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आदरणीय पाठकों व प्रिय ब्लॉगर मित्रों आप सबको मेरी तरफ से श्रावण मास के प्रथम सोमवार की शुभकामनाएं , व चर्चामंच के इस अंक में मैं आपका हार्दिक स्वागत करता हूँ , मित्रों कभी कदार जीवन में कुछ ऐसा हो जाता है जिसे हम सोचते हैं कि कोई तो है जो हमें इस तरह प्रेरित कर रहा है व कोई ऐसी शक्ति है जो हमें अपनी ओर आकर्षित कर रही है - कि तेरी ताक़त हूँ मैं ,
मुझे भी होता है , जैसे कि जब भी मुझे कुछ भारी काम पड़ता है /\/\/\
सबको भी कभी न कभी तो होता हि होगा - न ! कि हाँ ?
- आज की चर्चा को हम इसी प्रश्न के साथ शुरुवात करतें हैं - - -
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प्र० - परमात्मा का अनुभव क्या सभी मनुष्य कर सकते हैं ?
उ० - परमात्मा का अनुभव वही कर सकते हैं जो केवल परमात्मा के ही प्रेमी हैं , और कुछ नहीं चाहते हैं | वास्तव में परमात्मा सभी के लिए अति सुलभ है परन्तु परमात्मा का अनुभव करने वाला महात्मा अवश्य ही दुर्लभ है | परमात्मा तो सभी नाम रूपों के पीछे सत्ता रूप , चेतन रूप , ज्ञान रूप में निरंतर विद्यमान है परन्तु उसे चाहने वाला प्रेमी नहीं मिलता इसलिए परमात्मा सर्वत्र सुलभ कहा गया है , महात्मा को गीता में दुर्लभ कहा गया है | लज्जा , घृणा , भय , तृष्णा के रहते , विनासी से ही आसक्ति सिद्ध होती है , परमात्मा में अनुरक्ति नहीं हो सकी | अतः पूर्ण अनुरक्ति बिना प्रभु का अनुभव नहीं होता |
~ रतननिधि "निर्वान" ~
ये तो रहा एक किताब का दिया उत्तर , जिसका नाम " रास्ते का पथिक " है !
आपकी तरफ से कोई अगर उत्तर मन में उठ रहा हो तो कमेंट ( टिप्पणी ) के जरिये ज़रूर दें , चर्चामंच परिवार आपकी अनमोल टिप्पणियों व आपका सदः स्वागत करता है , " ॐ नमः शिवाय "
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अब चलते है चर्चा की ओर - - -
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तुम यहीं हो... - ( अलकनंदा सिंह जी की प्रस्तुति )
पोस्ट चर्चा - ये आहटें,ये खुश्बुएं,ये हवाओं का थम जाना, बता रहा है कि तुम यहीं हो सखा, मेरे आसपास...नहीं नहीं... मेरे नहीं मेरी आत्मा के पास मन के बंधन से मुक्त तन के बंधन भी कब के हुए विलुप्त
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गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनायें - ( आ० रेखा जोशी जी की प्रस्तुति )
पोस्ट चर्चा - गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनायें चीर घोर अन्धकार को वह रोशनी दिखाता है अँधेरे से उजाले में वह बाहँ पकड़ लाता है करते है नमन ऐसे महान गुरू को हम सब मिल ज़िंदगी जीने के लिए नव राह जो दिखलाता है
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केवल चेहरा उतरा सा और गगन सूना सा होगा - ( प्रभात कुमार जी की प्रस्तुति )
पोस्ट चर्चा - वो दिन भी क्या होगा जब सूरज कहीं और होगा सुबह न होगा, ना होगी शाम केवल चेहरा उतरा सा और गगन सूना सा होगा। उन तारों का क्या होगा जो झिलमला कर दिख जाते थे न सतरंगी दुनिया होगी,
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सावन - ( आ० श्री विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति )
पोस्ट चर्चा - कोई शब्द मेरे नहीं हैं ..... मुझे अच्छे लगते हैं ..... बस संजो लेती हूँ किसी को लगता है कि चोरी हो गई है ..... तो .... खर्च नहीं हुए हैं ...... सबके सामने है .... वो अपने शब्द यहाँ से ले जा सकते हैं ....
