सादर अभिवादन।
शुक्रवार की प्रस्तुति में आप सभी विद्वजनों का
हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन।
हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन।
आज की चर्चा का शुभारम्भ सुप्रसिद्ध साहित्यकार
स्व. श्री सियाराम शरण गुप्त जी की रचना "स्नेह-रीति"से -
दीप, तू जागृत रहा है रात भर
और मैं बेसुध पड़ा सोता रहा।
हाय, अत्याचार यह निज गात पर,
स्नेह - सह तू प्रज्ज्वलित होता रहा।
प्रज्वलित होता रहा, अच्छा हुआ,
दीप बोला - "जागना मेरा सफल।
अब सुजागृति ने तुझे आ कर छुआ,
पा सकूँगा सुप्ति-सुख मैं भी विमल!
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अब प्रस्तुत है आज की चर्चा के चयनित सूत्र-
पवन बसन्ती चल रहा, झूम रहे हैं वीर।
वीर बाँकुरे चीन का, देंगे सीना चीर।।
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बासठ का युग है नहीं, अब तो है सन बीस।
भारत के है सामने, आज चीन उन्नीस।।
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लहू से सने शरीर राह की अथक ललकार
विधि ने लिखे मानव के अनकहे अधूरे थे अधिकार।
लंबे सफ़र की सँकरी गली के दूसरे मोड़ की लड़ाई
बिडंबना घाटी की पड़ोसी न बदल पाई।
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गुलाबो-सिताबो, किसी समय घुमंतू जातियों के लोगों के उपार्जन के विभिन्न जरियों में कठपुतली का तमाशा भी एक करतब हुआ करता था। इसमें ज्यादातर दो महिला किरदारों के आपसी पारिवारिक झगड़ों के काल्पनिक रोचक किस्से बना अवाम का मनोरंजन किया जाता था।
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अर्थयुग के इस मकड़जाल से किशोर और युवाओं की सुरक्षा का दायित्व अभिभावकों का है,किन्तु जब कभी अपने बच्चों की ऊर्जा की क्षमता को बिना परखे माता-पिता उससे अपने सपनों के बुझे दीप जलाने का प्रयत्न करते हैं,तो यही विभाजित ऊर्जा उनके कुलदीपक पर भारी पड़ती है।
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कलम रुक सी गई है ,
स्याही सूख गई है
शायद ।
हर्फ़ उगते से लगते हैं कभी
विचारों की टहनियों से कोंपलों के जैसे
फिर गिर जाते हैं
सूखे पत्तों से
अचानक ।
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कोरोना महामारी से हर मनुष्य को कुछ न कुछ सीख जरूर मिली है। इस काल में मनुष्य की जीवन शैली के साथ ही प्रकृति में भी बड़ा परिवर्तन देखने को मिल रहा है। इसी विषय पर मेरे बेटे ने बच्चों के लिए कुछ वीडियो बनाकर यूट्यूब पर अपने चैनल में अपलोड किए हैं ।
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बर्फीली घाटी को तुमने स्याह किया
बहती शांत नदी को तुमने दाह दिया।
मेरे अंदर जगा दिया भीषण तूफानों को,
बदला लूंगा जितना तुमने आह दिया।
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आज घर में सुबह से भागदौड़ मची थीं सर्वेंट क्वार्टर के ठीक पीछे स्वाद के लिए फेमस गोवर्द्धन स्वीट्स से बाबूजी ने जलेबी,समोसे,पाव भर मिठाई नमकीन और बिस्कुट पैक करवा लिए बिल देते हुए सेठजी बोले सुनो परिवार देख लेओ मोड़ी को जचे तो हा करियो जिंदगी भर को सवाल है ।
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अभी आकाश सूना था,
अभी नभ नीले रंग में था ।
अभी स्कूल में थे बच्चे और,
मैं अपनी छत पर बैठा था ।
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मोहब्बत के अवशेष
सब कुछ खत्म होने के बाद भी
कुछ अवशेष बचे रह जाते हैं
जो बताते हैं कि खत्म कुछ नहीं होता
रबर से मिटाने पर भी काग़ज़ पर
अक्षर अपना निशान छोड़ जाते हैं
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सदियों से प्रतीक्षा में रत
द्वार पर टिकी हुई
उसकी नज़रें
जम सी गयी हैं !
