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शुक्रवार, सितंबर 30, 2011

पाठक-गण ही पञ्च : चर्चा - मंच-653

मुम्बा  की  मासूमियत,  महा-हिमालय रूप,
दक्षिणेश्वर  की  विद्या,  चर्चा - मंच   अनूप |
चर्चा - मंच अनूप,  दिखें  चन्द्रा गाफिल सा  |
मनु मनोज दिलबाग़, मिला अरुणेश सलिल सा |
  File:Delhi Montage.jpg
लेकिन  चर्चा - मंच,  लगे  पाठक बिन तुम्बा, 
रविकर  दे  आशीष,  बढ़ें  पाठक  माँ  मुम्बा !!
 
 http://tompietrasikphotographer.files.wordpress.com/2010/03/pietrasik-coal-mining-00e.jpg 
झरिया कोल-फील्ड 
(1)
लाल फूलों की माला से सजा माँ का दरबार,
पुलकित हुआ मन, उतावला हुआ संसार,
माँ अपने क़दमों से आयी है आपके द्वार,
मुबारक हो आपको नवरात्रि का ये पावन त्यौहार !
[DSC00578.JPG]

(2)

मैय्या की भेंट, मैय्या को भेंट 

लीला तिवानी

लीला तिवानी

शिक्षा हिंदी में स्नातकोत्तर, बी.एड., एम.एड., कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड । दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत । हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित ‌। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं।

  मैSय्या वरदाSतीSS मुझे अपना बना लेना             
  जन्मों से तरस रही मुझे गले से लगा लेना-
1.छाए चारों ओर अन्धेरे
  भटकाते चौरासी के फेरे
  मैSय्या वरदाSतीSS मुझे इनसे बचा लेना-
2.ध्यानू जैसी भक्ति दे दो
  तारा जैसी मस्ती दे दो
  मैSय्या वरदाSतीSS मुझे सबल बना लेना-
3.तूने सबकी बिगड़ी बनाई
  सोई हुई किस्मत भी जगाई
  मैSय्या वरदाSतीSS मेरे भाग जगा लेना-
4.कैसे तेरा ध्यान लगाऊं
  कैसे तुझको अपना बनाऊं
  मैSय्या वरदाSतीSS ज़रा इतना बता देना-

 (3)

रंगमंच पर उतरे 'मुखौटे'



मुखौटों की दुनिया मे रहता है आदमी,
मुखौटों पर मुखौटे लगता है आदमी;
बार बार बदलकर देखता है मुखौटा,
फिर नया मुखौटा लगाता है आदमी..... - (डा. ए. कीर्तिवर्द्धन अग्रवाल)
कुछ विशेष नहीं है जो कुछ अपने बारे में बताऊँ... मन के भावों को कैसे सब तक पहुँचाऊँ कुछ लिखूं या फिर कुछ गाऊँ । चिंतन हो जब किसी बात पर और मन में मंथन चलता हो उन भावों को लिख कर मैं शब्दों में तिरोहित कर जाऊं । सोच - विचारों की शक्ति जब कुछ उथल -पुथल सा करती हो उन भावों को गढ़ कर मैं अपनी बात सुना जाऊँ जो दिखता है आस - पास मन उससे उद्वेलित होता है उन भावों को साक्ष्य रूप दे मैं कविता सी कह जाऊं.



जब मंद पवन के झोंके से 

तरु की डाली हिलती है 
पंछी  के  कलरव से 
कानों में मिश्री घुलती है 
तब लगता है कि तुम 
यहीं - कहीं हो
(4)
कुछ दूर हमारे साथ चलो --इब्राहीम अश्क


डा. मेराज अहमद

पति  की  अनुनय  को  धता, कुपित होय तत्काल |
बरछी - बोल  कटार - गम,  सहे  चोट  मन - ढाल ||

(6)

मनमोहन बनाम अफजल गुरु..... 

