मित्रों! आज बुधवार है।
चर्चा लगाने का दिन भाई अरुणेश सी दवे जी का था।
"दादा अभी भी मै व्यस्त हूँ अन्ना आंदोलन में।
अनुरोध है कि आप मेरी बदले चर्चा लगा दें।
मै अगले हफ़्ते ओवर टाईम कर दूँगा।"
मगर उनकी मेल मुझे कल टाइम से मिल गई।
अतः मैं उनकी ओर से उनकी शैली में ही इस चर्चा को लगा रहा हूँ।
मैं आज का भ्रमण vikhyat पर सजे हुए सत्यमेव जयते से प्रारम्भ कर रहा हूँ। इसके बाद जब मैं पहुँचा तकनीक हिंदी में तो वहाँ पर ब्लॉगरों के लिए उपयोगी जानकारी थी-अपने कंप्यूटर को बचाइए autorun वायरस से । आगे बढ़ा पर तो निरामिष पर पाया किहमारे खान-पान का हमारी संवेदना पर असर होता है। उन्नयन (UNNAYANA)पर मैंने देखा मूल्य - मूल्य गिरता महंगाई का , इसके बाद मैं चला लो क सं घ र्ष पर तो वहाँ पर थी -असलियत अन्ना का आन्दोलन: मेरी बातें...मेरे शब्द .... - 'विचार प्रवाह' पर आखिर मैंने खोज ही लिए। इसके बाद रुख किया तो ब्लॉग की ख़बरें पर तो वहाँ पर एक सूचना थी- क्या आप तैयार है ब्लॉग पहेली -२ के लिए ? SADA पर मैंने पाया इनकी पुस्तक के प्रकाशित होने और उसके विमोचन होने का समाचार प्रथम काव्य संग्रह ‘अर्पिता’ .....।जी हाँ में आज़ाद भारत का नेता हूँ ....... - जी हाँ मेरे भारत वासियों में आज़ाद भारत का नेता हूँ । जनता से सिर्फ और सर लेता ही लेता हूँ कभी वोट लेता हूँ ..।हिंदी ब्लॉगर्स फ़ोरम इंटरनेशनल HBFI पर पढ़िए आज की आजादी का विकृत स्वरूप। इस पर मैंने कहा-"प्यार से प्यार आज़मायेंगे"...। दिनेश की दिल्लगी, दिल की सगी पर थी आज के बापू की धूम-अन्ना बड़े महान - कद - काठी से शास्त्री, धोती - कुरता श्वेत | बापू जैसी सादगी, दृढ़ता सत्य समेत || निश्छल और विनम्र है, मंद-मंद मुस्कान | अनामिका की सदायें ... पर अनामिका जी बता रहीं थीं- इन उदास चिलमनों में.. तूफ़ान गुजरने के बाद के उजड़े शहर की बर्बाद इमारतें हैं. ....। इसके बाद KAVITARAWAT जी कहती हुई पायी गईं-तिहरे धागे को तोड़ना आसान नहीं है! लगे हाथों खुशदीप जी के भी (कु)तार्किक सवाल का (सु)तार्किक जवाब दीजिए...ना। आगे बढ़ने पर मनोज ब्लॉग पर मनोज कुमार जी की भी भारत और सहिष्णुता की श्रृंखला में काफी कुछ नया मिला। Love Everybody पर मुझे विद्या जी की विरहव्यथा ग़ज़ल के रूप में कुछ इस प्रकार से दिखाई दी-पल पल हर पल तेरी याद आती। समीर लाल जी की पोस्ट उड़न तश्तरी .... पर जाकर हमने भी उनके साथ एडिनबर्ग नहीं एडनबरा, स्कॉटलैण्ड: एक ऐतिहासिक नगरी की सैर घर बैठे ही कर ली। संगीता पुरी जी गत्यात्मक ज्योतिष पर लेकर आयीं हैं- जन्माष्टमी पर विशेष आलेख-आखिर कृष्ण जी के इतने संतुलित बाल लीलाओं का राज क्या था ?? अब विचार में पढ़िए- डरबन लौटने पर विरोध-प्रदर्शन - *गांधी और गांधीवाद-*63** डरबन लौटने पर विरोध-प्रदर्शन ** *13 जनवरी 1897* **.....देसिल बयना – 95 : में भी आज है-करमहीन खेती करे.... बुरा भला पर भी अन्ना जी ही तो हैं- हम सब अन्ना के साथ है ...बेचैन आत्मा की भी यही हालत है आज। जेहर देखा ओहर अन्ना - जिधर देखो उधर अन्ना की ही धूम मची है। टी0वी0 खोलो तो अन्ना...! चाय-पान की अड़ी में एक पल के लिए रूको तो अन्ना..! हर ओर उन्ही का हाल जानने की उत्सुकता....। ग़ाफ़िल की अमानत पर पढ़िए आज यह नज़्म- मंजिल वही पुरानी है - अपनी माटी ''ब्लॉग राइटिंग के बहाने अनपढ़ लोग भी हाथ आजमा रहे हैं''-यशवन्त कोठारी ........इसके बाद घड़ी देखी तो रात के साढ़े ग्यारह बज चुके थे और आँखें नींद से बोझिल थी तो आज की चर्चा को यहीं पर विराम देना पड़ा।
