मित्रों।
प्रस्तुत है जुलाई मास के पहले शनिवार की चर्चा।
देखिए मेरी पसंद के कुछ लिंक।
--
बरसो रे मेघा बरसो ....!!
कोयल की कूक में
हुक सी ......
अंतस से
उठती है एक आवाज़ ...
बिना साज़....
बरसो रे मेघा बरसो ...
हुक सी ......
अंतस से
उठती है एक आवाज़ ...
बिना साज़....
बरसो रे मेघा बरसो ...
Anupama Tripathi
--आज मैं क्या लिखूं? --
कविता मंच पर संजय भास्कर
--आस्तीन का दोस्ताना
कविता
फूल के बदले चली खूब दुनाली यारों,
बात बढ़ती ही गई जितनी संभाली यारों
दूध नागों को यहाँ मुफ्त मिला करता है,
पीती है मीरा यहाँ विष की पियाली यारों....
Smart Indian
--
--
लिखा जाना
प्रेम कविताओं का |
कि जो लिखते हैं
उन्होंने भोगा नहीं होता प्रेम !
और जो भोगते हैं
उन्हें व्यर्थ लगता है
उसे यूँ
व्यक्त करना....
प्रेम कविताओं का |
कि जो लिखते हैं
उन्होंने भोगा नहीं होता प्रेम !
और जो भोगते हैं
उन्हें व्यर्थ लगता है
उसे यूँ
व्यक्त करना....
expression
--
ईजा की हंसी जो बह गयी...
घर सुनते हीे गिरने लगती हैं दीवारें
ढहने लगती हैं छतें
आने लगती हैं आवाजें
खिड़कियों के जोर से गिरने की ...
Pratibha Katiyar
--
छोटी सी ख़ुशी
बड़ी ख़ुशी के चाह में स्वाभाविक रूप से उठने वाले छोटी -छोटी ख़ुशी कहीं न कहीं हर कदम पर स्वतः ही दम तोड़ देता और हमें पता भी नहीं चलता। या उमंग और ख़ुशी ने अपना रूप बदल लिया हो और मैं उसे समझ नहीं पा रहा हूँ। मन कि निश्छलता प्रकृति स्वरूप न रह कर अपनी प्रकृति समय के साथ जाने कैसे बदलती है? शायद यही कहीं इसकी प्रकृति तो नहीं ?
--
--
कभी तो यहां भी आया करो...
[कौलिज के समय लिखी चंद पंक्तियाँ,
आज इस ब्लॉग पर प्रस्तुत कर रहा हूं]
--
कभी तो यहां भी आया करो,
नाम लेकर मेरा बुलाया करो,
हर महफिल रौशन है तुम से,
एक दीपक, यहां भी जलाया करो...
मन का मंथन। पर kuldeep thakur
--
माहिया : क़िस्त 03
:1;
ख़ुद से न गिला होता
यूँ न भटकते हम
तू काश मिला होता
:2:
ऐसे न बनो बेरहम
पहलू में भी चुप !
ये कैसी सजा जानम !...
आपका ब्लॉग पर आनन्द पाठक
--
--
सावनी तांका
याद आता है
बारिश में भीगना
चलते जाना
नर्म गीली दूब पे
पाँव थकने तक !
Sudhinama पर sadhana vaid
--
" प्यार " के बारे में सुना था
लेकिन देखा समझा आज ,
"धन्यवाद की पात्र है फेसबुक,
गूगल+,पेजेज़ ,ग्रुप्स
और इंटरनेट का पूरा सिस्टम " ! -
पीताम्बर दत्त शर्मा
( विचारक -लेखक -विश्लेषक )
--
--
तब और अब
हल्का-हल्का दर्द था
छोटी छोटी ख़्वाहिशें थी ....
गहरा गहरा रिश्ता था
महकी महकी आशाएं थी .....
भरा भरा दरिया था
प्यासी-प्यासी बारिशें थी ....
बावरा मन पर सु..मन
(Suman Kapoor)
--
झरीं नीम की पत्तियाँ
(दोहा-गीतों पर एक काव्य)
(२)
सरस्वती-वन्दना
(घ)
‘सत्यम’-‘शिवम’-‘सुन्दरम’
(i)
रख तू ऐसी ‘पैठ’ !
देवदत्त प्रसून
(दोहा-गीतों पर एक काव्य)
(२)
सरस्वती-वन्दना
(घ)
‘सत्यम’-‘शिवम’-‘सुन्दरम’
(i)
रख तू ऐसी ‘पैठ’ !
