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शुक्रवार, अगस्त 12, 2011

"चिंतन : मौलिकता , सार्थकता" (चर्चा मंच-604)

मित्रों!
आज के चर्चाकार
श्री दिनेश चन्द्र गुप्ता "रविकर" जी
अवकाश पर गये हुए हैं!
इसलिए मैं और विद्या जी आज का चर्चा मंच
आपके लिए प्रस्तुत कर रहे हैं!
आप सब का तहे दिल से शुक्रिया!
आप सब ने मुझे प्रोत्साहन कर के मुझे धन्य कर दिया!
आज की चर्चा में आपका हार्दिक स्वागत है


कुछ बातें अनकही अंतर्मन की!!!
by ♥!!अक्षय-मन!!♥,
कुछ कहना है"
by रविकर
by प० अनिल जी शर्मा सहारनपुर
ग़ाफ़िल की अमानतby चन्द्र भूषण मिश्रग़ाफ़िल
तू ही तू .....by सुमन'मीत'
मनोज by मनोज कुमार
"निरंतर" की कलम से..... by डा.राजेंद्र तेला"निरंतर" Dr.Rajendra Tela,Nirantar"
हंसमुखजी का
पहलवान सी कन्या से
टांका भिड़ा
मोहब्बत में बहक कर..
ग़ाफ़िल की अमानत by चन्द्र भूषण मिश्रग़ाफ़िल

BLOG TAKNIK by blogtaknik
अनवरत by दिनेशराय द्विवेदी Dineshrai Dwivedi
from *साहित्य प्रेमी संघ* by ईं.प्रदीप कुमार साहनी
एक अजीब सी कशमकश है, एक जैसे चेहरों के बीच दूरियां दीखती है, और उन दूरियों में लिखी जाती है दूरियों की परिभाषा;

...आजकल मैं बैलगाड़ी की सवारी कर रही हूं - न न ये बिलकुल मत सोचिएगा कि मैं किसी गांव में शिफ्ट कर गई हूं, पूरी तरह इस महानगर जयपुर में ही हूं, उसी घर में हूँ , उसी कार से आफिस आ रही हूँ...

*तुम शब्दयुक्त हो छन्दमुक्त,*
*बहती हो निर्मल धारा सी।*
*तुम सरल-तरल अनुप्रासयुक्त,***
*हो रजत कणों की तारा सी।***
आज फिर वही खबर आज फिर वही खबर दहेज की आग मे जला एक घर जल गए अरमान जल गए सपने गिर पड़ा पहाड़ टूट गए अपने बस रह गयीं वो लाड़ की वो नाज़ों की बातें बचपन की 'उसकी'

अब ऐसा देश है मेरा 'मैंने उसे देखा ...लैपटाप लिए चैट करते .......'' अब भिखारी भी चैट करते हैं पेट की आग से नही जलते हैं बस चैटिंग को तरसते हैं आम इंसान से ज्यादा ये कमाई कर...
* भारत माँ का आर्तनाद * १५ अगस्त के उपलक्ष्य में विशेष रचना वर्षों की गर्भ यंत्रणा सहने के बाद सन् १९४७ की १४ और १५ अगस्त में जब कुछ घंटों के अंतराल पर मैंने दो जुडवाँ ...
लोकतंत्र का चौथा प्रहरी समझे जाने वाले कुछ हिन्दी अखबार इन दिनों हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी पर बड़ी बेशर्मी और बेरहमी से हमला ...
"मन का मीत" -- Soulmate हर मन को एक - "मन के मीत" की तलाश रहती है , जो दुर्भाग्य से उन्हें मिलता नहीं । मिलेगा कैसे , उनके मन में इतना ठहराव तो है ही नहीं की मिलने वाले प्यार को म...
*भारत देश के प्यारे बच्चों * *कर लो आज प्रतिज्ञा तुम * *उज्जवल कर दो अपने दम से * *देश का कौना कौना तुम!* *जाने कितने कष्ट उठाये * *और कितनी जान गंवाई हैं *...
सिगरेट पीने वाली लडकी.... यूँ तो थी बडी ही खूबसूरत अपने तीखे नैन-नक्श से पर उसकी उद्विग्न सी भंगिमा... मुझे अनायास ही खींचती थी हर बार..
वियोगी होगा पहला कवि, आह से उपजा होगा गान निकल कर नैनों से चुपचाप बही होगी कविता अनजान ... सुमित्रा नंदन जी की ये पंक्तियाँ कविता निर्माण की प्रक्रिया की ...
उम्र पचपन की , दिल बचपन का -- बचपन गाँव में गुजरा . फिर शहर में रहने लगे तो छुटियाँ गाँव में ही बीतती . उन दिनों में भी गाँव में अपना फार्म हाउस था --जी हाँ दादाजी ने गाँव से बाहर दो बी...
HOME REMEDY (STYE ) होम रेमेडी (गुहेरी ,गुरान्जनी)
-१-
मैं बार बार वापस आने को उठता हूँ क्यूँकि मुझे पता है तुम रोक लोगी मुझे...मेरा हाथ थाम कर बिना कुछ कहे उन नम आँखों से मुझे ताकते...तुम्हारी आँखों से ...