चर्चा लगाने का दिन भाई अरुणेश सी दवे जी का था।
"दादा अभी भी मै व्यस्त हूँ अन्ना आंदोलन में।
अनुरोध है कि आप मेरी बदले चर्चा लगा दें।
मै अगले हफ़्ते ओवर टाईम कर दूँगा।"
मगर उनकी मेल मुझे कल टाइम से मिल गई।
अतः मैं उनकी ओर से उनकी शैली में ही इस चर्चा को लगा रहा हूँ।
मैं आज का भ्रमण vikhyat पर सजे हुए सत्यमेव जयते से प्रारम्भ कर रहा हूँ। इसके बाद जब मैं पहुँचा तकनीक हिंदी में तो वहाँ पर ब्लॉगरों के लिए उपयोगी जानकारी थी-अपने कंप्यूटर को बचाइए autorun वायरस से । आगे बढ़ा पर तो निरामिष पर पाया किहमारे खान-पान का हमारी संवेदना पर असर होता है। उन्नयन (UNNAYANA)पर मैंने देखा मूल्य - मूल्य गिरता महंगाई का , इसके बाद मैं चला लो क सं घ र्ष पर तो वहाँ पर थी -असलियत अन्ना का आन्दोलन: मेरी बातें...मेरे शब्द .... - 'विचार प्रवाह' पर आखिर मैंने खोज ही लिए। इसके बाद रुख किया तो ब्लॉग की ख़बरें पर तो वहाँ पर एक सूचना थी- क्या आप तैयार है ब्लॉग पहेली -२ के लिए ? SADA पर मैंने पाया इनकी पुस्तक के प्रकाशित होने और उसके विमोचन होने का समाचार प्रथम काव्य संग्रह ‘अर्पिता’ .....।जी हाँ में आज़ाद भारत का नेता हूँ ....... - जी हाँ मेरे भारत वासियों में आज़ाद भारत का नेता हूँ । जनता से सिर्फ और सर लेता ही लेता हूँ कभी वोट लेता हूँ ..।हिंदी ब्लॉगर्स फ़ोरम इंटरनेशनल HBFI पर पढ़िए आज की आजादी का विकृत स्वरूप। इस पर मैंने कहा-"प्यार से प्यार आज़मायेंगे"...। दिनेश की दिल्लगी, दिल की सगी पर थी आज के बापू की धूम-अन्ना बड़े महान - कद - काठी से शास्त्री, धोती - कुरता श्वेत | बापू जैसी सादगी, दृढ़ता सत्य समेत || निश्छल और विनम्र है, मंद-मंद मुस्कान | अनामिका की सदायें ... पर अनामिका जी बता रहीं थीं- इन उदास चिलमनों में.. तूफ़ान गुजरने के बाद के उजड़े शहर की बर्बाद इमारतें हैं. ....। इसके बाद KAVITARAWAT जी कहती हुई पायी गईं-तिहरे धागे को तोड़ना आसान नहीं है! लगे हाथों खुशदीप जी के भी (कु)तार्किक सवाल का (सु)तार्किक जवाब दीजिए...ना। आगे बढ़ने पर मनोज ब्लॉग पर मनोज कुमार जी की भी भारत और सहिष्णुता की श्रृंखला में काफी कुछ नया मिला। Love Everybody पर मुझे विद्या जी की विरहव्यथा ग़ज़ल के रूप में कुछ इस प्रकार से दिखाई दी-पल पल हर पल तेरी याद आती। समीर लाल जी की पोस्ट उड़न तश्तरी .... पर जाकर हमने भी उनके साथ एडिनबर्ग नहीं एडनबरा, स्कॉटलैण्ड: एक ऐतिहासिक नगरी की सैर घर बैठे ही कर ली। संगीता पुरी जी गत्यात्मक ज्योतिष पर लेकर आयीं हैं- जन्माष्टमी पर विशेष आलेख-आखिर कृष्ण जी के इतने संतुलित बाल लीलाओं का राज क्या था ?? अब विचार में पढ़िए- डरबन लौटने पर विरोध-प्रदर्शन - *गांधी और गांधीवाद-*63** डरबन लौटने पर विरोध-प्रदर्शन ** *13 जनवरी 1897* **.....देसिल बयना – 95 : में भी आज है-करमहीन खेती करे.... बुरा भला पर भी अन्ना जी ही तो हैं- हम सब अन्ना के साथ है ...बेचैन आत्मा की भी यही हालत है आज। जेहर देखा ओहर अन्ना - जिधर देखो उधर अन्ना की ही धूम मची है। टी0वी0 खोलो तो अन्ना...! चाय-पान की अड़ी में एक पल के लिए रूको तो अन्ना..! हर ओर उन्ही का हाल जानने की उत्सुकता....। ग़ाफ़िल की अमानत पर पढ़िए आज यह नज़्म- मंजिल वही पुरानी है - अपनी माटी ''ब्लॉग राइटिंग के बहाने अनपढ़ लोग भी हाथ आजमा रहे हैं''-यशवन्त कोठारी ........इसके बाद घड़ी देखी तो रात के साढ़े ग्यारह बज चुके थे और आँखें नींद से बोझिल थी तो आज की चर्चा को यहीं पर विराम देना पड़ा।
