मित्रों आज रविवार है। देखिए आज की चर्चा। इसमें रचनाकार की पोस्ट के साथ उसकी प्रोफाइल भी मौजूद है। आप चित्र पर क्लिक करके सम्बन्धित रचनाधर्मी की प्रोफाइल भी देख सकते हैं। |
Maun नूतन |
अमीर धरती गरीब लोग
चलो कम से कम ये तो माना इस देश को चलाने वालों ने,कि देश को भ्रष्टाचार ने बुरी तरह जकड़ रखा है,और उससे निपटने के लिये सिर्फ़ जनलोकपाल ही काफ़ी नही है और भी ...
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सारे नेता -अभिनेता यहाँ लगते खूब प्रसन्न ! |
ZEAL
महाप्रयाण कर्म के बंधनों से बंधा मनुष्य , दुःख सुख को भोगकर मृत्यु के पश्चात एक अनंत यात्रा पर निकल पड़ता है। प्रश्न यह है कि क्या वह आपसी मोह-बंधनों से मुक्त हो जात...
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Love Everybody
- सुनिए !
मन को मिलेगा सुकून!!
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खुशदीप सहगल |
मनोज
मनोज” टीम* “ए वेन्ज़्-डे” फिल्म में अधिकांश डायलाग बड़े चुटीले हैं।
इसके “स्टुपिड कॉमन ...
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*भ्रष्टाचारी सदा ही, रहा शासक-ए-हिंद |
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अंदाज ए मेरा: ईमानदारी और कर्मठता की नई परिभाषा............!!!! - अंदाज ए मेरा: ईमानदारी और कर्मठता की नई परिभाषा............!!!!:
टेलीविजन में इन दिनों एक ही खबर दिख रही है।
ये कह सकते हैं, एक ही खबर बिक रही है। बिक रही ..
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व्यक्ति परिवार की तो परिवार समाज की महत्वपूर्ण इकाई है ।
इनमे से एक के बिना दूसरे की कल्पना नहीं की जा सकती । ......
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रामलीला मैदान में प्रवेश के लिए लंबी लाइन 'कल हमारा है...'
शूटिंग चालू आहे.....
"बोल जमूरे" : Mediya Madaris समर्थन भजन-कीर्तन :
"सबको सन्मति दे भगवान...
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तारे निकले - *शिशुगीत:नागेश पांडेय'संजय'*
*आसमान में तारे निकले,*
देखो, कितने सारे निकले.*
*टिम-टिम करते आते हैं ,*
*अंधकार को खाते हैं .*
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पाठकों के प्रश्नों के उत्तर देने के क्रम में ही आज का यह लेख है।
जब से मैं ब्लॉग जगत में आयी हूं ,
व्यक्तिगत समस्याओं के लिए पाठक मेल करते ही रहते हैं...
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जो बरतर था वो फटा हाल हुआ।
जो बदतर था वो बे-मिसाल हुआ॥
सिफ़र जबाब मिला हर सू से,
मेरी उल्फ़त का जो सवाल हुआ। ....
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रामलीला मैदान से लौटते हुए - १ हर साल मेघनाद, कुम्भकरण और
रावण को जलाने की परंपरा है
इस मैदान में सरकार के नेतृत्व के हाथों
जब वास्तव में होना है रावण का अवसान
वही सरकार आज फासले पर है...
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धरती पर आते सूर्य किरणों का प्रथम आवेग हूँ मैं
रन क्षेत्र में डटे हुए किसी क्षत्रिय का तेज हूँ मैं
लहरों से लरते हुए एक नाविक का विवेक हूँ मैं ...
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Neeraj Dwivedi | Life is just a life
छोटी सी चोट पर ही,
लोग रोया करते हैं बहुत यूँ ही,
दूसरे का हक मरकर भी,
खुश रहा करते हैं बहुत यूँ ही,
हम, सबको, अपना सब कुछ,
देने से ही नहीं अघाते,
लोगों से जख्म पाने पर भी,
हँसा करते हैं बहुत यूँ ही॥......
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Sir Ram | Source: Raam
हर शाम लिखूँगा तड़पन की सूरत,
बस तेरी बेरूखी मिलती रहे !.....
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कुश्वंश | Source: अनुभूतियो का आकाश
मुझे नहीं लगता तुम जीवित बचोगे
तुम्हे बचाने के प्रयास हमने तो बहुत किये
लेकिन तुम्हारा दुर्भाग्य तुम रार ऐसों से ठान बैठे
जिन्हें नहीं मालूम एक जान की कीमत और मालूम भी हो तो
अपनी जान नहीं बचायेंगे क्या ?
उन्हें तो सिर्फ चुनाव की भाषा आती है
आओ लड़ लो.
ठोकने लगे है ताल और वो तुम्हारे साथ खड़े लोग
प्रजातान्त्रिक खेल के दिन कि ..
