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शनिवार, नवंबर 30, 2013

"सहमा-सहमा हर इक चेहरा" : चर्चामंच : चर्चा अंक : 1447

 सहमा-सहमा हर इक चेहरा मंज़र-मंज़र ख़ून में तर
शहर से जंगल ही अच्छा है चल चिड़िया तू अपने घर

तुम तो ख़त में लिख देती हो घर में जी घबराता है
तुम क्या जानो क्या होता है हाल हमारा सरहद पर

बेमौसम ही छा जाते हैं बादल तेरी यादों के
बेमौसम ही हो जाती है बारिश दिल की धरती पर

आ भी जा अब जाने वाले कुछ इनको भी चैन पड़े
कब से तेरा रस्ता देखें छत, आंगन, दीवार-ओ-दर

जिस की बातें अम्मा-अब्बू अक़्सर करते रहते हैं
सरहद पार न जाने कैसा वो होगा पुरखों का घर
(साभार : जतिंदर परवाज)    
 नमस्कार  !
मैंराजीव कुमार झा
चर्चामंच चर्चा अंक :1447 में,  
कुछ चुनिंदा लिंक्स के साथ, 
आप सब का स्वागत करता हूँ.  
--
एक नजर डालें इन चुनिंदा लिंकों पर...
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मेरे गीत " पर, २४ मई २००८ को पहली कविता "पापा मुझको लम्बा कर दो "  प्रकाशित की गयी थी, जिसकी  रचना ३०-१०-१९८९ को हुई जब मेरी ४ वर्षीया बेटी के मुंह के शब्द कविता बन गए !   
वंदना सिंह  
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 लाख चाह कर भी पुकारा  जाता नही है 
वो  नाम अब  लबों पर     आता नही है
प्रियंकाभिलाषी 
 मेरी जां ......
तुमसे ही सुबह होती है ..
तुमसे ही शाम ... 
                                                            रविकर
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दीखे पीपल पात सा, भारत रत्न महान |
त्याग-तपस्या ध्यान से, करे लोक कल्याण | 
किरण आर्या 

स्तब्ध हर सांस है 
रो रहा आकाश है 
हर तरफ विनाश है 
मानवता का ह्रास है !
पूजा उपाध्याय
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कभी कभी लगता है सब एकदम खाली है. निर्वात है. कुछ ऐसा कि अपने अन्दर खींचता है, तोड़ डालने के लिए. और फिर ऐसे दिन आते हैं जैसे आज है कि लगता है लबालब भरा प्याला है.  
प्रवीण दूबे
 
1. जब शैंपू की बॉटल खत्म हो जाए तो उसमें पानी डालकर एक बार और शैंपू कर लो.
2. टूथपेस्ट तब तक करो जब तक कि उससे पूरा पेस्ट निचुड़ न जाए.
3. घर के शो केस में चाइना का क्रॉकरी बस मेहमानों को दिखाने के लिए लगाओ.
क्षमा करो सरदार 
ओमप्रकाश तिवारी   
क्षमा करो सरदार
कहाँ से
लोहा लाएँ हम !
वर्षों पहले
बेच चुके हम
बाबा वाले बैल,
आज किराये
के ट्रैक्टर से
होते हैं सब खेल 
Monali     
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Once upon a time;
There was a girl...
Lost but happy.. mature and crazy...
नीरज कुमार 
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बहुत दिनों से कोई न आया
आंगन रहा उदास
सुने घर में बुढ़िया अकेली
बैठी चौके के पास ..
बिन कहे
आनंद कुमार द्विवेदी  
मेरा फोटो
तुम हमेशा कहते हो 
"बातें तो कोई तुमसे ले ले"
शब्द बुनना तुम्हारा काम है
पर तुम्हीं देखो 
शब्द कितने विवश हैं    
कविता रावत        
My Photo 
गया दिल अपना पास तेरे जिस दिन तूने मुझे अपना माना है
आया दिल तेरा पास अपने जिस दिन मैंने प्यार को जाना है

माँ !! 
रात मैंने एक सपना देखा 
तुम हो !! आँगन में सोयी सी  
 वंदना गुप्ता 
 
तुम और मैं
दो शब्द भर ही तो हैं
बस इतना ही तो है
हमारा वज़ूद
कैलाश शर्मा    
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तलाश करो स्वयं
अपने स्वयं का अस्तित्व 
अपने ही अन्दर
न भागो अपने आप से,  
धानी धरती ने पहना नया घाघरा।
रूप कञ्चन कहीं है, कहीं है हरा।।
पल्लवित हो रहा, पेड़-पौधों का तन,
हँस रहा है चमन, गा रहा है सुमन,  
उपासना सियाग     
कभी- कभी कुछ नाम
कुछ कमजोर दीवारों पर 
उकेर कर मिटा दिये जाते हैं 
      सरस       
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देखे हैं कई समंदर
यादों के  -
प्यार के -
दुखों के - 
नीरज पाल  
तुम यूँ ही बरसते रहो 
मैं पानी को छूते ही 
तुम्हारे स्पर्श को सहेज लूंगी 
"दोहे-अन्धा कानून" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
 
खौफ नहीं कानून का, इन्सानों को आज।
हैवानों की होड़ अब, करने लगा समाज।।
--
लोकतन्त्र में न्याय से, होती अक्सर भूल।
कौआ मोती निगलता, हंस फाँकता धूल।।
धन्यवाद
आगे देखिए "मयंक का कोना"
क्या वारिस कभी बन पाएंगी मासूम बेटियां ?

