(1)नई क़लम - उभरते हस्ताक्षररुंधे हुए गले का जवाब
वो पाक माहे रमज़ानसुबह सादिक का वक़्त
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी" |
(2)
" 21वीं सदी का इंद्रधनुष " babanpandeyराह में हैं कटीले कंकड़ ,तो क्या चलना बंद कर दूँख़बरें छपी है फरेब की ,तो क्या पढना बंद कर दूँ ....// मैं झूठ का तड़का नहीं लगाता, सच की दाल में उन्हें बुरा लगता है ,तो क्या लिखना बंद कर दूँ ...// |
वाणी इनकी मधुर-विषैली,
नित बाढ़े *विषयाधिप थैली |
जड़े जमा *विषयांत पार भी ,
*विषा स्विस-बैंकों तक फैली ||
बिल में गहरी सांस खींचिए,
नाग-देवता माफ़ कीजिये ||
नित बाढ़े *विषयाधिप थैली |
जड़े जमा *विषयांत पार भी ,
*विषा स्विस-बैंकों तक फैली ||
बिल में गहरी सांस खींचिए,
नाग-देवता माफ़ कीजिये ||
विषयाधिप = शासक विषा = कडुवी-तरोई विषयांत= देश की सीमा
(3)
"यादें" अगर ख़ुशी कम लगे जहाँ में ग़मों की पढ़कर किताब देखो गिला जो तुमको हो गर किसी से लूटे दिलों का हिसाब देखो |
विष-विस्फोट करता घूमे,
दर्दनाक मंजर पर झूमे |
आयातित-विष का भंडारी
मौत भरी है इसके फू-में ||
वारदात पर हाथ मींजिये,
नाग-देवता माफ़ कीजिये ||
दर्दनाक मंजर पर झूमे |
आयातित-विष का भंडारी
मौत भरी है इसके फू-में ||
वारदात पर हाथ मींजिये,
नाग-देवता माफ़ कीजिये ||
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दूध - दवा - फल - सब्जी - ठेला
*विष्कलन का व्याधिक खेला |
महा-मिलावट जहर-खुरानी,
विषान्नों का लागे मेला ||
प्राणान्तक परसाद खाइए ,
नाग-देवता माफ़ कीजिये ||
विष्कलन = आहार *विष्कलन का व्याधिक खेला |
महा-मिलावट जहर-खुरानी,
विषान्नों का लागे मेला ||
प्राणान्तक परसाद खाइए ,
नाग-देवता माफ़ कीजिये ||
(5)
'विचार प्रवाह'
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माफिया मर्फ़िया सा घातक
पुश्तों का बड़-पापी पातक |
अपना हित साधे ये प्राणी
जन-संसाधन का है बाधक ||
इनको सारी जगह दीजिये,
नाग-देवता माफ़ कीजिये ||
(6)
Kabhi Kabhi hum ye bhi likhte hai...: मैं , मेरा बचपन और मेरी माँ || (^_^) ||
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जैसे जैसे पेट बढ़ रहा
वैसे-वैसे रेट बढ़ रहा |
उन्नत विष का दंड मंगाया,
बेकसूर बे-मौत मर रहा ||
छटे-छ्टों की छटा देखिये ,
नाग-देवता माफ़ कीजिये ||
Arvind Mishra सर्प संसार (World of Snakes)वैसे-वैसे रेट बढ़ रहा |
उन्नत विष का दंड मंगाया,
बेकसूर बे-मौत मर रहा ||
छटे-छ्टों की छटा देखिये ,
नाग-देवता माफ़ कीजिये ||
(7)मौत की उम्मीदKhuda Khair kare |
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(10)
इडियट्स की डायरी दलितों का संस्कृत |
(11) एक गीत अनोखा लायी हूँ... - Open Books Online |
(14)चैतन्य का कोना
डिज़नीलैंड..... एक मैजीकल वर्ल्ड ! |
"अन्तर" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
जिसका अस्तित्व नही मिटा पाई,
कभी भी,समय की आंधी ।
ऐसा था,
हमारा राष्ट्र-पिता,महात्मा गान्धी ।।
कितना है कमजोर,
सेमल के पेड़ सा-
आज का नेता ।
जो किसी को,कुछ नही देता ।।
दिया सलाई का-
मजबूत बक्सा,
सेंमल द्वारा निर्मित,एक भवन ।
माचिस दिखाओ,और कर लो हवन ।
आग ही तो लगानी है,
चाहे-तन, मन, धन हो या वतन।।
यह बहुत मोटा, ताजा है,
परन्तु,
सूखे साल रूपी,गांधी की तरह बलिष्ट नही,
इसे तो गांधी की सन्तान कहते हुए भी......-
(15)
जज़्बात جذبات Jazbaat निभा लेता हूं
हज़रात, आदाब
एक शेर देखिएचलो तकदीर दोनों आज़माकर देख लेते हैं मिलाता है हमें किसका मुक़द्दर देख लेते हैं |
