नमस्कार मित्रों!
मैं मनोज कुमार इस दौर की अपनी अखिरी चर्चा के साथ हाजिर हूं। आज कोई नम्बरिंग नहीं। कुछ बातें और कुछ लिंक्स बस …! इसके बाद कुछ विश्राम के बाद फिर आऊंगा। (शालिनी कौशिक जी के सुझाव पर परिवर्तन)
पिछले एक साल से अधिक से (अप्रैल 2010) इस मंच से जुड़ा रहा। तब से अब तक ब्लॉगजगत में कितना सारा परिवर्तन आ चुका है। इन दिनों किन्हीं विशेष परिस्थितियों के कारण मंच को अधिक समय नहीं दे पाता था। विगत कुछेक महीनों से शास्त्री जी निवेदन कर रहा था कि मुझे कुछ समय के लिए इस दायित्व से मुक्त किया जाए। पर उनकी भी कुछ विवशता थी। अंततोगत्वा कुछेक नए साथियों के इस मंच से जुड़ जाने के बाद से चर्चा मंच को एक नई ताज़गी और बल मिला है, और मुझे …। चिट्ठाजगत आदि के हट जाने के बाद से इस तरह के मंच की आवश्यकता को बड़ी शिद्दत से महसूस किया जाने लगा। मंच ने अपनी निरंतरता को बनाए रखा। नए साथियों से गुजारिश है कि वे इसकी गरिमा को बनाए रखेंगे और पाठकों से विनती है कि वे इसके बल को!
एक एक चर्चा को बनाने में चर्चाकार को कितनी मेहनत करनी होती है इसका अंदाज़ा तभी होगा जब आप एकाध चर्चा करके देखें।
विशेष क्या लिखूं … आप सबों को स्वाधीनता दिवस के अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं।
आइए कुछ लिंक्स की तरफ़ आपका ध्यान आकर्षित करें
अच्छे लिंक्स!
जवाब देंहटाएंलिंक्स ही लिंक्स ,धन्यवाद .
जवाब देंहटाएंबहुत मेहनत और सुन्दरता से अपने लिंक्स सहेजे हैं ....इस बात का अंदाजा तो है कि एक एक चर्चा को लगाने में बहुत मेहनत करनी पड़ती है ....लेकिन आपका चर्चा मंच से हट जाना .......????????!
जवाब देंहटाएंआदरणीय मनोज कुमार जीचर्चा मंच से हटे नहीं है! कुछ दिनों में वो अपना शोधकार्य पूरा कर लेंगे तो फिर से चर्चा करने लगेंगे।
जवाब देंहटाएंमनोज कुमार जी का नाम तो चर्चा मंच के साथ जुड़ा हुआ है! उसको हटाने का साहस कम से कम मैं तो नहीं कर सकता!
इसके अतिरिक्त यदि किसी दिन हमारे किसी साथी की चर्चा नहीं आयेगी तो मनोज कुमार जी तो हमारे साथ है ना! वो चर्चा लगा देंगें! किन्तु चर्चा में अन्तराल और व्यवधान नहीं आने देंगे!
सुन्दर सूत्र पिरो लाये हैं, आपकी चर्चाओं की प्रतीक्षा बनी रहेगी।
जवाब देंहटाएंसच कहा है आपने चर्चा करने में कितनी मेहनत लगती है यह एक -दो चर्चा प्रस्तुत करके ही जाना जा सकता है .आभार .
जवाब देंहटाएंकुशलता के साथ संकलन ,संपादन नए आयामों को ,सृजन को सम्मान, सामान रूप se सिंचित करता आज का साहित्य अलोक आपके प्रभाव में है , सुगंध बिखेर रहा है ,आप बधाई के हक़दार हैं ,मैं दे रहा हूँ ......../
जवाब देंहटाएंमनोज जी एक चर्चा पेश करने में कितना श्रम है यह चर्चाकार ही समझ सकता है. यह भी बिलकुल सही है कि चर्चामंच सुंदर चर्चाओं को लाने के दायित्व का पूरी तरह से निर्वाह कर पाया है. इसलिए चर्चामंच के सभी भूत और वर्तमान के चर्चाकार बधाई के पात्र हैं. इसके साथ ही शास्त्री जी जिन्होंने इस मंच के लिए शिद्दत से प्रयास किया, इसको जमीन प्रदान की और इसकी गरिमा को सतत बनाये रखा, उनको भी नमन है.
