------------------
आज की चर्चा में सबसे पहले प्रस्तुत है
अक्षिता पाखी के चित्रों के साथ
रावेंद्रकुमार रवि का बाल गीत
सूरज बन मुस्काऊँ
सूरज बन मुस्काऊँ
मैंने चित्र बनाए सुंदर,
आओ, तुम्हें दिखाऊँ!
इन्हें बनाकर ख़ुश होता है,
मेरा मन, मैं गाऊँ!...
------------------
आज दूसरी पोस्ट नन्हा मन की ही लेते हैं-
बाल-श्रम को जड से मिटाएं - poem - नमस्कार बच्चो , क्या आपको पता है कल *विश्व बाल-श्रम रोको दिवस* है । दुनिया भर में लाखों ऐसे बच्चे हैं जिन्हें अपने बचपन को भुला कहीं न कहीं काम करना पडता...
------------------
------------------
प्रदूषण पर एक सुन्दर सीखभरी कविता अवश्य पढ़िए-
कविता ; प्रदूषण - प्रदूषण प्रदूषण ने किया है परेशान , खोले हैं ये फैक्ट्ररियों की खान.... गर्मी से हैं अब सब बेहाल , मत पूछो अब किसी का हाल...... जब मार्च के महीने में है यह ह...
------------------
बारिश का इन्तजार
नन्ही कोपल को ही नही हम सबको भी है
देखिए इस पोस्ट में-
बारिश का मौसम - बारिश का इंतजार वैसे तो सबको होता है पर सबसे ज्यादा उसे होता है जिसे बारिश और बारिश का मौसम दोनों ही पसंद हो । मुझे भी बारिश बेहद पसंद है बारिश में भीगना फ..
------------------
सरस पायस पर प्रकाशित गीत तो यहाँ भी लगा है-
सूरज बन मुस्काऊँ : अक्षिता (पाखी के चित्रों के साथ रावेंद्रकुमार रवि का नया शिशुगीत - * सूरज बन मुस्काऊँ**मैंने चित्र बनाए सुंदर, आओ, तुम्हें दिखाऊँ! इन्हें बनाकर ख़ुश होता है, मेरा मन, मैं गाऊँ!**तोता लटका है बादल से, देखे सूरज नीला! खरबूजा भ...
------------------
शैतानी कम किया करो!
देखो चोट लग गई ना-
आदि को चोट लग गई थी... - गत शनिवार को हम एक पार्टी में गए.... वहाँ बहुत सारे बच्चे आये... सब मुझसे बड़े... हम सब खेल रहे थे...सब भाग रहे थे.. तेज तेज... मैं भी उनके पीछे भागा... पु...
------------------------------------
ओ मां - *परिस्थितियां हमें कभी कभी इतना विवश कर देती हैं कि हम चाह कर भी कुछ कर नहीं सकते----बस उन हालातों को मूक दर्शक बने देखते रहते हैं और खुद को हवाले कर...
------------------
करियर - *पढ़ें बिंदास, करियर हैं अपार * सीनियर सेकेंडरी के बाद उच्च शिक्षा के लिए सही स्ट्रीम या विषय का चयन किसी भी छात्र की प्राथमिकता हो सकती है, लेकिन इसके लिए ...
------------------
माधव जी!
मीठा खाओ अवश्य,
लेकिन मीठा बोलना भी पड़ेगा तुमको-
कुछ मीठा हो जाए - ना ही आज पहली तारीख है और ना ही कुछ नया हुआ है , पर मै मीठा खा रहा हूँ . डेयरी मिल्क ने निर्धारित कर रखा है की पहली तारीख को "मीठा है खाना...... ". पापा कह...
------------------
अरे वाह..!
शुभम जी तो बहुत ही बढ़िया बाल-कथा लाये हैं-
रैबिट और कछुए की कहानी !! - एक बार एक रैबिट नें एक कछुए को पता है क्या बोला ? क्या बोला ? रैबिट नें बोला :- देखो तुम कितने गंदे बच्चे हो , भागी-भागे नहीं कर सकते । फ़िर कछुए नें पत...
---------------------------------
लो जी अपनी चुलबुली भी गर्मी से परेशान है-
------------------
और अन्त में नन्हे सुमन को भी देख लीजिए!
------------------
"चन्दा-मामा" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
!! चन्दा-मामा !!
नभ में कैसा दमक रहा है।
चन्दा मामा चमक रहा है।।...
gazab ki charcha hai...
जवाब देंहटाएंbahut sundar..
aabhaar...
'नन्हे-मुन्ने बच्चे तेरी मुट्ठी में क्या है'... याद दिलाती एक चंचल सी चर्चा..
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा!
जवाब देंहटाएंman bhawan charcha.
जवाब देंहटाएंbachcho ki ye charchaye hamesha hi rang birangi titli ki tarah manbhavan hoti hai...
जवाब देंहटाएंnanhi pari ki charcha ke liye dhanywaad...
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत और मनमोहक चर्चा....आभार
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा!
जवाब देंहटाएंबेहद उम्दा चर्चा,आपका बहुत बहुत आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर बाल चर्चा।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया मनभावन चर्चा!
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात है! शानदार चर्चा !
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा...
जवाब देंहटाएं