कब तक कत्ल की जाएँगी मासूम बेटियां ?
कब हक़ से जन्म पाएंगी मासूम बेटियां ?
WORLD's WOMAN BLOGGERS ASSOCIATION
पर
shikha kaushik
..पर ...

अश्कों के समंदर में 
यादों की परियाँ तैरती हैं...
Tere bin पर Dr.NISHA MAHARANA 
चुनाव आया

काव्यान्जलि पर धीरेन्द्र सिंह भदौरिया
शब्द..

शब्द अनवरत...!!! पर आशा बिष्ट
कभी होता है पर ऐसा भी होता है
मुश्किल हो जाता है कुछ कह पाना 
उस अवस्था में 
जब सोच बगावत पर उतरना शुरु हो जाती है 
सोच के ही किसी एक मोड़ पर भड़कती हुई 
सोच निकल पड़ती है ...
उल्लूक टाईम्स पर सुशील कुमार जोशी 
आपका ब्लॉग
(1)
भुट्टा lutein से भरा हुआ रहता है। 
नेत्रों को स्वस्थ रखता है। 
धमनियों की दीवारों को अंदर से कठोर 
और खुरदरी पड़ने से बचाता है।
सेहतनामा 
(2)
एहसास
बैठा था इंतज़ार में
पागलों कि तरह
चुप चाप
तुम्हारी राहों में;
सोचा था
एक झलक मिल जायेगी
पर
दूर -दूर तक
तुम नजर नहीं आई
न तुम्हारी परछांई...

(3)
उद्घोष सुनना होगा ....
अन्नपूर्णा बाजपेई
नवयुवा तुम्हें जागना होगा 

उद्घोष फिर सुनना होगा 
नींद न ऐसी सोना तुम 
कर्म न ऐसे करना तुम...

23 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढ़िया लिंक्स व प्रस्तुति , राजीव भाई व मंच को धन्यवाद
    नया प्रकाशन --: अपने ब्लॉग या वेबसाइट की कीमत जाने व खरीदें बेचें !
    ॥ जै श्री हरि: ॥

    जवाब देंहटाएं
  2. राजीव भाई सर्वप्रथम सुंदर चर्चा के लिये शुभकामनाएं...
    सर्वप्रथम पेश की गयी कविता मन को प्रभावित कर गयी...

