नमस्कार , आज मंगलवार का दिन और हाज़िर है कविताओं से भरी ये पोटली….एक एक कर निकालते जाइये .. और पढ़ कर आनंद उठाते जाइये…. मेरा प्रयास रहता है कि सप्ताह की बेहतरीन कविताएँ आप तक पहुंचा सकूँ…और साथ ही कुछ नए लोगों से परिचय भी….लेकिन सफल कहाँ तक होती हूँ इसके लिए आपकी प्रतिक्रिया आवश्यक है…… अपने इस प्रयास से प्रारम्भ करती हूँ आज का चर्चा मंच ……..अपनी काव्य पोटली से नायाब हीरा निकाल रही हूँ सबसे पहले ……………….. |
आर्जव पर अभिषेक कुशवाहा की फिर उथले किनारों से ही लौट आये हैं हिंदी भाषा का सौंदर्य ,विचार , मंथन सबसे ही अभिभूत हो उठेंगें आप… सोचा था चलेगें सिन्धु की थाह लेने नीली अतल गहराइयों की स्वयं पर एक छाप लेने । था स्वप्न चलेंगे एक बार निरखने विशद अनुभूतियॊं के गहन कानन लता कुंज गह्वर , चुनेगें कुछ पुष्प |
कुछ लम्हे दिल के . पर अर्चना तिवारी लिख रही हैं …बस आँखों में दिखता पानीसूखे खेत, सरोवर,झरने,बस आँखों में दिखता पानीहाहाकार मचा है जग में,छाए मेघ न बरसा पानी। | prayaas पर पवन धीमान कितनी खूबसूरती से कह रहे हैं किआदमी भला सा लगता हैजिसके चारों तरफ एक जलजला सा लगता है/ वक़्त बुरा है मगर आदमी भला सा लगता है/ |
Hamzabaan हमज़बान » पर शहरोज़ लाये हैं लखनऊ का सृजन रंजन डीन की कलम से तुम्हारी और मेरी व्यस्तताओं के बीच तुम्हारी और मेरी व्यस्तताओं के बीच न जाने कितने ऐसे पल आये जब भीड़ में होते हुए भी दिखे सिर्फ तुम ही सुना सिर्फ तुमको |
गिरिजेश राव जी अद्भुत अभिव्यक्ति कविताएँ और कवि भी.. पर पढ़ेंआओ प्रिये !अब जब कि मैं लिखना चाहता हूँढेर सारा अनुभूतियाँ हैं ढेर सारी और शब्द स्रोत सूख गए हैं - तुम्हारी प्रतीक्षा है। | ओम आर्य मौन के खाली घर में.. बता रहे हैं कि आसमां गुमसुम सा है .. शहर के जिस हिस्से में आज बारिश थीशहर के जिस हिस्से में आज बारिश थी वहां आसमान कई दिनों से गुमसुम था चुपचाप, जिंदगी से बाहर देखता हुआ एकटक |
छतीसगढ़ के जाने माने साहित्यकार रामेश्वर शर्मा जी का एक गीत आया यौवन का ज्वार- प्रस्तुत है शिल्पकार के मुख से पर वर्षा आगमन से उल्लास और उमंग छा जाती है …. पूर्वा के आंचल से झर-झर झर-झर झर-झर झरे फ़ूहार नदी,नहर तालाब तलैया में, आया यौवन का ज्वार । |
सोनल रस्तोगी जी कुछ खफा खफा सी हैं , मौसम रूमानी है पर कुछ है जो यह कहने पर विवश कर रहा है.. कल रुत तुमको तरसाएनभ में उमड़े घन बड़ेबिजली भी बिन बात लड़े तुम भी रूठे-रूठे से बोलो कैसे बात बढे | नीरव » पर डा० राजेश नीरव चिर मिलन की उत्कंठा रखे हुए हैं चिरमिलन हो चिरंतनअधरों से अधरधड़कता वक्ष सीने से कपोल कपोलों से मिले,.....। |
चंद्रभान जी की एक ग़ज़ल देखिये जिसमें इन्होने आज की ना जाने कितनी समस्याओं पर रोशनी डाली है.. बलुआ धरती पानी सी लगती मृग तृष्णा में बलुआ धरती पानी सी लगती छलना अक्सर सच की एक कहानी सी लगती कोख किराये पर मिलती है अब बाजारों में मूल्यों की हर बात यहाँ बेमानी सी लगती |
