आज की चर्चा में आपका हार्दिक स्वागत है
नई सरकार बने एक महीने से ज्यादा हो गया है, अच्छे दिन अभी तक नहीं आये । यह नहीं कहा जा सकता कि मोदी साहब के पास जादू की छड़ी तो है नहीं क्योंकि यही बात मनमोहन सिंह जी ने कही थी तो खूब शोर मचा था, केजरीवाल सरकार का हर घंटे में मूल्यांकन करने वाला मीडिया भी अब खामोश है । वैसे सोचने की बात यह है कि अगर हालात बदलने इतने आसान होते, महँगाई पर नियंत्रण लगाया जाना संभव होता तो कॉंग्रेस ऐसा क्यों नहीं करती, क्या उसे पुन: सत्ता नहीं चाहिए थे ? लेकिन मूर्ख जनता कब समझी है । अब तो यह विचार आने लगा है कि यदि अच्छे दिन ऐसे होते हैं तो हमें नहीं चाहिए अच्छे दिन !!!!!!
चलते हैं चर्चा की ओर












आभार
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंअच्छे दिन आने में समय तो लगेगा तब शायद हम न हों -----
पर आशा पर सारी दुनिया टिकी है |
उम्दा चर्चा |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सर |
सुन्दर चर्चा-
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय दिलबाग जी-
हमेशा की तरह व्यवस्थित चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार दिलबाग विर्क जी।
सुंदर चर्चा दिलबाग । आभार 'उलूक' के सूत्र को शामिल करने के लिये ।
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा व सूत्र , आ. शास्त्री जी , विर्क साहब व मंच को धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
एकदम संतुलित और प्रभावी संकलन ! अलग अलग महान लेखकों और रचनाकारों को लेकर आये हैं आप इस बार !
जवाब देंहटाएंवाकई अच्छे दिन कब आएंगे....लाने में कोई भी सहायक हो...हमें तो दिन अच्छे चाहिए....सुंदर चर्चा लगाई है। मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार...
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह सुन्दर चर्चा,
जवाब देंहटाएंआभार
एक्ज के चर्चा-मँच पर मेरी उपस्थिति के लिए धन्यवाद ! आज का यह संयोजन बहुआयामी है !
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिनक्स से सजी चर्चा के लिए बधाई ... हमें चर्चा में शामिल करने हेतु सादर धन्यवाद !!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद विर्क साब..!!
जवाब देंहटाएंसादर आभार..!!
:)
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