आज “मयंक का कोना” में पढ़िए-
पोस्ट तो चाहे जैसी भी हो मगर
इस ब्लॉग के संचालक के मन में कितनी वैमनस्यता भरी है, यह आपको इन ज़नाब के कमेंटों से ही पता लग जायेगा।
हम तो सब धर्मों का आदर करते हैं
मगर ये तो सीधे-सीधे एक धर्म विशेष को नीचा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। जो सर्वथा निन्दनीय है।
इन्होंने तो चर्चा मंच पर भी लांछन लगाया है
जो कि ब्लॉग जगत में एक सेतु का काम कर रहा है।
http://charchamanch.
blogspot.in/2012/04/840.html रही बात इस पोस्ट की तो इसका मूल उल्लेख तो मुझे कहीं पर भी नहीं मिला। इससे तो यह प्रमाणित होता है कि धर्म विशेष को नीचा दिखाने के लिए यह पोस्ट इनके मन की देन है।
Posted by DR. ANWER JAMAL at 4:36 PM
शगुन गुप्ता कहती हैं कि
हाल ही में मेरे पड़ोस में रहने वाली आंटी जी की मौत
हुई भगवान की दया से मौत देखने और उससे जुड़े रीति रिवाज़ों को समझने का ये मेरा पहला मौका था। अब तक बस ये पता था की दिल की धड़कन रुक जाती है और जान निकल जाती है, अब पता चला कि जान निकलते वक्त बहुत तड़पाती है। आंटी जी के दोनों बच्चे मेरे हमउम्र हैं और हम तीनों को नहीं पता था कि प्राण पलंग पर नहीं ज़मीन पर निकलने चाहियें नहीं तो मुक्ति नहीं मिलेगी हाँ गंगाजल पिला दिया था और हाथ पाँव भी सीधे कर दिये थे (क्योंकि खून का दौरा रुक जाने से शरीर अकड़ जाता है और अंगों को सीधा करने के लिये उन्हें तोड़ना पड़ता है)
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नोट: लिंक ऊपर शीर्षक में पेवस्त है.
LABELS: 'DAH SANSKAR', 'DR. ANWER JAMAL'
रविकर said...
कर्म काण्ड |छूट भी है-
अपने स्नेही के जाने का गम- ध्यान भटकाने के कई उपाय- राम जाने-
इस प्रकार की पोस्ट लगाकर वैंनस्यता को मत बढाइए।
कोई भी धर्म छोटा बड़ा नहीं होता। जिसका जिसमें अकीदा है उसे उस पर आचरण करना चाहिए!
DR. ANWER JAMAL said...
@ आदरणय रूपचंद शास्त्री जी !
शगुन गुप्ता जी ने अपनी पोस्ट में अंतिम संस्कार को निकट से देखने के अपने पहले अनुभव को शेयर किया है। हमने एक अंश के साथ उनकी पोस्ट की सूचना ‘ब्लॉग की ख़बरें‘ पर दी है। आपको पोस्ट पर कोई आपत्ति है तो आप उसे पोस्ट लेखिका ‘शगुन गुप्ता‘ को दे सकते हैं। आप स्वयं चर्चामंच पर हर तरह की पोस्ट्स के लिंक्स देते हैं। आपके लिंक संकलन पर किसी ने कभी आपत्ति जताई तो आपने सदा यही कहा है कि यह प्रतिक्रिया पोस्ट पर दी जाए। हम भी यही कहेंगे। आपकी प्रतिक्रिया के बाद हम आपसे यह पूछना चाहेंगे कि आपके चर्चामंच पर आदम हव्वा का नंगा फ़ोटो तक लगाया गया और हमने उस पर आपत्ति जताई थी लेकिन आपने उसे आज तक नहीं हटाया। क्या आप किसी पैग़म्बर के नंगे फोटो को लगाना वैमनस्य पैदा करने वाला नहीं मानते ? लिंक यह है- http://charchamanch. blogspot.in/2012/04/840.html इसी क्रम में कमल कुमार नारद की वे पोस्ट्स हैं, जिसमें उसने इसलाम, क़ुरआन और पैग़म्बर (स.) का मज़ाक़ उड़ाया है। उनके लिंक्स भी आपके चर्चामंच पर आज तक शोभायमान हैं और आपके चर्चामंच द्वारा नफ़रत फैलाने वाली पोस्ट्स को पाठक भेजे गए। आपकी राय का आदर करते हुए हमने पोस्ट को एडिट करके आपत्तिजनक लगने वाली बातों को हटा दिया है। आप भी ऐसी सभी पोस्ट्स को एडिट करके आपत्तिजनक लिंक्स को हटा दें। नापने का पैमाना एक रखना चाहिए।
तो आप विद्वान होकर बदले की भावना से
काम कर रहे हो क्या मैंने तो सुझाव दिया था, आपको बुरा लगा हो तो जाने दीजिए रही बात चर्चा मंच की तो उसमें किसी की पोस्ट पोस्ट के रूप में नहीं लगाई जाती है। केवल चर्चा ही की जाती है, मात्र लिंक देकर।
DR. ANWER JAMAL said...
