देखिये के. सी. वर्मा जी आँखों की दीवानगी किस कदर पेश कर रहे हैं..भीग जाती थी तेरी आँखें...!!! | |
पढ़िए इन्हें भी..क्या 'ब्लॉगवाणी' सचमुच ब्लॉग जगत का माहौल खराब कर रहा है? (संदर्भ: पसंद/नापंसद चटका) | |
किशोर चौधरी बता रहें हैं एक गरीब युगल की कहानी पक्की जमानतहवेली के पिछवाड़े में बने टीन के छत वाले एक कमरे के घर में कभी ज्यादा ख़ुशी होती तो आलू की जगह पकौड़े तले जाते और कभी रामखेर शाम को घर लौटते ही अपनी बजरिया के हाथ पकड़ कर बोलता आज इन सुंदर हाथों को सिर्फ आराम करना है और अपनी सायकिल से पोलिथीन की थैली में बाँध कर लाया हुआ गरम खाना बजरिया के हाथों में रख देता. | |
वे पहले रेलवे में स्टेनों थीं, बाद में चीफ जस्टिस बनींभारत के किसी हाईकोर्ट की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश लीला सेठ की आत्मकथा से गुजरते हुए इस राजनीति के दर्शन बार-बार होते हैं. घर और अदालत नाम से आई जस्टिस लीला सेठ की आत्म कथा पढ़िए और जानिए उनके बारे में.. |
अगले जन्म में सुबह भी जल्दी उठूंगा। लिस्ट में यह भी शामिल।आलोक मोहन नायक जो सहारा समय में पत्रकार हैं बता रहे हैं आपको अपने अगले जनम की लिस्ट....और पूछते हैं क्या बनायीं है आपने भी उन जैसी कोई लिस्ट... इस सुबह का मजा शायद उन रातों से कहीं ज्यादा है। मजा अंदर का है। बाहर का नहीं। और सुबह अँदर ले जाती है। रात बाहर। सुबह उठकर तुम्हें अकेले भी मजा आता है। |
फिर भी बनाऊँगी मैं, एक नशेमन हवाओं में..मेरे इश्क का जुनूँ,
तेरे फ़रेब मसलते हैं मुझे मेरे ही ग़म की छाँव में, |
वजन कम रखने का तरीका -सतीश सक्सेना सतीश सक्सेना जी बता रहे हैं जवान कैसे बने.. दिन की शुरुआत नाश्ते में एक भुना आलू आधा चम्मच मक्खन के साथ , और पूरे दिन केवल कच्ची हरी सब्जियां और वेज सूप खाइए ..पानी खूब पीना है |
पी.सी. गोदियाल जी बता रहा हैं..दर्द की इक दुकाँ खोल ली मैंने !झंझटों की पोटली मोल ली मैंने,
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मेरा फोटो" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhzh-1kW-hJ2RVpr1awm0vaeuAHOi-qY2C4pSVwq5A0oj0G7-V7e3B0rM_RAj6DHDEQudina81cI6jgC43gGZ3BA2OGFUm7yd5pr2R_7jk6-ECPg6ih-d6lJop5rVqr8u-aqqGcxnk557Nv/s220/Image(038).jpg" width=129 height=113> श्याम रंग में रंगी वंदना जी
प्रीत चुनरिया ऐसी ओढ़ी
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शादी निभाने के लिए क्या आवश्यक है ... ..." प्रेम " या "समझौता" ...?वाणी गीत जी जानना चाहती हैं आपके विचार..
