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प्रिय ब्लॉगर मित्रों , चर्चामंच के इस अंक में मैं आपका हार्दिक स्वागत करता हूँ व ईश्वर से आप सबके व मेरे लिए सद बुद्धि व सफल मार्ग की कामना करता हूँ - क्योंकि -
" जो क्षण हम ईश्वर के लिए व्यय करते हैं , वे व्यय न होकर , इस जीवन की ही नहीं , बल्कि आने वाले अनेकों जन्मों के जीवन की निधि बन जाते हैं। "
प्रिय ब्लॉगर मित्रों , चर्चामंच के इस अंक में मैं आपका हार्दिक स्वागत करता हूँ व ईश्वर से आप सबके व मेरे लिए सद बुद्धि व सफल मार्ग की कामना करता हूँ - क्योंकि -
" जो क्षण हम ईश्वर के लिए व्यय करते हैं , वे व्यय न होकर , इस जीवन की ही नहीं , बल्कि आने वाले अनेकों जन्मों के जीवन की निधि बन जाते हैं। "
~ दिव्य शक्ति माँ श्रद्धेया जी ~
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अब चलते हैं चर्चा की ओर ....
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टारगेट इंटरवेंशन की जरूरत ही क्यों पड़ी ? - श्री अलकनंदा जी की प्रस्तुति
कुछ दिनों पहले जब देश के स्वास्थ्यमंत्री डा. हर्षवर्द्धन ने नवआधुनिक समाज और मेट्रो कल्चर में आम होती जा रही प्रिमेराइटल यौन संबंध स्थापित करने की प्रवृत्ति पर लगाम लगाने की बात की थी, किशोर वर्ग को यौन शिक्षा देने की बजाय उन्हें तन और मन से दृढ़ बनाने की बात की थी तथा शादीशुदाओं से अपने ही साथी से संबंध बनाने को ही सुरक्षित बताया था,
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सीली यादें - श्री पारुल चंद्रा जी की प्रस्तुति
तुम्हारी यादें सहेज रखी है मैंने , मन के गागर से छलकती जा रही है।
कुछ तो बहुत गर्म हैं... , ठंडी आहों जैसी , और कुछ सीली पड़ी हैं......
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हाइकु - श्री विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति
धरा संवरी , मेघों सी काली साड़ी ,बूंदों के बूटे।
बूंदों के बूटे , भुट्टे की धानी साड़ी ,भू सज बैठी।
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मै तुम्हारी ही बात कर रहा हु नराधमो ! - श्री देवेन पाण्डेय जी की प्रस्तुति
( असभ्य शब्दों को प्रयोग करने हेतु क्षमस्व ! मैंने भरसक प्रयत्न किया मर्यादा में रहने का ,
किन्तु स्वयम को असमर्थ पाया )
''उत्तर प्रदेश '' !!!!!!
थूकता हु आपके प्रशाषन पर !!!
घटिया जाहिल कुत्सित मानसिकता के लोग ! बलात्कारो का गढ़ !
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दरवाजे पर कौन खड़ा है,इतनी रात बधाई को ! - श्री सतीश सक्सेना जी की प्रस्तुति
अदब कायदा खूब सिखाओ शेख कुएं औ खाई को !
गिरना है वो गिर के रहेगा , देगा दोष खुदाई को !
सारे फ़र्ज़ निभाए हमने,अब जाने का वक्त हुआ !
दरवाजे पर कौन खड़ा है,इतनी रात बधाई को !
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भीड़ - श्री प्रीती जैन जी की प्रस्तुति
भीड़ अब व्यथित नहीं , लज्जित भी नहीं ,रोज ही ओधें मुँह
निर्वस्त्र पड़ी स्वतंत्रता भी , नहीं खींच पाती ध्यान
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हवा के हाथ से बदली गिरी है - श्री दिगंबर नसवा जी की प्रस्तुति
लचकती डाल से इमली गिरी है कहीं पे आज फिर बिजली गिरी है
वहाँ भवरों की हलचल है अभी तक जहाँ कच्ची कली जंगली गिरी है
सितारों में तुम्हारा अक्स होगा खनकती सी हंसी उजली गिरी है
मुनिया की मौत - श्री स्मिता सिंह जी की प्रस्तुति
इस गांव की हवेलियों के पीछे
एक चमारों की बस्ती है
रहती हैं जहां मुनिया, राजदेई और जुगुरी
अपनी चहक से मिटाती हैं गरीबी का दंश
बेपरवाह लहरें
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फैलते कंक्रीट के जंगल - श्री रेखा जोशी जी की प्रस्तुति
ढलती शाम में जब सूर्य देवता धीरे धीरे पश्चिम की ओर प्रस्थान किया करते थे तब नीतू का मन अपने फ्लैट में घबराने लगता । वह अपने बेटे के साथ अपने फ्लैट के सामने वाले पार्क में टहलने आ जाया करती थी ।
Ocean of Bliss
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सब इनका किया कराया है फोटो लगा रहा हूँ इनको ढूँढ... - श्री सुशील कुमार जोशी जी की प्रस्तुति
एक मित्र जब
दूर देश से आकर
मेरे घर पहुँचे
अपनी जिज्ञासा
को शांत करने
के लिये पूछ बैठे
भाई ये रोज रोज
लिखने लिखाने की
बात आपके दिमाग में
कब से और कैसे है आई
कुछ काम धन्धा नहीं है
उलूक टाइम्स
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सावित्री सूत्र : यम सावित्री संवाद से - श्री गिरिजेश राव जी की प्रस्तुति
प्रश्न यह नहीं है कि सावित्री कितनी प्रासंगिक है या कितनी हानिकारक है। प्रश्न यह भी नहीं है कि वह आज के मानकों पर खरी उतरती है या नहीं। प्रश्न यह है कि आप अपनी समस्त प्रगतिशीलता और बौद्धिक प्रखरता के होते हुये भी उसके समान आदर्श गढ़ नहीं सके!