राकेश जाज्वल्य की मेरी अभिव्यक्ति.....पर पढ़ें पुकार....चलो उन पर्वतों के ऊपर... सबसे ऊपर जहाँ सिर्फ आसमान है, और या फिर खुदा है, आसमानों के भी ऊपर. अब पुकारों उन्हें, उम्मीद है.... यहीं हो पायेगी उनसे बातें, | इश्क-प्रीत-लव पर गिरीश बिल्लोरे जी की कविता का आनंद लीजिएहां..! ये शाम उस शाम से जारीहां..! ये शामउस शाम से जारी हर शाम पर भारी जब हुई थी मुलाक़ात खनकती आवाज़ से.... ! | Prabhakarपर पुपाध्याय ..शायद यही नाम है…पूछ रहे हैं किमेरी क्या खता है ? उठते है कदम, बढ़ते हैं कदम, एक रास्ता है जिंदगी। इस रास्ते में कुछ पड़ाव, नाम है.. गम और ख़ुशी। मैं चल रहा हूँ रास्ते में, काफिले मिल जाते हैं। मेरी तरह कुछ और मुसाफिर वहाँ मिल जाते हैं |
डा० अज़मल खान की *मेरी नज़र* » पर एक बेहतरीन ग़ज़ल पढ़िए जो आज के वक्त पर लिखी गयी है…. आप भी जानिए की कैसे रंग हैं दुनिया के……. गज़ल- रंग- ए – दुनिया देख बाग़-ए- बहार है दुनिया चमचमाता निखार है दुनिया । कौन जाने किसे मिले क्या क्या एक खुला सा बज़ार है दुनिया । |
इस बार तो शिखा जी ना जाने कौन से ख्वाब बुन रही हैं…उनकी ख्वाहिश है कि एक बुत मैडम तुसाद में बन जाये…. बैठ कुनकुनी धूप में निहार गुलाब की पंखुड़ी बुनती हूँ धागे ख्वाब के अरमानो की सलाई पर. एक फंदा चाँद की चांदनी दूजा बूँद बरसात की | कडुवा सचपर उदय की दुनिया में एक सुन्दर अभिव्यक्ति जीवन पथजीवन के छोटे से पथ पर |
अंधड़ ! पर गोदियाल जी की भोपाल त्रासदी पर एक मार्मिक ग़ज़ल पढ़िए… भोपाल ! वो अशुभ काली रात उनकी, राह में मौत पसर गई, लाशों के कफ़न बेच कुछ की जिन्दगी बसर गई! |
JHAROKHA से पूनम जी कह रही हैं कि काश …कुछ तो ऐसा हो जाता---कुछ तो हो जाता ऐसाजो मन की आंखों को भाता जिसे देख के रोम रोम मेरा पुलकित हो जाता | vikram7 ब्लॉग है… और ये अपने कल को भी देख रहे हैं ..कह रहे हैं कि मैनें अपने कल को देखा... मैनें अपने कल को देखा उन्मादित सपनों के छल से आहत था झुठलाये सच से तृष्णा की परछाई से,उसको मैने लड़ते देखा |
रेखा श्रीवास्तव जी अपने ब्लॉग HINDIGEN पर बता रही हैं कि एक अच्छे पल का इंतज़ार बहुत मुश्किल होता है…. एक अंतहीन इन्तजार....... इन्तजार किसी अच्छे पल का कितना मुश्किल होता है? |
कस्बा पर रवीश जी गंडक नदी को समर्पित कविता कह रहे हैं…उधार के रंगों से सपने हसीन नहीं होतेगंडकमेरे होने की साक्षी सिर्फ तुम्हीं हो तुम्हारी ही लहरों से बच कर आया था जब उसने दुपट्टे से खींच लिया था एक मन्नत भी मांगी तुमसे | ज्योत्स्ना मैं... » पर ज्योत्सना जी इरोम शर्मीला जी को जो कि मणिपुर की कवयित्री हैं उनके लिए अपनी रचना प्रस्तुत कर रही हैं.. इरोम शर्मीला बेक़सूर लहू धरती का आँचल रंग जाता है, और औरतों की अस्मत का खिलौना बन जाता है...... |