सफल वैवाहिक जीवन के लिए क्या आवश्यक है..प्रेम या समझोता ? |
मेरे लेखन का सफर : स्मृतियाँ कुछ तिक्त कुछ मधुर (६)मेरा फोटो" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhcCOPmKp8MSV6XOF97By2CVZORDYW71zkb0Uh2RGTfzCSN-iqWYwt0TtR_U29e-0ZjbONMY7DwED_J6ivLk-XQsfRfOrc5mwPACOsp2oXHLAcXFL7oqT-ttUjbIvqLl_KQaSAH_lBa4PPl/s220/OgAAAPrkBSIa4mzzdAxLez2i0UWK1URzjY_f8hh2B6abMI7U5S9kmdjXPr4WdtYdsJjvrwoaTvzFYoP4EerkMeQxERYAm1T1UCgpuCMS6B7m1vG6ubUpO9UycanZ.jpg"> रेखा श्रीवास्तव जी बाँट रही है आप के साथ कुछ खुशियों के पल और पेश कर हैं अपनी वो कविता जो उन्होंने पहली बार किसी के आगे प्रस्तुत की...और उन्हें पुरूस्कार से भी नवाज़ा गया.. सीता पूजिता
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प्रकांड, गैंडा और सरकंडा
श्री अजीत वडनेरकर कर रहे हैं शब्द की तलाश और बता रहे हैं...शब्द की तलाश दरअसल अपनी जड़ों की तलाश जैसी ही है।शब्द की व्युत्पत्ति को लेकर भाषा विज्ञानियों का नज़रिया अलग-अलग होता है। मैं न भाषा विज्ञानी हूं और न ही इस विषय का आधिकारिक विद्वान। जिज्ञासावश स्वातःसुखाय जो कुछ खोज रहा हूं, पढ़ रहा हूं, समझ रहा हूं ...उसे आसान भाषा में छोटे-छोटे आलेखों में आप सबसे साझा करने की कोशिश है... संस्कृत की कण् धातु में निहित हिस्सा, शाखा, भाग, लघुतम अंश जैसे अर्थों से ही इसमें अध्याय या प्रसंग का भाव विकसित हुआ। घास प्रजाति के पौधे के लिए भी कांड शब्द प्रचलित हुआ जिसमें बांस से लेकर गन्ना भी शामिल है। |
अलका सर्वत मिश्रा जी बता रही हैं कुछ तकलीफ देह बिमारियों के छोटे छोटे इलाज..भला नीबू में क्या खासियत यही रस भोजन के पहले अदरख और काला नमक मिला कर पीजिये तो भोजन आराम से पचेगा.... http://www.merasamast.com/अजीब सी तकलीफ है |
बस आँखों में दिखता पानीरचना तिवारी जी की जुबानी... मेरा फोटो" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhk5_HpkaS_fGe1YLIb1xG2K6iu-_DGN79Yix5aXp-p_QOS0TC_7Po_lehYtTEp3VurJ0-Fr_wVg4-cP4dUUgebgF6ABbQXg14YyHHlAjhz7J2c0zthjrUyCnW_MtOiR30EWkc4dqlFKxI/s220/IMG_3237.JPG" width=175 height=153> अब रक्षक को भक्षक कहिए,कलियां रौंद रहे है माली लोग तमाशा देख रहे हैं,किसकी आंख से छलका पानी। खेती किस किस से जूझेगी,किसका किसका हल ढूंढेगी एक साथ इतने संकट हैं,आंधी,बिजली,सूखा,पानी। |
वृद्धग्रामवृद्ध ग्राम में बता रही हैं...बुढापे को करीब से जानने की...आओ हम सब जिस ओर अग्रसर हैं...उसे जाने तो सही... |
संगीता स्वरुप जी गांधारी से पूछ रही हैं कुछ सवाल..सच बताना गांधारी !पर सच बताना गांधारी क्या यह तुम्हारा सहज , सरल, निर्दोष प्रेम था ? दया थी पति के प्रति या फिर मन का क्षेम था ? |
अनु चौहान की ताज़ा पोस्टअनु चौहान पिछले 7 सालों में दैनिक भास्कर, दिल्ली प्रेस, राष्ट्रीय सहारा व अमर उजाला में खट्टे-मीठे वर्किंग एक्सपीरियंस का मजा ले चुकी हैं। इन अनुभवों ने उन्हें आज रेड चिली बना दिया है। रेड चिली बोले तो तीखी लाल मिर्ची। फिलहाल पिछले 2 साल से वह नवभारत टाइम्स से जुड़ी हैं और वहां के माहौल को चटपटा बना रही हैं। जो लड़की शर्माई नहीं, वह हो गई चरित्रहीन.. |
गुजरात राज्य के पुलिस विभाग का मोरल ऐसा टूटा कि अहमदाबाद में पेशेवर दस्ते अपना कमाल दिखाने लगे, कई स्टेबिंग हुए हमलावरों में खाकी का डर गाइब हो गया है किसी अपराधी को गुजरात पुलिस थप्पड़ मारने से पहले अब सौ बार सोचने लगी है क्यों- ऐसे माहोल में कब क्या हो जाये कहा नहीं जा सकता. उपरोक्त ग़ज़ल इसी पसमंज़र की है डॉ. सुभाष भदौरिया ने.फिर शहर में नाचेंगे ख़ंज़र,फिर शहर में बरसेंगे शोले.