( कौन कहता है कि पीते समय गंभीर बातें नहीं होतीं )

झटका लगा ना आपको, हैरत में पड़ गए होंगे, ये क्या बात है। अरे इन दोनों में भला क्या तुलना हो सकती है। मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री हैं और अफजल गुरु देश की संसद पर हमले का मास्टर माइंड।

उसका जीवन..

रोज़ पीठ पर बोझा लादे
वो दिख जाता है
किसी दुकान पर
पसीने से तर बतर
उसके चौदह बरस के शरीर पर
बदलते वक़्त की खरोचें
अक्सर दिख जाती हैं
कभी बालू ,सीमेंट ,गिट्टी
और कभी अनाज के बोरों
से निकलने वाली धूल
उसके जिस्म से चिपकती है
त्नी  ग-ग  र  रे, ल-ल  ति  तियाय |
श्रीमन का मन मन्मथा, श्रीमति मति मटियाय ||

 (8)

कनुप्रिया - तुम मेरे कौन हो

मेरे सपने

तुम मेरे कौन हो कनु
मैं तो आज तक नहीं जान पाई

बार-बार मुझ से मेरे मन ने
आग्रह से, विस्मय से, तन्मयता से पूछा है-
‘यह कनु तेरा है कौन? बूझ तो !’
(9)

खेती का आविष्कार और सामंती समाज व्यवस्था का उदय : बेहतर जीवन की तलाश-3[4.JPG]

हार गले की फांस है, किया विरह-आहार |
हारहूर  से  तेज  है,  हार   हूर  अभिसार ||
हारहूर=मद्य  
आहार-विरह=रोटी के लाले

(10)

दुपट्टा आसमानी शाल नीली ...

------दिगम्बर नासवा
गिरे है आसमां से धूप पीली
पसीने से हुयी हर चीज़ गीली

खबर सहरा को दे दो फिर मिली है
हवा के हाथ में माचिस की तीली

(11)

ख़जाना

 [DSC_0065.jpg]

कल्पनाओं के पंख लग गये
मैं देखती रह गयी उन्हें
असीम फलक पर उड़ते हुए...
सपनों में रंग भरने लगे
मैं देखती रह गयी उन्हें
स्याह सिक्त होते हुए.......
आशाओं की कोख उजड़ गयी
मैं देखती रह गयी उन्हें
बेबस बाँझ होते हुए......
सोच को मार गया लकवा
मैं देखती रह गयी उन्हें



clip_image002हरीश प्रकाश गुप्त
मेरा फोटोआज से लगभग एक वर्ष पहले इसी ब्लाग पर एक बालगीत प्रकाशित हुआ था शैशव। यह एकमात्र बालगीत है जो अभी तक इस ब्लाग पर प्रकाशित हुआ है। पाँच पदों में रचे गए इस गीत में बालवृत्तियों का और उसके मनोभावों का सूक्ष्म चित्रण हुआ है। आचार्य़ परशुराम राय द्वारा रचित यह बालगीत बहुत ही सरस, सहज और मनमोहक है। इसकी शब्द योजना आकर्षक है। आँच के इस स्थायी स्तम्भ पर अभी तक किसी भी बाल गीत पर चर्चा नहीं हुई है। अतः सोचा कि इस रचना के माध्यम से इस रिक्ति को भरने का कुछ प्रयास किया जाए।
चमकी चपला-चंचला , छींटा छेड़ छपाक |
 तेज तड़ित तन तोड़ती,  तददिन तमक तड़ाक |

(13)

हार-जीत : निज़ार कब्बानी

 
आजकल निज़ार कब्बानी जी की कविताओं में डूबा हुआ हूँ. अब उर्दू-अरबी तो आती नहीं है, सो उनकी अनुवादित कविताओं का ही लुत्फ़ उठा रहा हूँ जो यहाँ-वहाँ अंतरजाल पर बिखरी हुई है.
मुमुक्षता मुँहबाय के, माया मोह मिटाय |
 मुमुक्षता=मुक्ति की अभिलाषा का भाव 

(14)

माँ! अबकी सन्मार्ग दिखा देना

pragyan-vigyan
विकास विकास की करते बात
हम पहुच गए हैं भ्रष्टाचार तक.
आचार विचार सब भूल गए
छूट गया है शिष्टाचार तक.

