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शुक्रवार, अगस्त 19, 2011

"सत्याग्रही से डरी सरकार" (चर्चा मंच-611)

मित्रों! आज शुक्रवार की चर्चा में
आप सब का स्वागत करती हूँ!
मैं अहिन्दीभाषी हूँ इसलिए हिन्दी लिखने में
अभी मुझे कुछ कठिनाई होती है न!
फिर भी कुछ लिंक आपके लिए आज लेकर आई हूँ!
वैसे चर्चा लगाने का दिन दिनेश चन्द्र गुप्ता रविकर जी का था!
लेकिन वो सफर से थके हुए हैं!
अतः ब्लॉग व्यवस्थापक और मेरे गुरू
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" के आदेश पर
आज का चर्चा मंच सजा रही हूँ!
from वटवृक्ष
from ZEAL
from मनोज
क्योंकि हवा में उड़ते प्लेन में वह अपने पास की सीट पर सोई हुई औरत
के साथ अश्लील हरकतें करने लगे थे

९.शाकाहार में है ज्यादा शक्ति

१०.कोई गारण्टी नहीं!


११.भारत बनाम भ्रष्टाचार: फिर अन्ना भूखा रे!
सुनहरी आभा से दमक रहा ,सज रहा दाता दरबार तेरा !*
*मेरे गुरुओ की शरण -स्थली ,लोग इसे स्वर्ण -मन्दिर कहते हैं !!

इतिहास के क्रूर पन्नों पे
समय तो दर्ज़ करेगा हर गुज़रता लम्हा
मुँह में उगे मुहांसों से लेकर
दिल की गहराइयों में छिपी क्रांति को
खोल के रख देगा निर्विकार...





हर सीने से आग उठी है *
देश की जनता जाग उठी है *
अब * * भरोसा है अवाम को *
हुकूमत अब दिल्ली में
ज़ुल्म और ज़ोरों की नहीं रहेगी

फ़ुरसत में ...



३१.एक प्रश्न


27 टिप्‍पणियां:

  1. आपका यह प्रयास हिन्दी ब्लॉगिंग के इतिहास में दर्ज़ होगा।
    बहुत ही अनुकरणीय प्रयास।

    जवाब देंहटाएं
  2. एक अहिन्दीभाषी द्वारा हिन्दी के चिट्ठों की चर्चा करने के प्रयास की मैं सराहना करता हूँ!
    --
    श्रीमती विद्या को मेरा शुभाशीष!

    जवाब देंहटाएं
  3. अच्छा प्रयास है ...यूँ ही आगे बढ़ते रहें ....यही कामना है ...!

    जवाब देंहटाएं
  4. विद्या जी
    पारंगत हो गई चर्चा-मंच की चर्चा में,

    बधाई
    अच्छी चर्चा ||

    जवाब देंहटाएं
  5. बड़े ही सुन्दर सूत्र पिरो लाये हैं।

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुन्दर चर्चा रहा! सराहनीय प्रयास!

    जवाब देंहटाएं
  7. विद्या जी,
    बहुत सुन्दर चर्चा .... प्रयास अच्छा है.
    हार्दिक शुभकामनायें।

    जवाब देंहटाएं
  8. विद्या जी,
    बहुत ही सुन्दर चर्चा लगे आपने |
    मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |
    मेरी नई रचना जरुर देखें |

    मेरी कविता: "छोटू""

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत सुन्दर सराहनीय चर्चा ..
    हार्दिक शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत सुन्दर और सार्थक चर्चा..बधाई और शुभकामनाएं !

    जवाब देंहटाएं
  11. मैं चर्चा -मंच की पूरी टीम का शुक्रिया अदा करता हूँ // मनुहार कविता में कवि की पीड़ा छिपी प्रतीत होती है और पीड़ा है अपनों से विश्वास का उठना //

    जवाब देंहटाएं
  12. विद्याजी आपने बहुत अच्छे तरीके से चर्चा मंच सजाया है /बहुत अच्छे लिंक से परिचय कराया आपने /बधाई आपको /



    please visit my blog.
    http://prernaargal.blogspot.com/thanks

    जवाब देंहटाएं
  13. चुन-चुन कर लाये मोती है, एक-आध कही छूट गया?

    जवाब देंहटाएं
  14. बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुत की है आपने .आभार .

    BLOG PAHELI NO.1

    जवाब देंहटाएं
  15. विद्या जी,
    आप हिन्दी न जानते हुए भी जिस ढंग से चर्चा मंच सजाया है, वह प्रशंसनीय है। इस मंच पर मनोज ब्लॉग से "भारतीय भाषाएँ एवं ध्वनियाँ-एक परिचर्चा-3" को स्थान देने के लिए हार्दिक साधुवाद। इस सम्बन्ध में एक भूल यह हुई है कि यह रचना करण समस्तीपुरी जी की नहीं, बल्कि आचार्य परशुराम राय की है।
    The article "भारतीय भाषाएँ एवं ध्वनियाँ-एक परिचर्चा-3" from the blog MANOJ is written by Acharya Parashuram Rai and not by Shri Karan Samastipuri as has been indicated here. Thank.

    जवाब देंहटाएं
  16. लगता नहीं कि आप हिन्दी भाषी नहीं हैं |
    अच्छी चर्चा बधाई |
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  17. सुन्दर लिंकों से सजी इस चर्चा और मेरा लेख शामिल करने के लिए आभार।

    जवाब देंहटाएं
  18. uttam charcha

    bhavishya me hamara bhi khyaal rakh leven...

    hum abhi naye naye hain lekin..naye hi to kabhi puraane hote hain...

    जवाब देंहटाएं

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