दिलीप अपनी दिल की कलम से. माँ की महिमा का गुणगान करते हुए कह रहे हैं कि तू तो यशोदा है मगर मैं कृष्ण न बना..जब भी मैं गिरा आँख से आँसू तेरे गिरा... मुझको जो सदा थामता आँचल का वो सिरा... शीत मे छाती से वो चिपका हुआ बचपन... वो गोद मे तेरी कहीं दुबका हुआ बचपन... मैं चल रहा समेटते यादें यूँ अनमना... तू तो यशोदा है मगर मैं कृष्ण न बना.. |
विपिन चौधरी की कुछ रचनाएँ मैंने पढ़ीं और लगा कि आप सबके साथ इनकी रचनाओं को बांटूं .. . पढ़िए कि विपिन जी कैसे खामोशी और शब्दों का तालमेल बैठा रही हैं .. खामोशी और शब्दन जाने बेजान स्मृतियों में इतनीताकत कहां से आ गई कि वे यकायक उठ कर वर्तमान में अपनी जडें तलाशने लगी थी । | रूपम के प्रेम धुन ब्लॉग पर जानिये के प्याला जिंदगी का... मत तौल के ये जिंदगी बोझ नहीं है. मत सोच के ये जिंदगी सोच नहीं है. जी गया है ,जिसने खुद को पा लिया है के प्याला जिंदगी का मजे से पिया है.... |
डा० रूपचन्द्र शास्त्री जी ने बहुत सी अंग्रेजी कविताओं का हिंदी में अनुवाद किया है | आज एक प्रस्तुति यहाँ भी उच्चारण » पर पढ़िए “पिता और बच्चा-William Butler Yeats” (अनुवाद-डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक” जब-जब भी प्रतिबन्धों का रहस्य खोला है नारी बँधी हुई है इनसे बालक ने यह बोला है |
lovenlight » पर कवयित्री रूह्शाइन (मुदिता ) कह रही हैं कि ना वो शायरा हैं ना लेखिका.. बस जो एहसास होते हैं अंतर्मन में लिख देती हैं ..एक प्रेरणादायक रचना पढ़िए छद्म प्रभुता .. प्रभुता स्वयं की सिद्ध करने को हीन कहा दूजे को तूने | मेरी कलम से....... पर अविनाश लाये हैं कीकर का फूल.… इन फूलों की भी व्यथा -कथा पढ़िए --फूल! |
काव्य मंजूषा पर अदा जी एक प्रेरणादायक रचना ले कर आई हैं पहुँचेंगे शिखर पर वो जिन्हें विश्वास होता है .. जब मन उदास होता है ख़याल के पास होता है जो दिल में दर्द उठता है लब पे उच्छ्वास होता है |
और अब विदा लेते हुए मेरे घर गीत.......मेरी अनुभूतियाँ में भी आप सबका स्वागत है….आशा है आपको मेरी यह कोशिश पसंद आई होगी… आपकी प्रतिक्रिया औए सुझावों का सदैव इंतज़ार है…अगले सप्ताह फिर मुलाक़ात होगी…. इसीके साथ नमस्कार |
कविताओं की शानदार खुली पोटली सौंपी आपने हमें.. वाह
जवाब देंहटाएंसभी को समेट लिया जी आपने, बढिया।
जवाब देंहटाएंसुन्दर, आकर्षक, और मनभावन चर्चा!
जवाब देंहटाएं--
बहुत से नये लोगों से परिचय हुआ!
बहुत अच्छी चर्चा...
जवाब देंहटाएंबहुर सारे अच्छे लिंक मिले हैं...
मेरी प्रविष्ठी को स्थान दिया आपने ..
आपका आभार..!
एक सराहनीय कोशिश आपकी।
जवाब देंहटाएंसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
उम्दा और बेहतरीन काव्य चर्चा वंदना जी !
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स मिले ...आभार ...!!