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एक लत - ( कवि नीरज द्विवेदी जी की प्रस्तुति )
पोस्ट चर्चा - मेट्रो भी अजीब है जितनी ज्यादा बेतरतीब आवाजें सुनाई देतीं हैं ज्ञान गंगाएँ उतना ही शांत हो जाता हूँ मैं, जितनी ज्यादा भीड़ मिलती है अनजान लोगों की अनभिज्ञ चेहरों की उतना ही अकेला हो जाता हूँ
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गर्भस्त शिशुओं की रक्षक है लौकी - ( अल्का सर्वात जी की प्रस्तुति )
पोस्ट चर्चा - लौकी इकलौती ऎसी सब्जी है जिसमें दूध के सारे गुण पाए जाते हैं। मराठी और गुजराती में तो इसे दुधी और दुध्या कह कर ही पुकारा जाता है। जैसे दूध ज्यादा पी लेने पर कफ की अधिकता हो जाने से शरीर भारी हो जाता है
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ईमेल से प्रश्न .... - ( सुशील दीक्षित जी की प्रस्तुति )
पोस्ट चर्चा - मेरे पास बहुत सारी इमेल आती रहती हैं अब मैं इनको पोस्ट कर दिया करूँगा . इसी तरह की एक ईमेल मैं भेज रहा हूँ. On Tue, Mar 13, 2012 at 7:52 PM, Jayendra Joshi wrote: >
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खिलखिलाती रही - ( आ० महेश्वरी कनेरी जी की प्रस्तुति )
पोस्ट चर्चा - कतरा कतरा बन जि़न्दगी गिरती रही और मै समेट उन्हें, यादों में सहेजती रही अनमना मन मुझसे क्या मांगे,पता नहीं पर हर घड़ी धूप सी मैं ढलती रही रात,
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क्यों ये चाँद दिन में नजर आता है - ( अनुषा जी की प्रस्तुति )
पोस्ट चर्चा - ख्वाबों खयालों में हर पल तेरा चेहरा नजर आता है ऐ मेरे मालिक बता, क्यों ये चांद दिन में नजर आता है लगा के काजल दिन को रात कर दो क्या कोई बता के नजर लगता है
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प्रेम - ( प्रीती जैन 'अज्ञात' जी की प्रस्तुति )
पोस्ट चर्चा - *प्रेम' होता नहीं* *मिलता जाता है* *जन्म लेते ही,* *माता-पिता से* *परिवार से, मित्रों से* *शिक्षकों से* *प्रेमी / प्रेमिका से* *पति / पत्नी से* *घर-बाहर, हर स्थान पर* *उपलब्ध है 'प्रेम'* *बिक भी जाता है
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द्वार खोलो भगवन द्वार खोलो - ( देवेन पाण्डेय जी की प्रस्तुति )
पोस्ट चर्चा - कल यु ही किसी काम से ‘ घाटकोपर ‘ तक जाने का अवसर प्राप्त हुवा ,ठाणे से घाटकोपर स्लो लोकल से बीस-पच्चीस मिनट ( आधा घंटा ही समझ लो ) लगते है ! हमारी ट्रेन जैसे ही ‘मुलुंड ‘ पहुंची
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लेकिन माँ नहीं - ( श्री मिथिलेश दुबे जी की प्रस्तुति )
पोस्ट चर्चा - वो इबादत इबादत नहीं जिसमे माँ का नाम नहीं वो घर घर नहीं अबस है जिसमे माँ को जगह नहीं । आज सबकुछ तो है मेरे पास धन दौलत और शोहरत नहीं है तो ख़ुश होने वाली माँ नहीं ।
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तिरंगे की शान निराली - ( शिखा कौशिक जी की प्रस्तुति )
पोस्ट चर्चा - *काम पप्पा ने कितना चंगा किया ,लाकर मुझको ये प्यारा तिरंगा दिया !* *................................................................* *इस तिरंगे की शान निराली बड़ी ,* *इसको छत पर फहराने की हसरत चढ़ी ,* * वानर दल से मैंने पंगा लिया !* *
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बस स्टॉप से ... ( रजनी खन्ना ) ! - (आ० रेखा श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति )
पोस्ट चर्चा - ये कहानी बनी तो बस स्टॉप से नहीं लेकिन इसके बारे में सब कुछ बस स्टॉप से ही सुनाने वाले मिलते रहे क्योंकि रजनी को तो मैंने वर्षों बाद जाना। वो एक सीधी सादी महिला थी।
