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मंगलवार, जून 16, 2020

"साथ नहीं कुछ जाना"(चर्चा अंक-3734)

स्नेहिल अभिवादन। 

आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत करती हूँ । 

मैं आदरणीया मीना जी की तहे दिल से शुक्रगुजार जिन्होंने
 मेरी गैरमौजूदगी में मेरा कार्यभार संभाला। 
सहृदय धन्यवाद मीना जी 
एक तो जीवन पहले से ही अस्त व्यस्त था और आज इस कोरोनाकाल ने तो 
जीवन को और भी अनिश्चिताओं के भॅवर में उलझा कर रख दिया है। 
जिंदगियां थक रही है टूट रही है बिखर रही है।
 जिनके पास साधन सिमित हैं या हैं ही नहीं वो तो पेट पालने के जदोजहद में ही थके पड़ें हैं।
 परन्तु जिनके पास सब कुछ है या दिख रहा हैं वो क्यों टूट रहे है? 
 कल ही सितारों की दुनिया को अपनी नूर से और भी रोशन करने वाला एक नन्हा सितारा सदा के
 लिए बुझ गया। सब कुछ पा लेने वाले इस नन्हे सितारे को आखिर क्या दुःख था,
 जिसने उसे खुद ही अपना जीवन समाप्त करने पर मजबूर कर दिया।
 क्या सब कुछ पा लेने के बाद भी इंसान भीतर से खाली ही रहता हैं?
जीवन के वो तमाम भौतिक सुख जिन्हे पाने के लिए हम लालायित रहते हैं...
 वो हमारे जीने के लिए काफी होते है क्या ?
सवाल ,सवाल और सिर्फ सवाल..... 
आईये ,आज की रचनाओं के माध्यम से जबाब तलाशने की कोशिश करते है.... 
मैं -कामिनी सिन्हा 
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गीत "साथ नहीं कुछ जाना"

 (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

कहीं सरल हैं कहीं वक्र हैं,
बहुत कठिन जीवन की राहें।
मंजिल पर जानेवालों की,
छोटे पथ पर लगी निगाहें।
लेकिन लक्ष्य उसे ही मिलता,
जिसने सही मार्ग पहचाना।
जीवन के इस कालचक्र में,
लगा रहेगा आना-जाना।।
******
My photo
 अक्सर, हम अपने दृष्टिकोण से किसी और के जीवन को समझने की कोशिश करते हैं। 
इस बात को आसानी से भूल जाते हैं कि हमें उनके दृष्टिकोण से 
उनके जीवन को समझने की कोशिश करनी थी।
****** 
हृदय की दरारों से सांसें फटकन-सी लगीं। 
पीड़ा आँगन में पसरी थी अदृश्य याचक की तरह।
आँखें झुकाए नमी से हृदय की फटन छिपा रही थी। 
 कभी स्वाभिमान के मारे शब्दों से ढाका करती थी उन्हें। 
*******
विजय और उम्मीद पताका लिए
स्व,स्वजन,स्वदेश के लिए जूझते, 
साहसी,वीर योद्धाओं का अपमान है,
कायरों के आत्मघात पर शोक गीत।
******
अधूरा मकान सिर्फ़ अधूरा ही नहीं होता
अधूरे मकान में कई मनुष्यों के सपनों
और छोटी-छोटी ख्वाहिशों के बिखरने का
इतिहास दफ़न होता है ।
******
 सफ़र के उस मुक़ाम पर पहुंचकर आप इतने अकेले हो जाते हैं कि अगर चलते चलते 
आप थक कर गिर भी पड़े तो कोई उठाने के लिए नही रुकता क्योंकि
 वो जानता है कि अगर वो रुका तो वो पीछे रह जाएगा।
 इसीलिए आपको ख़ुद ही ख़ुद को उठाना पड़ता है। 
******
साँस घुटी तब-तब भूमा की

प्रलय-प्रभंजन शोर मचाएँ
युग अतीत में ढलते-ढलते
भूले अपनी रोज गिनाएँ
दमित मौन से उपजे पीड़ा
जड़वत देखें सभी दिशाएँ।।
*******
नियति ने इतना लाड़ दिया

