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शुक्रवार, दिसंबर 03, 2010

"शुक्रवार का चर्चा मंच" (चर्चा मंच-357)


आइए आज शुक्रवार का चर्चा मंच सजाते हैं!
 सभी बुद्धिजीवियों को मेरा हार्दिक अभिनन्दन | अत्यधिक कार्यव्यवस्ता की वजह से मैं भूमिका बाँधे बिना ही कुछ लिंक यहाँ पर प्रस्तुत कर रही हूँ जो कि मुझे अच्छे लगे |
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 कहानियाँ और संस्मरण  
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यह कहानी सत्य  घटना  पर  आधारित  है | ये घटना तब की है जब उत्तराखंड आन्दोलन होने पर कर्फ्यू लगा दिया गया था | मैंने उसका विस्तार अपनी सोच से किया है पर मूल में सच्चाई है..पहाड़ की एक सीधी साधी  वृद्ध महिला कर्फ्यू लगा है, कर्फ्यू एक मेला होता है ऐसा समझ -----  
अकथ प्रेम

स्निग्धा ने उसका नाम खारिज कर दिया है . उसके लिए वह अ ब स द है . प्रश्नों का क्रम या वस्तुनिष्ठ व्यक्तित्व . अ ब स द के साथ वह उसी तरह जुड़ी है जैसे एक सिर से जुड़े जुड़वां , जिन्हें अलहदा देखना नामुमकिन है . पर जुड़वां नहीं हैं . न तो समाज का मान्यता प्राप्त रिश्ता हैं वे और न ही उसकी आँखों की किरकिरी



‘अकथ कहानी प्रेम की’ में कबीर के जीवन, चिंतन, उनकी साधना, और उनके काल से संबधित सभी पहलुओं पर विशद चर्चाएं हैं। आछरियां

नए साल की नयी सुबह थी| पौड़ी की सर्दियाँ बहुत खूबसूरत होती हैं, और उससे भी ज्यादा खूबसूरत उस पहाड़ी कसबे की ओंस से भीगी सड़कें| सुबह उठते ही एकदम सामने चौखम्भा पर्वत दिखायी देता है| कौन रहता होगा वहां? इंसान तो क्या ही पहुंचा होगा? क्या कोई देवता?


सुग्गा कहता है लिखता हूँ किसी और दुनिया में रहता हूँ , कोई जीवन हो तो सुनाओ , लिख दूँगा उसे
मैं कहती हूँ जाओ जाओ किसी की जान अटकी है , हरी मिर्च खाओ और किसी और को बहलाओ


सियाबर बैद जी के रेज़ीडेन्स-कम-औषधालय का बरामदा शामों को मोहल्ले के बड़े लोगों के बीड़ी फूंकने और गपबाज़ी का सबसे प्रिय स्थान था. इस स्थान हमारा वास्ता बस तभी पड़ता था जब कभी कभार क्रिकेट की गेंद के वहां चली जाया करती. बैद जी को देखकर लगता था कि वे पैदा भी गांधी टोपी पहन कर हुए होंगे | श्रद्धा के बाँध  भैया मेरी साईकिल मत ले जाओ मेरे भाई ने मुझसे रोते हुवे कहा |   शेख चिल्ली और कुत्ते  पाकिस्तान से एक लोक कथा |  कितना अंतर है   एक छोटी सी कथा के माध्यम से दो परिवेशो की कहानी | सुनील  गज्जाणी जी की दो लघुकथाएं      कॉफ़ी हॉउस की घडी पंकज उपाध्याय की लेखनी से


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 विचार विमर्श
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एक आदमी के मन में कितनी इच्छाएं होती हैं, शायद इसे कभी जान लिया जाएगा लेकिन इस रहस्य से कभी पर्दा नहीं उठ सकेगा कि दिल्ली, लखनऊ समेत देश में डेंगू से अब तक कितने मनुष्य मर चुके हैं। गच्चा देना, चूना लगाना!!

  कि सी को ठग लेने या आर्थिक नुकसान पहुंचाने के अर्थ में हिन्दी में अक्सर चूना लगाना जिसका काम उसी को साजे

खाली पहर फिर भी रीता कहाँ! बीतता जीवन अभी है बीता कहाँ!! जश्न का ये दौर अधूरा सा लगता है अभी हमने मन को है जीता कहाँ!! ग्रंथों में सिमट कर रह गए ..अभी कहाँ...! .

क्या भरोसा ज़िन्दगी का
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 गजल, कवितायें
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  कितनी ही अनकही बातों का घना जंगल 
और कंटीली झाडियाँ हैं भीतर वजूद में जिनमें घुसने में 
खुद को भी भय लगता है. मानो ..मवाद...
घोसला
ओ !... नभचरों सारा आकाश है तुम्हारा मगर .... तुमने बनाया मात्र एक घोसला अपने रहने के लिए...

"आंसू"
यूं तो जाता नही कोई, जाता भी है पर रुलाता नही कोई, होठों पे तेरे इतनी हंसी थी कैसे, दूर जाने से  इतनी खुशी हो जैसे, माना कि दरिया के दो छोर थे हम, ना मिलें ना सही पर, जीवन के बहाव को, दे सकते थे गति साथ साथ, दूर से ही सही, पर तुमपे तो अभी "पर" हैं, उड़ो और ऊंचा उड़ो, मेरे "पर" तो बोझिल हैं, मेरे ही आंसुओं से, जो जब कभी भी निकले चुपके ..