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दिन में फैली खामोशी - ( संजय भास्कर जी की प्रस्तुति )
पोस्ट चर्चा - जब कोई इस दुनिया से चला जाता है वह दिन उस इलाके के लिए बहुत अजीब हो जाता है चारों दिशओं में जैसे एक ख़ामोशी सी छा जाती है दिन में फैली ख़ामोशी वहां के लोगो को सुन्न कर देती है
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वन्देमातरम - ( डॉ. प्रतिभा जी की प्रस्तुति )
पोस्ट चर्चा - बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा संस्कृत बाँग्ला मिश्रित भाषा में रचित इस गीत का प्रकाशन सन् १८८२ में उनके उपन्यास आनन्द मठ में अन्तर्निहित गीत के रूप में हुआ था। इस उपन्यास में यह गीत भवानन्द नाम के सन्यासी द्वारा गाया गया है।
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बुद्धिवर्धक कहानियाँ - ( सत्संग का ऐसा असर ) - ( आशीष भाई जी की प्रस्तुति )
पोस्ट चर्चा - डाकुओं का एक बहुत बड़ा दल था। उनमें जो बड़ा व बूढ़ा डाकू था , वह सबसे कहता था कि ' भाइयों , जहाँ कथा व सत्संग होता हो , वहाँ पर कभी मत जाना , नहीं तो तुम्हारा सारा काम बंद हो जाएगा।
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कामना के पुष्प - ( श्री मधु सिंह जी की प्रस्तुति )
पोस्ट चर्चा - जब गीत मय अस्तित्व दोनों के मिलेंगें , सुरभित कामना के पुष्प अधरों पे खिलेंगें , नील नभ पर चांदनी इर्ष्या करेगी , जब बाहु- भुज में आबद्ध हम धू -धू जलेंगे
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नेत्रहीनता उनकी व्यथा थी - ( भारती दास जी की प्रस्तुति )
पोस्ट चर्चा - धृतराष्ट्र जो जन्मांध हुए थे , अत्यधिक ही मोहान्ध हुए थे , वो सदा दुखित हुए थे , पुत्र मोह से व्यथित हुए थे , आत्महीनता से ग्रसित थे , महत्वाकांक्षा से पीड़ित थे
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"उपवन में हरियाली छाई" - ( डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' जी की प्रस्तुति )
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पोस्ट चर्चा - कहना तो नहीं पड़ना चाहिये कि मैं शपथ लेता हूँ कि लेखक और कवि नहीं हूँ कौन नहीं लिखता है सब को आता है लिखना बहुत कम ही होते हैं
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पोस्ट चर्चा - मारे मारे फिर रहे, कृषक उद्यमी लोग । बेमानी लगते हमें, अच्छे दिन के योग । अच्छे दिन के योग, चाइना मुस्काता है । बढ़ा रहा उद्योग, उद्यमी भरमाता है । सस्ता चीनी माल, बिक रहा द्वारे द्वारे । रविकर रहा खरीद, माल ना बिके हमारे ॥
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अब आप सबसे आज्ञा _/\_ चाहता हूँ , ईश्वर की कृपा से अगर सही सलामत रहा तो अगले सोमवार प्रभु का नाम यानी || ॐ नमः शिवाय || करता नज़र आऊंगा , हाँ जी...... क्योंकि सावन लग चुके है आप भी थोडा लग लो , धन्यवाद
आदरणीय पाठकों व प्रिय ब्लॉगर मित्रों आप सबको मेरी तरफ से श्रावण मास के प्रथम सोमवार की शुभकामनाएं , व चर्चामंच के इस अंक में मैं आपका हार्दिक स्वागत करता हूँ , मित्रों कभी कदार जीवन में कुछ ऐसा हो जाता है जिसे हम सोचते हैं कि कोई तो है जो हमें इस तरह प्रेरित कर रहा है व कोई ऐसी शक्ति है जो हमें अपनी ओर आकर्षित कर रही है - कि तेरी ताक़त हूँ मैं ,
मुझे भी होता है , जैसे कि जब भी मुझे कुछ भारी काम पड़ता है /\/\/\
सबको भी कभी न कभी तो होता हि होगा - न ! कि हाँ ?
- आज की चर्चा को हम इसी प्रश्न के साथ शुरुवात करतें हैं - - -
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प्र० - परमात्मा का अनुभव क्या सभी मनुष्य कर सकते हैं ?
उ० - परमात्मा का अनुभव वही कर सकते हैं जो केवल परमात्मा के ही प्रेमी हैं , और कुछ नहीं चाहते हैं | वास्तव में परमात्मा सभी के लिए अति सुलभ है परन्तु परमात्मा का अनुभव करने वाला महात्मा अवश्य ही दुर्लभ है | परमात्मा तो सभी नाम रूपों के पीछे सत्ता रूप , चेतन रूप , ज्ञान रूप में निरंतर विद्यमान है परन्तु उसे चाहने वाला प्रेमी नहीं मिलता इसलिए परमात्मा सर्वत्र सुलभ कहा गया है , महात्मा को गीता में दुर्लभ कहा गया है | लज्जा , घृणा , भय , तृष्णा के रहते , विनासी से ही आसक्ति सिद्ध होती है , परमात्मा में अनुरक्ति नहीं हो सकी | अतः पूर्ण अनुरक्ति बिना प्रभु का अनुभव नहीं होता |
~ रतननिधि "निर्वान" ~
ये तो रहा एक किताब का दिया उत्तर , जिसका नाम " रास्ते का पथिक " है !
आपकी तरफ से कोई अगर उत्तर मन में उठ रहा हो तो कमेंट ( टिप्पणी ) के जरिये ज़रूर दें , चर्चामंच परिवार आपकी अनमोल टिप्पणियों व आपका सदः स्वागत करता है , " ॐ नमः शिवाय "
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अब चलते है चर्चा की ओर - - -
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तुम यहीं हो... - ( अलकनंदा सिंह जी की प्रस्तुति )
पोस्ट चर्चा - ये आहटें,ये खुश्बुएं,ये हवाओं का थम जाना, बता रहा है कि तुम यहीं हो सखा, मेरे आसपास...नहीं नहीं... मेरे नहीं मेरी आत्मा के पास मन के बंधन से मुक्त तन के बंधन भी कब के हुए विलुप्त
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गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनायें - ( आ० रेखा जोशी जी की प्रस्तुति )
पोस्ट चर्चा - गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनायें चीर घोर अन्धकार को वह रोशनी दिखाता है अँधेरे से उजाले में वह बाहँ पकड़ लाता है करते है नमन ऐसे महान गुरू को हम सब मिल ज़िंदगी जीने के लिए नव राह जो दिखलाता है
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केवल चेहरा उतरा सा और गगन सूना सा होगा - ( प्रभात कुमार जी की प्रस्तुति )
पोस्ट चर्चा - वो दिन भी क्या होगा जब सूरज कहीं और होगा सुबह न होगा, ना होगी शाम केवल चेहरा उतरा सा और गगन सूना सा होगा। उन तारों का क्या होगा जो झिलमला कर दिख जाते थे न सतरंगी दुनिया होगी,
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सावन - ( आ० श्री विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति )
पोस्ट चर्चा - कोई शब्द मेरे नहीं हैं ..... मुझे अच्छे लगते हैं ..... बस संजो लेती हूँ किसी को लगता है कि चोरी हो गई है ..... तो .... खर्च नहीं हुए हैं ...... सबके सामने है .... वो अपने शब्द यहाँ से ले जा सकते हैं ....
