चर्चाकार :यह ब्लॉगजगत एस एम् मासूम के नाम से जानता है और अमन के पैग़ाम के नाम से पहचानता भी है. सामाजिक सरोकारों से जुड़ कर काम करना अच्छा लगता है . समाज में अमन और शांति बनी रहे यही दुआ हर समय करता हूं. बेशर्मी मोर्चे के ख़त्म होते ही रमजान की मुबारकबाद का दौर शुरू हो गया और नागपंचमी पे पर श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़. |
खरगोश रुपी उड़नतश्तरी से आज सुबह सुबह ताज़ा माल उतरा है और उसमें भरी हैं ज्ञान कि बातें जिसमें लिखा है " हम भारतीय जब देश के बाहर हो तो एक बात के लिए यह खासियत और दिखा जाते हैं कि जब किसी दूसरे देश के शहर में जायेंगे, तो खाने के लिए सबसे पहले भारतीय रेस्त्रां तलाशने लगते हैं. भले ही भारत में इटालियन पिज़्ज़ा, बर्गर, चाईनीज़, ग्रीक खाने के पीछे भागें और मित्रों के बीच अपना स्टेन्डर्ड जमाये जायें मगर देश के बाहर निकलते ही भारतीय रेस्त्रां की तलाश शुरु |
मैं तो समझता था केवल मेंढक टर्र टर्र करते हैं और वो भी बरसात मैं लेकिन अनवर जमाल साहब ने बताया कुंवे के मेंढको के बारे मैं ,बड़ी मजेदार टर्र टर्र थी कहीं यह मेंढक दिल्ली मैं बेशर्मी मोर्चा ना निकालने लगें. |
कल अचानक ब्लॉगजगत के डंडे से मुलाक़ात हो गयी डर भी लगता था कहीं सर पे पड़ ना जाए. लेकिन पुराणी प्यार भरी उनसे मुलाक़ात याद आ गए ,हिम्मत बढ़ी उनसे बाद नमस्कार पूछा आज कल क्या चल रहा है? जवाब आया पंगई, दंगई,,लुच्चई, नंगई। आप भी देख लें बेह्तारीक व्यंगकार और लेखक का कमाल |
डॉ दिव्या अक्सर अपने अस्ल मूड मैं आ जाती हैं और फिर जो कहती हैं दिल से कहती हैं बाकी तो समझे वाली बात है ,इस ब्लॉगजगत मैं सब कुछ चलता है. " इस बार केवल कहा ही नहीं बल्कि ???? अनवर जमाल के मेंढको वाले कुवे को चूने से भर के बंद करने कि कोशिश कि है. " कहती हैं मुलाकातियों का गुट बन जाता है , जिसमें अन्य ब्लॉगर्स उपेक्षित रहते हैं ! उनके लेखन का कोई सम्मान नहीं और उनसे किंचित द्वेषपूर्ण व्यवहार भी होता है ! " आप भी लुत्फ़ उठाएं. |
कुमार राधारमण जी देखिये योग से कब्ज दूर करने के तरीके बता रहे हैं. और कब्ज़ का कारण रात मैं देर से सोना इत्यादि हुआ करता है जो संभव है बहुत से ब्लोगरों को होता भी हो. आप भी सीख लें योग और रात मैं देर से जागें फिर भी रहे तंदरुस्त |
खुशदीप सहगल जैसी महान शक्सियत से कौन वाकिफ नहीं लेकिन मुझे लगता है कि उनके घर से दफ्तर जाने वाले रास्ते मैं कहीं पागलखाना अवश्य पड़ता है .कल देखा मेढको कि टर्र टर्र से परेशान भाई पहुँच गए पागलखाने वहाँ के सबसे समझदार पागल से मिलने. और जो देखा ओसे आप भी पढ़ें. अभी पागलखाने से निकले ही थे कि पड़ गए चक्कर मैं गर्लफ्रेंड के और आप भी देखें कितने का चूना लगा और किसको? |
आशु जी समझा रहे हैं कि अगर संसार आपको दुःख का कारण लगने लगे, तो याद रखना संसार एक दर्पण से ज्यादा नहीं | अगर कांटें इकट्ठे किये हैं तो दिखाई तो पड़ेंगे " ब्लॉगजगत से परेशान लोगों को इस बात पे अवश्य ध्यान देना चाहिए |
उत्तराखंड से शंकर फुलारा जी आज कल परेशान हैं वी ईई पी लोगों से और टेंशन लेने का नहीं लल्लू .......... देने का ! कहते कहते खुद ही टेंशन ले बैठे और उठाया सवाल क्या हमने कोई पाप किये हैं. आप भी देखीं क्या आप ने कोई पाप तो नहीं किया फिर ??/ |
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ को दुनिया से ग़ाफ़िल’ हरगिज़ ना समझें चर्चा करते करते अचानक उन्हें महसूस हुआ कि आग लगायी लोगों ने ,नज़र लगाई लोगों ने . सुन के उनकी फ़रियाद मैं भी पहुंचा , बात उनकी सही लगी बस फिर क्या था पहुँच दिया आप सभी तक . |
रेखा जी दुनिया के सामने कुछ लाना चाहती हैं मैंने भी सोंचा नेक काम मैं सहयोग दूं. आप बभी पढ़ें और सहयोग दें. रेखा जी कहती हैं की सबसे पहले मैं क्षमा चाहती हूँ क्योंकि ये पोस्ट मैंने कई ब्लोग्स पर डाली हैं क्योंकि ऐसी घटनाएँ सबके सामने आनी चाहिए। जरूरी नहीं है कि मेरा ब्लॉग सभी कि दृष्टि में हो। |
विकीलीक्स द्वारा स्विस बैंकों के भारतीयों की पहली सूची जारी की गईसुरेश चिपलूनकर जी ने दिखाई पूरी लिस्ट लालू से ले के भालू तक सभी के नाम शामिल |