जवाब देंहटाएंप्रशंसनीय ।
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा
जवाब देंहटाएंruchikar aur su-vyavasthit lagi apki charcha.
जवाब देंहटाएंGODIYAL ji ye vandana ji nahi....Sangeeta Swaroop ji hain.
badhiya charcha..meri rachnako shaamil kar sammanit karne ke liye abhaar....
जवाब देंहटाएंइस मंच पर स्थान देने का आभार ..
जवाब देंहटाएंमुदिता
बढ़िया चर्चा रही ये भी ...
जवाब देंहटाएंसंगीता स्वरूप जी को मेरा नमस्कार, आप का काम बहुत ही मुश्क़िल है, मगर सच मे कबिले तारीफ है. आज की चर्चा मे आप ने काव्य के अलग अलग रंगो को शमिल किया.बहुत अच्छा लगा.
जवाब देंहटाएंमेरी प्रविष्ठी को स्थान दिया आपने इस के लिये मैं तहे दिल से आप का शुक़्र गुज़ार हूँ.
http://ajmal-mypenonline.blogspot.com
sangeeta ji...bahut sundar charcha kee aapne...badhai
जवाब देंहटाएंसंगीता ,
जवाब देंहटाएंकितने धैर्य से तुमने इतने सारे लोगों को पढ़ कर चुना और उसको स्थान दिया और हमें अपने नए ब्लोग्गेर्स भाई बहनों से परिचय का मौका दिया. इस कार्य के लिए तुम बधाई का पात्र हो.
मेरी कविता को चर्चा योग्य समझने के लिए धन्यवाद.
संगीता जी,
जवाब देंहटाएंआपने तो कमाल कर दिया!
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मेरी तरफ से इस चर्चा मंच पर की जानेवाली
अब तक की सर्वोत्तम चर्चा का ख़िताब आपके नाम!
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बधाई और शुभकामनाएँ!
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इतने होनहार कवियों की रचनाओं से
साक्षात्कार करवाने के लिए बहुत आभारी हूँ!
बहुत सुन्दर और आकर्षक चर्चा…………आभार्।
जवाब देंहटाएंमजा आ जाता है आपकी चर्चा देख कर बेहतरीन लिंक्स ओर उनके साथ आपके स्पेशल कमेंट्स .
जवाब देंहटाएंस्थान देने का आभार
जवाब देंहटाएंall references are very worth to read
जवाब देंहटाएंSangeeta ji
जवाब देंहटाएंBahut shandaar prabhavi sunder aur marmsparshi rachanaaon ko aapne saptahik kavya manch ke charcha manch men shamil kiya hai. kai naye cheharon se parichaya hua. main to pahali bar is manch par aya hoon wah bhi tab jab ki aapne meri ghazal ki tippadi par mujhe suchit kiya tha. aapne meri ghazal ko is manch par shamil kiya uske liye hardik roop se aabhaari hoon
aage bhi mere blog par aakar sampark banaye rakhen. aapki tippadi se bahut protsahan milta hai. Dhanyawad.
खूबसूरत रचनाओं का संकलन .. साध पूरी हो गयी ...
जवाब देंहटाएंशानदार काव्य चर्चा...मेरी ग़ज़ल को चर्चा मे स्थान दिया ..आपका आभार..!
जवाब देंहटाएंbahut sundar charcha, ashesh dhanyawaad
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा के लिए बधाई |
जवाब देंहटाएंआशा
वाह आज तो सब कवितामय हो गया
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा.
जवाब देंहटाएंपहली बार ही आया इस ब्लोग पर. कविता चर्चा में गोता लगाया. एक मोती मिला....
जवाब देंहटाएंतू तो यशोदा बन गयी .मैं कृष्ण न बना...
निस्सन्देह,मेरी राय में, यहां प्रस्तुत सारी कविताओं में श्रेष्ठ.
धन्यवाद्
अन्य आदरणीय कवियों-कवयत्रियों को एक साथ एक स्थान पर देख आनन्दित होना स्वभाविक है
जवाब देंहटाएंआभार
bahut sundar link mile.....bahut bahut dhanywaaad
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंआभार!
स्थान देने का आभार
जवाब देंहटाएं