(15)

"होठों को फिर भी, सिये जा रहें हैं" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

घुटन और सड़न में जिए जा रहे हैं,
जहर वेदना के पिये जा रहे हैं।

(16)

कलकत्ता यात्रा- दिल्ली से हावडा

पिछले महीने कुछ ऐसा योग बना कि अपन को बिना छुट्टी लगाये ही चार दिन की छुट्टी मिल गई। इतनी छुट्टी और बरसात का महीना- घूमना तय था। हां, बरसात में अपना लक्ष्य गैर-हिमालयी इलाके होते हैं। दो साल पहले मध्य प्रदेश गया था जबकि पिछले साल उदयपुर। फिर दूसरी बात ये कि इन चार दिनों में कम से कम दो दिन रेल एडवेंचर में लगाने थे और बाकी दो दिन उसी ‘एडवेंचर’ वाले इलाके में कहीं घूमने में।

(विशेष-२) 

कबीरा खडा़ बाज़ार में

HAPPY BIRTHDAY DEAR HEART

HAPPY BIRTHDAY DEAR HEART
Your heart has an age ,and this World Heart Day I decided to wish it a Happy Birthday।
दिल की सलामती के लिए कुछ छोटी छोटी बातें बड़े काम की सिद्ध हो सकतीं हैं :-
(१)शोपिंग से पहले घर से ही कुछ हलका फुलका स्वास्थ्यकर भोजन खाके निकलिए आम प्रवृत्ति है हम भारतीयों की शोपिंग के बाद बाज़ार में कुछ चाट पकौड़ी ,पानी पूरी गोलगप्पे खाने की ।
(२)पसंदीदा संगीत एक सक्षम तनाव -रोधी है .अच्छे संगीत के साथ आपका दिल भी मस्ती में झूमता गाता इतराता है .रोज़ सुनिए अपने दिल की थिरकन ।
(३)खाना पकाते वक्त खाना टेस्ट मत करिए .खाने के मेज पर अच्छी भूख लेकर जाइए .दिल से खाइए ।
(४)एक अंडे में २१० मिलीग्राम कोलेस्ट्रोल होता है .३०० मिलीग्राम से ज्यादा खुराकी कोलेस्ट्रोल दिल के लिए अच्छा नहीं है .(वैसे एग यलो यानी सन साइड ऑफ़ दी एग को लेकर विवाद है कुछ लोग इसे निकाल देते हैं ,खाते नहीं हैं ,कुछ खुराक के माहिर इसे सेहत के लिए अच्छा बताते हैं आप अपने माहिर की बात मानिए .हमारा ओर्थोपीडिशियाँ अस्थि रोग माहिर एक अंडा रोज़ खाने की सलाह देता है हृद विज्ञानी मनाही करता है

(17)

मंत्र कर्मों का

मिट रहा है वह तो केवल रूप है
लेख कर्मों का कभी मिटता नहीं.

निज सुखों को वार, जग से प्यार कर
यश कमा, यह धन कभी लुटता नहीं.

मत समझ अपना-पराया, बाँट दे
सुख लुटाने से कभी घटता नहीं.

स्वार्थ-मद में मत कभी हुंकार भर
गर्जना से आसमां फटता नहीं.

तंत्र तन का एक दिन खो जायेगा
मंत्र कर्मों का कभी कटता नहीं. 

(मेरे छत्तीसगढ़ी ब्लॉग मितानी-गोठ में नव-रात्रि के अवसर पर दुर्गा जी के दोहों की श्रृंखला पोस्ट की जा रही है,मेरा विश्वास है कि हमारी आंचलिक भाषा छतीसगढ़ी को हिंदी के बहुत करीब पायेंगे. कृपया अवश्य ही पधारें
http://mitanigoth.blogspot.com)

अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर , दुर्ग
छत्तीसगढ़.

