo ke wallpapers
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