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ढ़ूँढ़ रहा हूँ अपने दर्द की कोई शक्लवह स्पर्श भूला नहीं हूँ मै या शायद मेरे जेहन में इस कदर समा गया है वो कि उससे विरक्ति स्वयं से वैराग जैसा है।दूर से आती हुई मदमस्त पवन हौले से मेरे कानों में कुछ कहती है और हर बार सुनने की कोशिश में उस स्पर्श का स्मरण हो आता है जो हुआ था मुझको उस पल जब तुम दूर थी मुझसे। वह स्पर्श शायद मेरे दर्द के मंजरो को खुद में समेटे हुये है। ज्यों छुता है मुझे सारा शरीर अद्भूत स्पंदन से कंपित हो उठता है। ह्रदय की झंकारों में एक नयी वेग का आगमन होता है जो बहा ले जाता है उन सभी यादों को जिन्हें न जाने कब से ह्रदय में कैद कर के मै खुद को निश्चिंत समझ बैठा था।..... |
क्या स्थाई समिति सानसद से बढ़ी है ..
दोस्तों देश में जन लोकपाल बिल को सरकार संसद से हटाकर स्थाई समिति के नाम करना चाहती है और जनता के सामने संसद के मान सम्मान और अधिकारों की बात करती है .देश में ऐसे कितने विधेयक है जो सरकार ने पारित करने के पहले स्थाई संसद समिति के हवाले किये हैं .सांसदों का वेतन भत्ते का बिल .सरकार की मन मर्जी के बिल तो वेसे ही पास कर दिए जाते है ...अब एक बेवफा चतुर चालाक ओरत द्वारा अपने प्रेमी को धोखा देकर जो नखरे किये जाते है सरकार जन लोकपाल बिल पर बस वही नखरे कर रही है जनता को यह सच समझ लेना चाहिए और ऐसे काले अंग्रेजों को बेनकाब कर उखाड़ फेंकना चाहिए .........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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आज आँगन की तुलसी , क्यों उदास है !
शायद उसको भी , घर के बटबारे का आभास है |
जब से दिलों के बीच , दूरियों बढ़ने लगीं थीं |
तभी से उसकी जड़ें , कमज़ोर पड़...
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इधर कुलदीप नैय्यर जी का "हिंदी दैनिक आजसमाज" के "दखल" स्तंभ में एक आलेख छपा है ,"नया जनादेश लेने का समय .लेख शीर्षक की पुष्टि नहीं करता है .बीच में कुलदीप ...
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सिल्क के चंद टुकड़े जोड़ इस चित्र की पार्श्वभूमी बनाई.
उस के ऊपर दिया और बाती रंगीन सिल्क तथा कढाई के ज़रिये बना ली.
फ्रेम मेरे पास पहले से मौजूद थी. बल्कि...
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"उस कानन में स्वतन्त्रता का नारा है बेकार" जिस उपवन में पढ़े-लिखे हों रोजी को लाचार। उस कानन में स्वतन्त्रता का नारा है बेकार।।.... |
अन्त में- नमस्कार! जय हिन्द! जय भारत!! वन्दे मातरम्! |
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रविवार, अगस्त 28, 2011
“रचनाधर्मी की प्रोफाइल भी देखें” (चर्चा मंच-620)
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रोचक , विस्तृत चर्चा!
जवाब देंहटाएंआज तो चर्चा में एक नयेपन का अहसास मिला ।
जवाब देंहटाएंआपकी जेब भर सकती है ‘हातिम ताई तकनीक‘ Hindi Blogging Guide (30)
rochak charcha ...badhia links....
जवाब देंहटाएंसुहानी चर्चा , बधाई !
जवाब देंहटाएंबहुत ही मोहक रविवासरीय चर्चा , विविध प्रसूनों से सुगंध,विखरती अंतस को सुवाषित करती हुयी बोध- गम्य है ,ग्रह्य भी ........ शुक्रिया जी /
जवाब देंहटाएंumda
जवाब देंहटाएंसार्थक और सुंदर प्रस्तुतिकरण. आपने आज की चर्चा में मुझे भी जगह दी , इसके लिए आभार.
जवाब देंहटाएंएक या दो को छोड़ सारे सूत्र पढ़े हुये मिले।
जवाब देंहटाएंचर्चा का नयापन आकर्षित करता है.वाह.
जवाब देंहटाएंसार्थक और सुंदर प्रस्तुतिकरण. आपने आज की चर्चा में मुझे भी जगह दी , इसके लिए आभार
जवाब देंहटाएंजबरदस्त ||
जवाब देंहटाएंआज |
बिलकुल
अनोखा अन्दाज ||
एक अलग सी चर्चा.
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा , आभार
जवाब देंहटाएंbehtreen
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार चर्चा....
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छे लिंक्स...
सादर...
|मेरी को यहाँ स्थान देने के लिए आभार |
एक नए अंदाज में आकर्षक चर्चा. मेरी पोस्ट को भी स्थान देने का आभार.
जवाब देंहटाएंचर्चा का यह अंदाज़ भी भाया।
जवाब देंहटाएंnaveen urja se bharti charcha .aabhar .
जवाब देंहटाएंThanks to introducing different personalities to us!
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक... सार्थक चर्चा..
जवाब देंहटाएंसादर बधाई...
सुन्दर व सार्थक चर्चा।
जवाब देंहटाएंThanks for this wonderful 'Charcha'. I still have to visit few links.
जवाब देंहटाएंThank you for presenting great links with a beautiful and well structured manner.
जवाब देंहटाएंसार्थक रविवासरीय चर्चा .मेरी प्रस्तुति को भी स्थान देने का आभार
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