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मंगलवार, जून 02, 2020

हमारे देश में मजदूर की, किस्मत हुई खोटी ... (चर्चा अंक-3720)

सादर अभिवादन !
आ. कामिनी सिन्हा जी अनुपस्थिति  में आज मंगलवार की प्रस्तुति में मैं आप सबका अभिनन्दन करती हूँ । शीघ्र ही वे अगली प्रस्तुति के साथ वे आपके सम्मुख होंगी । आज की चर्चा का आरम्भ सुभद्रा कुमारी चौहान की कलम से 
निसृत "तुम मुझे पूछते हो" कवितांश से -
"यह मुरझाया हुआ फूल है, 
इसका हृदय दुखाना मत।
स्वयं बिखरनेवाली इसकी,
 पँखड़ियाँ बिखराना मत॥
***
आइए अब बढ़ते हैं
आज के चयनित सूत्रों की ओर -
हमारे देश में मजदूर की, किस्मत हुई खोटी
मयस्सर है नहीं ढंग से, उन्हें दो जून की रोटी
--
दलाली में लगे हैं आज, अपने देश के सेवक
बगावत भी करे कैसे, वहाँ दो जून की रोटी
--
करे क्या झोंपड़ी फरियाद, महलों की मिनारों से
हमेशा ही रही कंगाल, है दो जून की रोटी
***
घट में बसता जीव है,नदिया जीवन धार।
परम ज्योति का अंग हैं, कण-कण में विस्तार।


कान्हा आकर देख ले, मुरली तेरी मौन।
सूना सूना जग लगे, पीड़ा सुनता कौन।
***
1826 में 30 मई की तारीख को जब हिंदी भाषा में ‘उदन्त मार्तण्ड’ के नाम से पहला समाचार पत्र निकाला गया तब यह द‍िन सदैव के ल‍िए पत्रकार‍िता व पत्रकारों के ल‍िए ऐत‍िहास‍िक, वैचार‍िक पर‍िघटना के बतौर पत्रकार‍िता द‍िवस के रूप में मनाया जाने लगा। 
***
जीवन में जो भी घटता है 
हर अनुभव का इक फूल बना लें !
छोटे-छोटे इन फूलों को 
गूँथ सत्य की 
इक वैजयंती माल बना लें !
***
शलभ नहीं, न ही जलती बाती बनना 
 वे प्रज्जवलित दीप बनना चाहते हैं। 
 अँधियारी गलियों को मिटाने का दम भरते 
 चौखट का उजाला दस्तूर से बुझाना चाहते हैं।  
***
कभी गांव में जब रामलीला होती और उसमें राम वनवास प्रसंग के दौरान केवट और उसके साथी रात में नदी के किनारे ठंड से ठिठुरते हुए आपस में हुक्का गुड़गुड़ाकर बारी-बारी से एक-एक करके-


“ तम्बाकू नहीं हमारे पास भैया कैसे कटेगी रात, 
भैया कैसे कटेगी रात, भैया............ 
***
दर्द भरे क्या गीत लिखूँ 
किसे मन का प्रीत कहूँ
भोर हुआ तम ठहर गया
आशा - किरण न दिख रहा
दर्द भरे क्या गीत लिखूँ
***
बेचारे पशु पक्षी भी प्यास से मर रहे हैं, उनका खास ख्याल रखें। इन दिनों हर एक के पास व्हाट्सएप और फेसबुक पर यह मैसेज जोरों शोरों से शेयर किया जा रहा है। राहुल के व्हाट्सएप पर जैसे ही यह मैसेज फ्लैश हुआ वह पानी का कटोरा लेकर सीधा छत की ओर दौड़ पड़ा ।
***
उजास चाहते हो... 
हिलो-डुलो 
जाँचो-परखो 
ख़ून में है रवानी?
पूछा प्रश्न अपने आप से।
***
मानव स्वभाव है कि वह यादों  के सहारे भूतकाल में विचरण करता है या फिर तरह-तरह की आशंकाओं से भयभीत भविष्य को जानने की जुगत लगाता रहता है। फिर उसी जुगत में अपनी बुद्धिनुसार तरह-तरह की तिकड़मों को अंजाम दे कभी लोगों के सामने अपनी कुटिलता जाहिर करवा देता है या फिर हास्य का पात्र बन जाता है !
***
क्षय होना
और
सड़ जाने में
धरती आसमान
का अन्तर है


उसे
क्या सोचना


जिसने
जमीन
खोद कर
ढूँढने ही बस


मिट चुकी
हवेलियों के
कँगूरे हैं
***
इस ज़माने में जीना दुश्वार सच का
अब तो होने लगा कारोबार सच का।


हर गली हर शहर में देखा है हमने
सब कहीं पर सजा है बाज़ार सच का।
***
अपना देश, प्रवासी कहते?
सच को भी आभासी कहते?


