दोस्तों
एक नयी शुरुआत
एक नये दिन के साथ
एक नये अन्दाज़ में
कुछ कहे –अनकहे ब्लोग
आपके मनपसन्द अन्दाज़ में
लेकर आयी हूँ…………
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मौन के खाली घर में... ओम आर्य -
*जब कविता लिखना हो एक आदत और बिना कोशिशों के छूटती जाती हों सब आदतें लिखते वक़्त बहुत सारी पंक्तियाँ रह जाती हों बाहर और भींग कर गल जाती हों बारिश में जब बैठ जाते हों हम टेबल पर पाँव फैला कर पिता के सामने भ...
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मेरे पापा को तो बर्दाश्त करना मुश्किल होता जा रहा है! - कुछ वर्ष पहले एक ब्लॉग में इसे पढ़ा, अच्छा लगा, कॉपी कर संजो लिया। इस बार,
जून माह के तीसरे रविवार को मनाए जाने वाले फादर्स डे
*(पितृ-दिवस कहना बैकवर्ड मान...
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मेरी बस चले तो मैं नवभारत टाइम्स को भी गाकर पढूं : जैसा हिन्दी ब्लॉगर अविनाश वाचस्पति ने सुना - यह कहना है प्रख्यात गीतकार और कवि सोम ठाकुर का और यह उन्होंने कल इन सबके सामने एक अनौपचारिक बातचीत में कहा। और इस कहन में संशोधन किया है अविनाश वाचस्..
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बजाज- सिर्फ नाम ही काफी है... - जल संवर्धन एवं संरक्षण की दिशा में पिछले पांच वर्पो में रायपुर जिले में अनेक उल्लेखनीय एवं सराहनीय कार्य हुए हैं।
जिला पंचायत के अध्यक्ष अशोक बजाज ने 20...
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काव्यशास्त्र-19 - काव्यशास्त्र-19 *आचार्य वाग्भट्ट* आचार्य परशुराम राय कुछ काल तक गुजरात का अनहिलपट्टन राच्य जैन विद्वनों का केन्द्र था। आचार्य हेमचन्द्र, रामचन्द्र.
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“कसाइयों के देश में?” (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’) - *नम्रता उदारता का पाठ, अब पढ़ाये कौन? * *उग्रवादी छिपे जहाँ सन्तों के वेश में। * * * *साधु और असाधु की पहचान अब कैसे हो, * *दोनो ही सुसज्जित हैं, दाढ़ी और क...
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ऐसे ढूंढ़ा है तुझे भीड़ भरी दुनियाँ में............... - -अरविन्द कुमार ’असर’ जो तेरे साथ गुज़ारा वो ज़माना ढू़ढ़े।। दिल मेरा फिर से वही वक़्त..
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प्यार को जो देख पाते:रचना श्रीवास्तव - *जन्मः** ५ सितंबर लखनऊ में *** *शिक्षाः** स्नातक साइंस**, **परास्नातक हिन्दी*** *विधाएँ: बालकथा , कहानी , कविता *** *रेडियो कवयित्री २००४ से अब तक**, **...
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जबलपुर में रंग संवाद - रिपोर्ट विगत दिनों, जबलपुर मध्य प्रदेश में *समागम रंगमंडल एवं युवा संवाद* के तत्वाधान में नाटक आयोजित किये गए.
जिस से शहर में सांस्कृतिक गरिमामय माहौल तैयार...
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कार्तिक बड़ा प्यारा, पापा का दुलारा ! - आज सुबह की पोस्ट मैंने एक पुत्र की हैसियत से लिखी थी और मेरी यह पोस्ट एक पिता की हैसियत से है ........आशा है आप सब को पसंद आएगी ! मेरा एक बेटा है, कार्...
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मां की जगह बाप ले नहीं सकता, लोरी दे नहीं सकता...खुशदीप - अस्सी के दशक के शुरू में *नर्गिस *की कैंसर से मौत के बाद उनके पति *सुनील दत्त* ने एक फिल्म बनाई थी *दर्द का रिश्ता*...उस फिल्म से *खुशबू* ने बाल कलाकार के ...
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फादर्स डे पर एक प्रस्तुति एक बाप की मज़बूरी - *बेबसी * एक दिन एक रोजगार बाप , अपने बेरोजगार बेटे की किसी बात पर खुश हो गया | और अनजाने में अपनी उम्र उसको लग जाने का , आशीर्वाद दे गया |
जब उसे कुछ ध्यान...
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हे, पिता! मनुष्य को बचा लो - हे पिता, तुम्हें शत-शत प्रणाम. तुमने मुझे इस दुनिया में मनुष्य के रूप में आने का अवसर दिया, अपने रक्त से मेरे मष्तिष्क को, ह्रदय को सींचा, इसके लिए मैं तुम...
