मित्रों!
आज रविवार है। सप्ताहान्त की चर्चा आपके अवलोकनार्थ प्रस्तुत कर रहा हूँ! पेश-ए-ख़िदमत हैं मेरी पसन्द के कुछ लिंक!
परदे में रखकर गम को, छिपाना
मुश्किल हो गया.. इन हार की वजह का, बताना मुश्किल हो गया ll
"पप्पू और दुकान " - *पप्पू की दुकान में अब कोई नहीं आता पिछली सरकार से पप्पू का था कुछ नाता पप्पू पाँच साल तक रहा पुराना राशन बिकवाता....! माइक्रो पोस्ट - विवेकहीन उत्साह ... - *विवेकहीन उत्साह* तूफ़ान से घिरे उस जहाज की तरह होता है जिसके हर क्षण डूबने की आशंका बनी रहती है की न जाने कब वह डूब जाये....!फ़ुरसत में ... 100 : अतिथि सत्कार - * * *फ़ुरसत में .अतिथि सत्कार...*बेटा और लोटा **परदेस **में ही **चमकते हैं**”* – एकदम खरी कहावत है यह....। आओ ....... सिलवटो को बुहारें...यादों की झाड़ू से शायद अक्स में वक्त नज़र आये जो छुप गया है सर्द अँधेरे में उस अक्स की कुछ गर्द उतारें...! बांसुरी - *प्राण फूंके कान्हां ने * *बांस की पुगलिया में *** *बाँसुरी बन कर बजी *** *ब्रज मंडल की गलियों में *** *अधरामृत से कान्हां के*** * स्वर मधुर उसके हुए *** ! टीसी अन्तर-फलक, बनी जो ऐबी सीडी - - ऐबी सीडी दे मचा, रोज तहलका दोस्त । गिद्ध निगाहें नोच लें, सड़ा-गला सा गोश्त....‘‘मेरी पसन्द के सात दोहे’’*मानव बोता खेत में, कंकरीट और ईंट।* *बिन चावल और दाल के, रहा खोपड़ी पीट।१। *बेटी के दुख-दर्द को, समझ न पाते लोग।* *नारी को वस्तु समझ, लोग रहे हैं भोग।२।...झारखण्ड की दुर्दशा, बढ़े साल दर साल (१) खनिज सम्पदा लूट के, होते मालामाल । झारखण्ड की दुर्दशा, बढ़े साल दर साल.....! वह जिसे आप मानते हैं सच,पर है झूठ ....! कथक नृत्य संभवतः भारतीय नृत्य परंपरा का सर्वाधिक जन प्रिय आयाम है और इसी नृत्य परंपरा ने इस देश को कई महान कलाकार दिए हैं जिनमे एक नाम ...रानी खानम और गंगा-जमुनी तहज़ीब...! ये धूप की बेला कविता हिम्मत से रहिये डटे, घटे नहीं उत्साह | कोशिश चढ़ने की सतत, चाहे दुर्गम राह....चढ़ते रहो पहाड़, सदा जय माँ जी कहिये....! वनआईडी ने ऐसा लॉगइन बनाया है, जिसमें यूजर को यूजर नेम, पासवर्ड, क्रेडिट कार्ड नंबर वगैरह डालने की कोई जरूरत नहीं है...यूजर नेम-पासवर्ड के बिना एक क्लिक से हैंडल होंगे आपके सारे वेब अकाउंट...अरे वाह यह तो बहुत उपयोगी है! मंगल भवन अमंगल हारी...मंगल पर जीवन है या नहीं,यह खोज बहुत हो चुकी । हमारे अपने जीवन में मंगल है या नहीं, इसकी खोज कौन करेगा ? अब यह खोज ज़रूरी हो गयी है...! गवाही - कहाँ से करूँ शुरू, किस किस को करूँ रूबरू, एक होता तो हिसाब होता, लिख लेता तो किताब होता. आपको तो मालूम है बस एक-एक, पर मेरी उम्र गुजर..! अकलतरा के सितारे -आजादी के बाद का दौर। मध्यप्रांत यानि सेन्ट्रल प्राविन्सेस एंड बरार में छत्तीसगढ़ का कस्बा- अकलतरा। - रात तो ढल चुकी है हाँ लेकिन
सुबह होने में देर हो शायद!! जागते हैं अभी क़लम-कागज़ मुझको सोने में देर हो शायद कुछ ख़यालों में है ....! मौलश्री... *हरा ::* उनकी हरियाली अमृत है मौसम का उनकी आश्वस्ति से आश्वस्त है मौसम पतझड़ जानता है कि उसके दुःख को सहलाने निकल आएगी लाल कोंपल...! उन्होनें साथ निभाया - दस दिन की यात्रा थी, पैतृक घर की। बहुत दिन बाद छुट्टी पर गया था अतः अधीनस्थों को भी संकोच था कि जब तक अति आवश्यक न हो, मेरे व्यक्तिगत समय में व्यवधान न डालें...! सियानी गोठ - गाय लछमी साहीं समझ के, पालो घर-घर गाय चारा खावय अपन हर, तुम्हला दूध पियाय तुम्हला दूध पियाय , खाद बर देवय गोबर...! रात आधी, खींच कर मेरी हथेली एक उंगली से लिखा था "प्यार" तुमने ....! लेकिन ध्यान रखना... आगे कोई मोड नही .... मुझे जिन्दगी के रथ पर बैठा दो और उसके अश्वो को पवन वेग से दौडा दो....! मेरे अश्क मेरे बस में रहते हैं* *और अक्सर ये मुझ से कहते हैं...* *वह जाऊं या ना वहूं. . .* *ना वहूं तो घुट जाऊंगा,* *और वह जाऊं तो बेमतलब लुट जाऊंगा..! बाल साहित्यकार डा.श्रीप्रसाद नानाजी से एक मुलाक़ात... -*हेलो फ्रेंड्स !* मेरी गर्मी की छुट्टियाँ बस कुछ ही दिनों में शुरू होने वाली हैं... मैं तो बहुत excited हूँ... गर्मी की छुट्टियाँ मतलब रुटीन से एकदम अलग ...!
