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शनिवार, फ़रवरी 25, 2012

"बढ़ निकला हूँ रूखे पथ पर" (चर्चा मंच-800)


मित्रों!
चर्चा मंच के 800वें अंक में
आप सबका स्वागत करता हूँ!
आजकल भाग-दौड़ के कारण
मेरी व्यस्तता बहुत बढ़ गई है,
लेकिन अपनी जिम्मेदारियों का 
मुझे अहसास है!
आज पेश कर रहा हूँ 
बहुत सादे ढंग से कुछ लिंकों को!
(१)
दीन धरम औ’ सच की बातें ? 
किस युग की बातें करते हो? 
’सतयुग’ बीते सदियाँ गुजरी 
तुम जिसकी बातें करते हो . 
(२)
अपनी साइकल या मोटर साइकल पर 
सर्दी-जुकाम,बुखार की दवाइयों से भरे 
काले रंग का बैग लेकर घर-घर जाने वाले , 
घड़ी-दो घड़ी उन घरों के लोगों के साथ खटिया पर ,,,
कहाँ तुम चले गए ? 
(३)
पिछली पोस्ट में भ्रष्टाचार पर लिखी 
ग़ज़ल को आपने पसंद किया । 
दरअसल यह एक ऐसा ज़टिल मुद्दा है 
जिसका निकट भविष्य में 
कोई निश्चित समाधान नज़र नहीं आता ...
क्या भगवान को भी फास्ट ट्रेक कोर्ट बनाना चाहिए ?
(४)
दिल के अहसास 
1. हर इक रस्म निभा जाना आसान नहीं, 
बस सोचना ही आसान होता है । 
2. तस्वीरें अहसास कराती हैं अपनों के पास होने का 
उसकी अहमियत कोई समझे ये जरूरी तो नहीं । ...
(५)
प्रेम जहाँ बसते दिन-रात 
 मिहनत जो करते दिन-रात 
वो दुख में रहते दिन-रात 
सुख देते सबको निज-श्रम से 
तिल-तिल कर मरते दिन-रात....
(६)
क्या तुमने बसंत को आँचल से बाँध रखा है? 
अधखिले है गुलमोहर और कोयल, 
मौन प्रतीक्षारत है फूटे नहीं बौर आम के, 
नए पत्तो के अंगारे अभी भी ओस से गीले है...
(७)
संत कबीर 
इस शुक्रवार से राजभाषा ब्लॉग पर 
कबीर दास की शृंखला प्रारम्भ करने का प्रयास किया जा रहा है ..... 
आज की कड़ी में उनका जीवन परिचय ---- 
हिंदी साहित्य में कबीर ...
(८)
मैं तेरे शह्र में बिलकुल नया नया हूं अभी, 
तेरे वादों के हवालात में बंधा हूं अभी। 
चराग़ों के लिये मंज़ूर है मुझे मरना, 
मुकद्दर आंधियों के तेग पर रखा हूं अभी। ...
(९)
क्या तुम हो बसंत ! 
तुम्हारे सुख बस तुम्हारे है 
तुम्हारे दू:ख भी बसंत तो निरपेक्ष है 
वह तुम्हारे मातम और उदासी में भी 
रंग भर ही देगा देखो वह फिर कोशिश कर रहा ...
(१०)

