आज की चर्चा में आपका हार्दिक स्वागत है
चलते हैं चर्चा की ओर
धन्यवाद
--
"मयंक का कोना"
--
हम-तुम अकेले
एक पार्क में बैठ कर एक बुज़ुर्ग दम्पति के जो दुःख दर्द मुझे महसूस हुआ ,
उसे मैं इस कविता में ढाला है | यह केवल इनके दर्द नहीं है ,
ऐसे अनेक दंपत्ति मेरे आसपास रहते है
जिनमे से बहुतों को मैं व्यक्तिगत रूप से जानता हूँ,
यह दर्द उनलोगों का भी है...
मेरे विचार मेरी अनुभूति पर कालीपद प्रसा
--
उसे अपनी माँ से विवाह करना पड़ा था,
दुनिया की दर्दनाक कहानियों में से एक
--
देखता हूँ अंधेरे में अंधेरा
नरेश सक्सेना
लाल रोशनी न होने का अंधेरा
नीली रोशनी न होने के अंधेरे से अलग होता है
इसी तरह अंधेरा अंधेरे से अलग होता है...
Nirjhar Times पर Brijesh Neeraj
--
आम आदमी .....
कविता (अन्नपूर्णा बाजपेई )
घुट घुट के जीता मरता है ये आम आदमी ,
अब दिन रात तड़पता है ये आम आदमी ।
कब तलक यूं ही मरेगा ये आम आदमी ,
एक दिन तो जी उठेगा ये आम आदमी ....
नूतन ( उद्गार)
--
कुछ लिंक "आपका ब्लॉग" से..
गहवर वन महँ लतन पतन महँ ,
ब्रज कण कण महँ श्री राधे,
पूरब राधे पश्चिम राधे ,उत्तर राधे दक्षिण राधे ,
ऊपर राधे नीचे राधे ,जित देखूं तित श्री राधे।
जय राधे जय राधे राधे ,जय राधे जय श्री राधे
--
अजीब बात ये है माँ बाप अपने ही लाडलों को
भूत प्रेत के लिबास में बाहर छोड़ देते हैं।
पड़ोस में ये स्वांग भरते हुए कैंडी मांगने पहुँच जाते हैंये कोई आज की बात नहीं हैं बरसों से हताशा ,
बेचैनी और मानसिक परेशानी का सबब बनता रहा है हेलो -ईवनिंग अप
वीरेन्द्र शर्मा (वीरू भाई)
--
इमोशनल अत्याचार?
रमेश पाण्डेय
--
पत्नी रंगेहाथ पकड़ ले तो उसके पाँव दबाना
पाप नहीं है बाबाजी
Albela Khtari
--
कर नारायण ना नुकुर, गर है नारा ढील -
रविकर लखनऊ में २०-१०-१३
रविकर की कुण्डलियाँ
--
"मयंक का कोना"
--
हम-तुम अकेले
एक पार्क में बैठ कर एक बुज़ुर्ग दम्पति के जो दुःख दर्द मुझे महसूस हुआ ,
उसे मैं इस कविता में ढाला है | यह केवल इनके दर्द नहीं है ,
ऐसे अनेक दंपत्ति मेरे आसपास रहते है
जिनमे से बहुतों को मैं व्यक्तिगत रूप से जानता हूँ,
यह दर्द उनलोगों का भी है...
मेरे विचार मेरी अनुभूति पर कालीपद प्रसा
--
उसे अपनी माँ से विवाह करना पड़ा था,
दुनिया की दर्दनाक कहानियों में से एक
..... ईडिपस देर तक रानी जोकास्टा के शव पर यह कह कर रोता रहा कि तुमने तो अपने दुखों का अंत कर लिया, लेकिन मेरी सजा के लिए मौत भी कम है। उसी समय ईडिपस ने अपनी आंखें फोड़ लीं और महल से निकल गया। कुछ ही समय में उसका पूरा परिवार नष्ट हो गया क्योंकि वह भी उसी पाप की उत्पत्ति था, जो भाग्यवश अनजाने में हो गया था।
शायद यह दुनिया की सबसे दर्दनाक कहानी है
कुछ अलग सा पर गगन शर्मा--
देखता हूँ अंधेरे में अंधेरा
नरेश सक्सेना
लाल रोशनी न होने का अंधेरा
नीली रोशनी न होने के अंधेरे से अलग होता है
इसी तरह अंधेरा अंधेरे से अलग होता है...
Nirjhar Times पर Brijesh Neeraj
--
आम आदमी .....
कविता (अन्नपूर्णा बाजपेई )
घुट घुट के जीता मरता है ये आम आदमी ,
अब दिन रात तड़पता है ये आम आदमी ।
कब तलक यूं ही मरेगा ये आम आदमी ,
एक दिन तो जी उठेगा ये आम आदमी ....
नूतन ( उद्गार)
--
कुछ लिंक "आपका ब्लॉग" से..
गहवर वन महँ लतन पतन महँ ,
ब्रज कण कण महँ श्री राधे,
पूरब राधे पश्चिम राधे ,उत्तर राधे दक्षिण राधे ,
ऊपर राधे नीचे राधे ,जित देखूं तित श्री राधे।
जय राधे जय राधे राधे ,जय राधे जय श्री राधे
--
अजीब बात ये है माँ बाप अपने ही लाडलों को
भूत प्रेत के लिबास में बाहर छोड़ देते हैं।
पड़ोस में ये स्वांग भरते हुए कैंडी मांगने पहुँच जाते हैंये कोई आज की बात नहीं हैं बरसों से हताशा ,
बेचैनी और मानसिक परेशानी का सबब बनता रहा है हेलो -ईवनिंग अप
वीरेन्द्र शर्मा (वीरू भाई)
--
इमोशनल अत्याचार?
रमेश पाण्डेय
--
पत्नी रंगेहाथ पकड़ ले तो उसके पाँव दबाना
पाप नहीं है बाबाजी
Albela Khtari
--
कर नारायण ना नुकुर, गर है नारा ढील -
रविकर लखनऊ में २०-१०-१३
रविकर की कुण्डलियाँ