    अपनी किसी भी ईमेल द्वारा ekmanch+subscribe@googlegroups.com
    पर मेल भेजकर जुड़ जाईये आप हिंदी प्रेमियों के एकमंच से।हमारी मातृभाषा सरल , सरस ,प्रभावपूर्ण , प्रखर और लोकप्रिय है पर विडंबना तो देखिये अपनों की उपेक्षा का दंश झेल रही है। ये गंभीर प्रश्न और चिंता का विषय है अतः गहन चिंतन की आवश्यकता है। इसके लिए एक मन, एक भाव और एक मंच हो, जहाँ गोष्ठिया , वार्तालाप और सार्थक विचार विमर्श से निश्चित रूप से सकारात्मक समाधान निकलेगे इसी उदेश्य की पूर्ति के लिये मैंने एकमंच नाम से ये mailing list का आरंभ किया है। आज हिंदी को इंटरनेट पर बढावा देने के लिये एक संयुक्त प्रयास की जरूरत है, सभी मिलकर हिंदी को साथ ले जायेंगे इस विचार से हिंदी भाषी तथा हिंदी से प्यार करने वाले सभी लोगों की ज़रूरतों पूरा करने के लिये हिंदी भाषा , साहित्य, चर्चा तथा काव्य आदी को समर्पित ये संयुक्त मंच है। देश का हित हिंदी के उत्थान से जुड़ा है , यह एक शाश्वत सत्य है इस मंच का आरंभ निश्चित रूप से व्यवस्थित और ईमानदारी पूर्वक किया गया है। हिंदी के चहुमुखी विकास में इस मंच का निर्माण हिंदी रूपी पौधा को उर्वरक भूमि , समुचित खाद , पानी और प्रकाश देने जैसा कार्य है . और ये मंच सकारात्मक विचारो को एक सुनहरा अवसर और जागरूकता प्रदान करेगा। एक स्वस्थ सोच को एक उचित पृष्ठभूमि मिलेगी। सही दिशा निर्देश से रूप – रेखा तैयार होगी और इन सब से निकलकर आएगी हिंदी को अपनाने की अद्भ्य चाहत हिंदी को उच्च शिक्षा का माध्यम बनाना, तकनिकी क्षेत्र, विज्ञानं आदि क्षेत्रो में विस्तार देना हम भारतीयों का कर्तव्य बनता है क्योंकि हिंदी स्वंय ही बहुत वैज्ञानिक भाषा है हिंदी को उसका उचित स्थान, मान संमान और उपयोगिता से अवगत हम मिल बैठ कर ही कर सकते है इसके लिए इस प्रकार के मंच का होना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। हमारी एकजुटता हिंदी को फिर से अपने स्वर्ण युग में ले जायेगी। वर्तमान में किया गया प्रयास , संघर्ष , भविष्य में प्रकाश के आगमन का संकेत दे देता है। इस मंच के निर्माण व विकास से ही वो मुहीम निकल कर आयेगी जो हिंदी से जुडी सारे पूर्वग्रहों का अंत करेगी। मानसिक दासता से मुक्त करेगी और यह सिलसिला निरंतर चलता रहे, मार्ग प्रशस्त करता रहे ताकि हिंदी का स्वाभिमान अक्षुण रहे।
    अभी तो इस मंच का अंकुर ही फुटा है, हमारा आप सब का प्रयास, प्रचार, हिंदी से स्नेह, हमारी शक्ति तथा आत्मविश्वास ही इसेमजबूति प्रदान करेगा।
    आज आवश्यक्ता है कि सब से पहले हम इस मंच का प्रचार व परसार करें। अधिक से अधिक हिंदी प्रेमियों को इस मंच से जोड़ें। सभी सोशल वैबसाइट पर इस मंच का परचार करें। तभी ये संपूर्ण मंच बन सकेगा। ये केवल 1 या 2 के प्रयास से संभव नहीं है, अपितु इस के लिये हम सब को कुछ न कुछ योगदान अवश्य करना होगा।
    तभी संभव है कि हम अपनी पावन भाषा को विश्व भाषा बना सकेंगे।
    एकमंच हम सब हिंदी प्रेमियों का साझा मंच है। आप को केवल इस समुह कीअपनी किसी भी ईमेल द्वारा सदस्यता लेनी है। उसके बाद सभी सदस्यों के संदेश या रचनाएं आप के ईमेल इनबौक्स में प्राप्त करेंगे। आप इस मंच पर अपनी भाषा में बात कर सकेंगे।
    कोई भी सदस्य इस समूह को सबस्कराइब कर सकता है। सबस्कराइब के लिये
    http://groups.google.com/group/ekmanch
    यहां पर जाएं। या
    ekmanch+subscribe@googlegroups.com
    पर मेल भेजें।
    इस समूह में पोस्ट करने के लिए,
    ekmanch@googlegroups.com
    को ईमेल भेजें.
    http://groups.google.com/group/ekmanch
    पर इस समूह पर जाएं.

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  3. बहुत सुन्दर, मनभावन और व्यवस्थित चर्चा।
    आपका आभार आदरणीय राजीव कुमार झा जी।

    जवाब देंहटाएं
  4. bahut sundar prastuti aaj time jarur nikalungi thanks nd aabhar .....

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  5. बहुत ही बेहतरीन लिंक्स का सयोजन किया है .. सारे ही पठनीय एवं सराहनीय सूत्र .. मेरी रचना को स्थान देंने के लिए आभार ..

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  6. आज की खूबसूरत चर्चा में उल्लूक का 'कभी होता है पर ऐसा भी होता है' को स्थान देने पर आभार !

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  7. आज की चर्चा को मनभावन रूप देने के लिए आ. शास्त्री जी का आभार.

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  8. बहुत सुंदर उत्कृष्ट चर्चा ....!
    मेरी रचना को स्थान देंने के लिए आभार ..शास्त्री जी,
    ================================
    नई पोस्ट-: चुनाव आया...

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  9. सर्वप्रथम मेरी रचना को समुचित स्थान देने के लिए धन्यावाद।
    आपका यह संकलन सदा उत्तम कोटि की रचनाओं का भंडार रहा है।

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  10. सर्वप्रथम मेरी रचना को समुचित स्थान देने के लिए धन्यावाद।
    आपका यह संकलन सदा उत्तम कोटि की रचनाओं का भंडार रहा है।

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  11. बहुत अच्छे लिंक्स
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका अति आभार।।

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति
    मेरी पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!
    सादर

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  13. बहुत सुन्दर और विस्तृत लिंक्स...आभार

    जवाब देंहटाएं
  14. बहुत सुन्दर और विस्तृत लिंक्स...आभार

    जवाब देंहटाएं
  15. सुन्दर चर्चा है भाई राजीव -
    आभार आपका-

    जवाब देंहटाएं
  16. धन्यवाद राजीव कुमार झा जी..

    सादर आभार..!!

    जवाब देंहटाएं
  17. हार्दिक आभार राजीव जी, सारे सूत्र पठनीय और सुन्दर हैं। मेरी रचना को भी शामिल करने के लिए हार्दिक आभार।

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  18. बेहतरीन links के लिए आभार, सारी रचनाएं प्रशंसनीय हैं, मेरी कविता को शामिल करने के लिए शुक्रिया....

    जवाब देंहटाएं

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