मित्रों!
एक फिल्मी गीत की पंक्तियों के साथ-
रविवासरीय प्रस्तुति का प्रारम्भ करता हूँ।
एक फिल्मी गीत की पंक्तियों के साथ-
रविवासरीय प्रस्तुति का प्रारम्भ करता हूँ।
कागज़ कलम दवात ला
लिख दूँ दिल तेरे नाम करूँ
दिल क्या तू जान भी
माँगे तो दूँ जान...
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कलम की बात चली है तो
कलम के बारे मेॆं भी जान लीजिए-
लेखनी, कलम या पेन वह वस्तु है जिससे कागज पर स्याही द्वारा लिखा जाता है। कलम से बहुत से अन्य चीजों पर भी लिखा जाता है। प्राचीन काल से लेकर आजतक अनेक प्रकार की लेखनियाँ प्रयोग की जातीं हैं जैसे नरकट की कलम, पंख से बनी कलम, फ़ाउंटेन पेन, बॉल-पॉइंट पेन (गेंद-मुखी कलम) आदि।
"काम कलम का बोलता"
मत लिख अब बंसी की धुन,
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काग़ज़, कलम, दवात
काम कलम का बोलता, नहीं बोलता नाम।
छोड़ मान-व्यामोह को, करते रहना काम।।
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दिल पर करते असर हैं, दिल से निकले भाव।
बिना कलम के आसरे, पार न होगी नाव।।
उच्चारण मत लिख अब बंसी की धुन,
मत लिख भौंरों की गुनगुन,
अब झूठा विश्वास ना बुन,
लिख, फूलों से काँटे चुन !
बहुत हुआ, अब कटु सत्य
स्वीकार, लिख मेरी कलम !
पहले लिखा करते थे ख़त कलम से !
स्याही पेन में भर कर
पहले से ही तैयार रखते थे !
पहले से ही तैयार रखते थे !
जो खत का मजमून लंबा हो
तो इस बात का ध्यान रखते थे
तो इस बात का ध्यान रखते थे
कि कहीं स्याही बीच में ही समाप्त न हो जाए !
कभी कभी पेन लीक कर जाते थे
और हाथों की उँगलियाँ स्याही से सन जाती थीं !
Sudhinama पर Sadhana Vaid
भानु की किरणें प्रभात लिखतीं
है चंद्र शीतल चाँदनी छिटकाता।
सृष्टि संज्ञा त्याग नित गढ़ती पथ पर
जाने कर्म में सत्कर्म क्यों छूट रहा !
गूँगी गुड़िया पर अनीता सैनी
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कलम को पहचान बनाने का
जिम्मा सौंपा जो आपने...
उन्ही उम्मीदों पर खरा उतरने का
वादा किया खुद से...
सौगंध खाती हूँ गर मिला
आशीर्वाद आप सब पाठकों से
तो जिंदगी जीने का मकसद ही
सदफ की लेखनी होगा…
अल्फाज की आवाज
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सच है ये बात , मुझको भाती है लेखनी ..
खुद से खुद की मुलाकात कराती है लेखनी..
खिला दे गुल अहसासों के सहरा में भी लेखनी
सावन औ पवन सा लहरा कर भिगोती है
लेखनी पीड़ा औ दर्द से भी मिलाती है लेखनी ..
लेखनी पीड़ा औ दर्द से भी मिलाती है लेखनी ..
जाने क्यूँ बार बार मुझको बुलाती है लेखनी
हाँ .....मुझको .. बुलाती है लेखनी .
---विजयलक्ष्मी
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लेखनी
लेखनी
वो लेखनी चल पड़ ...
तुझे नही रुकना है ...
छीनी जाएगी तुमसे स्याही ..
फिर भी तुझे नही झुकना है ...
मेरी खामोश कलम..
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कलम की स्याही कहने लगी,
मुझसे कि कुछ ख़ास लिखो...
देखो मैं छनकर आई हूँ,
चमकीला रंग हृदयों में भरो...
