आज बृहस्पतिवार के दिन
पं.डी.के.शर्मा वत्स जी की आज्ञा से
आपको पिछले 24 घण्टों की
कुछ ताजा-तरीन पोस्टों की ओर ले चलता हूँ!
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आइए सबसे पहले ले चलते हैं आपको इन्दौर
जहाँ से ताऊ रामपुरिया चेतावनी दे रहे हैं-
चेतावनी : इस
पोस्ट को कृपया ब्लागर गण ना पढें. - आदरणीय
ब्लागर गणों, आज मैं आप सभी को यहीं से चेता देना चाहता हूं कि प्लिज...प्लिज...आप
यह पोस्ट यहां से आगे मत पढिये. तो आप पूछेंगे* "प्यारे जी" * जब आपने ब...
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अब ललित डॉट कॉम में सुनिए-
विमोचन समारोह में काव्य पाठ एवं गिरीश पंकज जी का
व्याख्यान--सुनिए - कार्यक्रम स्थल पर हमारे
पहुंचने के पश्चात कवि सम्मेलन का कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। इस कवि सम्मेलन में श्री
आरिफ़ जी गोंदिया वाले, अनिता कम्बोज, डॉक्टर शाहिद स...
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विदेश की सैर पर गई
श्रीमती डॉ.अजित गुप्ता लिखती हैं-
बताओ
भारतीयों ( Indians) तुम्हारे पास क्या है? मेरे पास ----- है। - अमेरिका में प्रत्येक भारतीय की जुबान पर एक ही बात रहती है कि
भारत में क्या है? यहाँ कितना चुस्त प्रशासन है, पुलिस कितनी रौबदार है, सड़कों का
जाल बिछा है, सा...
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अरे वाह...! यह पोस्ट तो बहुत ही बढ़िया है-
अब अपनी औकात में रहने लगी है वह .... - अब वह कुछ नहीं कहती चुप ही रहती है या यूँ कहूँ कि वह अब अपनी
औकात में रहती है ... भीड़ भरे बाजार में सौदा सुलफ करते टकराते हैं लोग चुन्नी
संभालती बच कर निकल...
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अब देखिए खुशदीप सहगल जी ने
ब्लॉगवाणी से क्या अर्ज किया है?
ब्लॉगवाणी, सुन ले अर्ज़ हमारी...खुशदीप - *ज़रा सामने तो आओ छलिए,* * * *छुप-छुप छलने में क्या राज़ है,*
* * *यूं छुप न सकेगा परमात्मा,* * * *मेरी आत्मा की ये आवाज़ है...
* सोच रहे
होंगे, क्यों सुना र...
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आसमान के आँचल के राज का पर्दाफास तो
यहाँ भी किया गया है!
गगनांचल के अंदर क्या है : एक आंचल में इतना गगन समाया कैसे : जानना
चाहते हैं - आइये जानते हैं *गगनांचल *क्या
है भीतर क्या है बाहर तो दिखला दिया है आवरण *मनीष वर्मा* का रचा है प्रवासी
साहित्य के पक्ष-विपक्ष पर पेश है प्रस्तुति *लाल...
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पी.सी.गोदियाल जी ने दुकान खोल ली है
यहाँ आकर आप खरीदारी कर सकते हैं!
समीप तेरे मकाँ खोल दी मैंने ! - समीप तेरे मकाँ खोल दी मैंने. इक अपनी दुकाँ खोल दी मैंने, चाहे
तो जी भर खरीददारी कर न चाहे तो फुकां खोल दी मैंने ! हुश्न पे जिया जो , हुश्न पे
मरेंगा , वादाख...
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तेताला की चर्चा बहुत दिनों से नही की गयी थी!
लगे हाथ यह भी देख लीजिए-
विज़ुअल चर्चा - विभिन्न
ब्लागों पर दिखाई दिए चित्र इस पोस्ट में संकलित करने का प्रयास किया गया है. यदि
आप केवल चित्र का अवलोकन कर तृप्त हैं तो आपका स्वागत है. यदि चित्र ...
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यह सटायर पुराना जरूर है
लेकिन महक आज भी बरकरार है!
काम
का भी कोई बहाना बना लो... - *एक पुराना
सेटायर...* आबिदा परवीन की गाई एक गजल का शेर आज याद आ रहा है, 'मिलना चाहा तो किए
तुमने बहाने क्या-क्या,
अब किसी रोज न मिलने के बहाने आओ..। यकीन ...