@ मान्यवर रूपचंद शास्त्री जी !
‘ नापने का पैमाना एक रखना चाहिए‘ यह याद दिलाना बदले की भावना कैसे हो कहलाएगा ? अगर गिलास भर कर शराब पीना बुरा है तो अंगुलि भर पीना भी वर्जित ही है। पैग़म्बर के नंगे फ़ोटो लगाने पर आपको अभी भी शर्मिंदगी महसूस नहीं हो रही है। अफ़सोस की बात है।
इस प्रकार की पोस्ट लगाकर
वैंनस्यता को मत बढाइए। कोई भी धर्म छोटा बड़ा नहीं होता। जिसका जिसमें अकीदा है उसे उस पर आचरण करना चाहिए! --इस कमेंट में बुरी लगने वाली क्या बात है?
मान्यवर असली पोस्ट उड़ चुकी है ,
उस पर कमेंट कैसे करें बहुत कुछ नहीं कहना बस इतनी इल्तिजा है कि दूसरे के घर में झांकना कभी अच्छा नहीं होता रिवाज सबके अपने अपने है रही कुरीतियों की बात तो यह कहाँ नहीं
आपने एक लिंक दिया है-
http://charchamanch. blogspot.in/2012/04/840.html क्या है इस लिंक में? |
आज की चर्चा में आप सबका हार्दिक स्वागत है
चर्चा हेतु जब ब्लॉग भ्रमण पर निकला तो टिप्स हिंदी में ब्लॉग पर दुखद समाचार मिला । तीन फरवरी को विनीत नागपाल जी की पत्नी का देहांत महज 38 वर्ष की आयु में हो गया । इस दुःख की घड़ी में चर्चा मंच परिवार उनके साथ है और भगवान से दिवंगत आत्मा की शांति और परिवार को दुःख सहने की शक्ति की कामना करता है ।
चलते हैं चर्चा की ओर
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दिव्या जी का आह्वान न लुटने दो इस अकूत सम्पदा को
सादर ब्लॉगस्ते पर है फेसबुक रत्न हेतु प्रविष्टि 11
शालनी जी ईर्ष्या को बता रहीं हैं इस धमाके का कारण
अब चलते हैं रेल बजट की तरफ
अविनाश वाचस्पति जी कर रहे हैं मूल्यांकन
जिज्ञासा ब्लॉग की भी सुनिए
आज के लिए बस इतना ही
धन्यवाद
दिलबाग विर्क
सादर ब्लॉगस्ते पर है फेसबुक रत्न हेतु प्रविष्टि 11
शालनी जी ईर्ष्या को बता रहीं हैं इस धमाके का कारण
अब चलते हैं रेल बजट की तरफ
अविनाश वाचस्पति जी कर रहे हैं मूल्यांकन
जिज्ञासा ब्लॉग की भी सुनिए
आज के लिए बस इतना ही
धन्यवाद
दिलबाग विर्क