शीर्षक पंक्ति :डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
-- सादर अभिवादन।
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-- सादर अभिवादन।
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करोना
तुम दुनिया में
आफ़त बनकर
अकेले नहीं आए हो,
तूफ़ान,
भूकंप,
टिड्डी दल,
वज्रपात,
चीनी घुसपैठ
अपने संग लाए हो।
-रवीन्द्र
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शब्द-सृजन-28 का विषय है-
सीमा / सरहद
आप इस विषय पर अपनी रचना
(किसी भी विधा में) आगामी शनिवार
(सायं-5बजे) तक चर्चा-मंच के ब्लॉगर संपर्क फ़ॉर्म
(Contact Form ) के ज़रिये हमें भेज सकते हैं।
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आइए पढ़ते हैं मेरी पसंद की कुछ रचनाएँ-
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आज पुस्तक चर्चा में-
आज पुस्तक चर्चा में-
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मानवता का स्वप्न
कैसा दुर्भाग्य ? तेरा भाग्य
सर्वोदय की कल्पना ,
बुनता हुआ विचार,
स्वर्णिम कल्पना को आकार देता ,
खंडित करता , फिर
उधेड़ देता लोगों का विश्वास ,
नवोदय का आधार
फिर भी आंखों में अन्धकार ।
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पूत
सर्वोदय की कल्पना ,
बुनता हुआ विचार,
स्वर्णिम कल्पना को आकार देता ,
खंडित करता , फिर
उधेड़ देता लोगों का विश्वास ,
नवोदय का आधार
फिर भी आंखों में अन्धकार ।
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पूत
माँ-बाप का दुत्कारत हैं
औ कूकुर-बिलार दुलारत हैं
यहि मेर पुतवै पुरखन का
नरक से तारत है
ड्यौढ़ी दरकावत औ
ढबरी बुतावत है
देखौ कुलदीपकऊ
कुल कै दीपक बारत है।
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भाई सुन ना...।"
भानु सभी प्रश्न एक ही सांस में गटक जाता है।
राधिका रुम से सटी बालकनी में गमले की मिट्टी ठीक कर रही थी।
अचानक उसके हाथ वहीं रुक जाते हैं।
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भोर हुई मन बावरा, सुन पंछी का गान
गंध पत्र बांटे पवन धूप रचे प्रतिमान
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कोयल,
तुम किसी भी समय
क्यों गाने लगती हो?
इस भरपूर उदासी में,
जब सब घरों में बंद हैं,
तुम्हारी ख़ुशी का राज़ क्या है
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आज़ादी को देखा इसने
देखा पन्त ,निराला को ,
बालकृष्ण ,अकबर ,फ़िराक
औ बच्चन की मधुशाला को ,
बली ,महादेवी ,सप्रू यह
परिमल की अगवानी है |
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पियूष दायिनी है ये , करुणा के अवतार ।
ममता स्नेहिल जिंदगी, माँ जीवन आधार ।।
नारी के सम्मान से , सुखी होता परिवार ।
नारी को भी है सभी , नर जैसा अधिकार ।।
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तुमि विद्या, तुमि धर्म
तुमि हृदि,
तुमि मर्म
त्वम् हि प्राणा: शरीरे
बाहुते तुमि मा शक्ति,
हृदये तुमि मा भक्ति,
तोमारई प्रतिमा गडी मन्दिरे-मन्दिरे॥ ३॥
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"आपका घर बहुत सुंदर है।आपका नाम क्या है?
आप बुरा नहीं मानो तो आपसे एक बात पूछ सकती हूँ?
"जानकी ने पूछा।यह अधूरी पेंटिंग?
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सारे जीवन काम न करके
तूने सबकी वाट लगाईं
ढेरों चाय गटक ऑफिस में
जनता को लाइन लगवाई !
चला न जाना हस्पताल में
बेट्टा , वे पहचान गए तो
जितना माल कमाया तूने
घुस जाएगा डायलिसिस में
बचना है तो भाग संग संग
रिदम पकड़ कर छम छम छम ,
शाब्बाश बुड्ढे यू कैन रन !
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‘लव इन द टाइम ऑफ कॉलेरा’ प्रेम के
अनंत प्रतीक्षा का आख्यान है। यह आख्यान अपने पात्रों के माध्यम से हमारे सामने अपनी
तन्मय लय के साथ उपस्थित होता है। मार्क्वेज
के इस बेहतरीन उपन्यास और इस पर बनी फिल्म को ‘वो जो धड़कता है कहीं दिल से परे’ के संदर्भ से हम प्रेम की अनंत
प्रतीक्षा की यात्रा पर निकलें इससे पूर्व हम उपन्यास और फिल्म में विन्यस्त पात्र
की संरचना और फिल्म की बुनावट से जुड़े
लोगों की जानकरी से गुजरते हैं।
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चलते-चलते अनीता सैनी जी की पुस्तक 'एहसास के गुँचे' के प्रकाशनपर चर्चामंच की ओर से हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ-
'एहसास के गुँचे' का अनावरण करती बेटी साक्षी
ब्लॉग लिखते-लिखते ख़याल आया कि लेखन को पुस्तक का रूप दिया जाय और अपने सृजन को कॉपी राइट के तहत सुरक्षित किया जाय। प्रकाशक की खोज में अक्षय गौरव पत्रिका में प्राची डिजिटल पब्लिकेशन का विज्ञापन मिला। स्क्रिप्ट भेजी गयी जो स्वीकृत हुई। पुस्तक प्रकाशन की अनेक जटिल प्रक्रियाओं से गुज़रते हुए पुस्तक छपते-छपते लॉकडाउन का दौर शुरू हुआ तो प्रकाशन कार्य जहाँ का तहाँ रुक गया। जून 2020 में अनलॉक-1 की शुरुआत हुई तो कल (11 जून 2020) 'एहसास के गुँचे' मुझ तक पहुँची।
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आज बस यहीं तक
फिर मिलेंगे अगले सोमवार।
रवीन्द्र सिंह यादव
रवीन्द्र सिंह यादव
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वाह लाजवाब प्रस्तुति ,बेहतरीन रचनाओं का संग्रह ,मेरी रचना को शामिल करने के लिए धन्यवाद ,आपका हार्दिक आभार रविन्द्र जी
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा. मेरी कविता शामिल करने के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर आज की चर्चा प्रस्तुति.मेरी लघुकथा एवं पुस्तक अनावरण को स्थान देने हेतु सादर आभार.सभी रचनाकरो को बहुत बहुत बधाई .
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति । आदरणीय शास्त्री जी एवं अनीता जी पुस्तक हेतु बहुत बहुत बधाई ।
जवाब देंहटाएंउपयोगी लिंकों के साथ सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबिटिया अनीता सैनी को "अहसास के गुंचे" के पेरकाशन पर हार्दिक शुभकामनाएँ।
आदरणाय रवीन्द्र सिंह यादव जी आपका आभार।
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति, मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय।
जवाब देंहटाएंआभार रचना पसंद करने के लिए !!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति सर,आदरणीय शास्त्री जी एवं अनीता जी आप दोनों कोआपकी पुस्तक के लिए बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा आभार हमें शामिल करने हेतु
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री जी एवं अनीता जी पुस्तक हेतु बहुत बहुत बधाई ।
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