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एक लत - ( कवि नीरज द्विवेदी जी की प्रस्तुति )
पोस्ट चर्चा - मेट्रो भी अजीब है जितनी ज्यादा बेतरतीब आवाजें सुनाई देतीं हैं ज्ञान गंगाएँ उतना ही शांत हो जाता हूँ मैं, जितनी ज्यादा भीड़ मिलती है अनजान लोगों की अनभिज्ञ चेहरों की उतना ही अकेला हो जाता हूँ
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गर्भस्त शिशुओं की रक्षक है लौकी - ( अल्का सर्वात जी की प्रस्तुति )
पोस्ट चर्चा - लौकी इकलौती ऎसी सब्जी है जिसमें दूध के सारे गुण पाए जाते हैं। मराठी और गुजराती में तो इसे दुधी और दुध्या कह कर ही पुकारा जाता है। जैसे दूध ज्यादा पी लेने पर कफ की अधिकता हो जाने से शरीर भारी हो जाता है
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ईमेल से प्रश्न .... - ( सुशील दीक्षित जी की प्रस्तुति )
पोस्ट चर्चा - मेरे पास बहुत सारी इमेल आती रहती हैं अब मैं इनको पोस्ट कर दिया करूँगा . इसी तरह की एक ईमेल मैं भेज रहा हूँ. On Tue, Mar 13, 2012 at 7:52 PM, Jayendra Joshi wrote: >
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खिलखिलाती रही - ( आ० महेश्वरी कनेरी जी की प्रस्तुति )
पोस्ट चर्चा - कतरा कतरा बन जि़न्दगी गिरती रही और मै समेट उन्हें, यादों में सहेजती रही अनमना मन मुझसे क्या मांगे,पता नहीं पर हर घड़ी धूप सी मैं ढलती रही रात,
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क्यों ये चाँद दिन में नजर आता है - ( अनुषा जी की प्रस्तुति )
पोस्ट चर्चा - ख्वाबों खयालों में हर पल तेरा चेहरा नजर आता है ऐ मेरे मालिक बता, क्यों ये चांद दिन में नजर आता है लगा के काजल दिन को रात कर दो क्या कोई बता के नजर लगता है
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प्रेम - ( प्रीती जैन 'अज्ञात' जी की प्रस्तुति )
पोस्ट चर्चा - *प्रेम' होता नहीं* *मिलता जाता है* *जन्म लेते ही,* *माता-पिता से* *परिवार से, मित्रों से* *शिक्षकों से* *प्रेमी / प्रेमिका से* *पति / पत्नी से* *घर-बाहर, हर स्थान पर* *उपलब्ध है 'प्रेम'* *बिक भी जाता है
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द्वार खोलो भगवन द्वार खोलो - ( देवेन पाण्डेय जी की प्रस्तुति )
पोस्ट चर्चा - कल यु ही किसी काम से ‘ घाटकोपर ‘ तक जाने का अवसर प्राप्त हुवा ,ठाणे से घाटकोपर स्लो लोकल से बीस-पच्चीस मिनट ( आधा घंटा ही समझ लो ) लगते है ! हमारी ट्रेन जैसे ही ‘मुलुंड ‘ पहुंची
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लेकिन माँ नहीं - ( श्री मिथिलेश दुबे जी की प्रस्तुति )
पोस्ट चर्चा - वो इबादत इबादत नहीं जिसमे माँ का नाम नहीं वो घर घर नहीं अबस है जिसमे माँ को जगह नहीं । आज सबकुछ तो है मेरे पास धन दौलत और शोहरत नहीं है तो ख़ुश होने वाली माँ नहीं ।
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तिरंगे की शान निराली - ( शिखा कौशिक जी की प्रस्तुति )
पोस्ट चर्चा - *काम पप्पा ने कितना चंगा किया ,लाकर मुझको ये प्यारा तिरंगा दिया !* *................................................................* *इस तिरंगे की शान निराली बड़ी ,* *इसको छत पर फहराने की हसरत चढ़ी ,* * वानर दल से मैंने पंगा लिया !* *
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बस स्टॉप से ... ( रजनी खन्ना ) ! - (आ० रेखा श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति )
पोस्ट चर्चा - ये कहानी बनी तो बस स्टॉप से नहीं लेकिन इसके बारे में सब कुछ बस स्टॉप से ही सुनाने वाले मिलते रहे क्योंकि रजनी को तो मैंने वर्षों बाद जाना। वो एक सीधी सादी महिला थी।
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दिन में फैली खामोशी - ( संजय भास्कर जी की प्रस्तुति )
पोस्ट चर्चा - जब कोई इस दुनिया से चला जाता है वह दिन उस इलाके के लिए बहुत अजीब हो जाता है चारों दिशओं में जैसे एक ख़ामोशी सी छा जाती है दिन में फैली ख़ामोशी वहां के लोगो को सुन्न कर देती है