(17)
हम सब एक हैं ….डॉ नूतन गैरोला मने कभी इंसान की हड्डी को देखा है कही भी जा दिखेगी हड्डी होती सिर्फ सफ़ेद है क्या बोलती है वो मैं हिंदू हूँ, मै मुस्लिम हूँ या कि ईसाई और सिख? कभी पानी ना मिलेगा तो जानोगे प्यास होती है क्या? |
यहाँ ऐसा होता है तो क्यों होता है मेरे देश में ,विदेश में ख़ास कर अमरीका में यह सवाल नहीं उठता है .वहां एम् एससी फिजिक्स के बाद बेशक आप एम् बी बी एस कर लो ,कुछ और कर लो -पढो जो दिल करे , करो रचनात्मक जो दिल---- |
भारतीय भाषाओं में प्रयुक्त होने वाली ध्वनियाँ - एक परिचर्चाभारतीय भाषाओं में प्रयुक्त होने वाली ध्वनियाँ - एक परिचर्चा
आचार्य परशुराम राय
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(21)
लघुकथा - 4
सरकारी नौकरी
'' घर नहीं चलना , टाइम हो चुका है .'' - मेरे साथी ने मुझसे कहा . मैंने इस कार्यालय में आज ही ज्वाइन किया था .शायद इसीलिए उसने मुझे याद दिलाना चाहा था .
'' मेरी घड़ी पर तो अभी दस मिनट बाकी हैं .'' - मैंने घड़ी दिखाते हुए कहा .
'' वो तो मेरी घड़ी पर भी हैं ."
'' फिर ? ''
|
अगले शुक्रवार प्रवास पर हूँ , झाँसी, लखनऊ, फ़ैजाबाद और १८ को वापस धनबाद || - रविकर शुभ - विदा |
अच्छभ् चर्चा .. आभार !!
जवाब देंहटाएंbahut umda charcha...isme meri post ko shamil karne ke liye bahut bahut dhanybad....aabhar
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा और लिंक्स बधाई |
जवाब देंहटाएंआशा
मनभावन और संतुलित सतरंगी चर्चा करने के लिए आभार!
जवाब देंहटाएंprabhav chhodate srijan &prastota ko
जवाब देंहटाएंsamman tatha badhayi.ruchikar links .
prabhav chhodate srijan &prastota ko
जवाब देंहटाएंsamman tatha badhayi.ruchikar links .
बहुत अच्छी और प्रभावशाली तरीके से पेश की गई चर्चा...जज़्बात को शामिल करने के लिए शुक्रिया रविकर जी.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिनक्स का संकलन किया आपने ....चैतन्य को जगह दी आभार
जवाब देंहटाएंकाफी रोचक है यह अंदाज भी ......आपका प्रयास सराहनीय है .....आपका आभार
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा और लिंक्स .
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा .
जवाब देंहटाएंsunder charch
जवाब देंहटाएंmeri laghu katha shaamil krne ke lie dhnyvad
बहुत सुन्दर...बधाई
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंbest charcha
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंअच्छी रचनाओं से जुड़े लिंक्स... बबन भाई की रचनाओं को मैंने पहले भी पढ़ा है... 21वीं सदी का इंद्रधनुष वाले... बहुत बढ़िया लिखते हैं... बाकी रचनाएं भी बेहतरीन... शुक्रिया....
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद मेरे ब्लॉग को यहाँ स्थान देने के लिए।
जवाब देंहटाएंसादर
सुन्दर लिंक्स और सार्थक चर्चा... आभार.
जवाब देंहटाएंसादर,
डोरोथी.
sunder charcha :)
जवाब देंहटाएंbahut bahut shukriya ravikar zi , meri kavita ko iss sammanit manch pe jagah dene ke liye :)
bahut mehnat se prastut ki gayi lambi v sarthak charcha .aabhar
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा...
जवाब देंहटाएंसादर आभार...
रविकर जी ने सुन्दर चर्चा की ... और अच्छे लिंक्स मिले... मेरी पोस्ट भी यहाँ शामिल की ... आपका आभार ..
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