चुनौती जिन्दगी की: संघर्ष भरे वे दिन 
 यह वह समय होता है जब कि हम अपने विश्वास के साथ 
चल रहे होते हें और शेष एक प्रश्न चिह्न लिए 
सबसे नज़ारे चुराया करते हें। 
उस समय खुद को क्या महसूस होता है? ....
(११)
परदेशी देवता 
सुदूर पूर्व एशिया की अपनी यात्रा में 
मैंने एक असाधारण मन्दिर देखा 
जिसमें सैंकड़ों मूर्तियाँ रखी हुई थीं। 
हमारे मार्गदर्शक के अनुसार, वहाँ आने वाले ...
(१२)
बहुत प्रिय हैं पादुकाएं.. आपको मुझको सभी को 
अगर सर पर जा टिकें तो रुला देतीं हैं सभी को. 
(१३)
ख़ुदखुशी !!! 
ये कैसी नींद थी कि ये कैसा ख़्वाब था क्या था ..
कौन था एक साया था .. 
या भरम था ? 
एक सबा का झौका या कोई तूफ़ान था ?....
(१४)
कुछ बच्चे 
* * *१.* *कुछ बच्चे * *गैराज में पड़ी * 
*धूल भरी गाड़ियों पर* *नन्ही उँगलियों से *
 *लिख कर अपना नाम * *होते हैं खुश* *
 * *कुछ बच्चे...
(१५)
बहुत खराब है महिलाओं का समय प्रबन्ध 
वैसे तो ऐसे पुरुष भी कमतेरे नहीं हैं 
जिनका समय का प्रबंध बहुत लचीला रहता है -
समय से आफिस नहीं पहुंचते,
प्रायः बॉस की डांट खाते हैं 
मगर अमूमन महिलाओं का समय...
(१६)
वह आता... 
*नई दिल्ली के कनॉट प्लेस* का 
बाहरी चाहे भीतरी सर्किल हो 
या पुरानी दिल्ली के कोनो पुराना पुल के नीचे का कोना, 
भोर का टाइम हो कि दिन-दोपहरी-रात, ...
(१७)
आम आदमी की बेबसी और उसका लक्ष्य ! 
कल ऑफ़िस से वही देर से आये, 
रात्रिभोजन और टहलन के पश्चात 
१० मिनिट टीवी के लिये होते हैं 
और फ़िर शुभरात्रि का समय हो जाता है। 
कल जब टीवी देखना शुरू किया तो... ..
(१८)
ताजमहल की असलियत... भाग 7 
०६ शाहजहाँ के फरमान * 
*अब तक आपको भली-भाँति ज्ञात हो चुका है कि 
बादशाहनामा के अनुसार हिज़री १०४१ में सम्राज्ञी का शव 
बुरहानपुर से आगरा लाया गया था। ....
(१९)
ज़रा तुम साथ चलो...........
* फूल ही फूल से खिल जाएँ 
जो तुम हंस दो ज़रा* *
(२०)
क्या मैं अकेली थी 
सुनसान सी राह और छाया अँधेरा 
गिरे हुए पत्ते उड़ती हुयी धूल 
उस लम्बी राह में मैं अकेली थी । 
चली जा रही सब कुछ भूले 
ना कोई निशां ना कोई मंजिल ...
(२१)

"आ जाएगा जीने का ढंग!" 
*जब* 
*भावनाओं का*** 
*ज्वार बढ़ जाता है*** 
*तब* 
*बुद्धि मन्द हो जाती है*** 
*लाचारगी*** *और बेचारगी का साया*** *
मन पर *** *अधिकार कर ...
(२२)
जय गणतंत्र 
*बीत गए बरस तिरसठ * 
* हुआ देश स्वतंत्र * 
*तन से नंगा हाथ में तिरंगा * 
*कैसा ये गणतंत्र * 
*अब तो राम बचावे !!* 
*सुन्न हो गई ठण्ड से काया * 
*थर थर काँपे ...
(२३)
शर्म भूल आये हैं 
क्या खो गए हैं हम ,
क्या भूल आये हैं , 
काँटों की गलियां हैं ,
अपने पराये हैं 
(२४)
बौद्ध धर्म-दर्शन का मूलाधार-
संसार के प्रत्येक प्राणी का परम् श्रेय सुख प्राप्त करना 
तथा दुःख से निवृत्ति ही होता है।
(२५)
इस्लामी मिथक और दलीलें और मंशा : भाग -१ 
भाइयों चलिए जानते है इस्लाम के कुछ मिथक 
और मुल्लो के दलीलों के साथ उनका जवाब भी :-
*पोपट मोहम्मद के कथन का मिथक ....
कुछ और भी लिंकों पर गौर फरमाइए!
मनोज वाजपेयी 
हिन्दी सिनेमा में मनोज बाजपेयी को 
प्रयोगकर्मी अभिनेता के रुप में जाना जाता है । 
सत्या से लेकर शूल । जुबैदा । अक्स । पिंजर । रोड । 
और - मनी है तो हनी है । ...
हम-तुम 
तेरी मीठी बातें हैं साँसे हमारी सो 
पहलू में बतियाते उम्रें गुजारी. 
पाने को तुझको,तुझसे ही झगडे बाज़ी 
थी ऐसी,ना जीती ना हारी.....
माई नेम इस "गुड्डू खान" 
 मैं थोक दवा विक्रेता हूँ । 
सीबीआई की रेड में मेरे काले कारनामे सामने आ गए हैं , 
लेकिन मुझे कोई डर नहीं है। 
जब तक कांग्रेस है ....
पूजा होता प्यार 
कब नाता है जिस्म से , आत्मा का व्यापार। 
जाति-उम्र ना देखता , अंधा होता प्यार । 
बात ये दिल की माने, जाने बस दिलदार ,...
क्यूं उडती चिड़िया से दोस्ती गाँठ ली
उसकी मीठी चहचहाहट सुनने की आदत डाल ली 
क्यों भूल गया था ? ...
शब्दों के झुरमुट में...! 
कुछ समय पहले लिखी गयी एक कविता 
आज यहाँ भी सहेज ली जाए... 
तीन वर्ष हो गए उनके लिए कुछ कुछ 
यूँ ही कभी कभी लिखते हुए....
बन्दौं संत कबीर, कवी-वीर पुण्यात्मा 
बढ़ निकला हूँ रूखे पथ पर 
आज के लिए इतना ही!
कल फिर मिलेंगे!!
नमस्ते!!!