लेकिन Albelakhatri.com पर एक दुखद सूचना है- भगवान करे यह सच न हो...झूठ हो....डॉ. अमर कुमार जी जीवित ही हों - * * * * ** ** ** ** ** * प्यारे मित्रो, * *अभी अभी फेस बुक पर यह दुखद समाचार अरविन्द मिश्र जी की * *पोस्ट से मिला कि वरिष्ठ ब्लोगर डॉ. अमर कुमार नहीं रहे...इस दुखद घड़ी में चर्चा मंच की ओर से मैं डॉ. अमर कुमार को श्रद्धांजलि समर्पित करता हूँ।
बहुत ही शानदार चर्चा....
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छे लिंक्स...
सादर...
|मेरी कविता को यहाँ स्थान देने के लिए आभार |
aap ki baat to nirali hai
aap to sab ka madad gar hai
अच्छी चर्चा,पठनीय ब्लाग्स का चयन.विविधता लिए हुए ढेर सारी पोस्ट्स.देर रात तक जाग कर हमारे सामने इन लिंक्स को लाने का आभार.
जवाब देंहटाएंइस अंतरजाल पर ही एक दूसरे से संवाद करने वाले मित्रों के बीच से एक के चले जाने पर उनको हार्दिक श्रद्धांजलि.
बहुआयामी व्यक्तित्व की बहुअयामी प्रस्तुति निःसंदेह प्रभावशील एवं प्रशंशनीय है , शुभकामनायें हैं गतिशीलता व जीवन्तता को ......../ शुक्रिया सर ../
जवाब देंहटाएंkhoobsurat charcha....meri post ko ismei shamil karne ke liye bahut bahut dhanybad babu ji....aabhar
जवाब देंहटाएंनि:संदेह बहुत अच्छी चर्चा और बढ़िया लिंक्स
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
आपके ब्लॉग से जाना डा0 अमर कुमार नहीं रहे...!सुबह की खुशी गहरी निराशा में परिवर्तित हो गई। साथियों के पोस्ट पर उनके कमेंट पढ़ता था। उनकी बेबाक टिप्पणियाँ ही मेरे लिए उनकी पहचान है। हिंदी ब्लॉग जगत के लिए यह एक दुखद समाचार है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे। साथियों को गम सहने की शक्ति दे।
जवाब देंहटाएंआपके ब्लॉग के माध्यम से विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।
शानदार लिंक्स ...
जवाब देंहटाएंआभार !
सार्थक चर्चा .मेरी पोस्ट को यहाँ स्थान देने हेतु हार्दिक धन्यवाद .वरिष्ठ ब्लोगर अमर कुमार जी को मेरी भी श्रद्धांजलि .परमपिता उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें व् उनके परिवारीजन को यह दुःख सहन करने का साहस . आभार
जवाब देंहटाएंBLOG PAHELI -2
अच्छे अच्छे लिंक्स समेटे सुंदर चर्चा .. आभार !!
जवाब देंहटाएंचिलमन की खूबसूरत झालर सी चर्चा लिंक का हरेक मोती और माला के रेशमी धागे सी शैली ,वाह क्या बात है .बेहतरीन चर्चा के लिए ,लिंक मुहैया करवाने के लिए आभार आपका .बेहतरीन जानकारी दी है आपने बहुत अच्छी पोस्ट . जय ,जय अन्ना जी ,जय भारत .
जवाब देंहटाएंसद-उद्देश्यों के लिए, लड़ा रहे वे जान |
कद - काठी से शास्त्री, धोती - कुरता श्वेत |
बापू जैसी सादगी, दृढ़ता सत्य समेत ||
ram ram bhai
सोमवार, २२ अगस्त २०११
अन्ना जी की सेहत खतरनाक रुख ले रही है . /
http://veerubhai1947.blogspot.com/
.
