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रविवार, जुलाई 20, 2014

"नव प्रभात":चर्चा मंच :चर्चा अंक:1680

तपती धूप है
चटखती धरती है
आधी से अधिक जनता
भूख से कलपती है.

खुलती है जीवित खिड़कियाँ
कहती-छोटी झोपड़ियों से
बुलंद आवाजें सड़कों पर आ रही हैं
संसद तक गूँज रही हैं.

महंगाई,भ्रष्टाचार,कालेबाजारी ने
राजनीति में एक नया मोड़ दिया है
जनता की ताकत ने
एक नया रूप लिया है.

यथार्थ की मुखहीन घड़ी बताती है
घड़ी की सूई चलने लगी है
इस गहन अँधेरे में भी
आशा की किरण जगने लगी है.
(साभार : उषा अरोड़ा)
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नमस्कार !
आज की रविवारीय चर्चा में आपका स्वागत है.
एक नज़र डालें आज की चर्चा में शामिल लिंकों पर.....
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राजेश कुमारी 
मेरा फोटो
तुम्हारे पाँव से कुचले हुए गुंचे दुहाई दें  
फ़सुर्दा घास की आहें हमें अक्सर सुनाई दें
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हिमकर श्याम 
सावन में धरती लगे, तपता रेगिस्तान  
सूना अम्बर देख के, हुए लोग हलकान 
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विनय प्रजापति 
USB pen drive as computer RAM
आज हम ऐसे जुगाड़ की चर्चा करेंगे जिसमें आप बिना किसी खर्च के अपनी पेनड्राइव को ही रैम के रूप में प्रयोग कर सकेंगे।
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यशोदा अग्रवाल 
जब देखता हूँ मैं
तुम्हारे माथे पर
चमकती पसीने की बूँदें,
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सिफ़र शायर 
किसी से मेरी मंज़िल का पता पाया नहीं जाता,
जहाँ मैं हूँ फरिश्तों से वहाँ आया नहीं जाता। 
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प्रीति सुराना 

सुनो !!!
बादल तो  
कबके बरस कर जा चुके हैं...
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मनोज 
facebook-profile-image
महत्वपूर्ण यह नहीं कि ज़िन्दगी में आप कितने ख़ुश हैं, बल्कि यह महत्वपूर्ण है 
कि आपकी वजह से कितने लोग ख़ुश हैं। वास्तव में कुछ लोगों की कुछ खास बातें, 
उनकी कुछ खास अदाएं, उनके कुछ खास अंदाज हमें भरपूर खुशी देते हैं, 
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मीना पाठक 
सावन मास आते ही वर्षा से धरा सिंचित हो कर अपने गर्भ में 
छुपे बीजों 
को अंकुरित कर देती है और पूरी धरा हरित हो जाती है.
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कुलदीप ठाकुर 

उदास हुआ दिल आज फिर से,
जब झूम- झूम कर आया सावन,
वोही पुराने ज़ख्म लेकर,
जोर-जोर से बरसा सावन
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डॉ.मोनिका शर्मा 
डॉ. मोनिका शर्मा
निशब्द हैं
स्तब्ध हैं
अस्थिर है आत्मा और
असंतुलित हैं विचार

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१३३. ख्वाहिश
ओंकार 
मेरा फोटो
मैं तुम्हारे जूड़े में खोंसा गया 
एक बेबस फूल हूँ.
लगातार तुम्हारे साथ हूँ,
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दुुनिया किसी के प्यार में जन्नत से कम नहीं!
प्रतिभा कुशवाहा 

उनकी  गजलें और हमारे जज्बात आपस में बातें करते हैं। इतनी नजदीकियां  शायद हम किसी से ख्वाबों में सोचा करते हैं। उनकी मखमली आवाज के दरमियां जब अल्फाज मौसिकी का दामन पकड़ती है, तब हम खुदाओं की जन्नतों से बड़ी जन्नत की सैर करते हैं। हम बात कर रहे है महरूम पर हमारे दिलों मे जिंदा मेहदी हसन साहब की।
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चोट खाना ज़रूरी नहीं...
सुरेश स्वप्निल 
मेरा फोटो
हमें  भूल  जाना  ज़रूरी  नहीं  है
बहाने  बनाना   ज़रूरी  नहीं  है
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पूर्णिमा दूबे
संस्कृत में इसे जीरक कहा जाता है, जिसका अर्थ है, अन्न के जीर्ण होने में (पचने में) सहायता करने वाला।
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प्रतिभा वर्मा 
काश कही से आ जाते तुम
बारिश की बूँद की तरह, 
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काजल कुमार 
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स्मिता सिंह 
सुन लो कान्हा मेरे कान्हा
मैं सखियों संग न जाऊंगी
मैं तुम संग दिन भर डोलूंगी
देखो कान्हा मेरे कान्हा
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प्रथम भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रदूत मंगल पाण्डेय की १८७ वीं जयंती
शिवम् मिश्रा 