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दिल्ली पुलिस का चेहरा दिखा रहे हैं
श्री अनुराग शर्मा जी!
गर्व से कहिये "दिल्ली पुलिस जिन्दाबाद" - " दिल्ली पुलिस का काला चेहरा एक बार फिर सामने आया है। आरोप है
कि एक बेहद गरीब परिवार के दो बच्चों को दिल्ली के राजौरी गार्डन इलाके की पुलिस
चोरी के इल्जाम ...
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यहाँ पढ़िए रतनसिंह शेखावत जी का एक संस्मरण!
वो बूढी जाटणी दादी - चेहरे पर
झुर्रियां ,थोड़ी झुकी हुई कमर और लाठी के सहारे चलती , लेकिन कड़क आवाज वाली उस बूढी
जाटणी दादी की छवि आज वर्षों बाद भी जेहन में ज्यों कि त्यों बनी हु..
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यहाँ एक सूचना आपके लिए है!
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राजनीतिक आशंका और वह भी बिहार की
देखिए यह भविष्यवाणी-
नीतीश कुमार दोबारा सत्ता में आएंगे? - बिहार की नीतीश कुमार की सरकार क्या दोबारा सत्ता में आ पाएगी ?
यह एक दिलचस्प सवाल है। नीतीश कुमार एंड कंपनी, बिहार विधानसभा चुनाव में
अपने काम
के भरोसे दोब...
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अलबेले जी की अलबेली बात
अलबेला मगर गम्भीर लेखन!
अलबेला मगर गम्भीर लेखन!
देखिए तो सही-
ऐसे मौके बार बार नहीं आते - अगर आप कवि या शायर हैं तो कृपया इस
पोस्ट को बहुत गंभीरता से लें - प्यारे
स्वजनों ! यदि आप समझते हैं कि आप एक अच्छे हास्य -व्यंग्य कवि हैं या एक उम्दा
मज़ाहिया शायर हैं तो इस पोस्ट को गंभीरता से लेते हुए तुरन्त मेरे ...
और ये रहा दुनिया का सबसे छोटा चुटकुला--
एक बुढ़िया बचपन में ही मर गई - दुनिया का सबसे छोटा चुटकुला : एक बुढ़िया बचपन में ही मर गई
_____ हो सकता है इस से भी छोटा चुटकुला अथवा इस से भी मज़ेदार चुटकी किसी के पास
हो, पर अपने प...
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व्लॉगिंग के शुरूआती दिन और
जुड़ते हुए रिश्तों से रूबरू करा रहे हैं
हरि शर्मा जी!
मेरी
ब्लॉग यात्रा और नए नए रिश्ते - 1 - तोप ना
बाबा बा - अब तोप का क्या काम, चलो ब्लॉग निकालते हैं ब्लॉग जगत में कुछ रिश्ते बन
जाते है वो रिश्ते हमको याद बहुत ही आते हैं हम पहले चैटिंग ...
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मनोज कुमार जी लेकर आये हैं
देसिल बयना की 33वीं कड़ी-
देसिल बयना -
33 : हुआ ब्याह करेगा क्या... - -- करण
समस्तीपुरी राम-राम ! उफ़... ! गाँव दिश तो बड़ी गर्मी है। हालांकि पले-बढे तो वही
में मगर अब उ बात तो रहा नहीं न.... !
सुनते हैं, गिलोबल वारमिन (ग्लोबल...
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आज अन्तस्थ है, इसके बाद ऊष्म
और व्यञ्जनावली पूरी हो जाएगी!
“व्यञ्जनावली-अन्तस्थ” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”) -
[image: antasth] * **“य” * * “य” से यति वो ही कहलाते!
जो नित यज्ञ-हवन करवाते! वातावरण शुद्ध हो जाता, कष्ट-क्लेश इससे मिट जाते! **
**“र” * *“र” रसना को...
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शिक्षा और आत्मविकास - कथा
कहानियों से मेरा लगाव संभवतः जन्मगत ही था ,जो स्वतः ही मुझे इसके विभिन्न श्रोतों
से सदैव ही जोड़ता रहा..कथा संसार में तन्मयता से विचरण कर नित नवीन अनुभव...
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नारी की सदियों-सदियों से यही कहानी है!
सहना-सहना सहते रहना, नारी की लाचारी है!!