जिसने छल से पाया वैभव
 उसको भी विश्वासी कहते?
***
जिन्दगी का बूमरैंग देखना आकर्षक तो लगता है, मगर खिझाने और परेशान करने वाला ज्यादा होता है...
पिछले तीन दिनों के तनाव के बाद जब मैं ‘हम तीन थोकदार’ की तीसरी किश्त का दूसरा-तीसरा ड्राफ्ट नए सिरे से लिख रहा था, सिर्फ यही दो वाक्य लिख पाया.
***
हमें तो गर्व था खुद पे कि हम भारत के वासी हैं
दुखी हैं आज जब जाना यहाँ तो हम प्रवासी हैं
सियासत की सुनो जानो तो बस इक वोट भर हैं हम
सिवा इसके नहीं कुछ भी बस अंत्यज उपवासी हैं
***
अब इतना बदलाव किस लिए ?
कोई  कारण तो रहा  होगा |
जब तक आपस में बातचीत न करोगे
कोई मसला हल न होगा
किसी को तो पहल करनी होगी
मसला हल कैसे होगा |
***
शब्द-सृजन- 24  का विषय है-
मसी / क़लम 
आप इस विषय पर अपनी रचना 
(किसी भी विधा में) आगामी शनिवार (सायं 5 बजे)  
तक चर्चा-मंच के ब्लॉगर संपर्क फ़ॉर्म (Contact Form ) के ज़रिये हमें भेज सकते हैं।  
चयनित रचनाएँ आगामी रविवासरीय चर्चा-अंक में 
प्रकाशित की जाएँगीं।
***
आपका दिन मंगलमय हो… फिर मिलेंगे 🙏🙏
"मीना भारद्वाज"
      --  

14 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर भूमिका और प्रस्तुति मीना दी ।आजकल तो ऐसे भी लोग हैं ,जो मुरझाए हुए फूलों को भी नहीं छोड़ते हैं।
    ---
    जीवन में जो भी घटता है
    हर अनुभव का इक फूल बना लें !
    यह रचना स्पर्श कर गई।

    जवाब देंहटाएं
  2. उम्दा संकलन लिंक्स का |मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार सहित धन्यवाद |
    |

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर और अद्यतन पठनीय लिंकों के साथ श्रमसाध्य चर्चा प्रस्तुति।
    आदरणीया मीना भारद्वाज जी आपका आभार।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट सम्मिलित करने हेतु आभार

    जवाब देंहटाएं
  5. पूरा का पूरा कलेक्शन बहुत ही उम्दा है मीना जी, मेरी ब्लॉगपोस्ट को शाम‍िल करने के ल‍िए बहुत बहुत धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत ही लाजवाब चर्चा प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  7. विविधताओं से पूर्ण रचनाओं से सजा है आज भी चर्चा मंच, आभार मुझे भी इसमें स्थान देने के लिए मीना जी !

    जवाब देंहटाएं
  8. बेहतरीन प्रस्तुति आदरणीय मीना दीदी. मेरे सृजन को स्थान देने हेतु सादर आभार.

    जवाब देंहटाएं
  9. मीना जी,
    नमस्कार,

    मेरी रचना को चर्चा अंक में शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार।

    सधन्यवाद ... 💐💐

    जवाब देंहटाएं
  10. उत्कृष्ट लिंको से सजी लाजवाब प्रस्तुति ....
    मेरी रचना को स्थान देने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार।

    जवाब देंहटाएं
  11. शानदार प्रस्तुतीकरण। भूमिका में मार्मिक कवितांश का ज़िक्र और बेहतरीन सूत्रों का चयन। सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ।

    मेरी रचना शामिल करने हेतु सादर आभार आदरणीया मीना जी।

    जवाब देंहटाएं

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