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वन्देमातरम - ( डॉ. प्रतिभा जी की प्रस्तुति )
पोस्ट चर्चा - बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा संस्कृत बाँग्ला मिश्रित भाषा में रचित इस गीत का प्रकाशन सन् १८८२ में उनके उपन्यास आनन्द मठ में अन्तर्निहित गीत के रूप में हुआ था। इस उपन्यास में यह गीत भवानन्द नाम के सन्यासी द्वारा गाया गया है।
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बुद्धिवर्धक कहानियाँ - ( सत्संग का ऐसा असर ) - ( आशीष भाई जी की प्रस्तुति )
पोस्ट चर्चा - डाकुओं का एक बहुत बड़ा दल था। उनमें जो बड़ा व बूढ़ा डाकू था , वह सबसे कहता था कि ' भाइयों , जहाँ कथा व सत्संग होता हो , वहाँ पर कभी मत जाना , नहीं तो तुम्हारा सारा काम बंद हो जाएगा।
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कामना के पुष्प - ( श्री मधु सिंह जी की प्रस्तुति )
पोस्ट चर्चा - जब गीत मय अस्तित्व दोनों के मिलेंगें , सुरभित कामना के पुष्प अधरों पे खिलेंगें , नील नभ पर चांदनी इर्ष्या करेगी , जब बाहु- भुज में आबद्ध हम धू -धू जलेंगे
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नेत्रहीनता उनकी व्यथा थी - ( भारती दास जी की प्रस्तुति )
पोस्ट चर्चा - धृतराष्ट्र जो जन्मांध हुए थे , अत्यधिक ही मोहान्ध हुए थे , वो सदा दुखित हुए थे , पुत्र मोह से व्यथित हुए थे , आत्महीनता से ग्रसित थे , महत्वाकांक्षा से पीड़ित थे
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"उपवन में हरियाली छाई" - ( डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' जी की प्रस्तुति )
नभ में ली अँगड़ाई।
आसमान में श्याम घटाएँ,
उमड़-घुमड़ कर आई।।
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क्या किया जाये कैसे बताऊँ कि कुछ नहीं किया जाता है - ( डॉ. सुशील कुमार जोशी जी की प्रस्तुति )
पोस्ट चर्चा - कहना तो नहीं पड़ना चाहिये कि मैं शपथ लेता हूँ कि लेखक और कवि नहीं हूँ कौन नहीं लिखता है सब को आता है लिखना बहुत कम ही होते हैं
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"बादल का चित्रगीत" ( आ० 'मयंक' सर जी की प्रस्तुति )
पोस्ट चर्चा - कहीं-कहीं छितराये बादल, कहीं-कहीं गहराये बादल। काले बादल, गोरे बादल, अम्बर में मँडराये बादल। उमड़-घुमड़कर, शोर मचाकर, कहीं-कहीं बौराये बादल...
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बेमानी लगते हम, अच्छे दिन के योग - ( आ० रविकर जी की प्रस्तुति )पोस्ट चर्चा - मारे मारे फिर रहे, कृषक उद्यमी लोग । बेमानी लगते हमें, अच्छे दिन के योग । अच्छे दिन के योग, चाइना मुस्काता है । बढ़ा रहा उद्योग, उद्यमी भरमाता है । सस्ता चीनी माल, बिक रहा द्वारे द्वारे । रविकर रहा खरीद, माल ना बिके हमारे ॥
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अब आप सबसे आज्ञा _/\_ चाहता हूँ , ईश्वर की कृपा से अगर सही सलामत रहा तो अगले सोमवार प्रभु का नाम यानी || ॐ नमः शिवाय || करता नज़र आऊंगा , हाँ जी...... क्योंकि सावन लग चुके है आप भी थोडा लग लो , धन्यवाद
आदरणीय प्रियवर आशीष भाई आपने बहुत परिश्रम से सावन के पहले सोमवार की चर्चा में अच्छे लिंकों का चयन किया है।
जवाब देंहटाएं--
आपका आभारी हूँ।
आदरणीय इसमें आभार कैसे बस आपका आशीर्वाद मिलता रहे , धन्यवाद !
हटाएंॐ नमः शिवाय ॐ
जवाब देंहटाएंश्रावण मास के प्रथम सोमवार की हार्दिक शुभकामनाएं
इस आभार के लिए स्नेहाशीष ..... बहुत बहुत धन्यवाद आपका ....
शुभ प्रभात ...
Rajeev Kumar Jha
जवाब देंहटाएंआ.शास्त्री जी,सादर.एक प्रश्न है मन में.क्या लिंकों का दोहराव होना चाहिए? आशीष जी ने आज तीन ऐसे लिंक दिये हैं जो पहले ही चर्चा मंच में शामिल हो चुके हैं.दो तो मेरे चर्चा में शामिल है.इनके बदले नए लिंक देते तो अच्छा रहता.