(विशेष-३ )

कुँवर कुसुमेश 

कभी घर से बाहर निकलकर तो देखो.
पलटकर ज़माने के तेवर तो देखो.

जिसे फ़ख्र से आदमी कह रहे हो,
मियाँ झाँककर उसके अन्दर तो देखो.

वो ओढ़े हुए है शराफ़त की चादर,
ज़रा उसकी चादर हटा कर तो देखो.

दबे रह गये हैं किताबों में शायद,
कहाँ तीन गाँधी के बन्दर तो देखो.

बहुत चैन फुटपाथ पर भी मिलेगा,
ग़रीबों की मानिंद सो कर तो देखो.

बड़ी कशमकश है 'कुँवर' फिर भी यारों,
ज़माने से रिश्ता बनाकर तो देखो.

(18)

न कहीं तुम्हे कभी भी चक्रेश ही मिलेगा

ये नमी ही क्या कुछ कम थी
जो रुलाया मुझको ऐसे
इक हंसी मेरे लबों की
क्यूँ तुमको न रास आई .

 (19)

तुम ना आए


तुम ना आए इस उपवन में
आते तभी जान पाते
कितने जतन किये
स्वागत की तैयारी में |
अमराई में कुंजन में
जमुना जल के स्पंदन में
कहाँ नहीं खोजा तुमको
इस छोटे से जीवन में |
My Photo

आशा


मैंने साइंस विषयों के साथ बी.एस.सी.किया है ! उसके बाद अर्थशास्त्र तथा अंग्रेज़ी साहित्य में एम.ए.तथा बी.एड.किया है !शासकीय हायर सेकेंडरी स्कूल में लेक्चरर के पद पर मैंने कई वर्षों तक अध्यापन का कार्य किया है ! साहित्य के प्रति अभिरुचि एवं रुझान मुझे विरासत में मिले हैं ! अपने जीवन के आस पास बिखरी छोटी-छोटी घटनाएं, सामान्य से चरित्र तथा इनसे मिले अनुभव मेरे लिये बड़ी प्रेरणा बन जाते हैं जिन्हें मैं अपनी रचना के माध्यम से अभिव्यक्त करने का प्रयास करती हूँ !

 खोजा गलियों में
कदम के पेड़ तले
तुम दूर नज़र आए
मगन मुरली की धुन में
पलक पावडे बिछाए थे
उस पल के इन्तजार में
वह होता अनमोल
अगर तुम आ जाते |
आते यदि अच्छा होता
सारा स्नेह वार देती
प्यारी सी छबी तुम्हारी
मन में उतार लेती |

(20)

दुनिया को हँसाया जाए

वक़्त !  मोहलत किसे खबर दे न दे फिर कल,
 आज हँस लें ज़रा  दुनिया  को हंसाया जाए / 
दर्द-ए -दिल, ले ले गम-ए-जिन्दगी जो गीत ग़ज़ल,
 बस तरन्नुम में वही यार सुनाया जाए /

मेरी टिप्पणियां और लिंक ||

श्रम - सीकर अनमोल है, चुका सकें न मोल |
नत - मस्तक गुरुदेव है,  सारा यह भू-गोल ||



घोर निराशा से भरा,  कुम्हलाया  है  रूप  |
जिजिविषा प्रणम्य पर, मुखड़ा आज कुरूप|
मुखड़ा आज कुरूप , सुबह से बहुत कचोटे |
गुरुजन का अवसाद, बताता  चेले  खोटे |
रविकर हों आश्वस्त,  लिखे क्यूँ  ऐसी भाषा ?
देखा  मुखड़ा-रूप,  हुई  है  घोर निराशा ||

मन और झील कभी नहीं भरती---- 

दीपक की बक-बक 

मन-का  मनमथ-मनचला, मनका पावै ढेर |
मनसायन वो झील ही,  करती रती  कुबेर |
करती रती  कुबेर,  झील  लब-लबा  उठी  है |
हुई  नहीं  अंधेर,  नायिका  सुगढ़  सुठी  है |
दीपक  की बकवाद, सुना  तो  माथा  ठनका |
कीचड़ सा उपमान,  रोप कर  तोडा  मनका ||

कभी-कभी....


