स्नेहिल अभिवादन।
रविवासरीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
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शब्द-सृजन का 25 वां अंक लेकर हाज़िर हूँ। विषय दिया गया था 'रण'
रण अर्थात युद्ध, संग्राम,संघर्ष,जंग आदि।
जीवन में रण के कई मायने हैं।
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कविवर श्याम नारायण पांडेय की एक कविता में रण का ज़िक्र कुछ इस प्रकार है-
"रण-बीच चौकड़ी भर-भरकर
चेतक बन गया निराला था।
राणा प्रताप के घोड़े से
पड़ गया हवा को पाला था।"
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राष्ट्रकवि मैथलीशरण गुप्त जी रण पर कहते हैं-
"अधिकार खो कर बैठ रहना, यह महा दुष्कर्म है;
न्यायार्थ अपने बन्धु को भी दण्ड देना धर्म है।
इस तत्व पर ही कौरवों से पाण्डवों का रण हुआ,
जो भव्य भारतवर्ष के कल्पान्त का कारण हुआ।।"
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आइए अब रण विषय पर सृजित रचनाओं पर नज़र डालते हैं-
-अनीता सैनी
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एक अदृश्य दुश्मन से
भयातुर है भीरु दुनिया
मास्क मुँह पर हाथों में दस्ताने
अनचीह्नी हो गई है
करोना-काल की दुनिया
बदली आब-ओ-हवा में
नया रण-क्षेत्र हो गई है दुनिया।
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कभी घर तो कभी दफ्तर
जीवन समर में कमर कसे
डटी रहती हैं स्त्रियाँ…
जीवन की सांध्य बेला में
रण-क्षेत्र से लौटे सिपाही सी
घर के आंगन के बीच
तुलसी-चौरे पर जलाती दीपक
झांकती हैं स्मृति कपाट की झिर्रियों से
करती रहती हैं आकलन
खोने और पाने का….
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जीवन रण
जीवन रण
दुख सुख क्रीड़ा समदृश्य
क्षण से छोटा नव,
पल में अतीत बन जाता ।
समय बस बीता जाता ।
ओस बिंदु सा फिसला पल में,
जीवन "रण "में डाल निरन्तर,
खुद कहीं छुप जाता ।
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पहाड़ों की सुरम्य वादियों और लोहित नदी के अंचल में अलग-अलग आस्थाओं को मानने वाले कई गांव बसे हुए हैं। जिनमें सबसे बड़े, विशाल और रसूखदार गांवों का नाम भाराव और चैनहीन है। दोनों के पुरातन होने के बावजूद उनकी आपस में कभी नहीं बन पाई।
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नारी : अतीत से वर्तमान तक
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नारी : अतीत से वर्तमान तक
अधिकार जरा सा मिलते ही,
वह अंतरिक्ष तक हो आयी...
जल में,थल में,रण कौशल में
सक्षमता अपनी दिखलायी......
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रण जीवन
बिखरे भाव बेंधता हिमालय पर्वत
सीने के अनगिनत घाव छिपा गया।
प्रीत की मनसा बाँधे पैरों से पाहन
श्वेत बिस्तर हिम का भा गया।
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आज सफ़र यहीं तक
फिर मिलेंगे आगामी अंक में।
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-अनीता सैनी
आज सफ़र यहीं तक
फिर मिलेंगे आगामी अंक में।
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-अनीता सैनी
रण विषय पर सृजित रचनाओं का सुन्दर संकलन।
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत आभार अनीता सेही जी।
रण विषय पर सारी रचनाएं विविधता लिए हैं |मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद अनीता जी |
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सुगढ़ प्रस्तुति अनीता जी । मेरी रचना को प्रस्तुति में स्थान देने के लिए हृदय से आभार ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढियां चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंशब्द-सृजन का सुंदर अंक।
जवाब देंहटाएंरण पर विभिन्न दृष्टिकोण दर्शातीं विचारणीय रचनाएँ।
सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ।
मेरी रचना सम्मिलित करने हेतु बहुत-बहुत आभार अनीता जी।
शानदार प्रस्तुतीकरण रण विषय पर एक से बढ़कर एक उम्दा रचनाएं...
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं
मेरी रचना को स्थान देने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार।