नमस्कार मित्रों!
मैं मनोज कुमार एक बार फिर से हाज़िर हूं रविवासरीय चर्चा के साथ।
आज की चर्चा शुरु करते हैं।
--बीस-
देश में पहली बारःएम्स ने किया हाथ का रीइंप्लांटेशनकुमार राधारमण |
नई दिल्ली एम्स देश का पहला ऐसा स्वास्थ्य संस्थान बन गया है जिसने बांह का रीइंप्लांटेशन करने में सफलता प्राप्त की है। कैंसर टयूमर से जूझ रहे पांच वर्षीय रेहान के हाथ काटने तथा उसकी जगह आर्टिफिशियल हाथ लगाने की बजाए एम्स के डाक्टरों ने उसके बांह को काटकर अलग कर दिया और कोहनी से हथेली वाले भाग को कंधे से जोड़ कर उसे उसका हाथ लौटा दिया है। |
अद्भुत ! किसी चमत्कार से कम नहीं। इस रोचक और अद्भुत जानकारी को अवश्य पढ़ें। |
--उन्नीस—
हरएक आँख में नमीKusum Thakur |
गंग की धार भी थमी इस खूबसूरत जहाँ में सिसकते लोग मगर पूजते पत्थर भावना की है कमी इस खूबसूरत जहाँ में |
बदल रहे समय का स्पष्ट प्रभाव दर्शाती ग़ज़ल! |
--अट्ठारह—
... और कंकड़ी पर पहाड़ गिर पड़ा!!!बी एस पाबला |
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सतर्क करती पोस्ट! कहीं लेने के देने न पड़ जाए। |
--सत्रह—
लोकतंत्र में सुधार चाहिए!रेखा श्रीवास्तव |
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वर्तमान परिदृश्य में इस विचार मंथन के द्वारा किसी नई राह की तलाश है। |
--सोलह—
आयु बोधरचना |
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कविता के अनूठे बिम्ब प्रभावित करते हैं। |
--पन्द्रह—
नया गूगल क्रोम दो नयी खूबियों के साथनवीन प्रकाश |
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बहुत उपयोगी पोस्ट। |
--चौदह—
संवेदनाओं की घाससंगीता स्वरुप |
घास पर मेरी सोच के कदमों से , पगडंडियाँ तो बन जाती हैं अनायास ही , क्यों कि आँख बंद कर भी सोच चलती रहती है |
बार बार की सम्वेदनाओं की धिसाई से वहां व्यवहार की पगडंडी तो बन जाती है पर फ़िर वहां सम्वेदनाओं की घास नहीं उगती!! |
--तेरह—
"झंडा ऊंचा रहे हमारा", किसने इस गीत की रचना की ?गगन शर्मा |
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एक महत्वपूर्ण पोस्ट। इस तथ्य की जानकारी के साथ पूरा गीत भी दिया गया है। ज़रूर पढ़ें। |
--बारह—
तथ्य की परिक्षण-विधि -अनेकांतवादसुज्ञ |
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इस आलेख के बारीक विश्लेषण गहरे प्रभावित करते हैं। |
--ग्यारह—
लो क सं घ र्ष !: आल इण्डिया स्टूडेन्ट्स फेडरेशन का इतिहास: महेश राठीSuman |
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इतिहास के पन्नों से लाकर पेश किया गया है एक शोधपूर्ण आलेख का पहला भाग। |
--दस—
ग़ज़लगंगा.dg: हर वक़्त कोई रंग हवा में.......देवेंद्र गौतम |
जी जिसकी मिसाल ढूँढनी मुमकिन न हो सके हम सब के सामने कोई ऐसी मिसाल रख. |
सुंदर ग़ज़ल! |
--नौ—
शायद उनके परिवार में किसी को Cancer नहीं हुआ...POOJA.. |
वाकई हम कुछ ज्यादा ही आज़ाद हो गए हैं... किसी को कुछ भी बोलने की आज़ादी ही नहीं, बल्कि बुरा, गन्दा, ख़राब और घटिया बोलने में हम पीछे नहीं हटते... |
सर्थक चिंतन, विचारोत्तेजक पोस्ट। |
--आठ—
लौहपथगामिनीआकल्प |
रेल से यात्रा एक सुखद अहसास है। हम अपने जीवन में इतनी तेजी से भागते जाते हैं कि छोटे-छोटे अहसास लगभग चूक ही जाते हैं और जिन्दगी एक सुहाने सफर की कथा बनने से विपरीत समय काटने और बोझ से लदे आदमी की आकृति गढ़ने लगती है। जिन्दगी के ठहरने का अहसास हो तो गति का आनंद कुछ और ही है। |
सुंदर संस्मरणात्मक लेख। |
--सात—
गेस्ट रूम में रही वो, सालों परदा तान ||रविकर |
दो किलो का बचपना, सत्तर का हो जiय | सत्तर का होकर करे, पत्थर-दिल सा काम | दुर्बल वृद्धा का करे, जीना वही हराम || अम्मा थी तब मलकिनी, आज हुई अनजान | गेस्ट रूम में रही वो, सालों परदा तान || |
बेहतरीन दोहे। सार्थक, विचारोत्तेजक। |
--छह—
नैतिक रूपांतरण की जरुरत है .... Suman |
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बहुत अच्छी कहानी के माध्यम से बताया ..आँखों पर जमी धूल तो हटती नहीं और दूसरों की आँख में धूल झोंक देते हैं नेता! |
--पांच—
इक था बचपन...बचपन के प्यारे से दोस्त भी थे... rashmi ravija |
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सभी का बचपन अमूमन इस तरह के वाकयों से दो चार होता रहता है। |
--चार—
यदि मौन बड़ा तो लेखन-प्रवचन क्यों? Dr.J.P.Tiwari |
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कभी मौन ही सब समस्या को सुलझा लेती है .. कभी समस्याओं को सुलझाने के लिए लेखन प्रवचन आवश्यक होता है . |
--तीन—
मॉंनसून स्कैम - पार्ट २ |
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एक मज़ेदार व्यंग्यात्मक प्रस्तुति। |
--दो—
--एक--
गिरती हुई बर्फ में ख पेड़ की तरह काँपना जड़ों से आग लेना शीत का मुकाबला करना अच्छा लगता है ठिठुरते हुए गर्म पानी के यात्रा जारी रखना । |
सारगर्भित, विचारोत्तेजक कविता। |
आज बस इतना ही!
अगले हफ़्ते फिर मिलेंगे।
तब तक के लिए हैप्पी ब्लॉगिंग!!
आज की चर्चा में बहुत अच्छे लिंकों को चयन किया है आपने!
जवाब देंहटाएं--
आभार!
बहुत बढिया .. महत्वपूर्ण लिंक्स !!
जवाब देंहटाएंबड़े अच्छे लिनक्स संकलित किये आपने.... सुंदर चर्चा के लिए आभार
जवाब देंहटाएंकुछ नए लिंक के लिए धन्यवाद
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंकों को चयन .
जवाब देंहटाएंज्ञानवर्धक लिंक्स के लिए आभार .
जवाब देंहटाएंNice post.
जवाब देंहटाएंयाद रखने के लिए हार्दिक आभार।
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा , आभार
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक मिले धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंsarthak charcha-achchhe links se saji charcha .aabhar
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक चयन्।
जवाब देंहटाएंसुन्दर सूत्र पिरोयें हैं।
जवाब देंहटाएंसभी सुधिजनों का आभार।
जवाब देंहटाएंलगता है मेरी चर्चा अब लोगों की अपेक्षाओं पर खड़ी नहीं उतर रही सो १५ अगस्त के बाद इस मंच से स्वतंत्र हो जाना चाहूंगा।
मनोज कुमार जी,
जवाब देंहटाएंदरअसल छोड़ने की इच्छा जितनी सघन होगी कसकर पकड़ने की इच्छा और भी संकल्प लेने लगेगी। हम इस बात से तो निश्चिन्त है कि यह अच्छा काम आप नहीं छोड़ने वालेकृ
और आप हमें निराश भी न करना...
आपका.......
बहुत बढ़िया सूत्र मिले...
जवाब देंहटाएंआनंद दाई चर्चा...
आभार...
काउंट डाउन वाली चर्चा को देखकर अच्छा लगा।
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ब्लॉगसमीक्षा की 27वीं कड़ी!
आखिर इस दर्द की दवा क्या है ?
आपकी चर्चा का ज़वाब नहीं सर! छोड़ने की बात कहकर दुःखी न करें प्लीज...हम सब तो अभी नौधुआ हैं आपका साथ सम्बल प्रदान करता है।
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक चयन
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