इस सप्ताह ब्लॉगजगत और ब्लागरों के व्यवहार, गुट ,लेखनी और इसके भविष्य कि चिंता करते बहुत से लोग देखे गए. बावजूद सामने से दिखने वाले प्रेम के यहाँ के ब्लोग्गेर्स इस आभासी दुनिया के तौर तरीके से बहुत अधिक संतुष्ट नहीं दिखते. शास्त्री जी को तो लगता है कि हम चाहे जंगली होते, पौधे होते लेकिन होते आपस मैं प्रेम बांटने वाले. उच्च विचार और मैं सहमत. ========================================================= सकता है.अभी छ माह पूर्व तक बापू-बाज़ार क्या है,क्यों है कुलपति प्रो सुन्दरलाल जी की प्रेरणा से कुल तीन बापू-बाज़ार आयोजित किये जा चुके हैं जिसे समाज के लोंगों नें बहुत आशा और सम्मान के साथ आत्मसात किया है. ======================================================== सतीश सक्सेना जी की हंसी कभी बेवजह नहीं हुआ करती. बड़ी बेहतरीन बात कह रहे हैं आप भी देखें. भाई हँसना हो तो सच्ची हंसी ही हंसें :) ======================================================== वैसे तो भ्रष्टाचार केवल भ्रष्टाचार होता है यह कहीं भी किया जा रहा हो. आज धार्मिक ठेकेदारों पर प्रेम रस की जगह गज़ब ढा रहे हैं शाहनवाज़ साहब. क्या इसका हल धार्मिक लोगों से दूरे है? इस सवाल का जवाब अवश्य तलाशें? ======================================================= रतन सिंह जी देखिये इतिहास की किताब से के तोहफा आप के लिए ले हैं? बाईजीराज झालीजी की एक दासी थी रामप्यारी जो बहुत होशियार थी वह मुसाहिबों के संदेश बाईजीराज तक पहुंचाते पहुंचाते इतनी होशियार हो गयी कि वह राजकार्य में दखल देने लग गयी| बाईजीराज ने उसे अपनी बडारण(मुख्य दासी) बना लिया|बाईजीराज कोई भी कार्य उसकी सलाह के बिना नहीं करती थी|पर्दा प्रथा के कारण बाईजीराज झालीजी के बाहर नहीं निकलने के चलते वह बाईजीराज झालीजी की आँख,कान बन गयी थी ====================================================== |
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शनिवार, अगस्त 06, 2011
बेशर्मी मोर्चे से मेंढको कि टर्र टर्र तक का सफ़र
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जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति..... अच्छे लिनक्स का संकलन है.... आभार
जवाब देंहटाएंचर्चा का यही रूप होना चाहिए!
जवाब देंहटाएंहमें भी प्रेरणा मिली और नई दिशा भी!
उपयोगी लिंकों का समावेश किया है आपने आज की चर्चा में!
अच्छे लिंक्सों के साथ बढिया चर्चा .. आभार !!
जवाब देंहटाएंआपके लिंक हैं प्यारे प्यारे
जवाब देंहटाएंलेकिन हमारा लिंक है न्यारा न्यारा
यक़ीन न आए तो ख़ुद देख लीजिए
जौनपुर का पुल (नज़्म) Jaunpur Ka Pul
सुन्दर चर्चा ||
जवाब देंहटाएंबधाई भाई जी ||
सुंदर लिंक्स का अच्छा मिश्रण ,आभार
जवाब देंहटाएंMAssom Sahab , Bahdhai. aapne itne aache link diya hai hume sabhi behad prabhav shaali hai
जवाब देंहटाएं.......un sabhi logo ko bhi bahut bahut abdhai jinke link aaj yaha chahrcha munch pe hai .......
बहुत सुन्दर और संतुलित चर्चा...बधाई, हमारा भी लिंक शामिल किया...आभार
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा अच्छे लिंक्स |बधाई |
जवाब देंहटाएंआशा
बहुत ही अच्छे लिंक्स ...आभार ।
जवाब देंहटाएंइससे जुड़ते ही रहें, पंच और सरपंच।
जवाब देंहटाएंजनता की आवाज बन, उभरे चर्चामंच॥
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सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी
सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंmakul charcha .........badhai !
जवाब देंहटाएंsundar prayas.sarthak charcha.aabhar
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट से पता चला कि बरसात का सीज़न है । मेंढकों की बात तो ग़ज़ब ही रही और नागपंचमी भी है। सुना है कि नाग का प्रिय भोजन मेंढक ही हैं। अब आप अगली पोस्ट नाग पर भी लाएं लेकिन ‘नागिन‘ पर मत लाना।
जवाब देंहटाएंPlease see
क्या ब्लॉगर्स मीट वीकली सचमुच हिंदी ब्लॉगर्स को जोड़ पाने में कामयाब रहेगी ?
http://drayazahmad.blogspot.com/