ध्वनन, ध्वन और ध्वन्य से   --   प्रभावी अव्यक्ति |
ध्वंसक के लिए असहनीय -----मौनित्व की शक्ति ||
ध्वनन=अव्यक्त शब्द ,,,,ध्वन= शब्द ,,,,,ध्वन्य=व्यंगार्थ 


कालू गरीब हाजिर हो-  

अष्टावक्र

थर्ड-क्लास को ट्रेन से, हटा चुके थे लोग |
फोर्थ क्लास भुखमरी का, मिटा श्रेष्ठ संजोग ||
अब लास्ट क्लास थर्ड क्लास ||
भुखमरी ही आज के सरकार की गरीबी है |

जय सम्मोहन जय मनमोहन ,, जय नग्नोहन जय रक्त्दोहन |

बिगत चर्चा मंच की दो विशिष्ट टिप्पणियां  

DR. ANWER JAMAL said...

रविकर चर्चा मंच की प्रस्तुति अति अनूप |

ज्यों बरखा के संग में लुक-छुप खेले धूप ||


बढ़िया चर्चा के लिए- शुक्रिया.
बहुत ही श्रम से सजाई गयी पोस्‍ट।
September 23, 2011 9:13 AM

Vishaal Charchchit said..
.बहुतै अच्छा लिख गए हे रविकर कविराय
अब कुछ ऐसा सूत्र बताओ भाग गरीबी जाय....
September 23, 2011 3:08 PM

BloggerBlogger रविकर said...
रेखा-फीगर शून्य हो,
बने करीना कैट |
गौण गरीबी गुमे गम,
बोलो हाउज-दैट ||


Vishaal Charchchit said...
पर ये अमीरी में लिपी पुती सारी की सारी अंकल
यहाँ प्याज का नहीं ठिकाना, कहते हो पकोड़े तल|


Ravikar said---
बड़ी   हरेरी   है  चढ़ी,  बत्तिस   रूपया   पाय |
फोटो देखो प्याज का, सुन बचुआ चितलाय ||




गुरुवार, सितंबर 29, 2011

{ शुभकामनाएँ नवरात्रि पर्व की }चर्चा मंच - 652

        आज की चर्चा में आप सबका स्वागत है 
                           सबसे पहले नवरात्रि पर्व की शुभ कामनाएं 
            अब देखिए मेरा नया ब्लॉग इधर-उधर .

अब चलते हैं चर्चा की ओर

पद्य रचनाएं 

गद्य रचनाएं
               अंत में देखिए माँ बम्लेश्वरी जी की कुछ तस्वीरें 
                     आज की चर्चा में बस इतना ही 
                                                धन्यवाद
                                              दिलबाग विर्क  

                               * * * * *

बुधवार, सितंबर 28, 2011

"समय प्रबन्धन में कमजोर मैं." (चर्चा मंच-651)

मित्रों!
आज बुधवार है!
चर्चा करनी थी भाई अरुणेश सी दवे जी को,
मगर वो व्यस्त हैं।
इसलिए ब्लॉग व्यवस्थापक के नाते
आज की जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहा हूँ!
देखिए मेरी पसन्द के कुछ अद्यतन लिंक!
मगर टिप्पणी तो आप ही देंगे, इन पोस्टों पर!

है पुंज भावानाओं का या हिस्सा शरीर का पर सभी बातें करते दिल की दिलदारी की | पल सुख के हों या दुःख के दौनों ही प्रभावित करते धडकनें तीव्र होती जातीं चैन न आ ...

चूड़ियाँ पहन लो बाबू तुम सबको चूड़ियाँ पहनाउंगी ...
इटली की मैं कंगाल सी वेटर बिलेनियर बन
बहनों को अपनी माला-माल कर जाउंगी ...

पिछले भाग से आगे जैसा कि आजकल अखबारों और टीवी न्यूज़ चैनल्स में दिखाया जा रहा है, इन दिनों यहाँ ( बल्लारी जिले में ) खनन के कार्य पर रोक लग गयी है | पिछले...

