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बुधवार, मार्च 09, 2011

"खोखली मूछों के आगे बेवश नारी.."(चर्चा मंच-अंकः450)


मित्रों चर्चा मंच का 
450वाँ पुष्प लेकर
आपकी सेवा में उपस्थित हूँ! 
कल अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस था!
उसी की कुछ झाँकिया प्रस्तुत कर रहा हूँ!

भारतवर्ष का धर्म उसके पुत्रों से नहीं , उसकी संस्कारवान कन्याओं से ठहरा हुआ है | यदि भारत की रमणियाँ अपना धर्म छोड़ देतीं तो अब तक भारत नष्ट होगया होता |
                                         ---महर्षि दयानंद सरस्वती .....


यही तो है महिलाओं की लाचारी!!

हर विधा में पारंगत थी आसमानों को छूती थी 
हर क्षेत्र की ज्ञाता थी 
सबके मन को भाती थी 
नित नए सोपान गढ़ती थी 
दिलों पर राज़ करती थी 
किसी से कुछ न कहती थी 
बस ... 


सूखा हुआ जख़्म फिर हरा कर दिया! 


यही सुख-दुःख तो 
कभी तोड़ जाता है और
कभी जोड़ जाता है!

यह हालत तो सूर्य उगने के बाद के होते हैं!

जब मिलेगा ही नहीं तो लोग कहाँ से सेवन करेंगे! 

सन्तोष नहीं है न!

जी हाँ! यह तो सत्य है! मगर...
नारी की सदियों सदियों से, यही कहानी है।
सहना-सहना, सहते रहना, रीत पुरानी है!!

मगर मिल न पाया सम्मान!

खोया हुआ अस्तित्व 

आप भी जाकर सुन लीजिए न! 

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हम भी तो यही कह रहे हैं!




कह 'मयंक' दामन में कँटक रही समेटे।


इक बार आ जा...

 मनोज कुमार कह रहे हैं- नमस्कार ! 


आज मंगलवार है। 

ब्लॉग के माध्यम से पाठकों को 'कथांजलि' अर्पित करने का दिन। 

पिछले कुछ दिनों से मैं श्री सत्येन्द्र झा जी की मैथिली लघुकथाओं का ...



यही तो आपकी विशेषता है!

 
उसे मुक्ति नहीं चाहिये
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ललित शर्मा लाए हैं-
महिला दिवस पर एक कविता उधार की ---- 

सब कह रहे है कि आज 
अच्छा ? फिर ठीक है भाई सबको महिला दिवस पर हार्दिक शुभकामनाये  


आज महिला दिवस है। प्रस्तुत कविता


क्योंकि वो नौकर हैं! 

थे कभी...
मगर आज नहीं!  

पिता की जायदाद में मेरा भी हिस्सा है!

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क्योंकि
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मन चंगा तो कठौती में गंगा । 
यदि मन में प्रेम है , विश्वास है , संवेदनाएं हैं तो 
इश्वर भी हर किसी में दिखता है। 
अन्यथा रोज हरि नाम जपने से भी कुछ नहीं होने ...
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अब कुछ लिंक "पल-पल! हर पल" से
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'दीदार..' मुहब्बत जुबां से बयां हो...
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कार्टून:- बड़े मियां तो बड़े मियां छोटे मियां सुभान अल्लाह 

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"ब्लेक बूट एवार्ड ट्राफ़ी" आफ़ ब्लागर जूतमपैजारियता 
- 2011 विजेता : श्री काजल कुमार
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महिला दिवस तो साल म्ह एक बार ही आवै सै
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अमर भारती
"उत्तर आओ ज्ञान बढ़ाएँ-पहेली:73" (श्रीमती अमर भारती) अमर भारती साप्ताहिक पहेली-73 का सही उत्तर है! ये सेमल के डोडे (फ़ूल) हैं जिनकी सब्जी बनती है और बाद में इन्हीं से रूई प्राप्त होती है. ** ** *इस पहेली के*विजेता हैं ताऊ रामपुरिया!
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मेरी पिछली पोस्ट में आपने कमेन्ट के नए तरीके के बारे में पढ़ा था इस हफ्ते भी में आपके लिए 
एक HTML कोड लाया हु जिसे डालने के बाद 
आप अपनी पोस्ट को अलग अलग ...
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आज के लिए इतना ही!
क्योंकि कल श्रीमती वन्दना गुप्ता जी को भी तो कुछ लिंक जोड़ने है!

18 टिप्‍पणियां:

  1. विस्तार से की गयी आकर्षित करती चर्चा |
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  2. बेहतरीन रंग बि्रंगी चर्चा के लिए आभार

    जवाब देंहटाएं
  3. शास्त्री जी काफ़ी मेहनत से ढेर सारे उपयोगी लिंक आपने इकट्ठा कर दिया है।

    जवाब देंहटाएं
  4. वाह वाह शास्त्री जी सारे लिंक्स ले लिये……………आज की चर्चा तो बेहद शानदार रही…………बहुत ही उपयोगी और सामयिक लिंक्स लगाये हैं……………बहुत सुन्दर चर्चा।

    जवाब देंहटाएं
  5. मनभावन लिंक्सों से सजी आज की चर्चा बहुत ही खुबसुरत है......सारे लिंक्स एक से एक है...कही कोई सुंदर कविता तो कही कोई प्यारा सा आलेख.....महिला दिवस के अगले दिन भी मातृपक्ष की प्रधानता रही है......वैसे तो हमारा जीवन,हमारा सर्वस्व नारी को ही समर्पित है.....आभार।

    जवाब देंहटाएं
  6. Aapki charcha Mahila Diwas Visheshaank hai.Rangon se bharpur bhi. Kafi links miley kintu links me jana nahi ho pa raha hai kyoonki abhi mobile se reply. Kar rahi hun... sadar.

    जवाब देंहटाएं
  7. आज का चर्चा मंच हर दृष्टि से परिपूर्ण
    लगा ..आभार ! नुझे ख़ुशी है की शास्त्री
    जी ने मेरे कार्टून को भी मंच में जगह
    दी !

    जवाब देंहटाएं
  8. महिला दिवस पर कुछ स्पेशल ... wow ... title भी पसंद आया ... खोखली मूछों के आगे बेवश नारी ...

    जवाब देंहटाएं
  9. नारी दिवस पर चर्चा अच्छी रही ..........

    मेरी रचना लेने के लिए बहुत बहुत आभार .....

    जवाब देंहटाएं
  10. मेरी रचना को अपनी चर्चा में जगह देने के लिए आपका आभार ... शुभदिवस

    जवाब देंहटाएं

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