मित्रों! आज शुक्रवार की चर्चा में
आप सब का स्वागत करती हूँ!
मैं अहिन्दीभाषी हूँ इसलिए हिन्दी लिखने में
अभी मुझे कुछ कठिनाई होती है न!
फिर भी कुछ लिंक आपके लिए आज लेकर आई हूँ!
वैसे चर्चा लगाने का दिन दिनेश चन्द्र गुप्ता रविकर जी का था!
लेकिन वो सफर से थके हुए हैं!
अतः ब्लॉग व्यवस्थापक और मेरे गुरू
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" के आदेश पर
आज का चर्चा मंच सजा रही हूँ!
from वटवृक्ष
from ZEAL
from मनोज
क्योंकि हवा में उड़ते प्लेन में वह अपने पास की सीट पर सोई हुई औरत
के साथ अश्लील हरकतें करने लगे थे
९.शाकाहार में है ज्यादा शक्ति
१०.कोई गारण्टी नहीं!
सुनहरी आभा से दमक रहा ,सज रहा दाता दरबार तेरा !*
*मेरे गुरुओ की शरण -स्थली ,लोग इसे स्वर्ण -मन्दिर कहते हैं !!
इतिहास के क्रूर पन्नों पे
समय तो दर्ज़ करेगा हर गुज़रता लम्हा
मुँह में उगे मुहांसों से लेकर
दिल की गहराइयों में छिपी क्रांति को
खोल के रख देगा निर्विकार...
हर सीने से आग उठी है *
देश की जनता जाग उठी है *
अब * * भरोसा है अवाम को *
हुकूमत अब दिल्ली में
ज़ुल्म और ज़ोरों की नहीं रहेगी
फ़ुरसत में ...
आपका यह प्रयास हिन्दी ब्लॉगिंग के इतिहास में दर्ज़ होगा।
जवाब देंहटाएंबहुत ही अनुकरणीय प्रयास।
एक अहिन्दीभाषी द्वारा हिन्दी के चिट्ठों की चर्चा करने के प्रयास की मैं सराहना करता हूँ!
जवाब देंहटाएं--
श्रीमती विद्या को मेरा शुभाशीष!
अच्छा प्रयास है ...यूँ ही आगे बढ़ते रहें ....यही कामना है ...!
जवाब देंहटाएंविद्या जी
जवाब देंहटाएंपारंगत हो गई चर्चा-मंच की चर्चा में,
बधाई
अच्छी चर्चा ||
बड़े ही सुन्दर सूत्र पिरो लाये हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा रहा! सराहनीय प्रयास!
जवाब देंहटाएंविद्या जी, अच्छा है आपका यह प्रयास।
जवाब देंहटाएं------
लो जी, मैं तो डॉक्टर बन गया..
क्या साहित्यकार आउट ऑफ डेट हो गये हैं ?
अच्छा है आपका यह प्रयास.
जवाब देंहटाएंविद्या जी,
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा .... प्रयास अच्छा है.
हार्दिक शुभकामनायें।
अच्छी चर्चा ....
जवाब देंहटाएंsunder charcha vidya ji
जवाब देंहटाएंविद्या जी,
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर चर्चा लगे आपने |
मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |
मेरी नई रचना जरुर देखें |
मेरी कविता: "छोटू""
Nice post .
जवाब देंहटाएंThanks .
बहुत सुन्दर सराहनीय चर्चा ..
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनायें
बहुत सुन्दर और सार्थक चर्चा..बधाई और शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंमैं चर्चा -मंच की पूरी टीम का शुक्रिया अदा करता हूँ // मनुहार कविता में कवि की पीड़ा छिपी प्रतीत होती है और पीड़ा है अपनों से विश्वास का उठना //
जवाब देंहटाएंविद्याजी आपने बहुत अच्छे तरीके से चर्चा मंच सजाया है /बहुत अच्छे लिंक से परिचय कराया आपने /बधाई आपको /
जवाब देंहटाएंplease visit my blog.
http://prernaargal.blogspot.com/thanks
bahut hi achhe links
जवाब देंहटाएंmujhe yha samil karne ko bahut bahut aabhar
चुन-चुन कर लाये मोती है, एक-आध कही छूट गया?
जवाब देंहटाएंbest charcha
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुत की है आपने .आभार .
जवाब देंहटाएंBLOG PAHELI NO.1
विद्या जी,
जवाब देंहटाएंआप हिन्दी न जानते हुए भी जिस ढंग से चर्चा मंच सजाया है, वह प्रशंसनीय है। इस मंच पर मनोज ब्लॉग से "भारतीय भाषाएँ एवं ध्वनियाँ-एक परिचर्चा-3" को स्थान देने के लिए हार्दिक साधुवाद। इस सम्बन्ध में एक भूल यह हुई है कि यह रचना करण समस्तीपुरी जी की नहीं, बल्कि आचार्य परशुराम राय की है।
The article "भारतीय भाषाएँ एवं ध्वनियाँ-एक परिचर्चा-3" from the blog MANOJ is written by Acharya Parashuram Rai and not by Shri Karan Samastipuri as has been indicated here. Thank.
sundar v sarthak charcha.mera aalekh shamil karne hetu dhanyawad.
जवाब देंहटाएंलगता नहीं कि आप हिन्दी भाषी नहीं हैं |
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा बधाई |
आशा
सुन्दर लिंकों से सजी इस चर्चा और मेरा लेख शामिल करने के लिए आभार।
जवाब देंहटाएंbahut sunder chrcha manch ...
जवाब देंहटाएंuttam charcha
जवाब देंहटाएंbhavishya me hamara bhi khyaal rakh leven...
hum abhi naye naye hain lekin..naye hi to kabhi puraane hote hain...