प्यार अपार, परिवार दिया।
विधुर पिता ने भी तुम पर
अपना जीवन निसार किया।

******

तनाव / अवसाद

कल जैसा कि एक खबर को पढ़ा, कि सुशांत सिंह राजपूत ने 
आत्महत्या की, तो कुछ पल के लिए मन विचलित हुआ और 
उनके बारे में सोचा कि उन्हें क्या और किस बात की कमी थी।
******
किसी राजपूत ने रणक्षेत्र में
आज तक पीठ नहीं दिखाई
तू कैसे हार गया जिन्दगी की बाज़ी. 
तूने कैस उससे मुँह की खाई!!! 
******
आज का सफर यही तक 
आप सभी स्वस्थ रहें ,सुरक्षित रहें। 
कामिनी सिन्हा 
--

28 टिप्‍पणियां:

  1. हार्दिक आभार आपका
    सराहनीय प्रस्तुतीकरण

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर संकलन, बेहतरीन रचनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  3. क्लैव्य त्याज्य एकलव्य बनो तुम!
    मंच पर आज की चर्चा के मध्य उद्घोष करता यह वाक्य..।
    सुंदर प्रस्तुति और विश्वमोहन जी की यह रचना
    सिर्फ़ अद्भुत कह सकता हूँ।

    जवाब देंहटाएं
  4. उपयोगी लिंकों के साथ विविधता लिए हुए सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
    आपका आभार कामिनी सिन्हा जी।

    जवाब देंहटाएं
  5. संवेदना के प्रवाह से आप्लावित इस चर्चा अंक में गोते लगाकर मन भाव-विहवल हो गया! कामिनी जी को रचनाओं के इस संकलन के लिए और साथ में सभी रचनाकारों को इस भाव-प्रवाह के लिए साधुवाद!!!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सहृदय धन्यवाद विश्वमोहन जी ,सादर नमस्कार

      हटाएं
  6. संवेदनशील भावनाओं से सजी है आज चर्चा प्रस्तुति ।
    शुक्रिया जैसी कोई बात नहीं कामिनी जी । हम सब एक दूसरे के सहयोगी हैं 🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सहृदय धन्यवाद मीना जी ,आपने बिलकुल सही कहा आपने ,सादर नमस्कार

      हटाएं
  7. तकलीफ बयान होने को जब शब्द नहीं मिलते और रोने को किसी का कंधा नहीं मिलता, इंसान अकेला पड़ जाता है टूट जाता है जब उसकी डिग्निटी के साथ खेला जाता है।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सहृदय धन्यवाद ऐश्वर्या जी , सत्य कहा आपने ,सादर नमस्कार

      हटाएं
  8. संग्रहणीय रचनाओं से सजी सुंदर प्रस्तुति प्रिय कामिनी जी।
    मेरी रचना शामिल करने के लिए मन से बहुत आभार आपका।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सहृदय धन्यवाद श्वेता जी ,सादर नमस्कार

      हटाएं
  9. बहुत खूबसूरत चर्चा प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सहृदय धन्यवाद भारती जी ,सादर नमस्कार

      हटाएं
  10. नमस्कार कामिनी जी,

    मेरी रचना को चर्चा अंक में शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार और सचमुच आज की चर्चा काफी सार्थकता लिए हुए है।

    सधन्यवाद ... 💐💐

    जवाब देंहटाएं
  11. सादर आभार आदरणीय दीदी मेरे सृजन को स्थान देने हेतु .
    सादर

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सहृदय धन्यवाद अनीता जी ,सादर नमस्कार

      हटाएं
  12. सहृदय धन्यवाद सर ,सादर नमस्कार

    जवाब देंहटाएं
  13. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार सखी 🌹🌹 सादर

    जवाब देंहटाएं
  14. बेहतरीन रचना संकलन लिए हुए सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका आभार कामिनी जी।

    जवाब देंहटाएं

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