नहीं जानती उन्हें
किसका इंतज़ार है
और क्यों है
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चुपके चुपके गाने वालों !
मंद -मंद मुस्काने वालों!
थोड़ा सा हँस गा लेने से,
जीवन सदा महक जाता है।।
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सिर्फ़ 21 साल का कैरी मिनाती भारत का नंबर-1 यूट्यूबर कैसे बना यह बात सोचनेवाली हैं। इतनी कम उम्र में इतनी शोहरत पाना फटे गुब्बारे में हवा भरने जैसा मुश्किल कार्य हैं। इस लड़के के ‘यलगार’ वीडियो ने ऐसे-ऐसे रिकॉर्ड्स बना दिए, जो बड़े-बड़े फिल्म स्टार्स नहीं कर पाए।
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महारानी लक्ष्मीबाई के बलिदान दिवस पर
शब्दों के श्रद्धा सुमन
देश का गौरव
वीर शिरोधार्य थी।
द्रुत गति हवा सी
चलती तेज धार थी।
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शब्द-सृजन-26 का विषय है-
'क्षणभंगुर'
आप इस विषय पर अपनी रचना
(किसी भी विधा में) आगामी शनिवार (सायं 5 बजे)
तक चर्चा-मंच के ब्लॉगर संपर्क फ़ॉर्म (Contact Form )
के ज़रिये हमें भेज सकते हैं
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आपका दिन शुभ हो,फिर मिलेंगे...
🙏🙏
"मीना भारद्वाज"
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आपकी प्रस्तुत में भूमिका के रूप में जो पँक्तियाँ होती हैं न , वे उर्जा से भरी होती हैं। सही मायने इसे ही भूमिका कहते हैं। रही बात लिंक्स चयन की तो इस मंच की प्रारम्भ से यह विशेषता रही है कि यह किसी का भी तिरस्कार नहीं करता है,अन्य मंचों की तरह।
जवाब देंहटाएंमेरे लेख " अभिभावक-धर्म "को स्थान देने के लिए आपका आभार।
भारत के लिए प्राण न्योछावर करने वाले सभी अमर शहीदों को नमन चीन का दमन होना चाहिए आर्थिक और सामरिक दोनों तरह से
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया संकलन सभी प्रस्तुति उम्दा हे मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार
चर्च मंच में मैरी ब्लॉग पोस्ट सम्मिलित करने हेतु आभार
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, मीना दी।
जवाब देंहटाएंकरीने से सजाई हुई इन्द्रधनुषी सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीया मीना भारद्वाज जी।
भूमिका में शानदार कविता,श्री सियाराम शरण गुप्त जी की "स्नेह-रीति"सुंदर प्रेरक।
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार प्रस्तुति,
सुंदर/ उम्दा लिंक चयन।
सभी रचनाकारों को बधाई।
मेरी रचना को शामिल करने केलिए हृदय तल से आभार।
मेरी रचना (बच्चे) को चर्चामंच पर स्थान देने हेतु बहुत बहुत आभार....
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना संकलन
जवाब देंहटाएंसुन्दर सार्थक सूत्रों से सुसज्जित आज का चर्चामंच ! मेरी रचना को आज के पटल पर स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार मीना जी ! सप्रेम वन्दे !
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर एवं सराहनीय प्रस्तुति आदरणीय मीना दीदी .मेरी रचना को स्थान देने हेतु सादर आभार .
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर प्रस्तुति....मेरी रचना को इस चर्चा में जगह देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद...
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