आज की चर्चा में आपका हार्दिक स्वागत है
भाजपा सरकार का पहला आम बजट आज प्रस्तुत हो रहा है | बजट के बाद की प्रतिक्रिया अभी बताए देता हूँ | भाजपा के नेता कहेंगे कि यह एक बेहद संतुलित बजट है और विपक्षी पार्टियां इसे पूरी तरह से नकारा सिद्ध करेंगी | वैसे सच यही है कि उम्मीदें बहुत हैं लेकिन असलियत का घूँट कडवा होता है | देखना बस यही है कि आज कितनी कड़वी घूँट कितने सुंदर तरीके से पिलाई जाएगी , पूरा विवरण हासिल करने के लिए फेंकू समाचार चैनलों के सामने बैठना होगा । समाचार देखिएगा लेकिन ब्लॉग जगत को भूलें नहीं |
चलते हैं चर्चा की ओर
आभार
"कुछ अद्यतन लिंक"
(प्रस्तोता-डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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"कुछ अद्यतन लिंक"
(प्रस्तोता-डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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ज़िंदगी
Kailash Sharma
--रविकर मत कर होड़, मचेगी अफरा-तफरी
फ़री फ़री मारा किये, किया किये तफ़रीह ।
-परजीवी पीते रहे, दारु-रक्त पय-पीह।...
कभी आपने विचार किया है कि
हम हिन्दुस्तानियों की हिन्दी खराब क्यों है?
इसका मुख्य कारण है कि हमें अपनी हिन्दी के
व्याकरण का सम्यक ज्ञान नहीं है।
तो आइए बाते करें हिंदी व्याकरण की-
हम हिन्दुस्तानियों की हिन्दी खराब क्यों है?
इसका मुख्य कारण है कि हमें अपनी हिन्दी के
व्याकरण का सम्यक ज्ञान नहीं है।
तो आइए बाते करें हिंदी व्याकरण की-
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प्रस्तुतकर्ता Virendra Kumar Sharma
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राज-दुलारो, नन्हे-मुन्नों,
कल मुझको तुम भूल न जाना!
जब मैं बूढ़ा हो जाऊँगा,
इसी तरह तुम मुझे खिलाना!!
--तो क्या है!
Prabhat Kumar
--मैं आज भी वही पुराने ज़माने की माँ हूँ
-- साधना वैद
तुम्हारे लिए
मैं आज भी वही
पुराने ज़माने की माँ हूँ
मेरी बेटी
तुम चाहे मुझसे कितना भी
नाराज़ हो लो
तुम्हारे लिए
मेरी हिदायतें और
पाबंदियाँ आज भी वही रहेंगी...
मैं आज भी वही
पुराने ज़माने की माँ हूँ
मेरी बेटी
तुम चाहे मुझसे कितना भी
नाराज़ हो लो
तुम्हारे लिए
मेरी हिदायतें और
पाबंदियाँ आज भी वही रहेंगी...
कविता मंच पर संजय भास्कर
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंमाँ तो माँ ही है क्या नई क्या पुरानी |कोई भी बजट आए मंहगाई ने तो सारे घरों के बजट फेल कर दिए हैं |समझ से बाहर है ऐसे में कैसे जिया जाए |
समसामयिक लिंक्स आज |
बहुत सुंदर गुरुवारीय चर्चा । 'उलूक' के सूत्र 'बात अगर समझ में ही आ जाये तो बात में दम नहीं रह जाता है' को शामिल करने के लिये आभार दिलबाग ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन लिंकों के साथ सुन्दर चर्चा, आभार आपका।
जवाब देंहटाएंउपयोगी लिंकों के साथ सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका हृदय से आभार आदरणीय दिलबाग विर्क जी।
बढ़िया लिंक्स व प्रस्तुति , आ. विर्क साहब , शास्त्री जी व मंच को धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंI.A.S.I.H - ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ... आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार दिलबाग जी तथा शास्त्री जी मेरे अंतर की चिंतित माँ के द्वंद्व एवं आशंकाओं को अपने मंच के माध्यम से सबसे साझा करने का अवसर देने के लिये ! अपनी बेटी की सुरक्षा के लिये माँ कभी पुरातन और आधुनिक उपायों में तोल-मोल नहीं करती ! हर हाल में वह अपनी बच्ची को बेरहम दुनिया की बदनीयत निगाहों से बचाना चाहती है !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सूत्र...रोचक चर्चा...आभार
जवाब देंहटाएंआज के चर्चा-मंच पर सारगर्भित रचनाएँ है ! मेरी रचना को इस मंच पर सम्मिलित करने के लिए धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा-
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय-
बहुत सुन्दर चर्चा...लगभग एक महीने बाद ब्लॉग जगत में सक्रिय हुआ..आनंद आ गया....मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार!!!!
जवाब देंहटाएंइस मंच पर तो केवल शहद ही शहद है तो कड़वी घूंट याद कहाँ रहती है .. आभार ..
जवाब देंहटाएंआभार
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