देवदत्त प्रसून
--
गज़ल-कुञ्ज
(1) प्रणाम
(ख)
प्रियतमा प्रणाम
(ii)
प्रियतमा जननि तुमको प्रणाम !
(1) प्रणाम
(ख)
प्रियतमा प्रणाम
(ii)
प्रियतमा जननि तुमको प्रणाम !
प्रियतमा जननि !तुमको प्रणाम !!
हर सुख दुःख मेरा तेरे नाम !!...
देवदत्त प्रसून
--
खोल दो सभी खिड़कियाँ
खोल दो सभी खिड़कियाँ
अपने अंतस की,
आने दो ताज़ा हवा
समग्र विचारों की,...
आध्यात्मिक यात्रा
खोल दो सभी खिड़कियाँ
अपने अंतस की,
आने दो ताज़ा हवा
समग्र विचारों की,...
आध्यात्मिक यात्रा
--
--
--
Kernel for Windows Data Recovery –
Product Review
Tech Prevue पर
Vinay Prajapati (Nazar)
--
--
अकेले अपनी बातें
अपने मुँह के अंदर ही
बड़बड़ाते रह जाते हैं
उलूक टाइम्स पर सुशील कुमार जोशी
--
"रिश्ते और प्यार बदल जाते हैं"
युग के साथ-साथ, सारे हथियार बदल जाते हैं।
नौका खेने वाले, खेवनहार बदल जाते हैं।।
--
प्यार मुहब्बत के वादे सब निभा नहीं पाते हैं,
नीति-रीति के मानदण्ड, व्यवहार बदल जाते हैं..
--
बाल कहानी
(स्कूलों में गृहकार्य ही बोझिल नहीं हो गया है बल्कि नित नए प्रोजेक्ट तैयार करना , पाठ से संबन्धित आकर्षक चार्ट बनाना भी अपने आप में एक समस्या का रूप लेता जा रहा हैं । इसको ध्यान में रखते हुए एक सकारात्मक सोच के साथ यह कहानी लिखी गई है। और खुशी है कि देवपुत्र बाल मासिक पत्रिका अंक जुलाई -2014 में इसको प्रकाशित किया है। )
--
सुंदर शनिवारीय चर्चा सुंदर सूत्र । 'उलूक' के सूत्र 'अकेले अपनी बातें अपने मुँह के अंदर ही बड़बड़ाते रह जाते हैं' को शामिल करने के लिये आभार ।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंसुन्दर सूत्र संयोजन और सूत्र पर्याप्त |
आईने के सामने न आया करो
जवाब देंहटाएंजुल्फों को यू न सवारा करो
अपनी ही नज़र न लगाया करो
यू हंस – हंस कर न इशारा करो
अपनी अदाए यू ही न दिखाया करो
अगड़ाइया लेकर ये जुल्म न डाला करो
मार डालेगी यह अदा यू ही न दिखाया करो
तुम्हें दुनिया में जन्नत नज़र आएगी
‘ निल्को ’ की नज़र....................Full Read Click on below link
http://vmwteam.blogspot.in/2014/07/blog-post.html
सुंदर चर्चा
आदरणीय शास्त्री जी नमस्कार ....हृदय से आभार आपने चर्चामंच पर मेरी कविता को लिया !!उत्तम लिंक्स का संयोजन है आज ॥सभी लिंक्स बहुत बढ़िया ...!!
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार!
सुंदर सार्थक एवं पठनीय सूत्रों का उत्कृष्ट संकलन ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिये हृदय से आभार शास्त्री जी ! सधन्यवाद !
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिंक्स
जवाब देंहटाएंati sundar sanklan kiya hai aapne !! aabhaar meri rachna ko shaamil karne hetu !! shukriya !!
जवाब देंहटाएंबढ़िया सूत्र संकलन , आ. शास्त्री जी व मंच को सदः ही धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
सुन्दर लिंक्स से सजी रोचक चर्चा...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद सर!
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत बहुत धन्यवाद ! सुंदर चर्चा....
जवाब देंहटाएंबढ़िया सूत्र संकलन सर
जवाब देंहटाएंआज का संयोजन माधुर्य प्रधान है !
जवाब देंहटाएंविलम्ब के लिए क्षमा चाहती हूँ...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिंक्स हैं..
हमारी रचना को शामिल करने का शुक्रिया
सादर
अनु