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बुधवार, नवंबर 06, 2013

मंगल मंगल लाल, लाल हनुमान लंगोटा : चर्चा मंच 1421


बापू होते खेत तो, वंशावली समेत-रविकर
बेसुरम्‌
बापू होते खेत तो, वंशावली समेत |
सेत-मेत में पा गए, भारत चाचा खेत |

भारत चाचा खेत, समेंटे सत्ता सारी |
  अहंकार कुल छाय, पाय के कुल-मुख्तारी |

"ताल-कटोरा" आय, लगाते घोंघे गोते |
धोते "रविकर" पाप, आज गर बापू होते -













बिना कमल वाली लक्ष्मीजी

Bamulahija dot Com 
तालाबों को ढक दिया, हाथी दिया खदेड़ |
लक्ष्मी माँ भी कमल बिन, ज्यों पत्तों बिन पेड़ |
ज्यों पत्तों बिन पेड़, कहाँ से फल खायेगा |
दे कुदरत को छेड़, पुन: अब न आयेगा |
लक्ष्मी मैया दूर, निकाले पर्व दिवाला |, 
बिना दीवाली दीप, लैगे किस्मत पर ताला | 


पहली घटना

Bamulahija dot Com 
 सुर हो जाते हैं असुर, नहीं सिद्ध जब स्वार्थ । 
युद्ध दुशासन छेड़ दे, किन्तु क्लीव नहिं पार्थ । 
किन्तु क्लीव नहिं पार्थ, सुयोधन मुँह की खाये । 
मरे कुटुम्ब समेत, नाम दुर्योधन पाये । 
करें अधर्म अनीति, फूटता नइखे बक्कुर । 
दीदी के शुभ बोल, सहे कैसे सत्तासुर । 

मंगल मंगल लाल, लाल हनुमान लंगोटा -

News for मंगल-यान


मंगल मंगलवार है, उड़ता मंगल-यान |
मंगल मंगल कामना, बढ़े हिन्द की शान |
बढ़े हिन्द की शान, बधाई श्री हरिकोटा |
मंगल मंगल लाल, लाल हनुमान लंगोटा |
कह रविकर कविराय, लक्ष्य-हित बढ़ता पलपल |
मनोवांछित पाय, सफल हो अपना मंगल ||



"दोहे-भइया-दोयज पर्व" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

रूपचन्द्र शास्त्री मयंक 
यज्ञ-हवन करके बहन, माँग रही वरदान।
भइया का यमदेवता, करना तुम कल्याण।।
--
भाई बहन के प्यार का, भइया-दोयज पर्व।
अपने-अपने भाई पर, हर बहना को गर्व।।


'मयंक का कोना'
भैया दूज [दोहावली]
यम यमुना दोनों मिले, छाई ख़ुशी अपार 
रहे हमेशा विश्व में, बहन-भ्रात का प्यार..
गुज़ारिश पर सरिता भाटिया 

--
चित्रगुप्त जयंती
हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियाँ होती हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। *यम द्वितीया के दिन ही यह त्यौहार भी मनाया जाता है। *यह खासकर कायस्थ वर्ग में अधिक प्रचलित है। उनके ईष्ट देवता ही चित्रगुप्त जी हैं...
ॐ ..प्रीतम साक्षात्कार ..ॐ पर सरिता भाटिया 

--
लाल क़िले से लाल ग्रह तक:

DHAROHAR पर अभिषेक मिश्र

--
कुछ दोराहे ऐसे भी !!

आईने के सामने न जाने कब से खड़ी 
पर अपना चेहरा नहीं देख रही थी 
अपनी ही आँखों में झलकता वो अनदेखा चेहरा खोज रही थी 
जो मुझ में ही कहीं गडमड हो गया है 
जिंदगी की राह में मोड तो बहुत से आये 
पर कुछ दोराहे ऐसे भी थे ...
ये पन्ने ........सारे मेरे अपने -पर Divya Shukla
--
कुछ बिखरी पंखुड़ियां.....!!!

