------------------
------------------
आज चर्चा मंच पर देखिए-
पोस्टों के शीर्षक ही शीर्षक!
------------------
------------------
------------------
------------------
------------------
------------------
------------------
------------------
हाय! मैं क्या करुँ मेरा ऐसा नसीब है
------------------
------------------
------------------
------------------
------------------
------------------
------------------
और अन्त में देखिए ये कार्टून
------------------
------------------
आईये जानें .... क्या हम मन के गुलाम हैं!
जवाब देंहटाएंये सिर्फ शीर्षक वाला प्रयोग भी बढ़िया लगा | शुभकामनाएँ |
जवाब देंहटाएंअच्छी लगी शीर्षक चर्चा भी.
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा| मेरा ब्लोग रख्ने के लिये आभार| शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंझक्कास शीर्षक चर्चा ...अच्छे लिंक्स ..!!
जवाब देंहटाएंचर्चा में कार्टून को भी स्थान देने के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंबढ़िया
जवाब देंहटाएंये अन्दाज़ ज्यादा अच्छा है …………………ज्यादा लिंक्स मिल जाते हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया शीर्षक चर्चा....
जवाब देंहटाएंशीर्षक प्रयोग भी बढ़िया रहा .
जवाब देंहटाएंवाह .. बढिया !! मेरे ब्लॉग को स्थान देने के लिए आभार !
जवाब देंहटाएंये प्रयोग भी अच्छा लगा.....बढिया चर्चा!
जवाब देंहटाएंये अन्दाज़ भी अच्छा है ....
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा
जवाब देंहटाएंsundar aur sasta jaisa laga ye prayog . aaj ki charcha k liye badhayi.
जवाब देंहटाएंye naya prayog laga..aap bhi na shastri ji kuch na kuch naya krte hi rehte hain..accha laga..
जवाब देंहटाएंअब टिप्पणी-चर्चा की बारी है!
जवाब देंहटाएंआगया है अब टंगडीमार ले दनादन दे दनादन। दुनिया याद रखेगी। जरा संभलके।
जवाब देंहटाएंटंगडीमार
मजा आ गया ...
जवाब देंहटाएंये भी अच्छा है लिंक हैं तो पोस्ट तक तो पहुँच ही जायेंगे.. :) आभार..
जवाब देंहटाएं