आज के लिए केवल इतना ही!
फिर मिलेंगे!
बताइए तो मेरी चर्चा कैसी रही!

14 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छी लिंक्स और चर्चा |
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  2. subah subah charcha manch par pahunchi kyunki baaki din to aaj vyastta bhara hai.bahut achche link mile jinse aane vaale time me jaroor connect houngi.meri baal kavita ko charcha manch me shaamil karne ke liye hardik dhanyavaad.swatantrta divas ki aap sabhi ko badhaai.

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत बहुत धन्यवाद सर मेरी रचना को यहाँ शामिल करने के लिए।
    सभी लिंक्स पर पहुँचने का प्रयास है।

    सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. विद्या जी के लिंक चयन से उनकी रूचि का पता चलता है। उनकी रूचि इस प्रतिष्ठित मंच पर क्या असर डालेगी यह तो भविष्य ही बताएगा लेकिन यह बताना हमारी ज़िम्मेदारी बन जाती है कि ‘हर्फ़ ए ग़लत‘ पवित्र क़ुरआन के बारे में बिल्कुल ग़लत जानकारी देता है जिससे लोगों में नफ़रत और भ्रम फैलता है।
    सही जानकारी के लिए देखिए निम्न लिंक
    रमज़ान के महीने में क़ुरआन की भेंट Quran majeed (Hindi)
    जनाब रूपचंद शास्त्री जी का आभार , उनके द्वारा उत्कृष्ट लिंक चयन के लिए।

    जवाब देंहटाएं
  5. आप दोनों चर्चाकारों को संयुक्तरूप से सुन्दर चर्चा लगाने के लिए बधाई तथा दोनों ने मेरे दो लिंक दिए इसका आभार

    जवाब देंहटाएं
  6. धन्यवाद शास्त्री जी ! आपको मेरी रचना चर्चामंच के लिये उपयुक्त लगी और आपने उसका चयन किया आभारी हूँ !

    जवाब देंहटाएं
  7. अच्छी चर्चा लेकिन धार्मिक लिंक के चुनाव मैं सतर्कता आवश्यक है. शायद अज्ञानतावश कुछ लिंक ग़लत चुन लिए गए हैं.

    जवाब देंहटाएं
  8. मेरी रचना तथा अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर जो बहुत खूबसूरती से आपने चर्चा प्रस्तुत की है उसके लिए आप सभी को धन्यवाद...भविष्य में भी इसी प्रकार की आशा रखता हूँ....पं.अनिल जी शर्मा, सहारनपुर

    जवाब देंहटाएं
  9. चर्चा मंच अच्छा लगा। काफी रचनाओं के लिंक एक ही स्थान पर आपने उलब्ध करा दिया है। इस मंच पर मनोज ब्लाग से भारतीय भाषाएँ और ध्वनियाँ-एक परिचर्चा-2 को स्थान देने के लिए साधुवाद।

    जवाब देंहटाएं

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