.आभार .....इफ्तियार पार्टी का पुण्य लूटना चाहती है रक्त रंगी सरकार ./ http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com
Tuesday, August 23, 2011
सुन्दर चर्चा ||
जवाब देंहटाएंअच्छा संकलन ||
आपका बहुत बहुत आभार ||
चर्चामंच के सभी सम्मानीय चर्चाकारों की मैं बहुत बहुत आभारी हूँ जो मेरी रचनाओं को इसमें शामिल कर मुझे लेखन हेतु प्रोत्साहित कर मेरा मनोबल बढाने में मेरा सहयोग करते हैं.. मैं बखूबी समझती हूँ की आप लोग बहुत मेहनत से चर्चामंच को प्रस्तुत करते हैं.. क्योंकि अपनी रोजमर्रा की भाग-दौड़ के बीच अपनी रचनाधर्मिता बनाये रखना बहुत मुश्किल होता है..इस दौर से मैं भी दो चार होकर लिखने और पढने के लिए कोशिश करती रहती हूँ..
जवाब देंहटाएंपुनश्च मेरी रचना को शामिल कर उत्साहवर्धन के लिए आभार!
आपका बहुत बहुत आभार !
जवाब देंहटाएंशानदार वृतांतमय चर्चा!!
जवाब देंहटाएंयह प्रयोग ला-जवाब है। अच्छे लिंक भी मिले।
निरामिष के लेख पर चर्चा के लिए आभार, शास्त्री जी
बेहद दुखद ... हमारी हार्दिक श्रद्धांजलि !! भगवान् डा0 अमर कुमार के परिवार को इस दारुण दुःख को सहने की शक्ति प्रदान करें ... ॐ शांति शांति शांति ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छे लिंक्स दिये हैं आपने ..'अर्पिता' के विमोचन का जिक्र चर्चा मंच पर अच्छा लगा ...आभार ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही दुखद घटना ........विनम्र श्रधांजलि
जवाब देंहटाएंचर्चा में अच्छे लिक्स शामिल करने हेतु धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंडा.अमर कुमार जी को विनम्र श्रद्धांजलि !
डा.अमर कुमार जी को विनम्र श्रद्धांजलि !
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा...
जवाब देंहटाएंडा. अमर कुमार को सादर श्रद्धांजली...
शानदार लिंक्स से सुसज्जित चर्चा।
जवाब देंहटाएंडा. अमर कुमार जी की ख़ुशी के लिए कम से कम एक दिन सभी लोग अपने ब्लॉग से मॉडरेशन हटा लें
जवाब देंहटाएंडा. अमर कुमार जी को श्रृद्धांजलि,
डा. अमर कुमार जी आज हमारे बीच नहीं हैं।
मौत एक ऐसा सच है जिसे न तो झुठलाया जा सकता है और न ही बदला जा सकता है। कामयाब वही इंसान है जो एक रब का होकर जिये।
डा. साहब अक्सर टिप्पणी पर मॉडरेशन लगाए जाने के विरोधी थे।
इसके खि़लाफ़ वह अक्सर ही आवाज़ बुलंद किया करते थे।
उनकी ख़ुशी के लिए कम से कम एक दिन सभी लोग अपने ब्लॉग से मॉडरेशन हटा लें तो उनके लिए हमारी तरफ़ से यह एक सम्मान होगा।
वह एक ज्ञानी आदमी थे।
उनकी टिप्पणी उनके ज्ञान का प्रमाण है।
जिसे आप देख सकते हैं इस लिंक पर
सारी वसुधा एक परिवार है
bahut acchhe links mile. meri rachna ko yaha sthan de kar aapne mujhe yaad rakha....iske liye bahut aabhari hun.
जवाब देंहटाएंdr. amar k nidhan par shradhanjali.
''भगवान करे यह सच न हो...झूठ हो....डॉ. अमर कुमार जी जीवित ही हों''
जवाब देंहटाएंपरमपिता ने ब्लॉगजगत के निष्पक्ष टिप्पणीकार डॉ. अमर से विशेष प्रेम दिखाया और अपने पास बुलाया... हमें अश्रुओं के साथ छोड़कर उनका चले जाना ... उनकी मधुर स्मृतियों को बार-बार बुलाना... और अधिक कष्टदायी हो रहा है........ मैं जानता हूँ यदि आज डॉ. अमर जी होते तो अवश्य निरामिष पर आते और जबरन विपरीत बोंल-बोलकर हमें अपनी बात को पुष्ट करने को उकसाते..... उनका स्वभाव ही ऐसा था कि आसानी से प्रशंसा नहीं करते थे. उनकी आलोचना पाना ही उनकी प्रशंसा पाना था.
जवाब देंहटाएंअन्य ब्लोगो के बिषय मे जो अपने चर्चा प्रस्तुत की वह जानकारी से पूर्ण है इस के लिये धन्यबाद
जवाब देंहटाएं