*****
कातिल है ,
हम रोज मरते हैं॥
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कुछ कही,
और अनकही,
हम रोज पढ़ते हैं॥
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कागज़ , कलम, दवात
कागज़ , कलम, दवात
कागज़ , कलम, दवात , ना दे मेरा साथ
कह गये ; ना उतारो ऐसे पन्ने पर जज़्बात
ना बिके कहीं भाव रद्दी के भावनाएँ तुम्हारी
तो उड़ाता फिरेगा हर शख़्स तुम्हारा मज़ाक
रखते हैं क़द्र तुम्हारी , इसलिए मान लो हमारी बात।
कह गये ; ना उतारो ऐसे पन्ने पर जज़्बात
ना बिके कहीं भाव रद्दी के भावनाएँ तुम्हारी
तो उड़ाता फिरेगा हर शख़्स तुम्हारा मज़ाक
रखते हैं क़द्र तुम्हारी , इसलिए मान लो हमारी बात।
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कलम उठाई
कलम उठाई ,
दवात उठाई ,
है हिम्मत......
बिन औकात उठाई ।
अपनी हो.....
या बात पराई ,
बुरे काम की.....
करूं बुराई ।
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स्याही के लिए क्या चाहिये,
थोड़ी कालिख और आँसु भरा पानी चाहिए।
लिखने लायक आँसू तो हो गये
डूबने लायक पानी न हुआ।
कलम को जितना जूमा चाहिए,
कलम दवात और टोका
स्याही के लिए क्या चाहिये,
थोड़ी कालिख और आँसु भरा पानी चाहिए।
लिखने लायक आँसू तो हो गये
डूबने लायक पानी न हुआ।
कलम को जितना जूमा चाहिए,
कलम दवात और टोका
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मेरी कलम की स्याही सूख गयी है
कलम के रुक जाने से
विचारों के पैमाने से
स्याही छलक नहीं पाती
अभिव्यक्ति हो नहीं पाती
जब कुछ विश्राम मिल जाता है
फिर से ख्यालों का भूचाल आता है
कलम को स्याही में डुबोने का
जैसे ही ख्याल आता है
विचारों का सैलाब उमड़ता है...
विचारों के पैमाने से
स्याही छलक नहीं पाती
अभिव्यक्ति हो नहीं पाती
जब कुछ विश्राम मिल जाता है
फिर से ख्यालों का भूचाल आता है
कलम को स्याही में डुबोने का
जैसे ही ख्याल आता है
विचारों का सैलाब उमड़ता है...
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भ्रष्टाचार-सहमति-असहमति-सम्मान
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शब्द-सृजन- 24 के लिए
भ्रष्टाचार-सहमति-असहमति-सम्मान
अनैतिक योजना में
जो शामिल नहीं हुए
उन्हें आदर्शवाद की
चोखी चटनी चटाई गई
ज़ुबान खोलने
क़लम चलाने की
कलुषित क़ीमत बताई गई
बस इतना ही....।
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बहुत ही सुंदर शब्द सृजन की प्रस्तुति. काफ़ी नये ब्लॉग पढ़ने को मिले. मेरे सृजन को स्थान देने हेतु सादर आभार
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुन्दर सार्थक सूत्रों से सुसज्जित शब्द सृजन का यह संकलन ! मेरी रचना को इसमें सम्मिलित करने के किये आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच की "शब्द सृजन" की बहुत सुन्दर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं ।
तकनीक की इस दुनिया में उँगली ही कलम हो गई...परंतु आज भी वसंतपंचमी के और दीपावली के दिन कलम की पूजा की जाती है। कलम माँ सरस्वती का रूप है, कभी कभी तो इतनी कृपा बरसा देती है कि हर तरफ आपकी वाह वाह करा देती है और कभी रूठ भी जाती है तो महीनों मौन हो जाती है। कलम से जुड़ी कलमकारों की सुंदर रचनाएँ चर्चामंच पर पढ़ने को मिलीं, बहुत बहुत धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए आदरणीय शास्त्रीजी और प्रिय अनिता बहन की विशेष रूप से आभारी हूँ।
डॉक्टर शास्त्री जी, क्षमा कीजियेगा ब्लॉगर की सेटिंग में कुछ गलती के चलते मुझे किसी भी कमेंट का नोटिफिकेशन ईमेल पर नहीं मिला इसलिए आपके कमेंट जिनमे मेरी पोस्ट को आपने चर्चा मंच पर जगह दी उसकी जानकारी भी नहीं मिल पाई. और काफी लम्बे समय से ब्लॉग कभी कभार ही लिखा इसके चलते बहुत सारे लोगों के कमेंट बगैर हुए ही रह गए। अब से ईमेल नोटिफिकेशन इनेबल कर दिया है। आशा है आप इस तरह स्नेह बनाये रखेंगे।
जवाब देंहटाएंउम्दा रचनाएं आज की |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद सर |
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