यूँही फुर्सत में: कुछ ख्याल!
चंद रोज़ बेगारी के, कुछ पल कामचोरी के,
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 ज्योतिष 
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आज के लिए इतना ही---!
अगले शुक्रवार को स्वास्थ्य ठीक हो जाने पर फिर मिलूँगी-

31 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छे लिंक्स की जानकारी हेतु आभार,
    मेरी ग़ज़ल "क्या भरोसा ज़िन्दगी का" को स्थान देने के लिये धन्यवाद।

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  2. नूतन जी साहित्यिक जागरूकता को समर्पित ओबिओ के दूसरे महा इवेंट को इस बार के चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद| १ से ५ दिसंबर तक चलने वाले इस साहित्यिक महा इवेंट में सभी रचनाकारों का सहर्ष स्वागत है| आप साहित्य के किसी भी फ़ॉर्मेट यानि ग़ज़ल, गीत, आधुनिक कविता, छंद, हाइकु, लघु कथा, हास्य-व्यंग्य वग़ैरह वग़ैरह में अपनी-अपनी रचनाओं को प्रस्तुत कर सकते हैं| ६०+ पोस्ट्स सहित ८००+ रिप्लाइस के साथ ये अपनी तरह का अनूठा आयोजन आज तीसरे दिन में प्रवेश कर चुका है| तो दोस्तो आइए आप लोगों से मिलते हैं महा इवेंट में. लिंक तो नूतन जी ने दे ही रखी है|
    एक बार फिर से नूतन जी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद|

    जवाब देंहटाएं
  3. चर्चामंच में अपनी कविता के चुने जाने ख़ुशी से फुले नहीं समा रहा हूँ // नूतन जी पारखी नज़र को सलाम //

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  4. 'मेला कर्फ्यू का' 'अकथ कहानी प्रेम की' 'लपूझन्ना' , 'एक दिन माराकेश' सभी अच्छे रचनाएँ हैं आज| मेरी रचना 'आछरियां' को शामिल करने के लिए भी शुक्रिया|

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  5. बहुत अच्छी प्रस्तुति ...कुछ ब्लोग्स तो बिलकुल नए हैं मेरे लिए ...अच्छा चयन किया है ..आभार

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  6. nutan, bahut sundar guldasta kahaniyon aur kathaon ka .. alag-alag kalevar; alag-alag rang ....
    badhai! Nutan ji ..

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  7. पठनीय लिंक चर्चा में मिले ... आभार

    जवाब देंहटाएं
  8. अच्छी चर्चा ...
    शीघ्र स्वस्थ हों ...
    चर्चा में चुने जाने के लिए बहुत आभार !

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  9. काफ़ी नये लिंक्स के साथ बहुत ही सुन्दर व सुगठित चर्चा की है……………बहुत आभार्।

    जवाब देंहटाएं
  10. आज के लिंक्स से काफी अच्छी पठनीय सामग्री मिली...धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  11. मेरी कहानी "श्रधा के बाँध टूटे" को इस मंच पर प्रस्तुत करने के लिए नूतन जी को मेरा सादर चरण स्पर्श । बहुत ख़ुशी हुई बाकी सभी लेखनी को पढ़ कर ।

    ===================================

    आप सभी का मेरे ब्लॉग पर हार्दिक स्वागत है । मेरी लेखनी पढ़ कर मुझे अनुग्रहित करें ।
    www.ygdutt.blogspot.com

    आशीर्वाद की उत्सुकता में , आपका ,

    यज्ञ

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  12. bahut hi sundar tareeke se prastut charcha .be careful about your health .may god make you healthy !best of luck !

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  13. चर्चा मंच पर कविता - माँ की संदूकची - की समीक्षा सम्मिलित करने के लिए आपका आभारी हूँ।

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  14. achha karya kabhi kabhi bina bhoomika bandhe bhi ho sakta hai ye aapne aaj sabit kiya hai.
    meri kavita sahi kaha na ko sthan dene ko dhanyawad.
    anya links ka chayan bhi aapki yogyata pradarshit karta hai.
    gyan aanand se sarabor rahi charcha...

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  15. बहुत बढिया चर्चा. शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  16. बहुत सुन्दर चर्चा विविधताएं समेटे हुए!
    आभार!

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  17. डॉक्टर साहिबा आपके अभिनन्दन का शुक्रिया भले ही मैं औरों की तरह बुद्धिजीवी नहीं हूँ. :)

    और शुक्रिया इस बार आपने हम पर भी अपनी नज़रें इनायत की और मेरी रचना को यहाँ स्थान दिया.

    सुंदर और अच्छे लिंकों से सुसज्जित है आज की आपकी चर्चा.

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  18. यदि मन में दृढ़ निश्‍चय व विश्‍वास है तो विजय निश्चित है। अगर संकल्‍प कमजोर हैं तो पराजय होगी।
    बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
    विचार- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद - भारतीयता के प्रतीक

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  19. चर्चा अपने आप में नवीनता लिए हुए है....बढिया!
    हमारी पोस्ट को आपने चर्चा में सम्मिलित हेतु चुनाव किया....आभार्!

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  20. @डा. नूतन-नीति जी,मेरी पोस्ट को अपनी चर्चा परिधि में आपने लिया इसके लिये बहुत बहुत आभार। साथ साथ अन्य तमाम श्रेष्ठ रचनाएं पढ़ने का अवसर मिला उसके लिये भी धन्यवाद ।

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  21. अच्छे लिंक्स की, अच्छी चर्चा ...आभार

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  22. आप सभी को शुभकामनायें और धन्यवाद.. शास्त्री जी को भी विशेष धन्यवाद.. उनकी मदद के बिना चर्चा अधूरी थी स्वस्थ खराब होने के वजह से चर्चा पूरी नहीं बना पाई थी..

    जवाब देंहटाएं

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