जवाब देंहटाएंआप इस मंच से सम्बद्ध रहेंगे और आगे भी समयानुकूल चर्चा देते रहेंगे, यह सुखद है. आपका बहुत आभार.
आज की चर्चा भी बहुत सुंदर होगी हर बार की तरह परन्तु अभी लिंक्स पर जाना बाकी है.
मनोज कुमार जी,
जवाब देंहटाएंसादर अभिवादन !
अच्छे लिंक्स!....चर्चा-मंच पर सदा आपकी प्रतीक्षा रहेगी....
रक्षाबंधन एवं स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
मनोज जी सबसे पहले तो आप अपने शब्दों को वापस लीजिये ''आखिरी चर्चा इस दौर की''
जवाब देंहटाएंआप जब तक चाहे अपने समय को कहीं और लगायें किन्तु कुछ विश्राम कहिये चर्चा मंच से आखिरी शब्द से विदाई झलकती है जो हम आपको कभी नहीं देंगे.आज भले ही आपने कुछ लिंक्स दिए हैं किन्तु आपकी चयन क्षमता गज़ब की है.आभार आपकी वापसी का इंतजार रहेगा.
@ शालिनी जी,
जवाब देंहटाएंआभार आपका। परिवर्तन कर दिया है।
हमेशा की तरह सुंदर चर्चा ,चर्चाकार के मेहनत के हम सब आभारी रहते हैं । जल्द वापसी का इंतजार है ।
जवाब देंहटाएंमनोज जी, आपकी चर्चा का अंदाज कुछ निराला होताहै। बधाई।
जवाब देंहटाएं------
इस उम्र में प्यार...
क्या आपके ब्लॉग में वाइरस है?
badhiya links ...moere post ko jodne ke liye shukriya
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स
जवाब देंहटाएंरक्षाबंधन और स्वंतत्रता दिवस पर ढेर सारी शुभकामनायें.
हमेशा की तरह सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंजल्दी आना.
जवाब देंहटाएंमनोज जी के चर्चा मंच से हटने की खबर दुखद है.
जवाब देंहटाएंबहुत मेहनत और सुन्दरता से अपने लिंक्स सहेजे हैं ....इस बात का अंदाजा तो है कि एक एक चर्चा को लगाने में बहुत मेहनत करनी पड़ती है ...
जवाब देंहटाएंमनोज कुमार जी का नाम तो चर्चा मंच के साथ जुड़ा हुआ है!
अच्छे लिंक्स!....चर्चा-मंच पर सदा आपकी प्रतीक्षा रहेगी....
रक्षाबंधन एवं स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
@मनोज जी ,
जवाब देंहटाएंsujhaav को मानने के लिए आभार.
निसंदेह चर्चामंच के लिए बहुत मेहनत की जरुरत है और सच तो यही है की जो कोई उस काम को अंजाम देता है वह बखूबी जानता है की उसमें कितनी मेहनत लगी है..
जवाब देंहटाएंडॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक जी की टीप से यह संतोष मिला की आप अपने शोध कार्य की वजह से चर्चामंच से अवकाश ले रहें है...आपके शोध कार्य की सफलता के लिए हार्दिक शुभकामनायें..
सार्थक चर्चा प्रस्तुति के लिए आभार!
मनोज कुमार जी,
जवाब देंहटाएंसादर अभिवादन !
अच्छे लिंक्स!....चर्चा-मंच पर सदा आपकी प्रतीक्षा रहेगी....
रक्षाबंधन एवं स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
manoj ji hamesha ki tarah badhia links...halchal ko sthan dene ke liye abhar...ummeed hai ..jaldi vapasi hogi.
जवाब देंहटाएंमनोज जी,
जवाब देंहटाएंआखिरी चर्चा क्यों कहते हैं, ये कहिए मिलता हूं ब्रेक के बाद...
मेरी पोस्ट का लिंक देने के लिए शुक्रिया...
जय हिंद...
यहां भी दर्ज है 'आजादी के मायने' आभार.
जवाब देंहटाएंकभी अलविदा ना कहना--- फिर मिलेंगे :)
जवाब देंहटाएंइंतज़ार रहेगा .. आपका मंच को पाठकों को
जवाब देंहटाएंआपकी चर्चा फिर जब लगेगी उस दिन फिर मैं जश्न मनाऊँगा दिमागी रूप से 'जश्ने-आज़ादी' आपका साथ पाकर
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