सहना-सहना सहते रहना, नारी की लाचारी है!!
मैं लड़की होने की सजा पा रही हूँ ..... - 'इज्ज़त' 'आबरू' ये महज शब्द नहीं हैं नकेल हैं, जिनसे बंधा है
मेरा वजूद ये कील हैं, जिनसे टंगा है मेरा मन ये रस्सी है जिससे बंधा है मेरा पेट
और ये हथकड़ी ह...
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पं.डी.के.शर्मा वत्स जी का संस्मरण!
इज्जतदार आम आदमी - वह उदास और
परेशान सा मेरे पास आया. उसके चेहरे पर घबराहट के चिन्ह स्पष्ट दिखलाई पड रहे थे.
मैने पूछा "क्या हुआ! ये इतने घबराए हुए से क्यूं हो ?" बोला" देख नह...
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जाने-माने पत्रकार और निर्भीक ब्लॉगर
राजकुमार सोनी का बिगुल लगातार
राजकुमार सोनी का बिगुल लगातार
आपको जाग्रत करता है!
आज यहाँ पढ़िए-
मैं तुम्हारे बच्चे की मां बनने वाली हूं - क्या आप जानते हैं कि एक हिन्दी फिल्म की कहानी कुल सौ संवादों
के आसपास ही घूमती है। आज मैं जिन संवादों का जिक्र करने जा रहा हूं उन संवादों को
आपने सैकड़ो ब...
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अरे यह तो बहन रंजू भाटिया जी हैं!
पढ़िए इनकी सुन्दर रचना!
संदेशे तब और अब - यूँ ही बैठे
बैठे याद आए कुछ बीते पल और कुछ .... भूले बिसरे किस्से सुहाने क्या दिन थे वो भी
जब .... छोटी छोटी बातों के पल दे जाते थे सुख कई अनजाने दरवाज़े प...
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एक अच्छी खबर तो यहाँ भी है, पुरुषों के लिए-
अब पुरूषों के लिए भी गर्भ निरोधक गोली! - विगत दिनों एक ब्लॉग पर किसी मोहतरमा का यह प्रलाप सुनायी
पड़ा कि गर्भ निरोधन के लिए गोली महिलाओं के लिए केवल इसलिए बनायी गयी
ताकि वह
स्त्री को भोग्या बनाए...
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भाई अनिल पुसदकर जी कहते हैं-
रक्तदान की इच्छा हो तो…………………………………… - एक छोटी सी पोस्ट बहुत कुछ कहती हुई।सुबह-सुबह एक एसएमएस मिला
अंजान नम्बर से।सीधे डीलिट कर रहा था कि उस छोटे से एसएमएस को पढे बिना रहा नही
गया।एसएमएस भी बहुत...
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आओ अब ठहाके लगा लें!
अंतर - अंतर खंजन देवी ने अपनी
सहेली मैना देवी से बातों बातों में पूछा, “ब्यॉय फ्रेंड और हसबैंड में क्या अंतर
है?” मैना देवी ने जवाब दिया, “लगभग 20 किलो।”...
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बच्चों के ब्लॉगों की चर्चा तो यहाँ भी होती है!
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छपते-छपते!
भाई समीर लाल जी भी कनाडा से चाँद के साथ हाजिर हैं!
बचपन में गर्मियों में छत पर सोया करते थे. देर रात तक चाँद देखते.
उसमें दिखती कभी बुढ़िया की तस्वीर, कभी रुई के फाहे, कभी बर्फ के पहाड़, कभी
छोटा होता चाँद और न जाने क्या क्या? एक कल्पना की उड़ान ही तो होती थी
बालमन की. मेरे लिए एक खिलौना ही तो था बचपन का जिससे खेलते खेलते न जाने
कब आँख लग जाती पता ही नहीं चलता.
समय के साथ साथ जमाने की हवा बदली, हम बदले और छत पर सोना बंद हुआ. फिर भी कभी मौके बेमौके, कभी खुले में बैठ आकाश को निहारना अच्छा लगता रहा. जब भी चाँद को देखता, बचपन याद आता और मन चाँद से फिर खेलने लगता. ढूंढता वही धुँधली हो चुकी तस्वीरें बचपन की जो वक्त की गर्द में न जाने कहाँ और कब दब गईं.