मंगल पाण्डेय (बांग्ला: মঙ্গল পান্ডে; १९ जुलाई १८२७ - ८ अप्रैल १८५७) सन् १८५७ के प्रथम भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रदूत थे। यह संग्राम पूरे हिन्दुस्तान के जवानों व किसानों ने एक साथ मिलकर लडा था। इसे ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा दबा दिया गया। इसके बाद ही हिन्दुस्तान में बरतानिया हुकूमत का आगाज हुआ।
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"रस्सी-डोरी के झूले अब कहाँ लगायें सावन में" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')


सपनों में ही पेंग बढ़ाते, झूला झूलें सावन में।
मेघ-मल्हारों के गानें भी, हमने भूलें सावन में।।
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अंतरात्मा की आवाज़
राकेश कुमार श्रीवास्तव 

दुनियादारी के चक्कर में पड़ा हूँ,
स्वार्थी बनकर जिये जा रहा हूँ,
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नया होते रहने के चक्कर में पुराना भी नहीं रह पाता है

सुशील कुमार जोशी 
My Photo
पुरानी होती हुई
चीजों से भी बहुत
भ्रांतियां पैदा होती हैं 

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आलोचक चक चक दिखे, सत्ता से नाराज-
रविकर 
My Photo
आलोचक चक चक दिखे, सत्ता से नाराज । 
अच्छे दिन आये कहाँ, कहें मिटायें खाज । 
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जामुन के स्वास्थ्य लाभ तथा गुण
हर्षवर्द्धन 
जामुन को काले बेरराजमन तथा जमाली भी कहा जाता है। जामुन को अंग्रेजी में ब्लैकबेरी ( BlackBerry ) या बेरी ( Berry ) कहा जाता है। 
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धन्यवाद !

17 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात
    सुन्दर सूत्र और संयोजन |

    जवाब देंहटाएं
  2. सार्थक लिंक
    आभार शास्त्री जी

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत उम्दा सूत्र मिले ..... शामिल करने का आभार

    जवाब देंहटाएं
  4. बेहतरीन लिंक्स। मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार राजीव जी

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत बहुत शुक्रिया राजीव जी मेरी रचना यहाँ तक पहुँचाने के लिए।

    जवाब देंहटाएं
  6. सादर आभार आ० राजीव जी मेरी रचना को स्थान देने के लिए ..बेहद सुन्दर लिंक्स

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत दिनों के बाद सक्रिय हुआ हूं! मंच पर उपस्थिति देखकर सुखद लगा।

    जवाब देंहटाएं
  8. राजीव जी, नमस्कार! सार्थक चर्चा, सुंदर और पठनीय लिंक्स. मेरी रचना शामिल करने के लिए आपका आभार.

    जवाब देंहटाएं
  9. कार्टून को भी चर्चा में सम्‍मि‍लि‍त करने के लि‍ए आभार

    जवाब देंहटाएं
  10. बेहतरीन लिंक्स व बढ़िया प्रस्तुति , आ. राजीव भाई , शस्त्री जी व मंच को धन्यवाद !
    Information and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )

    जवाब देंहटाएं
  11. चर्चा की बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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    सभी लिंकों का चयन उत्तम है।
    सभी की पोस्टों पर टिप्पणी दे आया हूँ।
    आपका आभार आदरणीय राजीव कुमार झा जी।

    जवाब देंहटाएं
  12. सुंदर सूत्र सुंदर चर्चा । 'उलूक' के सूत्र 'नया होते रहने के चक्कर में पुराना भी नहीं रह पाता है' को जगह देने के लिये आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  13. सुन्दर पठनीय सूत्र संकलन हेतु आ० राजीव कुमार झा जी बधाई के पात्र हैं |मेरी ग़ज़ल को शामिल करने के लिए राजीव जी आपको तहे दिल से आभार प्रेषित है

    जवाब देंहटाएं

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