आदरणीय राजीव कुमार झा जी।
जवाब देंहटाएंआप सही कह रहे हैं।
ऐसा शायद इसलिए होता है कि आपकी तरह से तल्लीनता से सब लोग चर्चा मंच का पिछला अंक बाँचते नहीं हैं।
भविष्य में इस बात का पूरा ध्यान रखा जायेगा कि पिछली चर्चा के लिंकों की पुनरावृत्ति न हो।
सुन्दर चर्चा-
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय आशीष भाई
आ. रविकर सर आपको भी बहुत-बहुत धन्यवाद !
हटाएंआशीष जी बहुत बढ़िया चल रहे हैं शुभकामनाऐं बढ़िया से बढ़िया चर्चा लगायें । 'उलूक' के सूत्र 'क्या किया जाये कैसे बताऊँ कि कुछ नहीं किया जाता है' को स्थान देकर हौसला बढ़ाने के लिये आभार ।
जवाब देंहटाएंसुशील सर को तो बहुत धन्यवाद , क्योंकि इनकी टिप्पणी तो सदः हि हौसला बढ़ाती है , मंच परिवार व मेरी ओर से आपको धन्यवाद !
हटाएंसादर आभार!
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसभी ब्लोग्गर मित्रगण एवं श्रीमानों को श्रावण मॉस की शुभकामनाये !
जवाब देंहटाएंऔर हमारी ब्लॉग पोस्ट ' द्वार खोलो भगवन द्वार खोलो' को स्थान डेकर हमें सम्मानित करने हेतु धन्यवाद !
sundar charcha kiye hai .ashish aapko dheron sneh
जवाब देंहटाएंआ. श्री भारती जी आपको भी बहुत-बहुत धन्यवाद !
हटाएंYUVAON KI RACHNAYEN BHI GYANVARDHAK HAIN !! SUNDAR CHARCHAA !!
जवाब देंहटाएंआपका क्या कहना है साथियो !! अपने विचारों से तो हमें भी अवगत करवाओ !! ज़रा खुलकर बताने का कष्ट करें !! नए बने मित्रों का हार्दिक स्वागत-अभिनन्दन स्वीकार करें !
जिन मित्रों का आज जन्मदिन है उनको हार्दिक शुभकामनाएं और बधाइयाँ !!
"इन्टरनेट सोशियल मीडिया ब्लॉग प्रेस "
" फिफ्थ पिल्लर - कारप्शन किल्लर "
की तरफ से आप सब पाठक मित्रों को आज के दिन की
हार्दिक बधाई और ढेर सारी शुभकामनाएं !!
ये दिन आप सब के लिए भरपूर सफलताओं के अवसर लेकर आये , आपका जीवन सभी प्रकार की खुशियों से महक जाए " !!
मित्रो !! मैं अपने ब्लॉग , फेसबुक , पेज़,ग्रुप और गुगल+ को एक समाचार-पत्र की तरह से देखता हूँ !! आप भी मेरे ओर मेरे मित्रों की सभी पोस्टों को एक समाचार क़ी तरह से ही पढ़ा ओर देखा कीजिये !!
" 5TH PILLAR CORRUPTION KILLER " नामक ब्लॉग ( समाचार-पत्र ) के पाठक मित्रों से एक विनम्र निवेदन - - - !!
प्रिय मित्रो ,
सादर नमस्कार !!
आपका हार्दिक स्वागत है हमारे ब्लॉग ( समाचार-पत्र ) पर, जिसका नाम है - " 5TH PILLAR CORRUPTION KILLER " कृपया इसे एक समाचार-पत्र की तरह ही पढ़ें - देखें और अपने सभी मित्रों को भी शेयर करें ! इसमें मेरे लेखों के इलावा मेरे प्रिय लेखक मित्रों के लेख भी प्रकाशित किये जाते हैं ! जो बड़े ही ज्ञान वर्धक और ज्वलंत - विषयों पर आधारित होते हैं ! इसमें चित्र भी ऐसे होते हैं जो आपको बेहद पसंद आएंगे ! इसमें सभी प्रकार के विषयों को शामिल किया जाता है जैसे - शेयरों-शायरी , मनोरंहक घटनाएँ आदि-आदि !! इसका लिंक ये है -www.pitamberduttsharma.blogspot.com.,ये समाचार पत्र आपको टविटर , गूगल+,पेज़ और ग्रुप पर भी मिल जाएगा ! ! अतः ज्यादा से ज्यादा संख्या में आप हमारे मित्र बने अपनी फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज कर इसे सब पढ़ें !! आपके जीवन में ढेर सारी खुशियाँ आयें इसी मनोकामना के साथ !! हमेशां जागरूक बने रहें !! बस आपका सहयोग इसी तरह बना रहे !! मेरा इ मेल ये है : - pitamberdutt.sharma@gmail.com. मेरे ब्लॉग और फेसबुक के लिंक ये हैं :-www.facebook.com/pitamberdutt.sharma.7
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मेरे ब्लॉग का नाम ये है :- " फिफ्थ पिलर-कोरप्शन किल्लर " !!