29 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर चर्चा सार्थक लिंक
    आभार शास्त्री जी

    जवाब देंहटाएं
  2. रोचक विस्तृत चर्चा में अच्छे लिंक्स मिले ...
    आभार !

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर चर्चा , सार्थक लिंक्स ,
    मेरा लेख "इस्लामी मिथक और दलीलें और मंशा : भाग -१ " शामिल करने के लिए धन्यवाद .

    सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. सार्थक और सारगर्भित चर्चा साथ ही मेरी गज़ल को आज की चर्चा में शामिल करने के लिये धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  5. अच्छे लिंक्स मिले ...सुन्दर चर्चा ...

    जवाब देंहटाएं
  6. सराहनीय प्रस्तुतिकरण. मुझे भी आपने स्थान दिया. आभार.

    जवाब देंहटाएं
  7. एक जगह इतने अच्छे लिंक्स सजाने का आभार

    जवाब देंहटाएं
  8. शास्त्री जी!
    अपनी व्यस्तताओं के मध्य इतना समय निकाल पाना भी बहुत बड़ी बात है.. इतने सारे लिंक्स देखकर लगता है कितनी मेहनत की गई है!!
    आभार आपका!!

    जवाब देंहटाएं
  9. मेरे गीत को भी चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद
    सादर
    आनन्द.पाठक

    जवाब देंहटाएं
  10. अच्छी और विस्तृत चर्चा...
    मेरी रचना "हम-तुम" को स्थान देने के लिए आपका आभार...

    शुक्रिया.

    जवाब देंहटाएं
  11. सार्थक और सारगर्भित चर्चा,धन्यवाद आदरणीय |

    जवाब देंहटाएं
  12. bahut shandar sootron se saji charcha.meri rachna ko shamil karne ke liye hardik aabhar.

    जवाब देंहटाएं
  13. chayanit sundar links se parichay karne aur achchha padhane ke liye aapko dhanyavad kahana theek nahin lagega phir bhi apake isa kaam ke lie abhar prakat karti hoon.

    जवाब देंहटाएं
  14. सार्थक चर्चा । मेरे नए पोस्ट "भगवती चरण वर्मा" पर आपकी उपस्थिति पार्थनीय है । धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं
  15. बहूत सुंदर लिंक्स
    बेहतरीन चर्चा मंच...

    जवाब देंहटाएं
  16. बढिया चर्चा।
    बेहतर लिंक्‍स।

    जवाब देंहटाएं
  17. बहुत मेहनत से पूरा ब्लॉगजगत इक्कट्ठा किया है । आभार ।

    जवाब देंहटाएं

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