ग़ज़ल
http://subhashbhadauria.blogspot.com/ |
हां..! ये शाम उस शाम से जारी हर शाम पर भारी
आओ..
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जमीर बेच कर हासिल की है दो गज जमीनपोलखोल के ब्लोगर पत्रकार हाज़िर कर रहे हैं एक व्यंग्य रचना..दो प्रोपर्टी डीलर कब्रिस्तान के पास आपस में बात कर रहे थे।
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लो जी आपने कभी सुना है की आज तक कोई महिला ट्रक मेकेनिक के बारे में...लीजिये पढ़िए हमारे देश की पहली ट्रक मेकेनिक महिला की कहानी..पूर्णिमा वर्मन की जुबानीमन के मंजीरे |
http://lifeteacheseverything.blogspot.com/2010/06/www.google.com
रश्मि प्रभा जी निराशाओं में भी अपने मन को आशाओं का किनारा दिखा रही हैं.... फिर भी ख्वाब कुछ संजीदा से हैं आँखों में अकेलेपन की नदी है मुस्कान .... फिर भी. |
आज शास्त्री जी समझा रहे हैं कुछ ऊष्म और संयुक्ताक्षर ...पढ़िए एक मनोरम बाल कविता उनकी जुबानी..
“ऊष्म और संयुक्ताक्षर” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”) |
स्टार न्यूज़ के एंकर श्री अनुराग मुस्कान पूछते हैं आप से कुछ सवाल...आप ज़िदा हैं या मर गए...? हो जाए एक छोटा सा टेस्ट... |
बहुत ही सुन्दर चर्चा रही आज की!
जवाब देंहटाएं--
अनामिका जी आपने बहुत ही
परिश्रम और सूझ-बूझ के साथ
लिंक इकट्ठे किये हैं!
--
बहुत-बहुत बधाई!
आपके द्वारा चुनी गईं पोस्ट पढ कर बहुत अच्छा लगा | सुंदर रचनाओं को एक साथ पढ़ने का
जवाब देंहटाएंमजा ही कुछ और है |बधाई
सुंदर चर्चा के लिए भी |
आशा
nice
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा ..
जवाब देंहटाएंचर्चा में शामिल किये जाने का बहुत आभार ....!!
bahut acchi charcha...pasand aaii...
जवाब देंहटाएंaabhaar..
बहुत ही बढ़िया चिट्ठा चर्चा...सुंदर सुंदर पोस्ट पढ़ने को मिले..बधाई
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा.....मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा चर्चा...आभार.
जवाब देंहटाएंवाह भई अनामिका!चिटठा चर्चा कक्या की तुमने तो जैसे एक खूबसूरत मेगजीन को एडिट कर दिया हो,हर प्रकार की रचनाये और हर विषय मिल गया यह.बधाई और प्यार
जवाब देंहटाएंis baar khubsurat nahi kahunga.........bahut achchhi kahunga
जवाब देंहटाएंaur aabhar jo itne achchhe links diye aapne.
aapka introduction, aapki lekhni jaisa hi meetha sa tha :)
dhanyawaad
अच्छी चर्चा !
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा लेकिन आज चित्र कुछ फैले -फैले से लग रहे हैं
जवाब देंहटाएंइस चर्चा मंच कि प्रस्तुति से - सारे दिन कि गति विधियों पर एक विहंगम दृष्टि डालने का अवसर मिल जाता है. चुना हुआ और पठनीय और विचारणीय भी. हम जैसे वक़्त के मारों के लिए ये कैप्सूल है. जिसमें सब कुछ समाहित है. मेरी रचना शामिल करने के लिएधन्यवाद.
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा!
जवाब देंहटाएंचर्चा में शामिल किये जाने का बहुत आभार!
बहुत उम्दा चर्चा...आभार|
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर चर्चा रही…………………काफ़ी लिंक मिल गये और आखिरी लिंक बहुत ही पसन्द आया।
जवाब देंहटाएंSundar Charchaa.
जवाब देंहटाएंall references are fine
जवाब देंहटाएंअनामिका जी
जवाब देंहटाएंकविता को चर्चा में लाने का हार्दिक आभार
व्यस्तता के कारण देख न सका था माफ़ी चाहता हूं. सारे लिंक देखता हूं फ़िर और लौटूंगा यहा पुन: आभार