अगर आप भारत में आविष्कारों का इतिहास ध्यान से देखें तो इस नतीजे पर पहुँच सकते हैं कि दशमलव और शून्य के बाद अपने देश में जिस सबसे महान चीज का आविष्कार हुआ है वह है ग्रुप ऑफ़ मिनिस्टर्स का सिद्धांत.भारत के सबसे बड़े देशभक्त श्री मनोज कुमार अगर आज भी फिल्म बना रहे होते तो वे अपनी किसी न किसी फिल्म के किसी न किसी गाने में दशमलव न देता भारत तो फिर चाँद पर जाना मुश्किल था की तर्ज पर यह लाइन ज़रूर डालते कि जीओएम न देता भारत तो प्राब्लम्स सुलझाना मुश्किल था.मुझे तो आशा ही नहीं बल्कि पूरा विश्वास है कि सरकार के इस ग्रुप ऑफ़ मिनिस्टर्स के सिद्धांत को देश भर के बिजनेस स्कूल्स और कॉलेज अगले सेमेस्टर से कोर्स में लगाकर धन्य हो लेंगे |
बड़े बुजुर्ग हमेशा कहते रहें हैं कि एक दिन ये विज्ञान हम सबकी मजबूरी बन जाएगा। इसका एक एक अविष्कार हमें अपने इशारे पर नचाएगा। हम नाचेंगे, बसंती की तरह। कोई वीरू ये कहने के लिए भी नहीं होगा कि इन कुत्तों के सामने मत नाचना..। ऐसे ही एक अविष्कार से मैं आपकी मुलाक़ात करता हूँ। सोच कर देखिये,ये जनाब न हों तो हमारा क्या होगा। दिन-रात और शाम, सब कुछ अधूरी होगी। |
हे शिव!तुम तो सब जानते हो तो फिर मैं क्या कहने आया हूं, ये भी जान ही रहे होगे।
हे रूद्र !ऐसी ताकत दो कि मैं दूसरे ब्लॉगर को पछाड़ सकूं,टिप्पणी दिलवाओ,पसंद पर क्लीक करवाओ, अखबारों में चर्चे हो,इसका भी जुगाड़ कर,सात सोमवार का व्रत करूंगा ।
हे महेश!...मेरा मामला अक्सर ब्लॉगवाणी पर आकर अटक जाता है, कुछ ऐसी तरकीब भिड़ा कि वहां लिस्ट में मेरा ही मेरा नाम हो । |
पार्क की एक बैन्च पर तीन मित्र बैठे है.मिश्रा, अनोखेलाल और चौबे----तीनों ही हिन्दी के ब्लागर.अब ये आपके सोचने पर है कि आप चाहे तो इसे किसी ब्लागर मीट का नाम दें या मित्रों की आपस की गुफ्तगू. अब इनमें मिश्रा और अनोखेलाल तो थे ब्लाग की दुनिया के पुराने पापी यानि कि तजुर्बेकार ब्लागर और इनके मित्र श्रीमान चौबे ब्लागिंग के नए नए रंगरूट.जिन्हे इस अद्भुत संसार में आए हुए ही मुश्किल से जुम्मा जुम्मा चार दिन ही हुए होंगें ओर इन्हे इस जंगल में धकेलने वाले भी यही दोनो मित्र थे....मिश्रा और अनोखेलाल. |
मेरी समझ काफी समझदार है लेकिन एक बात समझ से बाहर है कि आदमी भागते भूत की लंगोटी ही सही...क्यों कहता है। पहली बात तो ये विवादास्पद है कि भूत होता भी है या नहीं। वैसे लोकमान्यताओं के अनुसार भूत वह भटकती आत्मा होती है जो लोग अपने जीवन की मझधार में यमदूतों के हत्थे चढ़ जाते हैं और यमराज उन्हें स्वीकारता नहीं। न तो उन्हें स्वर्ग में एडमीशन मिल पाता है और न ही नर्क में। इधर परिवार के सदस्यों को इस अजीबो गरीब समस्या पर विचार करने की फुरसत नहीं होती क्योंकि वे लोग उसके शरीर को आग को समर्पित कर बीमा कंपनी के चक्कर लगा रहे होते हैं। कहां मिलती है फुरसत।
क्या हुआ जो ना चढा पोस्ट ब्लोगवाणी पर वाह-वाही ना मिली छोटी-बङी नादानी पर!! मैने जो कविता कहा तुने वही कहानी लिखी
कुछ ने चटका न भरा ब्लोग की दिवानी पर
उनकी झूठी,मामुली बातें चढी जो आसमां
अपनी बातें रेत में जो दब गयी वीरानी पर!!
खुद के शब्दों पे खुदीने खुद बजायी तालियां
हो गये हैं बूढे मगर इतरा रहे जवानी पर!! |
नमस्ते.............आज सुनिए........श्री रूपचन्द शास्त्री “मयंक” जी द्वारा रचित एक फागुनी गीत“
फागुन की फागुनिया लेकर,आया मधुमास!
........इस गीत की लय के लिए रावेन्द्रकुमार रवि जी की आभारी हूँ ....... |
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(cartoonist Kirtish bhatt)
| (cartoonist Irfaan)
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(cartoonist Kajal kumar)
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बहुत बढ़िया रही आज की चर्चा!
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आपसे कल 18 जून को भेंट करूँगा!
अच्छे कार्टून देखने को मिले इस चर्चा में.. बस मोदी वाले से सहमत नहीं हूँ..
जवाब देंहटाएंअच्छी हास्य चर्चा
जवाब देंहटाएंहा हा हा आज तो कर्टूनों की बहार आई हुई है. आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया रही आज की चर्चा!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा,वत्स साहब !
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया रही आज की चर्चा!
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा तो बहुत ही अच्छी लगी।
जवाब देंहटाएंकार्टून अच्छे मिले देखने को ..बढ़िया चर्चा.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा!
जवाब देंहटाएंवाकई ग्रुप ऑफ़ मिनिस्टर्स का कॉन्सेप्ट बहुत बढ़िया है.. अच्छी क्लास ली है इस मुद्दे पर। रही बात भागते भूत की, तो आज तक तो यही पता नहीं चल पाया है कि भूत भी होता है या नहीं.. भोपाल पर कार्टून बहुत शानदार रहा.. चर्चा में खूब मज़ा आया...
जवाब देंहटाएंbadhiya charcha.
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