'आहुति' पर sushma 'आहुति' 

--
कविता: मजदूर

सादर ब्लॉगस्ते! पर Shobhana Sanstha 

--
दीये ये कच्चे

मधुर गुंजन  पर  ऋता शेखर मधु -

--
क्या कविता का स्वर 
पटाखों के कोलाहल के मुकाबले अधिक असह्य होता है ?

Albela Khtari 

22 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात।
    --
    सुन्दर चर्चा।
    --
    आपका आभार रविकर जी।

    जवाब देंहटाएं
  2. रविकर की आज बुधवार की खूबसूरत चर्चा में दिखा कहीं उल्लूक का पर्चा
    "उस पर क्यों लिखवा रहा है जो हर गली कूंचे पर पहुंच जा रहा है"
    आभार !

    जवाब देंहटाएं
  3. सार्थक सूत्र...सुंदर चर्चा...मेरी रचना को स्थान देने के लिए सादर आभार !!

    जवाब देंहटाएं
  4. सुन्दर सेतु संजोये हैं ,समन्वयन श्रम से किया गया है। हमारे सेतु को जगह देने के लिए शुक्रिया।

    जवाब देंहटाएं
  5. जन सेवा लक्ष्मी सेवा में, ढ़ेर लगाया ,लक्ष्मी का ,

    लक्ष्मी के संग नांच रहे ,ता थइयां करने बैठें हैं।

    एक से एक बड़ी नौटंकी हर दम करते रहते हैं।

    एक से एक बड़े हैं मदारी ,लिए झमुरे बैठें हैं ,

    वाह सतीश भाई सक्सेना। गालियों के गहने पहरा दिए गीत को।

    संसद में गारी चलती है ,फिल्मों में सबसे आगे ,

    सब "दारी के "अपनी अपनी ,गारी देने बैठें हैं।

    जवाब देंहटाएं
  6. भैया दूज [दोहावली]
    यम यमुना दोनों मिले, छाई ख़ुशी अपार
    रहे हमेशा विश्व में, बहन-भ्रात का प्यार..
    गुज़ारिश पर सरिता भाटिया

    यम यमुना दोनों मिले ,छाई ख़ुशी अपार ,

    दुनिया भर में गूंजता भाई बहन का प्यार।

    सुन्दर दोहावली। अप्रतिम रूपक तत्व समोये हुए।

    जवाब देंहटाएं

  7. बापू होते खेत तो, वंशावली समेत-रविकर

    बापू होते खेत तो, वंशावली समेत |
    सेत-मेत में पा गए, भारत चाचा खेत |

    भारत चाचा खेत, समेंटे सत्ता सारी |
    अहंकार कुल छाय, पाय के कुल-मुख्तारी |

    "ताल-कटोरा" आय, लगाते घोंघे गोते |
    धोते "रविकर" पाप, आज गर बापू होते -

    सुन्दर प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुन्दर प्रस्तुति ,संस्कृति तत्व का समवेश किए है।

    एक बात नोट कर लें भगवान् अजन्मा है।

    जन्म मृत्यु से परे है। सब कारणों का कारण है लेकिन उसका स्व्यं का कोई कारण नहीं है।

    हाँ उसके अवतरण अनेक हैं। अनेकों ब्रह्माण्ड हैं। अनगिनत बार इन अनगिनत लोकों में भगवान् का

    अवतरण होता है। भगवान् का मतलब है परसनल फॉर्म आफ गाड जैसे राम ,जैसे कृष्ण आदि। सब

    आत्माओं की आत्मा परमात्मा है। परमात्मा के शरीर और आत्मा में कोई फर्क नहीं हैं। नान

    मटीरियल हैं दोनों एक ही हैं । परमात्मा का अवतरण उसकी योगमाया (नान मैटीरियल पर्सनल

    एनर्जी )का विस्तार है। माया उसकी मैटीरियल (एक्सटर्नल एनर्जी है ). हम उसी परमात्मा के अंश हैं।