हाड़-माँस की पुत्तली, 'चिदविभरम', रोबोट |
तीनों में ही खोट है, पोट के खाते नोट |
GG=2G पोट के खाते नोट, खोल के बाहर खाते |
देकर गहरी चोट, नोट से ...

मेरी धरती मेरा आसमां चरणों पे तेरे मैंने शीश झुका लिया था फिसली मैं अगर तो भी गिरी नहीं गिरने से तुने मुझे बचा ...

अनवर भाई आपको पता है कि मुझे साप्ताहिक ब्लागर्स मीट का बेसब्री से इंतजार रहता है, इसका अहसास आपको इसी बात से हो जाना चाहिए कि आप जैसे ही रात 12 बजे के कर...

*बहुत अरमान हैं दिल में, हमें गढ़ना नहीं आता*
*पहाड़ों की कठिन मंजिल, हमें चढ़ना नहीं आता*
*सितारे टिमटिमाते हैं, मगर है चाँदनी गायब,
*अन्धेरे में सही पथ पर हमें बढ़ना नहीं आता...

प्रणव दा ने अपनी गुगली से चिदम्बरम पर पगबाधा आउट की ज़बरदस्त अपील की हैं. अम्पायर फैसला बैट्समैन के हक में दे रहे हैं, हालाँकि सभी खिलाड़ी और दर्शक जानते है...

कभी यूँ भी तो हो दरिया का साहिल हो पूरे चाँद की रात हो और तुम आओ... परियों की महफ़िल हो कोई तुम्हारी बात हो और तुम आओ.. ये नर्म मुलायम ठंडी हवाएं जब ...

जब मेरे शब्द नाचने लगे थे तेरे इशारों पर
मेरी सांसें घबराने लगी थीं तेरी हरकतों पर
मेरी सुबह तय होने लगी थीं तेरे मुस्कुराने पर...

आओ हम तुम जम कर जीमें तुम भी खाओ,
हम भी खायें,बैठ एक पंक्ति में आओ
हम तुम जम कर जीमें जनता के पैसे ...

*क्यों है आज भी नारी को एक सुरक्षित जमीन **की तलाश ?
एक शाश्वत प्रश्न मुँह बाए खड़ा है *
*आज हमारे सामने ............
आखिर कब तक **ऐसा होगा ? ...

आज़ादी के महान योद्धा भगत सिंह की जयंती
27 सितम्बर ...

आम तौर पर लोग यह शिकायत करते हैं कि सरकार हिंदी के प्रति उपेक्षा का भाव रखती है लेकिन जो लोग इस तरह की चिंताएं जताया करते हैं उनमें से अक्सर खुद हिंदी के ...

बचपन में गाँव में जब भी कोई बीमार होता तो
*वैद्ध* को बुलाया जाता ।
दूर से आता था , इसलिए आने पर बच्चों को साथ में
दिखा दिया जाता । ...

उर में है यदि आग लक्ष्य की ।
पंथ स्वयं आयेगा ।
यही भाव से माँ शारदा की आराधना कर ।
मन पर इंगित भावों को व्यक्त कर ।
मन शांत एवं हल्का रखने के लिए लिखती हू...

आज बहुत देर हो जाने पर भी देव अपने कमरे से बाहर नहीं निकला था। एक लम्बे समय से उसके मन में एक तूफ़ान उठ रहा था। वो क्यूँ खुद को इतना लाचार समझ रहा था। क्या ...

हम उन दोस्तों में नहीं जो बौर्डर पर दोस्तों को छोड़ दूर से लुत्फ़ उठाते रहें. ऐसे में जिन दोस्तों ( eg. आशीष, शिवरंजन भारती ) को पिछले दिनों विवाह मंडप तक ...

अरे! यह तो दिल की श्रंखला शुरू हो गई...
पहले दिल टूट गया
'गीत' फिर 'ग़ज़ल' रोएंगें हज़ार बार
और अब 'इस दिल को तो आखिर टूटना ही था'
पढ़ने के लिए!!! सच! ..