उनके पास गीत है... वे गाते हैं..., पंछी सारा आकाश नाप आते हैं हमारे पास मुट्ठी भर दाने हैं... ! सोन चिड़िया - *तुम्हारे जन्म के बाद जब तुम्हे पहली बार देखा तो * *मैं फूट-२ के रो पड़ी थी ,तुम्हे देखते ही ख़ुशी के साथ * *एक डर ने भी जन्म लिया था....! गर्व से कहो हम नेट जीवी है, एक जबाब उन लोगों को जो हमें आलसी कहते हैं....! हम अक्सर “यूज” होते हैं ...मानवीय रिश्ते एक-दूसरे के पूरक होते हैं। हर पल हमें एक-दूसरे की आवश्यकता रहती है। लेकिन कभी ऐसा लगता है कि फला व्यक्ति हमें यूज कर रहा है। अर्थात ... इस आलेख को पढ़ने के लिए इस लिंक पर जाएं - www.sahityakar.com....! सवाल भी वाजिब, जवाब भी मौजूं। हाल ही पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे के अजमेर दौरे के दौरान एक जागरूक पत्रकार ने यह सवाल करने की हिमाकत कर डाली कि ...वसु मैम, सवाल पत्रकार नहीं, आपके नेता ही उठा रहे हैं ...! हमारे पास व्यक्तिगत उत्सुकता से भरे ज्योतिष प्रेमी पाठकों के पत्र नियमित तौर पर आते रहते हैं ...हमारे यहां पाठकों के लिए नि:शुल्क जानकारी प्राप्त करने की सुविधा चल रही है .... ! राष्ट्रकवि, स्वर्गीय मैथिलीशरण गुप्त ने, कोई सौ बरस पहले, अपनी कृति ‘भारत भारती’ में लिखा था - ‘हम कौन थे, क्या हो गए, और क्या होंगे अभी?... चित्कार और हा!हा!कार नहीं, शुभ-कामनाओं का हर्षनाद....! ‘ब्लॉग की ख़बरें‘ हिंदी ब्लॉग जगत का सबसे पहला समाचार पत्र है जो ब्लॉग की ख़बरें देता है। निष्पक्षता इसकी ख़ासियत है... संविधान का अपमान करने के पीछे क्या मंशा है ? ....*- चण्डीदत्त शुक्ल* *
शुक्रिया वसंत * तुम्हारा मिलना इस बार नहीं लाया कोई बहार। कहीं, नहीं फूटी, कोई कुहुक एक भी फूल नहीं खिला कहां हंसी कोई चिड़िया पर तुम...! दूरसंचार राज्य मंत्री और अजमेर के सांसद सचिन पायलट ने राजस्थान सरकार से कहा है कि... गुर्जर सहित पांच जातियों के आंकड़े अदालत को दे सरकार.....! ये हैं बॉम्बे मेरी जान "* * * चलिए आज आपको घुमाती हूँ मुंबई के नजदीक '*विरार '* लोकल स्टेशन पर बना नया वंडरफुल पार्क :--- * यजु पार्क * *यजु पार्क...मुम्बई की सैर :--मेरी नजर में....! माँ बाप कई प्रकार के होते हैं। एक वे जो बच्चों की उद्दंडता को प्रोत्साहित करते हैं जबकि एक प्रकार वह भी है जो अपने बच्चे की ग़लती होने पर खुद भी शर्मिन्दा...परशु का आधुनिक अवतार - इस्पात नगरी से...! परदे में रखकर गम को, छिपाना
मुश्किल हो गया l इन हार की वजह का, बताना मुश्किल हो गया ll ज़माने की यूं तो मैं, परवाह छोड़ देता l पर खुद के सवालो को, मनाना
मुश्किल हो गया ...सफर अंधा; मोड़ भी अंधे? BLIND TURNING?... (१) *जब से साल सोलहवां आया * *मन ही मन ये दिल भरमाया * *मेरी आँखों में वो लगे हंसने * *ऐ सखी साजन! ना सखी सपने ...कुछ कह मुकरी...!... भोजन-भट ज्यों बैठता, कमर-बंद को खोल | लार घोंटने लग पड़े, हाथ फिराते ढोल ।। पूडी-सब्जी आ गई, जब चटनी के साथ । हाथ दाहिने को जकड, थामे बाँया हाथ....इक पूरे परिवार को, गई भुखमरी मार...! इस पेंटिंग का नाम मैंने
पिघलता आसमान रक्खा है...! "सबका मन बहलाते हैं"...*कभी झगड़ते हैं आपस में**,* *कभी दोस्त बन जाते हैं।* *मन में मैल नहीं रखते जो**,* *वो बच्चे कहलाते हैं।।
अन्त में देखिए यह कार्टून!