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डबल ख़ुशी का दिन --- १००वी ब्लॉग वार्ता ,१००वा फादर्स डे - आज तो ख़ुशी का अवसर हैं! आप पूछेंगे क्यों? तो बता देते हैं! आज १००वा फादर्स डे मनाया जा रहा हैं और साथ ही ब्लॉग वार्ता की यह १००वी ब्लॉग वार्ता हैं! तो ...
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पिता जी की पावन स्मृति को प्रणाम - पिता का हाथ, सन्तान के लिए रब के हाथ से कम नहीं होता पिता का साया साथ हो, तो दुनिया के किसी ताप का ग़म नहीं होता पिता के आशीर्वाद से बढ़ कर कोई शफ़ा नह...
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पिता - पिता वो हैं जो जीवन राह पे चलना सिखाते हैं । डगर कैसी भी हो हर हाल में बढ़ना सिखाते हैं । जो हम गिरते संभलते हैं वो बढ़कर थाम लेते हैं । हमारी हार में...
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और अन्त में-
पिता बिना नही मिलता जीवन, ..!! - पिता बिना नही मिलता जीवन, न मिलती पहचान ,पिर्तु बिना ना मिलती जग में ,आन-बान और शान ॥पिता हमारे- तुम्हारे दोष- गुणों का परमाण होता है ,तुम सगुणी तो पिता है...
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छपते-छपते यह पोस्ट भी देख लीजिए
यह कैसी गुस्ताखी ...?
रचना को चोरी करते तो सुना था
लेकिन कोई रचना को अपने ढंग से सुधारकर यह कहे कि
भाइयों वैसा नहीं ऐसा लिखा जाना चाहिए तो इसे आप क्या कहेंगे।
देश के प्रसिद्ध कवि एवं ब्लॉगजगत के हरदिल अजीज रूपचंद शास्त्री के साथ
देश के प्रसिद्ध कवि एवं ब्लॉगजगत के हरदिल अजीज रूपचंद शास्त्री के साथ
हाल-फिलहाल तो ऐसा ही कुछ हुआ है।
किसी प्रेमनारायण शर्मा ने उनकी एक रचना में मामूली सा फेरबदल करते हुए
रचना को तोड़ने-मरोड़ने का प्रयास कर डाला है।
किसी फिल्मी गीत की पैरोडी बनते तो सुना था
लेकिन किसी साहित्यिक रचना की तीन-पाँच होते हुए पहली बार देख रहा हूँ।.......
चमक और दमक में, कहीं खो न जाना! कलम के मुसाफिर, कहीं सो न जाना! जलाना पड़ेगा तुझे, दीप जगमग, दिखाना पड़ेगा जगत को सही मग, तुझे सभ्यता की, अलख है जगाना!! कलम के मुसाफिर...................!! सिक्कों की खातिर कलम बेचना मत, कलम में छिपी है ज़माने की ताकत, भटके हुओं को सही पथ दिखाना! कलम के मुसाफिर...................!! झूठों की करना कभी मत हिमायत, अमानत में करना कभी मत ख़यानत, हकीकत से अपना न दामन बचाना! कलम के मुसाफिर...................!! |
प्रेम नारायण शर्मा ने लगाई रचना की वाट चमक और दमक में, कहीं खो न जाना! कलम के मुसाफिर, कहीं सो न जाना! जलाना पड़ेगा, तुम्हें दीप जगमग, दिखाना पड़ेगा, जग को सही मग, इस जग से बेरूख, कहीं हो न जाना! कलम के मुसाफिर..........!! सिक्कों की खातिर कलम बेचना मत, हार करके आखिर कलम फेंकना मत, देख हालत जहाँ की, कहीं रो न जाना! कलम के मुसाफिर..........!! झूठों की करना, कभी मत हिमायत, अमानत में करना, कभी मत ख़यानत, भूलके भी ऐसा बीज, कहीं बो न जाना!
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इसके साथ ही आज का चर्चा मंच
यहीं पर समाप्त करती हूँ!
आज की रंग-बिरंगी चर्चा मनभावन है!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा, आपका बहुत बहुत आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा....सुन्दर और विस्तृत
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा ...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा...
जवाब देंहटाएंआभार्!
साधु, उत्तमा चर्चा !!
जवाब देंहटाएंधन्यवादार्हः
बढ़िया चर्चा
जवाब देंहटाएंवाह!
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स!!
बढिया चर्चा!!!
अच्छी व शानदार चर्चा के लिए आपका आभार
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