मेरा मोबाईल नंबर ये है :- 09414657511. 01509-222768. धन्यवाद !!
जो अभी तलक मेरे मित्र नहीं बन पाये हैं , कृपया वो जल्दी से अपनी फ्रेंड-रिक्वेस्ट भेजें , क्योंकि मेरी आई डी तो ब्लाक रहती है ! आप सबका मेरे ब्लॉग "5th pillar corruption killer " व इसी नाम से चल रहे पेज , गूगल+ और मेरी फेसबुक वाल पर हार्दिक स्वागत है !!
आप सब जो मेरे और मेरे मित्रों द्वारा , सम - सामयिक विषयों पर लिखे लेख , टिप्प्णियों ,कार्टूनो और आकर्षक , ज्ञानवर्धक व लुभावने समाचार पढ़ते हो , उन पर अपने अनमोल कॉमेंट्स और लाईक देते हो या मेरी पोस्ट को अपने मित्रों संग बांटने हेतु उसे शेयर करते हो , उसका मैं आप सबका बहुत आभारी हूँ !
आशा है आपका प्यार मुझे इसी तरह से मिलता रहेगा !!आपका क्या कहना है मित्रो ??अपने विचार अवश्य हमारे ब्लॉग पर लिखियेगा !!
सधन्यवाद !!
आपका प्रिय मित्र ,
पीताम्बर दत्त शर्मा,
हेल्प-लाईन-बिग-बाज़ार,
R.C.P. रोड, सूरतगढ़ !
जिला-श्री गंगानगर।
" आकर्षक - समाचार ,लुभावने समाचार " आप भी पढ़िए और मित्रों को भी पढ़ाइये .....!!!
BY :- " 5TH PILLAR CORRUPTION KILLER " THE BLOG . READ,SHARE AND GIVE YOUR VELUABEL COMMENTS DAILY . !!
Posted by PD SHARMA, 09414657511 (EX. . VICE PRESIDENT OF B. J. P. CHUNAV VISHLESHAN and SANKHYKI PRKOSHTH (RAJASTHAN )SOCIAL WORKER,Distt. Organiser of PUNJABI WELFARE SOCIE TY,Suratgarh (RAJ.)
Posted by PITAMBER DUTT SHARMA ********
सुंदर चर्चा ! आशीष भाई. आ. शास्त्री जी से किये गए अनुरोध पर ध्यान देंगे.
जवाब देंहटाएंएक बात और ...लिंक पेस्ट करते समय / न दें. इससे अलग विंडो में पोस्ट नहीं खुलता और उस पोस्ट को पढ़ने के बाद फिर से चर्चा मंच पर आने में समय लगता है.
राजीव भाई इस विषय की हमें जानकारी न थी अतः आगे से ध्यान देकर ही लिंक पेस्ट किया जाएगा , और एक बात और भाई जो २ या ३ लिंक्स आप पोस्ट पे फिर से लगाने वाली बात कह रहे थे उसका कारण ये था कि वो I.A.S.I.H पोस्ट्स न्यूज़ के लिए चुनी जानी थी लेकिन उसीके दूसरे दिन , मंच के लिए भी प्रस्तुति देनी थी तो उसमें भी लगा दी , सोंचा न्यू ब्लॉगर हैं - ऐसे में मंच व शास्त्री जी के सामने ये बात रखी जाती तो हानि हि होती क्योंकि चर्चामंच व आ. शास्त्री जी सदा ही न्यू ब्लॉगर को प्रेरित करते हुए चर्चामंच में स्थान देतें हैं ! राजीव भाई स्वागत है व धन्यवाद !
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