अग़ज़ल - 25

ग़म को रू-ब-रू करके , ख़ुशी छुपा दी तूने.
मैंने पूछा था तुझसे अपनी वफा़ का हश्र
मेरी बात क्यों हँसी में उड़ा दी तूने ...

कुछ मौसम फीके से
अपने ही सरीखे से
तेरी मिठास भर गए फिर
तेरी आस भर गए!
वो ख़त तेरी तस्वीर से
अल्फाज़ जैसे तीर से
यूँ मुझ में बिखर गए
कि तेरी आस भर गए!!...

हेल्लो क्या आप तिहाड़ जेल से बोल रहे है ? "
.. "जी "....आपको एक सन्देश देना था *" माते "* का ..हाँ ..हाँ बोलो ..क्या है सन्देश ....................... य...

दावे पुख्ता यार के, वादे तोड़े खूब |
यादें हमको तोडती, वादे को महबूब |
वादे को महबूब, नजर में भरी हिकारत |
यादों में हम डूब, ...

*टोनी फ्रिज़ेल की एक उम्दा क्लिक* * * *मध्यांतर के बाद * * * एक मटकी जल में डूबती उतराती है अक्षत और दूब को दूध में भिगोकर किसी ने फूल विसर्जित किये हैं ...

कौन हूँ मैं , जानता खुद भी नहीं, पर जानता हूँ ,
मैं जलधि के ज्वार सा,
आवेग सा, आक्रोश सा हूँ / मैं कृषक का,
मैं श्रमिक का, मैं वणिक का, मैं लिपिक का..

एक दिन कबीर ने देखा की, एक बकरा रास्ते से मै-मै करता हुआ जा रहा था ! फिर एक दिन वह मर गया ! और किसी ने उसकी चमड़ी उतार कर तानपुरे के तार बना दिए ! तानपुरे

*हिंदी दिवस के बाद भी...* (अरुण चन्द्र रॉय ) अभी १४ सितम्बर के आसपास हिंदी, हिंदी दिवस, हिंदी की गिरती उठती अवस्था पर खूब चर्चा हो रही थी. ...

पिछले कुछ समय से अपनी उन व्यापारिक गतिविधियों में व्यस्त हो जाने के कारण जिनसे संयोगवश पहले अपने छोटे पुत्र के विवाह फिर मकान बदलने की प्रक्रिय...

*2जी लाइसेंस देने की प्रक्रिया की शुरुआत से लेकर अन्त तक दयानिधि मारन ने जितनी भी अनियमितताएं और मनमानी कीं उसमें प्रधानमंत्री की पूर्ण सहमति, जानकारी और म...

*भीड़ से घिरा हूँ* *फिर भी अकेला हूँ * *साथ में हंसता हूँ * *अकेले में रोता हूँ* *चुपचाप सहता हूँ * *निरंतर खुशी का * *दिखावा करता हूँ ...

*जितेन्द्र त्रिवेदी* अलबरनी के हवाले से मैं यह कहना चाहता हूँ कि आक्रांताओं के बारे में हमदर्दी दिख...

क्या आपको पता है कि आपके सिस्टम पर हर फाइल की डुप्लीकेट कॉपी बनती जाती है और हार्डडिस्क के किसी कोने मे स्टोर होती जाती है। गानो से लेकर फोटो ...

यहाँ कौन किसका साथ दे रहा है और क्यों ?