कर्मफल - श्री कालीपद प्रसाद जी की प्रस्तुति
*जानता हूँ मैं ,पाप-पुण्य नाम से ,जग में कुछ नहीं है |* *कर्म तो कर्म है ,कर्म-फल नर, इसी जग में भोगता है |* *कर्मक्षेत्र यही है, ज़मीं भी यही है, कोई नहीं अंतर ,* *उद्यमी अपने उद्यम से ,बनाते हैं बंजर ज़मीं को उर्बर |
मेरे विचार मेरी अनुभूति
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टूटे हुए शायर का अरमां - मेरी प्रस्तुति जी
एक टूटे हुए शायर का अरमां अभी कुछ बाकी है********
जो पूरे ना हो सके उन सपनों का ख़वाब अभी कुछ बाकी है।
हम लिख न सके ऐसी शायरी है जिन्दगी********
कोरे पन्नों में कैद अरमां अभी कुछ बाकी हैं।
Information and solutions in Hindi
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‘‘चारों ओर भरा है पानी’’ (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’) जी की प्रस्तुति
खटीमा में बाढ़ के ताज़ा हालात |
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उच्चारण
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अब आप सबसे आज्ञा _/\_ चाहता हूँ , ईश्वर की कृपा से अगर सही सलामत रहा तो अगले सोमवार , एक बार फिर धावा बूलूँगा , घबराने की ज़रुरत नहीं - क्योंकि - सिर्फ आपकी मेहनती पोस्ट्स का लिंक चर्चामंच पे देने के लिए , ओ के ! धन्यवाद !
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सुप्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा सूत्र
और उनका संयोजन
चर्चा की बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं--
कुछ लिंक देखने अभी बाकी हैं। दिन में सभी की पोस्ट पर जायेंगे।
आपका आभार आशीष भाई।
आ. बस यूं ही आशीर्वाद सदः मिलता रहे ! धन्यवाद !
हटाएंबेहतरीन लिंलों के चयन के साथ बहुत ही सुन्दर चर्चा प्रस्तुति। आपका आभार आशीष भाई।
जवाब देंहटाएंराजेन्द्र भाई धन्यवाद !
हटाएंशुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंचर्चा की उम्दा प्रस्तुती
स्नेहाशीष .... शुक्रिया
शुभ दिवस
आ. बहुत-बहुत धन्यवाद !
हटाएंसटीक, सामयिक लिंक्स ! उत्तम संयोजन ! धन्यवाद, आशीष भाई !
जवाब देंहटाएंप्रीती जी बहुत-बहुत धन्यवाद !
हटाएं|| जय श्री हरिः ||
सुंदर सूत्रों के लिए धन्यवाद ! सोमवारीय चर्चा सत्र में मेरी ब्लॉग पोस्ट ' मै तुम्हारी ही बात कर रहा हु नराधमो ! ' को स्थान देकर मुझे प्रोत्साहित करने के लिए धन्यवाद
जवाब देंहटाएंअतिसुन्दर: ! , हमारे न्यू ब्लॉगर मित्र देवेन भाई की जय हो व मेरी तरफ से इनको भी धन्यवाद !
हटाएंबहुत सुंदर चर्चा आशीष । 'उलूक' के सूत्र 'सब इनका किया कराया है ....' को जगह देने के लिये आभार ।
जवाब देंहटाएंसुशील सर आपको भी धन्यवाद !
हटाएंसुंदर चर्चा ! आशीष भाई.
जवाब देंहटाएंराजीव भाई बहुत-बहुत धन्यवाद !
हटाएंबेहतरीन चर्चा आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा ,बढ़िया लिंक्स ,मेरी रचना को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार आशीष जी
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत धन्यवाद !
हटाएंअच्छे लिंक्स।।।
जवाब देंहटाएंबधाई
धन्यवाद अनुषा जी !
हटाएंसार्थक सूत्र सुंदर चर्चा !
जवाब देंहटाएंआ. बहुत-बहुत धन्यवाद जो आपका आगमन हुआ !
हटाएं|| जय श्री हरिः ||
खूबसूरत चर्चा बोलबाल ...
जवाब देंहटाएंशुक्रिया मुझे शामिल करने का ...
खूबसुरत चर्चा
जवाब देंहटाएं