एक अरसा बीता, न चाँद को चैन से निहारना हुआ, न उसके साथ खेलना. कवितायें और कहानियाँ लिखने का शौक हुआ तो चाँद में महबूबा नजर आने लगी. वो खिलौना गुम ही सा हो गया जिससे कभी घंटों खेला करता था.....
-------------------भाई समीर लाल जी भी कनाडा से चाँद के साथ हाजिर हैं!
चाँद: वो बचपन वाला!!
समय के साथ साथ जमाने की हवा बदली, हम बदले और छत पर सोना बंद हुआ. फिर भी कभी मौके बेमौके, कभी खुले में बैठ आकाश को निहारना अच्छा लगता रहा. जब भी चाँद को देखता, बचपन याद आता और मन चाँद से फिर खेलने लगता. ढूंढता वही धुँधली हो चुकी तस्वीरें बचपन की जो वक्त की गर्द में न जाने कहाँ और कब दब गईं.
एक अरसा बीता, न चाँद को चैन से निहारना हुआ, न उसके साथ खेलना. कवितायें और कहानियाँ लिखने का शौक हुआ तो चाँद में महबूबा नजर आने लगी. वो खिलौना गुम ही सा हो गया जिससे कभी घंटों खेला करता था.....
अन्त में देखिए यह कार्टून!
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एक से बढ़ कर एक सुंदर पोस्ट-लिंक....शास्त्री जी चिट्ठा चर्चा बहुत बढ़िया लगी...सुंदर प्रस्तुति के लिए आभार
जवाब देंहटाएंबढ़िया लेख सूचि वाली शानदार चर्चा
जवाब देंहटाएंवाह जी, मोस्ट लेटेस्ट चर्चा..ये होती है चर्चा...छपते छपते तक कवरेज..आभार. :)
जवाब देंहटाएंjai ho.........
जवाब देंहटाएंbahut khoob charcha.......
saare link umda !
pasand ***********
कई नई पोस्टों से मिलवाने के लिए आपका आभार.
जवाब देंहटाएंसमीरजी ने ठीक ही कहा है कि छपते-छपते तक पोस्ट ले ली गई है। यह काम एक अच्छा संपादक ही करता है। इसलिए यदि मैं पत्रकार हूं तो आप श्रेष्ठ संपादक है।
जवाब देंहटाएंयह बात मैं सच कह रहा हूं क्योंकि संपादक का एक गुण धैर्य भी होता है। वह मैं आपमे देख चुका हूं। बगैर विचलन के काम करते जाना... एक श्रेष्ठ संपादक होने की निशानी है। आप खुश रहे... आबाद रहे... जिन्दाबाद रहे.. यही मेरी शुभकामना है। आपने मेरी पोस्ट को चर्चा में शामिल किया उसके लिए भी आपको धन्यवाद।
प्रस्तुतिकरण के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
जवाब देंहटाएंआपने इस चर्चा मे स्थान दिया इसके लियी आभार. हमारी चर्चा कभी कभी ही होती है इससे ये भ पता चला कि जब ठीक ठाक लिखते है तो चर्चा मै आ ही जाते है.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चिटठा चर्चा ....आभार ...!!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चिटठा चर्चा ....आभार ...!!
जवाब देंहटाएंविस्तृत और बेहतरीन चर्चा....आज तो बहुत से लिंक्स मिले..
जवाब देंहटाएंविस्तृत और शानदार चर्चा !
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी, हम तो कल रात चर्चा लिखकर और उसे सुबह 5:55AM के समप पर सैट करके सोये थे.लेकिन अब देखा तो गलती से TIME 5:55AM की बजाय PM शैड्यूल कर बैठे. आप अगर आज्ञा दें तो वो वाली चर्चा अब प्रकाशित कर दी जाए...सूचित कीजिएगा.
जवाब देंहटाएंपं. जी नमस्कार!
जवाब देंहटाएंहोगा वही जो मंजूर-ए-खुदा होगा!
शा को 5-55 पर आप अपनी चर्चा प्रकाशित कर सकते हैं!
बेहद शानदार और विस्तृत चर्चा ……………काफ़ी लिंक्स मिल गये……………आभार्।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अंदाज ,शानदार प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चिटठा चर्चा ....आभार ...!!
जवाब देंहटाएंआभार .......बहुत बढ़िया चिटठा चर्चा .....
जवाब देंहटाएंprastuti ki sundarta din pe din badhti ja rahi hai.
जवाब देंहटाएंbadhayi.