मेरे पिछले लेख़ में किसी ने टिप्पणी में कहा था कि जायज़ या ना जायज़ कुछ नहीं होता और उनकी इस टिप्पणी पे मुझे इस लेख़ कि प्रेरणा मिली. हम जिस समाज में रहते हैं वहां हर रोज़ कुछ ना कुछ घटता रहता है. इंसान एक सामाजिक प्राणी है और एक दूसरे से मिल जुल कर रहता है. ऐसे में कभी किसी का समर्थन करना कभी किसी के खिलाफ बोलना , कभी किसी पे पीछे चलना जैसी बातें देखी जाती रही हैं.
guidenceऐसा बहुत बार होता है कि किसी मुद्दे पे एक समूह तो समर्थन कर रहा होता है लेकिन दूसरा उसके खिलाफ बोल रहा होता है. धर्म कि बात करें तो दिखाई देता है कि महाभारत हुई और कुछ ने कौरवों का साथ दिया कुछ ने पांडवों का. कर्बला कि जंग हुई तो किसी ने इमाम हुसैन (अ.स) का साथ दिया और किसी ने ज़ालिम यजीद का. जब किसी धर्म को अपनाने कि बात आयी तो कोई हिन्दू बन गया कोई मुसलमान, कोई ईसाई तो कोई नास्तिक. आज के समय कि राजनीती कि बात करें तो कोई कांग्रेसी बना बिठा है, कोई बीजेपी वाला कोई सभी के पीछे चलने से इनकार कर रहा है.....

कालू गरीब हाजिर हो

खचाखच भरे न्यायालय में कालू को पेश होने की पुकार लगते ही अदालत में कोलाहल मच गया। कटघरे में कालू के खड़े होने के बाद, उसके खिलाफ़ आरोपों की सूची पढ़ी गयी। पहला आरोप था बत्तीस रूपये रोज से ज्यादा कमाने के बाद भी खुद को गरीब बताकर गरीबों को दी जाने वाली सरकारी सुविधाओं का लाभ उठाना। दूसरा आरोप था, श्रीमती सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली नेशनल एडवाईजरी काउंसल के निर्णय को गलत ठहराना।

पुराने समय की बात है, चित्रकला सीखने के उद्देश्य से एक युवक, कलाचार्य गुरू के पास पहुँचा। गुरू उस समय कला- विद्या में पारंगत और सुप्रसिद्ध थे। ...

पति की अनुनय को धता, कुपित होय तत्काल |*
*बरछी - बोल कटार - गम, सहे चोट मन - ढाल ||...

त्रिवेणी पर ताँका पोस्ट की शुरुआत हम नन्ही हाइकुकारा सुप्रीत जो अभी 12 वर्ष की है , के लिखे पहले ताँका से करते हैं | आशा करते हैं कि आपको पढ़कर अच्छा लगेग...

रोज कई सवाल पूछता हैं, मुझसे रूठा सा रहता हैं. सुबह सुबह आईने में, एक शख्श रोज मिलता हैं. कहता हैं कुछ अपने गिले शिकवे. कुछ मेरी सुनता हैं. हसता हैं कभी मे...

tihaad jail cartoon, 2 g spectrum scam cartoon, cwg cartoon, corruption cartoon, corruption in india, indian political cartoon, indian political cartoon
-0-0-0-
अन्त में यह दुखद समाचार
!

स्व. हिमांशु मोहन

हे विधाता !

हिमांशु मोहन जी के असामयिक देहावसान का समाचार विधि के
अन्याय के प्रति इतना क्षोभ उत्पन्न कर गया कि
ज्ञान, निस्सारता, तर्क आदि शब्द असह्य से प्रतीत होने लगे।
जीवन है, नहीं तो सब घटाटोप, अंधमय, शून्य, रिक्त, लुप्त।
सुख-दुख का द्वन्द्व तो सहन हो जाता है,
पर जीवन-मरण का द्वन्द्व तो छल है ईश्वर का,
सहसा सब निर्द्वन्द्व, सब निस्तेज, सब निष्प्रयोज्य, सब निरर्थक...
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हिमांशु जी के देहावसान का समाचार पढ़कर मन उद्वेलित हो गया है!
मगर विधि के विधान के आगे सब मजबूर हो जाते हैं!
परमपिता परमात्मा उनकी आत्मा को सदगति दें
और शोकाकुल परिवार को इस दुःख को सहन करने की शक्ति दें।
उनको मैं अपनी और चर्चा मंच परिवार की ओर से
भानभीनी श्रद्धांजलि समर्पित करता हूँ!