    आत्मा और परमात्मा दोनों नान मैटेरिअल एनर्जी हैं। शरीर मैटीरियल एनर्जी है हमारा। पञ्च भूत का

    शरीर पञ्च भूत में ही मिल जाता है।

    जवाब देंहटाएं
  9. शुभेच्छा सद्भावना हमारी भी इस अभियान की सफलता के लिए। बढ़िया सामयिक रिपोर्ट सकारात्मकता लिए।

    लाल क़िले से लाल ग्रह तक:

    DHAROHAR पर अभिषेक मिश्र

    जवाब देंहटाएं
  10. सुन्दर है।

    "दोहे-भइया-दोयज पर्व" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
    रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
    उच्चारण

    यज्ञ-हवन करके बहन, माँग रही वरदान।
    भइया का यमदेवता, करना तुम कल्याण।।
    --
    भाई बहन के प्यार का, भइया-दोयज पर्व।
    अपने-अपने भाई पर, हर बहना को गर्व।।

    जवाब देंहटाएं

  11. सुन्दर है।

    दोहे-भइया-दोयज पर्व" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
    रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
    उच्चारण

    यज्ञ-हवन करके बहन, माँग रही वरदान।
    भइया का यमदेवता, करना तुम कल्याण।।
    --
    भाई बहन के प्यार का, भइया-दोयज पर्व।
    अपने-अपने भाई पर, हर बहना को गर्व।।

    जवाब देंहटाएं
  12. काले रंग का चतुर-चपल,
    पंछी है सबसे न्यारा।
    डाली पर बैठा कौओं का,
    जोड़ा कितना प्यारा।


    बहत सुन्दर बालगीत है।अर्थ और भाव दोनों बढ़िया।


    "चिल्लाया है कौआ" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
    रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
    हँसता गाता बचपन


    जवाब देंहटाएं
  13. सिर झुकाते हैं सभी दस्तूर है
    बाजुओं में दम अगर भरपूर है


    बर्फ की वादी ने पूछा रात से
    धूप की पदचाप कितनी दूर है


    हो सके तो दिल को पत्थर मान लो
    कांच की हर चीज़ चकनाचूर है


    वो पसीने से उगाता है फसल
    वो यकीनन ही बड़ा मगरूर है

    एक शैर ये भी इसी तर्ज़ पर -

    बेचकर सपने कमाता वोट है

    राजनीति का यही दस्तूर है ,


    बाज़ुओं में दम अगर भरपूर है
    (दिगम्बर नासवा)
    स्वप्न मेरे...........

    जवाब देंहटाएं
  14. सुंदर चर्चा ! आ.रविकर जी .
    कुछ पंक्तियाँ मेरी भी ....
    सुंदर चर्चा देखकर मन हर्षित हुआ जाय
    कहाँ से शुरुआत करूँ, सूझे नहीं उपाय !
    सूझे नहीं उपाय, ब्लॉग के सागर में गोते लगाते
    चुन चुनकर इक मोती,रविकर जी चर्चामंच में लगाते !!

    जवाब देंहटाएं
  15. रविकर sir हार्दिक आभार मेरे दोनों ब्लॉग को स्थान देने के लिए
    गुरु जी प्रणाम लाजवाब कुण्डलिया

    जवाब देंहटाएं
  16. विस्तृत ... सुन्दर चर्चा ... शुक्रिया मुझे शामिल करने का ...

    जवाब देंहटाएं
  17. सुंदर सूत्रों का संकलन | बढ़िया चर्चा |

    जवाब देंहटाएं
  18. प्यारे लिंक्स ! मुझे शामिल करने के लिए शुक्रिया !!

    जवाब देंहटाएं
  19. बहुत बढ़िया चर्चा रविकर भाई और शास्त्री जी दोनों को बहुत बहुत बधाई

    जवाब देंहटाएं
  20. बहुत ही खुबसूरत लिनक्स दिए है आपने....मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार

    जवाब देंहटाएं

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